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हेलो रीडर्स, एक नयी स्टोरी के साथ आपका दोस्त दीपक, फिर से हाज़िर हु. ये कहानी मेरी और मेरे ब्रदर विकास (बुआ का लड़का) और मेरी बहन प्रीति (बुआ की लड़की) के बीच की है. मेरा नाम दीपक रावत है, ऐज २३ और मेरा भाई विकास १८ का है और मेरी बहन प्रीति १९ साल की है. अब मैं कहानी पर आता हु. ये बात करीब १ साल पहले की है. जब प्रीति १८ साल की थी. मैं हर गर्मियों की छुट्टी में बुआ के घर जाता हु. उनका घर रोहतक में है. बुआ के घर में बुआ, फूफा जी, विकास और उसकी बहन प्रीति रहते है. वो लोग मुझे देख कर बहुत खुश होते है. प्रीति मुझे बहुत अच्छी लगती है. उसका रंग एकदम वाइट दूध के जैसा गोरा है. उसके बूब्स बहुत बड़े - बड़े है और बिलकुल शेप में उसका फिगर है. मेरा लंड तो उसे देख कर ही बस उसे चोदने का होने लगता था. मैं तो बस उसे किसी भी हालत में चोदना ही चाहता था. बट कुछ हो नहीं पाता था. एकदिन मैं और विकास पोर्न मूवी देख रहे थे.

मैंने उसे कहा, कि चल तुझे कुछ और दिखाता हु. फिर मैंने उसे ये सेक्स वेबसाइट खोल कर दी. मैंने उससे कहा - इसमें बहुत सारी सेक्स कहानिया है. कोई भी रीड कर और मुझे सुना. उसने केटेगरी में बहन की चुदाई वाली एक स्टोरी निकाली और पढने लगा. मैं भी सुन रहा था, कि अचानक उसमें एक स्टोरी रियल भाई - बहन वाली थी. वो उसे पढने लगा. उसने मुझसे पूछा, कि क्या ऐसा पॉसिबल है? मैंने कहा - क्यों नहीं? बिलकुल हो सकता है. अगर भाई और बहन दोनों की इच्छा है, तो बिलकुल हो सकता है. विकास बोला - लेकिन, ये गलत नहीं है? मैंने कहा - अगर, कोई बहन अपनी भाई से चुदवाने को राज़ी हो जाए. तो कोई गलत नहीं है. फिर उसने कहा - अगर कोई भाई अपनी बहन को चोदता हुआ पकड़ा जाए, तो कितनी बदनामी होगी.

मैंने विकास की बातो में हामी भर रहा था और मन ही मन सोच रहा था, कि विकास को उसकी बहन प्रीति को चोदने के लिए कैसे तैयार करू? क्योंकि मुझे पता था, कि मैं बिना विकास की मद्दत के प्रीति को नहीं चोद पाउँगा. इसलिए, मैंने विकास से भाई - बहन की चुदाई वाली स्टोरी सुनने का प्लान बनाया था. मेरा प्लान काम करने लगा था. स्टोरी सुनते - सुनते मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने कहा - देख, मेरा तो खड़ा हो रहा है. क्या मस्त स्टोरी है. विकास - लंड तो मेरा भी खड़ा हो चूका है भैया. अब क्या करे, स्टोरी भी ख़तम हो गयी है. वैरी नाईस स्टोरी भैया. मैंने कहा - हाँ, वैरी नाईस स्टोरी. विकास - एक बात पुछु, भैया. मैंने कहा - क्या? वो शर्मा रहा था. लेकिन, थोड़ी हिम्मत करके उसने बोला - क्या मई प्रीति के साथ कर सकता हु? मैंने कहा - क्यों नहीं. बिलकुल कर सकता है.

