गणित के सवालो मे फंसाया

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hindi sex story, kamukta मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं मेरे पिताजी स्कूल में टीचर हैं और मेरी मम्मी घर का काम देखती हैं मेरी मम्मी भी एक ग्रहणी है वह अपनी जिम्मेदारी से अपने घर का काम संभालती हैं वह मुझे और मेरे पिताजी को कभी कोई दिक्कत होने नहीं देती। मेरी बहन की शादी को भी अभी कुछ ही समय हुए हैं मेरी बहन गुजरात में रहती है और वह हमसे मिलने के लिए कभी-कबार आ जाती है, मैं भी अपनी सरकारी नौकरी के लिए ट्राई कर रहा हूं लेकिन अभी तक कहीं भी मुझे ऐसा लगा नहीं कि मैं पूरी तरीके से तैयारी कर पा रहा हूं शायद मैं अपना जी चुराकर तैयारी कर रहा हूं लेकिन मुझे अब लगने लगा है कि मुझे जल्द से जल्द कोई नौकरी करनी पड़ेगी नहीं तो मेरे मम्मी पापा मुझे हर दिन ताना मारते रहेंगे मेरे पापा तो मुझे हर दिन ताना मारते हैं और कहते हैं कि बेटा तुम अब अच्छे से तैयारी करो तुम्हारे कॉलेज को पूरे हुए कितने वर्ष हो चुके हैं और तुम्हारे साथ के सब लड़के कुछ ना कुछ करने लगे हैं लेकिन मैं तो कुछ कर ही नहीं पा रहा था।

एक दिन मैं अपने घर पर बैठकर अपने दोस्तों से फेसबुक चैट पर बात कर रहा था उस दिन मेरी मम्मी मेरे पास आई और कहने लगी कि सार्थक बेटा तुम मेरे साथ तुम्हारे मामा जी की दुकान तक चलो, मैंने मम्मी से कहा मम्मी वहां पर क्या कुछ काम है मम्मी कहने लगी बेटा घर में राशन नहीं है और हमें राशन लेने के लिए वहां जाना है मैंने मम्मी से कहा ठीक है, क्या आज पापा कार लेकर गए हैं मम्मी ने कहा नहीं आज वह अपने स्कूटर से ही स्कूल चले गए घर पर कार खड़ी है मैंने मम्मी से कहा ठीक है तो फिर हम लोग मामा के पास चल लेते हैं। मेरे मामा जी की बहुत बड़ी परचून की दुकान हैं और उनकी दुकान बहुत अच्छी भी चलती है हम लोग वहीं से राशन लेकर आते हैं हम लोग मेरे मामा की दुकान में चले गए जब हम लोग वहां पर गए तो मेरे मामा ने कहा और सार्थक बेटा तुम कैसे हो मैंने मामा जी से कहा मामा सब ठीक है आप की दुकान कैसी चल रही है, मामा कहने लगे बस बेटा दुकान भी अच्छी चल रही है तुम अब इस तरफ़ बहुत कम आते हो, मैंने मामा से कहा हां जी मामा पहले तो मेरा दोस्त यहीं पर रहता था तो मैं इस तरफ आ जाया करता था लेकिन अब वह नौकरी करने लगा है इसलिए मेरा इस तरफ आना नहीं हो पाता।

