कुंवारे चूंचे और हरामी डाक्टर [भाग 2]

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पेशे के नियम तोड़े और कुंवारी मरीज को चोदा।

तो दोस्तों कहानी के पहले भाग में मैने बताया कि कैसे मैंने अपनी एक कुंवारी पेशेंट को चेक अप रुम में बुला कर के उसके मासिक धर्म को नियमित करने के इलाज के रुप में उसे नंगा कर दिया। नंगा करके मैने उसको हर संवेदनशील स्थान पर स्पर्श कर कर के उसको एक दम से गरम कर दिया और आखिर में जब मैने उसकी चूत में थर्मामीटर डाल कर उसके स्तन मर्दन करने शुरु किये तो वो एक दम से चुदवासी हो गयी। सच कहूं तो कुंवारी लँडकियों का मासिक सिर्फ इसलिए भी रुक जाता है कि उनको लंड की उस समय दरकार होती है। एक बार जब मोटा लंड चूत के रस्ते को नाप जाता है उनकी मासिक अनियमितता की समस्या दूर हो जाती है। मेरी यह मरीज इतनी सेक्सी थी कि इसे देखते ही चोदने का मन हो गया था और इसकी समस्या भी कुछ ऐसी थी कि बस बिना चोदे ठीक न होती। तो कहानी के आखिरी सीन से शुरु करते हैं जहां मैने आपको छोड़ा था। मैने उसकी चूत में थर्मामीटर कोंच दिया था और उसके चूंचे को चूस रहा था। मारे उत्तेजना के वह अपने चूत में थर्मामीटर को अन्दर बाहर करने लगी थी। अब उसको चुदास को चढते देर न थी, या फिर उसे चुदास चढ चुकी थी। मैने देखा।

उसके चूत से निकला पानी थर्मामीटर पर चिपक रहा था, मुझे खुशी थी कि वो गीली हो चली थी। मैने बांयें चूंचे को अच्छे से सहलाते हुए चूसा और फिर दायें को दबाना शुरु किया। हर हालत में मुझे मजा आ रहा था। बांयां चूंचा एक दम टाईट हो चला था और तन कर के अपने काले निप्पल के साथ मेरा सीना बेधने के लिए तैयार था। मैने दाएं चूंचे को पकड़ कर अपने मुह में भर लिया, जितना ज्यादा भर सकता था उतना ज्यादा, अब वो लड़की पूरा थर्मामीटर अपनी चूत में कोंचने पर आमदा थी, पर अंदर की कौमार्य झिल्ली उसको ऐसा न करने दे रही थी। मैने उसके स्तन को अपने मुह में लेकर दोनों हाथों से ऐसे दबाया जैसे कि उसको अपने मुह में दूह रहा हूं। वो एक दम से आहें भरने लगी थी। दो तीन मिनट तक उसके चूंचे में मुह से हवा भरने के बाद मैने अब अपना लंड पाजामे से बाहर निकाला। वो मदहोशी में आंखें बंद किये हुई थी। उसके मुह के पास लंड ले जाकर मैने उसके बड़े से सुपाड़े को उसके होठों पर रगड़ा तो वो सुगबुगाई और अपना मुह स्वयं खोल दिया। मैं सिरहाने खड़ा था। मैने उसके सिर को बेड के किनारे खींच कर और लटका दिया। उसका सिर बेड से नीचे उल्टा लटक रहा था और मैं अपना लंड लिये उसके मुह में पेलने पर आमदा था। गच्च!! और ये पहला मुख मैथुन का शाट। मेरे हाथ उसके चूंचे मसल रहे थे और लंड अंदर मुह में घुसा था।

