लंड खड़ा कर देने वाली जवानी
हाय दोस्तों आप सब को सुना रहा हूं आज एक मैडम की कहानी जिनकी चिकनी जांघ को देख कर लड़के लंड को लेकर एकदम से मस्त हो जाते थे, जिनको चोदे बगैर कोई भी न रह सके, ऐसी सुन्दर मैम की कहानी लेकर आया हूं आज।
बनारस कान्वेंट स्कूल वाराणसी में तब मैं इंटर में पढता था, मैम मुझे साइंस पढाती थीं और उनके घर मैं ट्यूशन पढने जाता था। मैम का नाम था विद्या और उनके पति सरकारी नौकरी में थे। एक बात तो साफ थी कि उनके पति उनके पापा के उम्र के थे। मैम की चिकनी और चुपड़ी जवानी के आगे उनका गंजा सिर कोई तुलना ही नहीं कर सकता था। रामखेलावन मिश्र जी की बीबी, बोले तो मेरी मैम उनसे आधि उम्र की थीं
लेकिन संयोग उस चपड़गंजू को इतनी मस्त बीबी मिली थी। मैम की उम्र यही पच्चीस साल होगी और उनको चोदने के लिए एक अदद हम उम्र लंड चाहिए था न कि एक चपड़गंजू का पचास साला लंड। सच कहें तो विद्या मैम बड़ी जिल्लत में अपनी जिंदगी काट रहीं थीं।
अक्सर मैं उनकी आंखों के आगे काले घेरे देखता तो लगता कि वो देर रात तक जागती हैं। एक दिन मैं जल्द उनके घर पहुंच गया। वो अकेली थीं, नाईटी में ही थीं और उनकी नाईटी एकदम सेक्सी, पारदर्शक और झीनी थी। मुझे उनका यह रुप देखने को मिला। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैने देखा, छत्तीस के साईज के चूंचे और पतली कमर के साथ एकदम बिंदास बोले तो मस्त गांड और छरहरी काया की स्वामिनी मैडम जी गजब ढा रहीं थीं। मुझे देखीं तो बोलीं, अरे आजाद आज तुम जल्दी नहीं आ गये। तो मैने कहा कि मैम घर पे कोई न था तो मन नहीं लगा तो सोचे कि आज पहले ही निकल लेते हैं
वो बोलीं कि अच्छा तुम रुको मैं अभी फ्रेश होकर आती हूं। कह के वो बाथरुम की तरफ चली गयीं। मुझे लगा कि क्या सीन होगा, मैडम का खूबसूरत बदन नंगा और पानी से भीगा हुआ। जैसे ही बाथरुम के नल से पानी गिरने की आवाज आने लगी, मैं धीरे से जाकर दरवाजे के पास सट गया। एक की होल था दरवाजे में जिससे कि अंदर झांका जा सकता था।
मैने देखा, मैम अपनी चिकनी जांघों में साबुन लगा रहीं थी। मुझे की होल से सिर्फ उतना ही नजर आ रहा था जितना हिस्सा उस छेद के सामने पड़ता। अत: बारी बारी से अलग अलग नजर आ रहे थे सारे अंग। अभी की होल के सामने उनकी चिकनी जांघ थी, जिसको देख कर मेरे रोयें खड़े हो गये। गोरी गोरी जांघ, बिना बालों की मस्त मस्त केले के पेड़ जैसी जांघ। क्या बात है, मैं तो फैंटेसी में डूब गया, अगर यह जांघ किस करने को मिल गयी तो क्या कहने, और अगर जांघ इतनी खूबसूरत है तो चूत कितनी खूबसूरत होगी। अभी तो मैं यह सोच ही रहा था कि मैडम पीछे की तरफ घूम गयीं और अपनी गांड की होल के सामने कर दीं। पहले मुझे बायीं जांघ और बायां पिछवाड़ा की गोलाईयां दिखीं। एक दम गोल और निर्दोष, कोई दाग नहीं, गोरे गोरे गांड के गोले, चमक रहे थे।
नंगी मैडम को नहाते देख लंड खड़ा हो गया।
