मेरी डायरी - पहली प्रेमिका एक कामुक लड़की थी जो बेवफा थी
स्वीटी एक कामुक लड़की रही, जब से मैं उसे जानता हूं तब से वो ऐसी ही थी। पर मैं , किशोरावस्था का प्यार और वासना दोनों ही एक जैसे होते हैं। आप समझ नहीं पाते कि जिस लड़की को आप चाह्ते हो वह आपकी तरफ आकर्षित है, या उस कामुक लड़की के प्रति आप का वासना मय आकर्शण है, या फिर आप उसे प्यार करते हो। यह दशा अक्सर किशोरों में होती है। मेरी भी कहानी कुछ् ऐसी ही थी दोस्तों। जब मैं पहली बार अपनी पहले प्यार स्वीटी से भैया की ससुराल में मिला तो उसे देखता ही रह गया। नाजुक गोरा बदन, नुकीली चूंचियां, जिसको कि उसकी स्कूल ड्रेस की सलवार और कुर्ता न छुपा पाते , लाल होंट और कम उम्र में भी उन गुलाबी होंटों पर लापरवाही से पुती लिपस्टिक। ये खतरनाक काम्बिनेशन उसकी पतली कमर और गोल मटोल गांड से और भी खतरनाक हो जाता था।
उसे देखते ही मेरा हस्तमैथुन का आदी लंड पैंट के अंदर बेचैन हो उठा था। रात को उसने अचानक कुछ ऐसा काम किया कि मैं दंग रह गया उसके इस अदा से। उसने शाम को जब मैं बैठा हुआ था, आकर मेरे बगल में बैठ गई और अपने हाथों से मेरे कंधे पर रख दिया। उसकी नुकीली चूंचियां मेरे कंधे को छू रहिं थीं। मैंने हल्के हल्के उत्तेजना और भय के साथ उसके स्तनों को छुआ, फिर अपने हाथों से उसके जांघों को सहलाया। वो भी साथ दे रही थी, और मुस्करा रही थी, शातिर शिकारी थी वो इस क्ष्रेत्र की और मुझे फांस लिया था उसने। मैने समझा कि वो मुझे चाहने लगी है पर काश कि ऐसा होता, वो तो उसकी फितरत थी।
भाईयों से कामवासना।
मैं जानता था कि स्वीटी मुझे प्यार करती है पर ऐसा न था। वो एक बिगड़ी हुई लड़की थी और उसके कामवासना के आंधी में उसके परिवार के सभी लोग बह चुके थे। जितने भी लंड सया ने थे, उन सबका स्वीटी ने अपनी चूत से शिकार कर चुकी थी। हाजिर है मेरा अपना आंखों देखा अनुभव। उस रात सभी लोग गर्मियों की वजह से छत पर सोये हुए थे। हम, स्वीटी का एक ममेरा भाई, राकेश और स्वीटी आसपास सोये हुए थे। राकेश हमारे और स्वीटी के बीच में था। लोग हम सब की तरफ कम ध्यान देते थे, काहे कि हमको सीधा समझते थे। मैं स्वीटी को छूने के बारे में सोच रहा था।
स्वीटी राकेश से सट के बगल में सोयी थी और अपना हाथ धीरे धीरे उसके सीने, पेट और लंड की तरफ सहलाते हुए मुझे छूने की कोशिश कर रही थी। मैं सोच रहा था कि वो मुझे चाहती है और इसलिए अपना हाथ राकेश के बदन पर फेंकते हुए मुझे छूने की कोशिश कर रही है। वो अत्यंत कामुक लड़की थी। उसका रिश्ता तो राकेश से भी था, पर मैं इस सब बातों को नहीं जानता था। मैं उसकी उंगलियां छूकर ही खुश था और मैं सो गया। उसके सपने देखते हुए। रात को पक्का ही राकेश और स्वीटी ने चुदाई का भयंकर कार्यक्रम किया होगा। तो ये है उस बेवफा, कामुक लड़की और मेरी पहली प्रेमिका का सच, जिसके लिए मैंने पूरे दस साल इंतजार किया।
अपने बाप से उस कामुक लड़की का संबंध।
जब दिल टूटता है तो आदमी अपनी महबूबा पर शक करता है। तो सच ये है कि उसके पिता जी यूपी पुलिस में कांस्टेबल हैं। पुलिस वाले वैसे भी परिवार से दूर रहते हैं और जब वो आते हैं तो बीबी की गुलामी करते हैं, कयोंकि अक्सर दूर रहने पर बीबियां उनसे बेवफाई कर सकती हैं। यहां पर कहानी में जरा सा ट्विस्ट है, स्वीटी को उसके पापा ने पहले से सर चढा रखा था। वो सदा से उसके साथ सोती थी और जवान होने के बाद् भी एक तरफ मम्मी और एक तरफ बेटी। बेटी को लंड का स्वाद लग चुका था और अब वो पापा के लंड का स्वाद लेने और उसके पैसे पर नजर रखती थी। सिपाही जी ने उसे भी मालकन बना रखा था, सो धीरे धीरे वो अपनी मां को किनारे करती गयी। पापा के लंड और पैसे का एकाधिकार हासिल करने के बाद उसने अपने बाप के साथ जमकर सेक्स किया। जब तक शादी नहीं हो गयी, वो ऐसे ही अपने बाप के लंड पर राज करती रही। ये बात मुझे तब पता चली जब कि खुद उसकी भाभी ने ये सब बातें मुझे बताईं। खैर दिल तो पहले से टूटा था, ये सब जान कर उस कामुक लड़की की बेवफाई ने मुझे और भी तोड़ दिया। जिसके लिए सदियों इंतजार किया उसने ये हश्र किया। मेरा कैरियर, पढाई, लगन, ऊर्जा सब मिट्टी में मिल चुके थे और इसलिए मैंने नशा करना शुरु कर दिया।