चूंचे को मसल कर उसने उनके बीच की घाटियों में चुदाई भी की।

अब वो अपने थर्मामीटर को तेजी तेजी से अंदर बाहर कर के मजे भी ले रही थी। मैने मोटे लंड को उसके मुह में देकर धक्के मारने शुरु कर दिये। हालांकि ये स्टाइल ज्यादा खतरनाक होती है और इसलिए संभल संभल कर मुह में चोदन करना चाहिए। वो निशब्द थी क्योंकि मुह में लंड था और इसलिए उसको कुछ कहे न बन रहा था। पर उसके रवैये से लग रहा था कि मेरे मोटे लंड को देख कर के वो और भी उत्तेजित हो गयी थी। तो बात यह थी कि अब उस कुंवारी लड़की की हायमन बोले तो कौमार्य झिल्ली मेरे आड़े थी। मैने देसी मुखमैथुन का जी भर के मजा लेने के बाद उसके मुह से लंड खींचा और उसके सीने पर सवार हो गया। उसके दोनों चूंचों पर बारी बारी से सुपाड़े को पटकते हुए छ्ड़ी की तरह से पीटते हुए लंड को मैने पूछा- "जानेमन!! कैसा लग रहा है तुम्हारा इलाज!! बोली वो " अग़र ऐसा करने से ठीक हो जाए तो रोज तुम्हारे पास आकर चुदाउंगी डाक्टर साहब!!" मैने कहा अवश्य बालिके!! और फिर उसके दोनों बड़े चूंचे के बीच लंड को पेलने लगा। वो समझ गयी उसे क्या करना है। उसने अपने दोनों चूंचे मेरे बड़े मोटे लंड के दोनों तरफ कस के दबा दिये और फिर खुद ही उनको दबाके मसल्ने लगी मेरे लौड़े को।

मैने कहा रानी!! अब आयेगा असली मजा और अपने लंड को जोर जोर से धक्के देकर उसको चोदना शुरु कर दिया। यह था चूंच चोदन। पांच मिनट तक इस पोजिशन में चोदने के बाद मैने अब अपनी प्यारी कुंवारी देसी मरीज की टांगों के बीच में लंड को पोजिशन किया। अपना एक हाथ उसके मुह के अंदर कोंच कर चूसने के लिए कर दिया, जिससे कि पेलने पर उसके मुह से चिल्लाहट न निकले। और फिर लंड को भीगी चूत के भीगे होटों पर रगड़कर के एक जोरदार धक्का लगाया कि फनफनाते हुए लंड अंदर घुसा। दो इंच अंदर जाने के बाद उसको दर्द होना शुरु हो गया। आह्ह, और फिर मैने उसको अपने हाथों से मुह पर ढक्कन लगा के एक जबरदस्त झटका दिया। इस बार चूत के फाटक को चीरता मेरा मोटा लंबा लन्ड उसके बच्चे दानी के दरवाजे पर दस्तक दे चुका था। वो अपने पैरों को सिकोड़े आंखों में आंसू समेटे अपने चीख को घुटी घुटी आवाज में ही व्यक्त कर सकी। मैने लंड को अब सरकाना शुरु किया।

चूंचे एक्सीलेटर होते हैं।

हर पल के बाद हर शाट के बाद दर्द मजे में बदल रहा था और मेरी मरीज का दुख कम हो रहा था। दो मिनट बाद मैने उसके मुह से हाथ हटाया तो बोली " आपने तो मुझे मार ही दिया था" मैने अब उसके चूंचे मसलते हुए नार्मल देसी मिशनरी स्टाइल में उसकी चूत लेनी शुरु कर दी थी। उसने भी अपने उत्साह को व्यक्त करते हुए मौके पर हर शाट का जवाब एक उछाल के साथ दिया। परफेक्ट टायमिंग के चल्ते लंड का आघात चूत पर मैक्सिमम था और फिर चुदते हुए उसको डबल मजा आ रहा था। हाय रे कुंवारी चूत, इतनी टाईट थी कि पहले की मारी हुई सारी गांडों के सुराख का मजा भूल चुका था मैं और सोच रहा था कि इसकी गांड अगली बार मारके अलग से मजे लूंगा। अरे भाई इलाज एक दिन में कहां खतम होता है। मैने आखिरी झटके के साथ लंड को बाहर खींच कर वीर्य को चूंचों पर छिड़कते हुए उन्हें नहला दिया। हरामी डाक्टर के चूंचे के शिकार की कहानियां आपके लिए जारी रहेंगी।
 
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