मेरा लंड खड़ा था, मैने बाहर खींच के उसको सहलाना शुरु कर दिया था। कुछ नहीं तो कमसे कम मूठ ही मार लेता मैडम की इन चिकनी जांघों के नाम पर। तभी अचानक से मैडम जी पलट गयीं और उनके चूंचे मेरे सामने थे। इन स्तन पर कोई भी कपड़ा न था, वो ब्रा खोल के नहा रहीं थी। इतने मस्त मस्त बूब्स देख कर लंड और भी कड़ा हो गया। मैने अपना लँड सहलाते हुए इतना जोर जोर से हिलाना शुरु कर दिया था कि बस पानी दो मिनट में ही निकलने वाला था।
और तभी जुल्म हो गया, मैडम ने दरवाजा खोला और दरवाजा भड़ाक से मेरे सर पर लगा। मैं वहीं अपना लंड पकड़े बेहोश हो गया, लोहे का दरवाजा अचानक से मेरे माथे पर बज गया था। पांच मिनट के बाद नींद खुली तो देखता हूं कि मैं सोफे पर लेटा हूं और मैडम मेरे जवान लंड को सहला कर उसके साथ खेल रहीं हैं। साला मेरा लंड अब भी टाइट था। जब मेरी नजरें मिलीं तो मैंने उठना चाहा, मुझे अपराधबोध (गिल्ट) महसूस हो रहा था। तभी उन्होने मुसकरा के कहा " तो जनाब चोरी छुपे देख रहे थे हमें, गलत बात इसकी तो सजा मिलेगी और बराबर मिलेगी"
और उन्होंने मेरे अंडों को पकड़ के दबा दिया, मैं चीख उठा आह और इससे पहले मैम ने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया। हल्के हल्के सरकते हुए उन्होंने लंड की चमड़ी पर ऐसा जादू चलाया कि बस पूछो मत। मैने अपना लंड एकदम दो इंच और बढ़ कर आठ इंच का होता देखा।
वो बड़बड़ा रही थीं, इतने बड़े लंड के लिए आज तक मैने इंत्जार किया, पर आजाद यह तुम्हारे रुप में मिलेगा, यह मैने सोचा न था। कहां छुपा रखा था तुमने यह हथियार और वो अपनी साड़ी उठाकर मेरे लंड पर बैठ गयीं। निशाना एकदम पक्का था। मेरे लंड ने उनके चूत को छेदते हुए अंदर का रास्ता अख्तियार किया। वो खुद ही उपर नीचे उठती बैठती रहीं और उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया। अपने मस्त मस्त चूंचे मेरे मुह में पकड़ा कर वो उछल कूद करती रहीं। मुझे स्वर्ग का मजा आ रहा था। बस जिंदड़ी जन्नता हीं जन्नतां हो चुकी थी।
आधे घंटे तक वो मेरे लंड के उपर फुदकती रहीं। पूरा आठ इंच अंदर लेकर वह निस्संदेह एकदम मस्त हो चुकी थीं। अब उन्होंने अपने को कुतिया स्टाइल में पोजिशन किया और अपने हाथों से गांड को खोल कर मुझे गांड में लंड डालने को कहा। शायद वो झड़ चुकी थीं और इसलिए मुझे अब गांड मारने को कह रहीं थीं।
मैने सुपाड़ा गांड के छेद पर रखा और लंड को धीरे धीरे ठेलना शुरु किया। वो चिल्लाने लगीं, आह्ह, आह्ह्ह, आराम से और मैने उनके बाल पकड़ के गांड को मारना शुरु कर दिया। चार पांच धक्कों के बाद पूरा आठ इंच उनके अंदर था। अब खुद ही वो किसी मशीन की तरह आगे पीछे हो रहीं थीं। मस्त मस्त मैड्म की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था। आखिर में मैने अपना वीर्य उनके पिछवाड़े मे ही उलट दिया। और लंड को निकाल कर मुह में चूसा दिया।
आगे से लगातार मेरे उनके ट्यूशन चल रहे हैं। वो मेरे लंड को आज भी उतना ही प्यार करती है और मुझे पैसे भी देती हैं।