मेरे मामा की दो बेटियां हैं और सुधा मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ा करती थी सुधा उनकी बड़ी लड़की है और छोटी लड़की का नाम मीना है मीना अभी कॉलेज में पढ़ रही है उसने इसी वर्ष कॉलेज में दाखिला लिया है। मैंने अपने मामा जी से पूछा सुधा आजकल घर पर क्या कर रही है तो वह कहने लगे कि बस बेटा क्या करेगी घर पर ही रहकर कुछ न कुछ तैयारी करती रहती है मैंने मामा जी से पूछा मैंने सुना था कि वह तो ट्यूशन भी पढ़ाने लगी है, मामा कहने लगे हां बेटा वह शाम के वक्त ट्यूशन पढ़ाती है उसके पास कुछ बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए आ जाया करते हैं, मैंने अपने मामा से कहा चलो ठीक है मैं फिर किसी दिन आपसे घर पर मिलने आता हूं। मेरे मामा जी ने हम लोगों के लिए राशन रखवा दी और उन्होंने एक लड़के से कहकर कार के अंदर सब राशन गाड़ी में रखवा दिया मैं और मेरी मम्मी घर लौट आए। मम्मी मुझे कहने लगी कि तुम भी तो शाम के वक्त फ्री रहते हो तुम भी ट्यूशन क्यों नहीं पढ़ा लेते हैं जिससे कि तुम्हारा जेब खर्चा भी निकल जाया करेगा मैंने मम्मी से कहा हां सोच तो मैं भी रहा हूं लगता है मुझे भी ट्यूशन पढ़ानी पड़ेगी और कुछ दिनों बाद मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया, शाम के वक्त बच्चे मेरे पास आने लगे जो कि हमारे आस पड़ोस के थे, ट्यूशन से मेरा खर्चा भी निकल जाया करता और मेरा मन भी लगा रहता था अब मैं अपनी पढ़ाई में पूरी तरीके से ध्यान देने लगा था। एक दिन मैं मामा जी के घर पर चला गया मामा उस समय घर पर नही थे मामा तो दुकान पर ही रहते हैं, मेरी मामी मुझे कहने लगी तुम तो बहुत समय बाद यहां आ रहे हो मैंने मामी से कहा मामी बस अब इस तरफ आना होता ही नहीं है सुधा मुझे कहने लगी तुम आजकल क्या कर रहे हो? मैंने सुधा से कहा मैं भी आजकल घर पर ट्यूशन पढ़ा रहा हूं बस उससे ही मेरा टाइम पास हो जाता है और कुछ तैयारी कर रहा हूं। सुधा मुझे कहने लगी हां मैं भी तैयारी कर रही हूं और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती रहती हूं बस यही मेरा भी टाइम पास हो जाता है।

मैं भी सुधा से काफी समय बाद मिला था मैंने सुधा से पूछा तुम्हारी हमारे कॉलेज में किसी से बात हुई, उसने मुझे कहा नहीं अब कहां किसी से बात होती है सब लोग अपने काम में व्यस्त हो चुके हैं और किसी को भी किसी से कोई मतलब नहीं है, मैंने उसे कहा हां कॉलेज के बाद तो सब लोग अपने काम में व्यस्त हो चुके हैं तुम यह तो बिल्कुल सही कह रही हो मुझे ही देखो मैं तुमसे कितने समय बाद मिल रहा हूं पहले तो हम लोग कॉलेज में अक्सर मिल जाते थे और कॉलेज में कितनी मस्तियां किया करते थे और साथ में हम लोग पढ़ाई भी किया करते थे। मुझे सुधा कहने लगी हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो तब तक मीना भी मुझे कहने लगी कि मैं तो इसी वर्ष कॉलेज में गई हूं लेकिन हमारे कॉलेज में तो कोई एक दूसरे से बात ही नहीं करता है और हमारी क्लास में तो सब लोग बिल्कुल भी किसी से बात नहीं करते मेरी एक दो सहेलियां है, मैंने मीना से कहा अभी तो यह तुम्हारे कॉलेज की शुरुआत है धीरे-धीरे तुम देखो तुम्हारे कितने अच्छे दोस्त बन जाएंगे और तुम्हें भी कॉलेज में अच्छा लगने लगेगा वह कहने लगी हां भैया आप सही कह रहे हैं।