विकास - पर कैसे? उसे कैसे पटाया जाए, सेक्स के लिए. मैंने कहा - वो बाद में देखेंगे. पहले मेरा लंड खड़ा है. मुठ मार कर आता हु. विकास - मैं भी मरूँगा. मैंने बोला - प्रीति को सोच कर मुठ मारेगा, क्या? विकास - हाँ, भैया. अब तो बस मुझे प्रीति को चोदना ही है. मैंने बोला - चल पहले मुठ तो मार आ. विकास - ठीक है भैया. विकास बाथरूम चले गया और मैं मन ही मन में खुश हो रहा था, कि चलो विकास तो मेरा साथ देगा और मैं अपने खड़े लंड को सहलाने लगा. विकास जब वापस आया, तो मुझे देख कर बोला - क्या कर रहे हो भैया? मैंने कहा - कुछ नहीं, बस प्रीति के बूब्स नज़र आ रहे है. मेरा ये पहलवान उसके बूब्स को देखकर शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है. तुझे मुठ मार कर मज़ा आया? विकास - हाँ भैया. मज़ा तो बहुत आया. पर मुझे उसकी चूत में लंड डालना है. मैंने कहा - सब्र कर. सब्र का फल मीठा होता है. अब मैं जा रहा हु. विकास - जाओ भैया, कोई नहीं. मैं बाथरूम में चले गया और प्रीति को सोच कर मस्त मुठ मारा. अब हमारी प्यारी बहन प्रीति हमें हवस की नज़र से काम की देवी नज़र आने लगी थी. फिर मैंने विकास के पास आया और नोर्मल्ली बात करने लगे.

कुछ देर बाद प्रीति हमारे रूम में झाड़ू लगाने के लिए आई. तब मैं और विकास उसे घूरने लगे और उसने भी ये फील किया. वो विकास से बोली - क्या देख रहे हो? विकास - कुछ नहीं. वो झाड़ू लगाकर चली गयी. विकास - देखे भैया, इसके तेवर. मुझे नहीं लगता कि ये हमसे पटेगी. मैंने उसे बोला - चल जाने दे. पूरा दिन ऐसे ही निकल गया और नेक्स्ट डे, मैंने एक प्लान बनाया. जब हम अपने रूम में बैठे बातें कर रहे थे, कि अचानक ही रूम के बाहर प्रीति झाड़ू लगा रही थी. प्लीज का एपिसोड स्टार्ट हुआ. विकास (थोड़ी तेज आवाज़ में) - भैया, एक बात कहू. मैं प्रीति से बहुत प्यार करता हु. लेकिन, वो मुझसे जरा भी प्यार नहीं करती है. देखा था ना अपने कल, किस तरह मुझे डांट रही थी. अगर, वो मुझे नहीं मिली तो मैं मर जाऊंगा. कभी - कभी तो मन करता है. जब वो मुझे डाटती है, कि मर जाऊ. झाड़ू की आवाज़ आनी बंद हो गयी और प्रीति सब कुछ सुन रही थी. दीपक - पागल ऐसा नहीं कहते. वो तेरी बहन है और तू उसका अकेला भाई है. अगर मरने की बात करेगा. तो उसका क्या होगा. विकास - मैं सिर्फ आपको ही अपना दर्द सुना सकता हु. क्योंकि आप किसी से कुछ शेयर नहीं करते है. मैं उसे बाहों में लेकर बहुत सारा प्यार करना चाहता हु. अगर वो मुझे नहीं मिली, तो मैं मर जाऊंगा. मैंने कहा - नहीं विकास, ऐसे बात नहीं करते. अगर प्रीति को पता होता, कि उससे इतना प्यार करता है. तो वो भी तेरा साथ देती और कम से कम प्यार भी ना करती, तो मरने तो नहीं देती. विकास की आँखों में आंसू आ गये थे. मैंने कहा - ऐसी बाद फिर नहीं करना. मैंने खिड़की से देखा, कि प्रीति उदास हो गयी थी. विकास - लेकिन भैया. अगर वो मुझसे कर ले, तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं होगी. इससे उसे भी एक बॉयफ्रेंड मिल जायेगा और घर की बात घर में भी रह जायेगी. हम साड़ी दुनिया के लिए भाई - बहन और वैसे कपल. मैंने कहा - सही कह रहा है. चल, तू चुप हो जा और मुझे गेम खेलने दे, मोबाइल पर.