मंजिले और भी हैं।
नशे में गम को भुलाने की कोशिश की पर उस कामुक लड़की की तस्वीर मेरे दिलो दिमाग में बस चुकी थी। मैंने और भी प्यार की पींगे बढाईं और फिर सफलता मिली मुझे कविता के रुप में जब मैंने एमटेक किया। कविता एक नेपाली लड़की थी, जिसका ब्वाय फ्रेंड था और उसने मुझे धीरे धीरे अपनी जिंद्गी में जगह दे ही दी थी। कविता और हम अक्सर लैब में बैठ कर मूठ मारते, हस्तमैथुन और चूत में उंगली करते। वो एक कामुक लड़की तो नही पर अच्छी प्रेमिका थी, जितने दिन रही मेरा अच्छे से साथ निभाया और हम दोनों ने दो सालों तक खूब चुदम चुदाई की।
यह कहानी मेरी सच्ची कहानी है और उसके बाद मेरी जिन्दगी में कई लड़कियां आईं जिनमें कविता की ही दोस्त सपना का नाम सबसे उपर है। सपना को मैने पिथोरागढ़ में पेला जहां वो मुझे कविता की पड़ोसन के रुप में मिली। वो एक हिमाचली और नेपाली मां बाप की मिक्स नस्ल थी। इ स तरह प्यार की असफलता और कामुक लड़की की बेवफाई ने मुझे एक आवारा, नशेबाज असफल और निगेटिव थिंकिंग वाला शख्स बनाके रख दिया। आज भी मैं अपनी नाकाम जिंदगी की किताब को पढते हुए कितना डर जाता हूं कि लगता है जिंदगी खत्म हो चुकी है पर शायद मजिले और भी हैं। देखते हैं कि क्या गुल खिलाती है उस कामुक लड़की की बेवफाई और मेरी नाकाम जिंदगी की कहानी।
स्वीटी एक कामुक लड़की रही, जब से मैं उसे जानता हूं तब से वो ऐसी ही थी। पर मैं , किशोरावस्था का प्यार और वासना दोनों ही एक जैसे होते हैं। आप समझ नहीं पाते कि जिस लड़की को आप चाह्ते हो वह आपकी तरफ आकर्षित है, या उस कामुक लड़की के प्रति आप का वासना मय आकर्शण है, या फिर आप उसे प्यार करते हो। यह दशा अक्सर किशोरों में होती है। मेरी भी कहानी कुछ् ऐसी ही थी दोस्तों। जब मैं पहली बार अपनी पहले प्यार स्वीटी से भैया की ससुराल में मिला तो उसे देखता ही रह गया। नाजुक गोरा बदन, नुकीली चूंचियां, जिसको कि उसकी स्कूल ड्रेस की सलवार और कुर्ता न छुपा पाते , लाल होंट और कम उम्र में भी उन गुलाबी होंटों पर लापरवाही से पुती लिपस्टिक। ये खतरनाक काम्बिनेशन उसकी पतली कमर और गोल मटोल गांड से और भी खतरनाक हो जाता था।
उसे देखते ही मेरा हस्तमैथुन का आदी लंड पैंट के अंदर बेचैन हो उठा था। रात को उसने अचानक कुछ ऐसा काम किया कि मैं दंग रह गया उसके इस अदा से। उसने शाम को जब मैं बैठा हुआ था, आकर मेरे बगल में बैठ गई और अपने हाथों से मेरे कंधे पर रख दिया। उसकी नुकीली चूंचियां मेरे कंधे को छू रहिं थीं। मैंने हल्के हल्के उत्तेजना और भय के साथ उसके स्तनों को छुआ, फिर अपने हाथों से उसके जांघों को सहलाया। वो भी साथ दे रही थी, और मुस्करा रही थी, शातिर शिकारी थी वो इस क्ष्रेत्र की और मुझे फांस लिया था उसने। मैने समझा कि वो मुझे चाहने लगी है पर काश कि ऐसा होता, वो तो उसकी फितरत थी।
भाईयों से कामवासना।
