कुंवारे चूंचे और हरामी डाक्टर [भाग1]

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डाक्टरी के पेशे में स्टेथेस्कोप तो चूंचे पर ही लगता है।

हेलो दोस्तों, तो आपको पता है कि डाक्टरी का पेशा जिसमें कि चूंचे दाबने व चोदने की अपार संभावनाएं होती हैं, उसमें किस प्रकार से हम अपने लंड को निजी तौर पर रोज नयी नयी खुराक दे सकते हैं। तो आईये आपको अपना एक निजी अनुभव बताते हैं। बनारस जिले के एक छोटे से कस्बे में मैं एक क्लिनिक चलाता हूं अमितांशु क्लिनिक के नाम से। मेरी डिग्री तो कोई खास नहीं है, बस पहले एक बड़े डाक्टर के पास में सहायक कम्पाउंडर था और बाद में एक जगह थोड़ी जमीन लेकर एक कमरा बनाकर प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे बीएएमएस की डिग्री खरीद ली और फिर एलोपैथिक प्रैक्टिस करने लगा। कुल मिला के मेरी गड्डी चल निकली और आज मैं बड़े हास्पिटल का मालिक हूं। आईये करते हैं मुद्दे की बात। चूत और लंड के माया जाल से तो कोई न बच सका है और इसलिए मैं आपको सुनाता हूं हालिया कहानी। मैंने बाद में अपने को स्त्रीरोग विशेषग़्य भी घोषित कर दिया था जिससे कि लोग मेरे पास अपनी निजी जीवन की समस्याएं लेकर भी आने लगे थे। डिलीवरी कराना और स्त्रियों का अंतरंग परीक्षण करना मेरा रोजाना का काम था। महिलाओं में आंटियां, भाभियां और कुंवारी लड़कियां भी शामिल होती थीं जिनको कि मैं ग्रीन रुम में ले जाकर के परीक्षण स्वयं करता था और फिर एक दिन एक ऐसी लड़की आई जिसने चूंचे दिखाकर मेरा लंड खड़ा कर दिया।

उस लड़की की समस्या थी कि उसका मासिक रेगुलर नहीं आता था, ऐसे में उसे बहुत दर्द होता था। उसने मुझसे अपनी समस्या बताई। मैं उसकी समस्या सुनता रहा पर मेरी नजर उसके दमकते बदन और हुस्न पर थी। उसे देख कर मेरा लंड पहले से एकदम खड़ा हो गया था। मैने देखा उसके कुंवारे चूंचे शान से सलवार के अंदर से सर उठाए खड़े थे। उसके कठोर निप्पल कप्ड़े के नीचे से भी महसूस किये जा सकते थे और उसकी कातिल जवानी के कंटीली कमर की अदाएं उसके बैठने पर भी साफ नुमाया थीं, गहरी नाभि चिपकी हुई सलवार के उपर से दिख रही थी। अचरज यह कि उसने कोई ओढनी नहीं ली थी,

मैं उसे चेक अप रुम में ले गया। वहां ले जाकर उसको अपनी सलवार उपर करने को कहा। पहले तो वो हिचकिचाई पर जब मैंने कहा कि ऐसे कैसे पता चलेगा तुम्हें क्या रोग है, दिखाओ तो वो नर म पड़ गयी और उसने अपनी सलवार उपर की। लाख लाख शुक्र है, उसने कुछ नहीं पहना था। मैने उसकी सलवार निकाल दी। वो चुप थी। गांव कि लड़कियां अक्सर चुप ही रहती हैं इस दौरान।, मैने थर्मामीटर उसकी कांख में डाला और उसके मस्त चूंचों पर आला रख कर के दबाते हुए उसको उत्तेजित करने लगा। मेरे कानों में उसके उत्तेजित होने पर बढती सांसों की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं। मैने आले से उसको दबाते हुए उसके दूसरे चूंचे को हाथ से दबाया। वो बोली ' साहब ये क्या कर रहे हो। मैने कहा ' बाबू डाक्टर के पास पहली बार आई हो क्या जो ऐसे बोल रही हो। देख रहा हूं तुम्हारे अंगों में खराबी तो नही है कोई।