हाय दोस्तों आप सब को सुना रहा हूं आज एक मैडम की कहानी जिनकी चिकनी जांघ को देख कर लड़के लंड को लेकर एकदम से मस्त हो जाते थे, जिनको चोदे बगैर कोई भी न रह सके, ऐसी सुन्दर मैम की कहानी लेकर आया हूं आज।
बनारस कान्वेंट स्कूल वाराणसी में तब मैं इंटर में पढता था, मैम मुझे साइंस पढाती थीं और उनके घर मैं ट्यूशन पढने जाता था। मैम का नाम था विद्या और उनके पति सरकारी नौकरी में थे। एक बात तो साफ थी कि उनके पति उनके पापा के उम्र के थे। मैम की चिकनी और चुपड़ी जवानी के आगे उनका गंजा सिर कोई तुलना ही नहीं कर सकता था। रामखेलावन मिश्र जी की बीबी, बोले तो मेरी मैम उनसे आधि उम्र की थीं
लेकिन संयोग उस चपड़गंजू को इतनी मस्त बीबी मिली थी। मैम की उम्र यही पच्चीस साल होगी और उनको चोदने के लिए एक अदद हम उम्र लंड चाहिए था न कि एक चपड़गंजू का पचास साला लंड। सच कहें तो विद्या मैम बड़ी जिल्लत में अपनी जिंदगी काट रहीं थीं।
अक्सर मैं उनकी आंखों के आगे काले घेरे देखता तो लगता कि वो देर रात तक जागती हैं। एक दिन मैं जल्द उनके घर पहुंच गया। वो अकेली थीं, नाईटी में ही थीं और उनकी नाईटी एकदम सेक्सी, पारदर्शक और झीनी थी। मुझे उनका यह रुप देखने को मिला। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैने देखा, छत्तीस के साईज के चूंचे और पतली कमर के साथ एकदम बिंदास बोले तो मस्त गांड और छरहरी काया की स्वामिनी मैडम जी गजब ढा रहीं थीं। मुझे देखीं तो बोलीं, अरे आजाद आज तुम जल्दी नहीं आ गये। तो मैने कहा कि मैम घर पे कोई न था तो मन नहीं लगा तो सोचे कि आज पहले ही निकल लेते हैं
वो बोलीं कि अच्छा तुम रुको मैं अभी फ्रेश होकर आती हूं। कह के वो बाथरुम की तरफ चली गयीं। मुझे लगा कि क्या सीन होगा, मैडम का खूबसूरत बदन नंगा और पानी से भीगा हुआ। जैसे ही बाथरुम के नल से पानी गिरने की आवाज आने लगी, मैं धीरे से जाकर दरवाजे के पास सट गया। एक की होल था दरवाजे में जिससे कि अंदर झांका जा सकता था।
मैने देखा, मैम अपनी चिकनी जांघों में साबुन लगा रहीं थी। मुझे की होल से सिर्फ उतना ही नजर आ रहा था जितना हिस्सा उस छेद के सामने पड़ता। अत: बारी बारी से अलग अलग नजर आ रहे थे सारे अंग। अभी की होल के सामने उनकी चिकनी जांघ थी, जिसको देख कर मेरे रोयें खड़े हो गये। गोरी गोरी जांघ, बिना बालों की मस्त मस्त केले के पेड़ जैसी जांघ। क्या बात है, मैं तो फैंटेसी में डूब गया, अगर यह जांघ किस करने को मिल गयी तो क्या कहने, और अगर जांघ इतनी खूबसूरत है तो चूत कितनी खूबसूरत होगी। अभी तो मैं यह सोच ही रहा था कि मैडम पीछे की तरफ घूम गयीं और अपनी गांड की होल के सामने कर दीं। पहले मुझे बायीं जांघ और बायां पिछवाड़ा की गोलाईयां दिखीं। एक दम गोल और निर्दोष, कोई दाग नहीं, गोरे गोरे गांड के गोले, चमक रहे थे।
नंगी मैडम को नहाते देख लंड खड़ा हो गया।