मैं जानता था कि स्वीटी मुझे प्यार करती है पर ऐसा न था। वो एक बिगड़ी हुई लड़की थी और उसके कामवासना के आंधी में उसके परिवार के सभी लोग बह चुके थे। जितने भी लंड सया ने थे, उन सबका स्वीटी ने अपनी चूत से शिकार कर चुकी थी। हाजिर है मेरा अपना आंखों देखा अनुभव। उस रात सभी लोग गर्मियों की वजह से छत पर सोये हुए थे। हम, स्वीटी का एक ममेरा भाई, राकेश और स्वीटी आसपास सोये हुए थे। राकेश हमारे और स्वीटी के बीच में था। लोग हम सब की तरफ कम ध्यान देते थे, काहे कि हमको सीधा समझते थे। मैं स्वीटी को छूने के बारे में सोच रहा था।
स्वीटी राकेश से सट के बगल में सोयी थी और अपना हाथ धीरे धीरे उसके सीने, पेट और लंड की तरफ सहलाते हुए मुझे छूने की कोशिश कर रही थी। मैं सोच रहा था कि वो मुझे चाहती है और इसलिए अपना हाथ राकेश के बदन पर फेंकते हुए मुझे छूने की कोशिश कर रही है। वो अत्यंत कामुक लड़की थी। उसका रिश्ता तो राकेश से भी था, पर मैं इस सब बातों को नहीं जानता था। मैं उसकी उंगलियां छूकर ही खुश था और मैं सो गया। उसके सपने देखते हुए। रात को पक्का ही राकेश और स्वीटी ने चुदाई का भयंकर कार्यक्रम किया होगा। तो ये है उस बेवफा, कामुक लड़की और मेरी पहली प्रेमिका का सच, जिसके लिए मैंने पूरे दस साल इंतजार किया।
अपने बाप से उस कामुक लड़की का संबंध।
जब दिल टूटता है तो आदमी अपनी महबूबा पर शक करता है। तो सच ये है कि उसके पिता जी यूपी पुलिस में कांस्टेबल हैं। पुलिस वाले वैसे भी परिवार से दूर रहते हैं और जब वो आते हैं तो बीबी की गुलामी करते हैं, कयोंकि अक्सर दूर रहने पर बीबियां उनसे बेवफाई कर सकती हैं। यहां पर कहानी में जरा सा ट्विस्ट है, स्वीटी को उसके पापा ने पहले से सर चढा रखा था। वो सदा से उसके साथ सोती थी और जवान होने के बाद् भी एक तरफ मम्मी और एक तरफ बेटी। बेटी को लंड का स्वाद लग चुका था और अब वो पापा के लंड का स्वाद लेने और उसके पैसे पर नजर रखती थी। सिपाही जी ने उसे भी मालकन बना रखा था, सो धीरे धीरे वो अपनी मां को किनारे करती गयी। पापा के लंड और पैसे का एकाधिकार हासिल करने के बाद उसने अपने बाप के साथ जमकर सेक्स किया। जब तक शादी नहीं हो गयी, वो ऐसे ही अपने बाप के लंड पर राज करती रही। ये बात मुझे तब पता चली जब कि खुद उसकी भाभी ने ये सब बातें मुझे बताईं। खैर दिल तो पहले से टूटा था, ये सब जान कर उस कामुक लड़की की बेवफाई ने मुझे और भी तोड़ दिया। जिसके लिए सदियों इंतजार किया उसने ये हश्र किया। मेरा कैरियर, पढाई, लगन, ऊर्जा सब मिट्टी में मिल चुके थे और इसलिए मैंने नशा करना शुरु कर दिया।
मंजिले और भी हैं।
नशे में गम को भुलाने की कोशिश की पर उस कामुक लड़की की तस्वीर मेरे दिलो दिमाग में बस चुकी थी। मैंने और भी प्यार की पींगे बढाईं और फिर सफलता मिली मुझे कविता के रुप में जब मैंने एमटेक किया। कविता एक नेपाली लड़की थी, जिसका ब्वाय फ्रेंड था और उसने मुझे धीरे धीरे अपनी जिंद्गी में जगह दे ही दी थी। कविता और हम अक्सर लैब में बैठ कर मूठ मारते, हस्तमैथुन और चूत में उंगली करते। वो एक कामुक लड़की तो नही पर अच्छी प्रेमिका थी, जितने दिन रही मेरा अच्छे से साथ निभाया और हम दोनों ने दो सालों तक खूब चुदम चुदाई की।
यह कहानी मेरी सच्ची कहानी है और उसके बाद मेरी जिन्दगी में कई लड़कियां आईं जिनमें कविता की ही दोस्त सपना का नाम सबसे उपर है। सपना को मैने पिथोरागढ़ में पेला जहां वो मुझे कविता की पड़ोसन के रुप में मिली। वो एक हिमाचली और नेपाली मां बाप की मिक्स नस्ल थी। इ स तरह प्यार की असफलता और कामुक लड़की की बेवफाई ने मुझे एक आवारा, नशेबाज असफल और निगेटिव थिंकिंग वाला शख्स बनाके रख दिया। आज भी मैं अपनी नाकाम जिंदगी की किताब को पढते हुए कितना डर जाता हूं कि लगता है जिंदगी खत्म हो चुकी है पर शायद मजिले और भी हैं। देखते हैं कि क्या गुल खिलाती है उस कामुक लड़की की बेवफाई और मेरी नाकाम जिंदगी की कहानी।