मैंने सुधा सके कहा अभी मैं चलता हूं मैं सिर्फ तुमसे मिलने आया था वह कहने लगी ठीक है मैं तुमसे मिलने आउंगी वैसे मुझे तुमसे कुछ मदद भी चाहिए थी, मैंने सुधा से कहा ठीक है तुम आ जाना उसने मुझे कहा मुझे तुमसे कुछ चीज पूछनी थी क्योंकि मेरी मैथ्स बहुत अच्छी थी इसलिए सुधा को मुझसे कुछ मदद चाहिए थी मैंने उसे कहा ठीक है तुम्हें जब समय मिलेगा तो तुम आ जाना और यह कहकर मैं अपने घर वापस लौट आया मैं जब अपने घर वापस लौटा तो मेरी मम्मी कहने लगी आज तुम कहां चले गए थे मैंने मम्मी से कहा मैं सुधा से मिलने के लिए गया था काफी समय हो गया था मैं उससे मिला भी नहीं था मेरी मम्मी कहने लगी चलो तुमने अच्छा किया कि सुधा से मिलने चले गए, तुम्हारी मामी कैसी हैं मैंने मम्मी से कहा मामी भी अच्छी हैं और मीना भी अच्छी है जब हम दोनों बात कर रहे थे तो पापा अपने स्कूल से आ गए और कहने लगे कि सार्थक बेटा तुम मेरे स्कूटर को अंदर खड़ा कर दो मैंने स्कूटर बाहर खड़ा कर दिया है, मैं बाहर चला गया और स्कूटर को अंदर ले आया पापा बहुत थके हुए थे इसलिए वह अपने कमरे में आराम करने के लिए चले गये हम दोनों मिल भी नहीं पाते हैं सिर्फ छुट्टी के दिन उनसे मेरी मुलाकात होती है। मैं भी बच्चों को पढ़ाने लगा और उन्हें ही पढ़ाने में व्यस्त हो गया। एक दिन मुझे सुधा का फोन आया और वह कहने लगी कि मैं तुमसे मिलने के लिए आ रही हूं मैंने उसे कहा ठीक है तुम घर पर आ जाओ वह मुझसे मिलने के लिए आ गई। जब सुधा मुझसे मिलने आई तो वह मुझसे कहने लगी सार्थक मुझे तुमसे एक हेल्प चाहिए थी क्योंकि मेरी मैथ्स पहले से ही थोड़ा कमजोर है इसलिए मैंने सोचा तुमसे मदद ले ली जाए। मैंने उसे कहा क्यों नहीं सुधा मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा हम दोनों मेरे रूम में बैठे हुए थे मै उसे समझा रहा था हम दोनों बिस्तर पर ही बैठे हुए थे। जब मैं सुधा को समझाता तो सुधा मेरी तरफ देख रही थी मैं उसकी तरफ देखता जब मेरी नजर उसके स्तनों पर पडी तो उसके स्तनों की लकीर मुझे दिखाई दे रही थी मैं उसे बड़े ध्यान से देख रहा था।

मैंने जैसे ही सुधा के स्तनों की तरफ बड़े ध्यान से देखना शुरू किया तो वह अपने स्तनों को ढकने लगी लेकिन मैंने उसके स्तनों के अंदर हाथ डाल दिया। मेरा लंड भी पूरे तरीके से हिलोरे मारने लगा था मेरा मन पूरी तरीके से मचलने लगा था। मैंने जब सुधा के स्तनों को दबाना शुरू किया तो शायद वह भी अपने ऊपर बस ना रख पाई उसने अपने शरीर को मेरे आगे समर्पित कर दिया। मैंने उसके पतले होंठो को चुसना शुरू किया काफी देर तक मैं उसके होठों को चूसता जा रहा था उसके होठों को चूमने में बड़ा मजा आ रहा था। जैसे ही मैंने उसके कपड़े उतार कर उसके स्तनों को अपने मुंह में लिया तो वह पूरी तरीके से मचलने लगी उसकी चूत गिली होने लगी थी।

मैंने उसकी चूत में लंड क डाल दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से चीख निकली पडी। वह तो शुक्र है घर पर कोई भी नहीं था इसलिए मैं सुधा को चोद पाया मुझे तो यह भी नहीं पता चल रहा था कि सुधा मेरी बहन है लेकिन मुझे उसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। उसने भी मेरा पूरा साथ दिया मैं उसे जब तेज धक्के देता तो वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा करने लगी जैसे ही मैंने उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर किया तो वह सिसकिया लेने लगी उसके मुंह से गर्म सांस निकलने लगी वह मेरा पूरा साथ देने लगी। उसे चोदकर मुझे बड़ा अच्छा लगा जब मैंने अपने वीर्य को सुधा की योनि में गिरा दिया तो वह मुझसे कहने लगी तुमने यह क्या कर दिया। मैंने उसे कहा देखो सुधा यह सब जवानी का जोश है ऐसा कभी कभार हो जाता है तुम यह बात किसी को मत बताना। मुझे लगा कहीं यह बात सुधा किसी को बता ना दे लेकिन उसने यह बात कभी किसी को नहीं बताई। वह अब भी गणित के सवाल पूछने आ जाती है।
 
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