विकास - नहीं भैया. मुझे नीद भी नहीं आती. तबियत ख़राब रहती है. मैंने खिड़की से देखा, तो प्रीति की आँखों में आंसू आ गये थे. वो चली गयी. मैंने विकास से कहा - शायद तेरा काम हो गया. विकास बोला - मेरा नहीं भैया, हमारा.. हम दोनों खुश थे, कि प्लान सफल होने वाला है. उस पुरे दिन प्रीति उदास रही और हमारे ही बारे में सोचती रही. शाम को प्रीति सीरियल देखती रही थी और विकास को मूवी देखनी थी. दोनों झगडा होने लगा, तो प्रीति ने रिमोट उसको दे दिया और बोली - ले तू मूवी देख ले. विकास - नहीं, मेरा मन ही नहीं है. तू ही देख ले. प्रीति ने बोला - देख, तु मुझसे रोज़ लड़ता है, कि मूवी देखनी है. आज रिमोट दे रही हु. तो ले नहीं रहा. वो दोनों बेड पर बैठे थे और मैं सोफे पर. मैंने कहा - अब लेता क्यों नहीं है? विकास ने रिमोट ले लिया और एक होलीवूड मूवी लगा दी. प्रीति भी मूवी देख रही थी. तभी एक किस्सिंग सीन आया. प्रीति ने शरम से दूसरी ओर देखना शुरू कर दिया. तभी बुआ जी ने हम दोनों खाना देने के लिए प्रीति को आवाज़ लगा दी. हम तीनो ने मिल कर खाना खाया. मुझे प्रीति कुछ बदली - बदली लग रही थी. मैंने विकास को कहा - लगता है, कि हमारा काम हो जाएगा. खाना खाने के बाद, हम सब टीवी देखने लगे. प्रीति बेड पर लेटी हुई थी और हम बैठे हुए थे. करीब २० मिनट बाद, प्रीति ने आखे बंद कर ली. इससे पहले प्रीति कभी भी टीवी देखते हुए, नहीं सोती थी.

मैंने विकास की तरफ इशारा किया. प्रीति सो गयी है. विकास ने प्रीति को आवाज़ दी, उसने कोई रेस्पोंस नहीं दिया. विकास भी प्रीति के बालो को बड़े प्यार से सहलाने लगा और देख रहा था. फिर उसके होठो को और गालो को सहलाने लगा. विकास ने बोला, कि प्रीति सो चुकी है. मुझे मालूम था, कि प्रीति सो ही नहीं सकती है. वो सिर्फ नाटक कर रही थी. हमारा काम हो चूका था. विकास ने उसके होठो पर किस किया और मैंने कुछ नहीं बोला और ना ही किया. क्योंकि अगर प्रीति को ये पता चल जाता, कि ये मेरा ही प्लान है, कि मैं उसे चोदना चाहता हु. तो वो बाहर चली जाती और सारा काम ख़राब हो जाता. विकास उसके होठो पर किस कर रहा था. एक हाथ प्रीति के बूब्स पर था. विकास प्रीति के बूब्स को हलके - हलके दबा रहा था. प्रीति जागते हुए भी सोने का नाटक कर रही थी. विकास भी प्रीति का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खीच रहा था.

उसने अपना लंड निकाल कर प्रीति के हाथ में दे दिया. उसका लंड करीब ५ इंच का होगा और उसके हाथ को पकड़ कर हिला रहा था. ये देख कर मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा. तभी हमें रूम में किसी के आने की आवाज़ आई. तो मैंने सब ठीक कर दिया. वो बुआ थी और वो प्रीति को लेने आई थी और हमारे लिए दूध लेकर भी. हम ने दूध पिया और प्रीति को चलने के लिए बोला. प्रीति का जाने का मन नहीं था और वो सोने का नाटक कर रही थी और कोई जवाब नहीं दे रही थी. मैंने बोला - कोई बात नहीं बुआ जी. मैं और विकास गेस्ट रूम में चले जायेंगे. प्रीति यहीं ठीक से सो जायेगी. हम मूवी देख कर चले जायेंगे. तब तक बुआ जी चली गयी. विकास - थैंक यू भैया. आप मास्टर माइंड हो. तुरंत सिचुएशन को संभल लेते हो. मैं ने कहा - मैंने सिचुएशन संभाल तो ली है. लेकिन, क्या मैं यहीं सोफे पर बैठा रहू. मुझे भी बेड पर आना है, प्रीति के पास. प्रीति ने ये सुनकर आखे खोली और फिर से बंद कर ली. उसे लगा होगा, कि भैया भी छुएंगे शायद. पर उसके नहीं पता था, कि आज रात उसकी चुदाई होने वाली है. मैंने फिर प्रीति के साइड में लेट गया. हमने गेट बंद कर दिया और टीवी चलने दिया. फिर मैंने प्रीति के पेट पर किस किया और फिर उसके होठो को चूसने लगा.

