कालेज जीवन की लंड वर्धक सेक्सी कहानी कविताएं

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कालेज लाईफ की मस्ती और सेक्सी कविता कहानी वाचन जो लंड को खड़ा कर दे

कालेज में मौज मस्ती करते समय हम दोस्त अक्सर कई तरह की सेक्सी कहानी कविता करते हैं। जब मैं यूनिवर्सिटी में था तो गानों की पैरोडी बना के मित्रों के बीच में सुनाना एक आम बात हुआ करती थी। आईये आज आपको सुनाते हैं मस्त गानों की लंड खड़ा करने वाली पैरोडीज और कहानियां। मुझे गजलों का शौक था लेकिन जब दोस्त बैठते तो वो गजलें कुछ बदल जाया करतीं थी। वैसे तो गजलें दिल में दर्द उत्पन्न करती थीं पर जब हम दोस्त उसे गाते तो ये गजलें लंड में एंठन खड़ा करने के काम आती थीं। तो आईये देखते हैं कैसे गजलें सुनाते थे हम्। मेरे दोस्त मुझे अक्सर बद्री बोलते थे। आज दोपहर में लंच के समय कमीनो ने मुझे घेर लिया और लगे मौज मस्ती के लिए मुझे परेशान करने। उन्होंने कहा यार कुछ धमाकेदार गजलें सुनादो - आज तो किसी बड़े फनकार की गजल का तिग्गा बोटी करते हैं। मैंने कहा लेकिन पार्टी चाहिए मेरी सेक्सी कहानी कविता सुनने के लिए।

सबने प्रामिस किया और मैने शुरु किया - चुपके चुपके रात दिन गड़िया मराना याद है! वाह !! वाह!! हमको अबतक जिंद्गी का वो फसाना याद है। गर्मियों की धूप में गंड़िया मराने के लिए, वो तेरा कमरे में बिन चड्ढी का आना याद है। वाह! वाह! दोस्तों ने दाद दी। वो तेरा कमरे में बिन चड्ढी का आना याद है। आगे फरमाया है। खींच लेना वो मेरा ब्लाउज का कोना दफतन, और तेरा हाथ से चूंची छुपाना याद है। हा हा! दोस्तों ने ठहाका लगाया, आगे फरमाया है - तुझको पाते ही वो कुछ चुदवास हो जाना मेरा, और तेरी गांड में उंगली घुसाना याद है। अब दोस्तों के लंड में खुजली हो रही थी। सबने पैंट के अंदर हाथ डाल लिया और मुझसे आगे चलने को कहा। शुरु करो बद्री गुरु! मैंने फरमाया - गौर कीजियेगा, आ गयी जो याद तेरी राह चलते भी सनम, वो मेरा लंड लेके बाथरुम में घुस जाना याद है।

अब दोस्तों को कुछ इमोशनल अत्याचार चाहिए था। उन्होंने मुझसे कुछ मजेदार गानों की ऐसी तैसी करने को कहा। मैने अपनी सेक्सी कहानी कविता संग्रह में से एक और तीर निकाला। वो कुछ यूं था।

ये मेरे लंड की खालिस मोटाई पर ना जाना,

ये तेरी चूत के गहराई के नाकाबिल है,

ये तेरी चाह है बरबादी के काबिल तो

मेरे लंड की गदराई जवानी है,

बदगुमानी ना कर अपनी गांड की गोलाई पर

एक न एक दिन ये मेरे लन्ड तले आनी है।

अभी मेरे दोस्त को एक शेर याद आ गया - उसने कुछ यूं फरमाया " जो खड़ा है तो तेरी कद्र है हिमालय सा, जो पड़ा है तो हस्ती तेरी मिट जाएगी, अभी जो घुसता है तू गांड में ऐ लंड, याद रख जो सोया तेरी गांड भी मर जाएगी। वाह हम सबने दाद दी। इसके बाद मेरे दोस्त बेलन की बारी थी। बेलन और बद्री सभी अश्लील कथा कहानी संग्रह के लाइब्रेरियन थे। बेलन ने फरमाया -

बाद मरने के मेरे कब्र पे फातिहा पढना,

बाद मरने के मेरे कब्र पे फातिया पढना,

कफन उठाके ना चोदा तो मेरा नाम नहीं!!!