थरमामीटर भी चूंचे का तापमान तो ले ही सकता है।

इसके बाद मैने उसके दूसरे चूंचे पर आला लगाया और थर्मामीटर निकाल कर उसके दूसरी कांख में दबा दिया। मैने पहले चूंचे को पकड़ कर दबाना शुरु कर दिया। पहले हल्के हल्के दबाया। वाह्ह क्यां मस्त स्तन थे, इतने बढ़िया कि मैने सोचे भी न थे। एक दम टाईट, जैसे जैसे मेरे सामने वो नंगी होती गयी, उसके चूंचे और भी तगड़े होते गये। मैने दूसरे चूंचे को भी पकड़ लिया और दोनों को दो मिनट तक दबाने के बाद बोला। उपर तो सब सही दिख रहा है। तुम्हारे चूंचों में कोई दिक्कत नहीं है अब जरा अपनी पाजामी खोलो।

उसने अपना नाड़ा ढीला किया। मैने उसको बेड पर बिठा दिया था, उसके नंगे चूंचों को देख कर के मेरे मुह में पानी आ रहा था। उसके चूंचे एक दम टाईट हो चुके थे और मेरे दबाने से वो और भी रेडी थे, मुझे पता था कि उसके चूत में भी गीलापन आ ही गया था। पर अब इसे चेक करना बाकी था।

उसके पाजामी को नीचा करते ही मैने उसके पेट को दबाया, और पूछा दर्द हो रहा है। तो वो बोली नहीं सब ठीक है। फिर मैने हाथ जरा सा नीचे किया तो देखा झांटों का झुरमुट मेरे हाथों में था। मेरा लन्ड और सनसना गया, मैने कहा क्या तुम सफाई नहीं करती हो। तो वो बोली कि नहीं मौका नहीं मिलता। मैने उसकी पाजामी पूरी खींच दी। वो उत्तेजित हो चुकी थी और उसके हाथ अपने चूंचे पर स्वत चले गये थे। मैने देखा कि झांटों के बीच उसकी सुरक्षित चूत एकदम दिव्य दिख रही थी। दबोचते हुए मैने उसको अपने कब्जे में लिया और फिर थोड़ा रगड़ने के बाद देखा कि वो एकदम गीली हो चुकी है। मैने थर्मामीटर उसके चूत में डाल दिया। और कहा थोड़ी देर अंदर बाहर करती रहो, जितना अंदर ले सकती हो ले लो, मुझे तुम्हारे अंदर का ताप मान नापना है। उसने थर्मामीटर अपने चूत में अंदर डाल लिया और मैं उसके चूंचे की तरफ फिर से घूमा। स्टेथेस्कोप को जिसे कि लोग आला कहते हैं देसी भाषा में, उसको उसके मस्त चूंचे के बीचो बीच उसकी घाटी में लगाकर के मैने उसकी धड़कन सुनी। वो दो गुनी हो चुकी थी। उसकी सांसें एकदम तेज थीं। मैने बायां चूंचा पकड़ कर दबाया और दायें को भी दबाने लगा। उसने कोई विरोध न किया। तो मैने उसे समझाया, इस तरह करने से तुम्हारे अन्दर का तापमान बढ़ेगा, तभी तो मैं जान पाउंगा थर्मा मीटर से कि कितना तापमान है। कहीं तुम्हारी अंदरुनी भागों में कोई खराबी या ज्वर तो नहीं है। वो मुझसे पूरी तरह सहमत दिखाई दी, मुझे लगा कि उसको मजा भी आने लगा था। उसने कहा कि ' जो भी करना हो करिये पर मुझे ठीक कर दीजिये' मैने कहा कि ओके।

अब मुझे आजादी मिल चुकी थी उसके साथ खुल के खेलने की। मैने अपने हाथों से उसके चूंचे को मसलते हुए अपना मुह एक के निप्पल के पास ले गया। वो मदहोशी में आंखें बंद किये बेड पर लेट गयी, उसने चूत में थर्मामीटर घुसाया हुआ था और वो अपने आप उसे अंदर बाहर करने लगी थी। मैं उसके कुंवारे चूंचे का स्तनपान करने लगा। दूसरे भाग में पढिए हरामी डाक्टर के कुंवारे चूंचे से कुंवारी चूत तक की यात्रा का लंड खड़ा कर देने वाला विवरण।
 
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