मेरा लंड खड़ा था, मैने बाहर खींच के उसको सहलाना शुरु कर दिया था। कुछ नहीं तो कमसे कम मूठ ही मार लेता मैडम की इन चिकनी जांघों के नाम पर। तभी अचानक से मैडम जी पलट गयीं और उनके चूंचे मेरे सामने थे। इन स्तन पर कोई भी कपड़ा न था, वो ब्रा खोल के नहा रहीं थी। इतने मस्त मस्त बूब्स देख कर लंड और भी कड़ा हो गया। मैने अपना लँड सहलाते हुए इतना जोर जोर से हिलाना शुरु कर दिया था कि बस पानी दो मिनट में ही निकलने वाला था।
और तभी जुल्म हो गया, मैडम ने दरवाजा खोला और दरवाजा भड़ाक से मेरे सर पर लगा। मैं वहीं अपना लंड पकड़े बेहोश हो गया, लोहे का दरवाजा अचानक से मेरे माथे पर बज गया था। पांच मिनट के बाद नींद खुली तो देखता हूं कि मैं सोफे पर लेटा हूं और मैडम मेरे जवान लंड को सहला कर उसके साथ खेल रहीं हैं। साला मेरा लंड अब भी टाइट था। जब मेरी नजरें मिलीं तो मैंने उठना चाहा, मुझे अपराधबोध (गिल्ट) महसूस हो रहा था। तभी उन्होने मुसकरा के कहा " तो जनाब चोरी छुपे देख रहे थे हमें, गलत बात इसकी तो सजा मिलेगी और बराबर मिलेगी"
और उन्होंने मेरे अंडों को पकड़ के दबा दिया, मैं चीख उठा आह और इससे पहले मैम ने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया। हल्के हल्के सरकते हुए उन्होंने लंड की चमड़ी पर ऐसा जादू चलाया कि बस पूछो मत। मैने अपना लंड एकदम दो इंच और बढ़ कर आठ इंच का होता देखा।
वो बड़बड़ा रही थीं, इतने बड़े लंड के लिए आज तक मैने इंत्जार किया, पर आजाद यह तुम्हारे रुप में मिलेगा, यह मैने सोचा न था। कहां छुपा रखा था तुमने यह हथियार और वो अपनी साड़ी उठाकर मेरे लंड पर बैठ गयीं। निशाना एकदम पक्का था। मेरे लंड ने उनके चूत को छेदते हुए अंदर का रास्ता अख्तियार किया। वो खुद ही उपर नीचे उठती बैठती रहीं और उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया। अपने मस्त मस्त चूंचे मेरे मुह में पकड़ा कर वो उछल कूद करती रहीं। मुझे स्वर्ग का मजा आ रहा था। बस जिंदड़ी जन्नता हीं जन्नतां हो चुकी थी।
आधे घंटे तक वो मेरे लंड के उपर फुदकती रहीं। पूरा आठ इंच अंदर लेकर वह निस्संदेह एकदम मस्त हो चुकी थीं। अब उन्होंने अपने को कुतिया स्टाइल में पोजिशन किया और अपने हाथों से गांड को खोल कर मुझे गांड में लंड डालने को कहा। शायद वो झड़ चुकी थीं और इसलिए मुझे अब गांड मारने को कह रहीं थीं।
मैने सुपाड़ा गांड के छेद पर रखा और लंड को धीरे धीरे ठेलना शुरु किया। वो चिल्लाने लगीं, आह्ह, आह्ह्ह, आराम से और मैने उनके बाल पकड़ के गांड को मारना शुरु कर दिया। चार पांच धक्कों के बाद पूरा आठ इंच उनके अंदर था। अब खुद ही वो किसी मशीन की तरह आगे पीछे हो रहीं थीं। मस्त मस्त मैड्म की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था। आखिर में मैने अपना वीर्य उनके पिछवाड़े मे ही उलट दिया। और लंड को निकाल कर मुह में चूसा दिया।
आगे से लगातार मेरे उनके ट्यूशन चल रहे हैं। वो मेरे लंड को आज भी उतना ही प्यार करती है और मुझे पैसे भी देती हैं।