हा!! हा!! हा!! ऐसे आशिकों के चलते तो मुहब्बत का जमाना कायम है। हम ने बेलन को दाद दी। और एक और शेर कहने को फरमाया। बेलन ने अर्ज किया -

कब तक छुपे रहोगे पत्ते की आड़ में,

जाओगे एक न एक दिन हाथी की गांड में!

ये शेर तो हम अपने दुश्मनों को सुनाया करते थे। खैर जब महफिल जम चुकी थी तो शेरो शायरी चलती रहनी ही थी। बेलन ने आगे अर्ज करने के लिए अपना माथा झुकाया, बडे लंड को पैंट के अंदर सही जगह पर सेट किया और कहा - तेरी गांड की गहराई तो एक समंदर है, जो कुछ भी है आज उसी के अंदर है, अगर मां चुदाने का इतना ही शौक है हसीना, तो कहां जाती है लंड हमारा पैन्ट के भीतर है। मजा नहीं आया। हमने कहा अबे कुछ धमाके दार सुना सकता है तो सुना। तो फिर बद्री ने सुनाया - पेलने के वास्ते अब लंड किसी का चाहिए

पेलने के वास्ते अब लंड किसी का चाहिए, उम्र ऐसी है कि उनको डिल्डो का खिलौना चाहिए।

मुझको कहिये गांड में लौड़ा घुसाना है अगर, डाल दूं ऐसे ही कि कंडोम लगाना चाहिए?

महफिल में आओ किसी दिन गांड का लेकर गिटार,

हमको ना सिखाओ कि कैसे बजाना चाहिए,

तुम कहो तो गांड तेरी दोस्तों को बांट दूं,

चोदने के वास्ते कांसेंट तेरा चाहिए।

वाह वाह वाह! क्या बात है और बद्री ने महफिल लूट ली थी। यार हम सारे दोस्त ही चुदवासे शायर थे, हमारा कोई जवाब नहीं था और इस महफिल में हम दोस्तों की कहानी और शायरी के अलावा कोई और मुद्दा नहीं आता। इससे पहले की मामला शांत हो जाता, बेलन ने अपने पैंट में हाथ डालकर लंड को सहलाते हुए एक शेर फरमाया -

हमने सून्घी है इस लौड़े की महकती खूश्बू ,

हाथ से छूकर इस लंड को इल्जाम ना दो,

मुह में लेना हो बेधड़क डाल लो तू सनम,

आज इस लंड को तुम चूत से आवाज न दो,

घुस गया जो लंड मेरा टांका डलवाना पड़ेगा,

इसलिए तू तेल अपना गांड मे बरबाद ना कर,

आगे? अबे खतम हो गया। खैर हम दोस्तों ने महफिल सजानी जारी रखी, अब रोटेशन पर बद्री की दुबारा बारी थी, उसने अपना पिटारा खोला, शायद वो कहानी सुनाने वाला था या कविता। हम सबने लंड थाम के रखा था और फिर बद्री ने फरमाना शुरु किया,

रोज कहते थे 'आदाब' मुझे, आज दाबा तो बुरा मान गए।

हा हा! ये तो अच्छा रहा, वो रोज मुझे आदाब बोलती थी, आदाब मतलब कि नमस्कार! और मैं उर्दू नहीं जानता था इसलिए मुझे लगा कि वो मुझे आकर अपने चूंचे दबाने को बोल रही थी। इसलिए मैने जाकर उसके चूंचे मसल दिये। जरा जोर से ही मसल दिये इसलिए वो नाराज हो गयी। इसलिए मैंने दोस्तों आज से उर्दू सिखनी शुरु कर दी है। इसलिए अब ऐसी कोई गलती की गुंजाईश नहीं है। आप सब भी अगर उर्दू और हिंदी की सेक्सी अल्फाज में कहानी कहना सुनना या कहानी लिखना चाहते हैं तो जरुर ही भाषा का ज्ञान समृद्ध करें। आपको ये कविता कहानी शेरो शायरी कैसी लगी जरुर बताए।
 
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