उधर विकास बैठ कर देख रहा था, मैंने किया किया. मैंने कहा - क्या हुआ विकास? उसने कहा - कुछ नहीं भैया. आप करो नहीं. दोनों साथ में छुएंगे. फॉर मैं साइड में खड़े होकर हलके से उसे खड़ा कर दिया और उसका पिंक कलर का टॉप उतार दिया. उसने ब्लैक कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उसकी वाइट बॉडी पर ब्लैक कालो की ब्रा, क्या लग रही थी और अब प्रीति हमारे सामने ब्रा में थी. हलकी - हलकी रौशनी थी, क्या गजब का नज़ारा था. मैंने उसकी ब्रा ३४ साइज़ की, कोई भी निकाल दिया और अब उसके एक दम टाइट बूब्स हमारे सामने थे. बूब्स को देखते ही, विकास उन पर टूट पड़ा और फिर से उनके लिप्स को किस करने लगा. अब प्रीति की साँसे भी तेज होने लगी थी. करीब २० मिनट के बाद, मैं उसके बूब्स प्रेस कर रहा था, चूस रहा था और काट रहा था. फिर, मैंने बेड से उतर कर उसकी जीन्स को निकाला और उसकी पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को रगड़ने लगा. पेंटी पूरी गीली हो गयी थी. विकास अभी भी उसकी बॉडी को चूस रहा था. प्रीति की सांस की आवाज़ पुरे रूम में घुंज रही थी. फिर मैंने पेंटी को भी निकाल दिया. मेरा तो वर्षो पुराना सपना पूरा होने जा रहा था, प्रीति को चोदने का.

अब उसकी चूत मेरे सामने थी, उसकी पिंक कलर की चूत और उसपर हलके - हलके बाल. मैंने चूत को जैसे ही हाथ लगाया, प्रीति बुरी तरह से सिसकारी लेने लगी. विकास तो एकदम से डर गया. वो दूर हटा. लेकिन, मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा. मैंने विकास को कहा, जैसे ही वो सिसकी लेने के लिए मुह खोले, एकदम से अपना लंड डाल देना. प्रीति शायद इस बात का इंतज़ार ही कर रही थी और जैसे ही प्रीति ने इस बार अपना मुह खोला, विकास ने अपना लंड उसके मुह में डाल दिया. मैं उसकी चूत को हाथ से रगड़ रहा था और कुछ देर बाद, प्रीति झड़ गयी. विकास उसके मुह में ही झड़ गया और प्रीति के मुह से उसका मुठ बाहर आने लगा. विकास ने अपना लंड प्रीति के मुह से निकाला नहीं और तेज - तेज झटके मारने लगा. मैंने विकास से कहा - अपने दोनों हाथ से उसके बूब्स को दबा. उसके बूब्स को दबाते ही, मैंने अपना लंड उसके बूब्स के बीच में डाल दिया. पुरे रूम में फच - फच की आवाज़ आने लगी. इतने में विकास का लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने विकास को कहा - अब देर ना कर. तू डाल रहा है ये मैं चोदु? विकास बोला - पहले भैया आप ही करो.

मैंने कहा - मरवाएगा क्या, बेचारी प्रीति को? मेरा बड़ा और मोटा है. पहले तू चोद ले. जिससे इसका टाइट चेद थोड़ा खुल जाए और बाद में, मैं चोदुंगा. विकास ने कहा - ठीक है भाई. और फिर विकास बेड के नीचे आया और उसकी चूत पर अपना सिर रख दिया और चूत चाटने लगा. विकास उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. उसकी आवाज़ निकल रही थी और वो बहुत कण्ट्रोल भी कर रही थी. मैंने आवाज़ को बंद करने के लिए अपना लंड उसके मुह में डाल दिया और उसके बूब्स दबाने लगा. प्रीति पूरा एन्जॉय कर रही थी. फिर २० मिनट बाद, विकास ने अपना लंड प्रीति की चूत पर रखा और झटके मारा बट लंड स्लिप हो गया और उसने फिर से कोशिश की. इस बार लंड अन्दर चले गया और उसकी चूत से खून निकलने लगा. उसकी चीख निकल गयी, बट वो मेरा लंड मुह में होने के कारण दब गयी. विकास का ये पहला था, तो वो बहुत जल्दी झड़ गया था. विकास के बाद, मैंने भी प्रीति की एक बार मस्त चुदाई की और अपना सपना पूरा किया. बुआ जी के आने का खतरा था, तो हम ज्यादा समय नहीं कर सकते थे. हमने प्रीति की चुदाई की और फिर सोने चले गये.
 
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