गुरुबहन की देसी गांड के साथ कांड

sexstories

Administrator
Staff member
गुरुबहन की देसी गांड का रस पिया

हमारे गुरुजी शकील मियां बहुत सताते थे और उनकी बेटी बड़ी हसीन थी। सच तो ये है कि उर्दू की तालीम लेने अगर मैं जाता था तो सिर्फ उनकी बेटी की देसी देसी गांड के चक्कर में। अब ये मत पूछिए कि देसी गांड ही क्यों तो जनाब इसका सीधा सा उत्तर ये है कि मुझे देसी गांड मारनी अच्छी लगती है। चाहे लौन्डिया कुंवारी क्यो न हो मारता मैं सबसे पहले उसकी देसी गांड ही हूं। इस परकार पिछवाड़े का शील भंग करने के बाद मैं मानमर्दन करता हूं चूत का, अत: मुझे शकील की बेटी महजबीन से बहुत लगाव हो गया था।

उस दिन मैं फिर ट्यूशन के लिए गया हुआ था। शकील मियां सब्जी लेने बाजार गये हुए थे। उनकी बेगम अपने मायके थीं और इसलिए घर पर शिर्फ महजबीन थी। महजबीन की जवानी देखने के लिए ही मैं आया था आज थोड़ा पहले। वो थी एक दम मुमताजमहल की तरह खूबसूरत, खुबरु जवानी, सुर्ख होठं, गोरा बदन, छरहरी काया, कसी हुई देसी गांड और विकसित चूंचे। पतली कमर। क्या कहने आप, जिस अदा और खूबसूरती के बारे में सोच सकते हैं सब था महजबीन में। वो एक देसी अप्सरा थी। मेरे जाते ही वह परदे से निकली। हमारी नजरें मिलीं और मैने कहा " मोहतरमा को सलाम!"

वो शरमा के बोली " असलामेकुम जनाब! और फिर मेरे लिए एक ग्लास पानी ले आई, हमारी लुकाछिपी साल भर से चल रही थी और मैं उसके नाम पर इस्तिम्ना बिलयद (हस्तमैथुन) करता आ रहा था। उसने मुझे आकर कहा, आज पापा शायद कहीं जाने वाले हैं अगर वो चले गये तो तुम यहीं रुक जाना, हम घर में अकेले कैसे रहेंगे। मैने पूछा "कहां जाने वाले हैं", तो बोली कि शायद मां नहीं है तो वो मुजरा देखने जाएंगे, रंडी के पास्। छि: कितने गंदे हैं शकील मियां आज ये पता चला।

सच में नहीं आए वो। बाहर से फोन कर दिया कि असलम को कह देना कि सर नहीं हैं और हम ग्यारह बारह बजे रात में आएंगे। तुम खाना वाना खा के सो जाना, पिछले दरवाजे से हम आ जाएन्गे।

इतना सुनते ही मेरा दिल बल्लियों, उछलने लगा। मैने आज महजबीन मतलब कि चांद से चेहरे वाली लड़की को चोदने के लिए अपना मन बना लिया था। वो देसी जवानी मेरी प्रेमिका पुरानी आज पहली बार मुझसे दिल खोल के मिलने वाली थी, हम दोनों में कोई बंधन न रहे। इसलिए मैने आज सारे दूरियां मिटा देने का फैसला किया था।

अब देर किस बात की। महजबीन भी क ई दिनो से चुदने को बेताब थी। वो आके सीधे मेरी गोद में बैठी, मैने उसको किस किया, उसके माथे पर और उसके चूंचो को अपने हाथों में भर लिया। आह्ह ये बेजोड़ चूंचे।

मैने उसके स्तनों को दबाना शुरु किया, महजबीन के देसी चूंचे लाजवाब थे, कड़े कड़े अनार जैसे शेप के ये चूंचे वाकई किसी शायर के ख्वाब जैसे थे, मैने उसके दबाए हुए उस्के लाल लाल सुर्ख होटों को चूम लिया। वो मस्ताई और बोली, हाए, ऐसे बेशरम ना बनो।

देसी लंड की दीवानी देसी गांड

अब बारी थी उसके सलवार सूट के खोलने की, मैने उसका कुर्ता खोल दिया। बिना इंडियन ब्रा के उसके देसी चूंचे बाह्र आ गये। मैने उसमें से दाएं के निप्पल को अपनी चुटकी से पकड़ा और बाएं निप्पल को अपने दांतों में। दबा के हल्के नखच्छेद और दंतच्छेदन के साथ मैं उसके स्तन पान का मजा लेने लगा। वो क्रेजी होने लगी थी। मैने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया। उंगलियां फिसलती हुई जब उसकी चूत तक पहुंचीं तो पता चला कि वो गीली हो चुकी है। मैने उसकी चूत के फान्को पर उंगली फिराई और फिर भीगी उंगली निकाल कर आदतन अपनी नाक के पास ले गया।

यह सूंघने के लिए कि चूत की खुश्बू हायजेनिक है कि नहीं, और जब मैं उसे अपने नाक के पास लाया तो उसकी गंध परीक्षा से ये पता चला कि वह तो एकदम उत्तम कोटि की चूत है। मैने उंगली ऐसे चाट ली जैसे कि उसमें मलाई लगी हो। अब देर किस बात की थी, बस थोड़े देर और फोरप्ले करना था और इसके बाद रानी को चोद देना था। वो भी रेडी थी, मैने उसके चूंचे अच्छे से चूसे और जोर से दबाया तो वो बोली " अरे मार डालोगे क्या असलम? आराम से, करो

फिर मैने उसको नंगा कर दिया, आराम से उसके कपड़ों को अलग रख कर मैने उसे चूमना शुरु किया और जल्द ही मैं उसके टांगों के बीच था, मैने अपने मुह को उसकी कवारी चूत पर रक्ख कर के एक दम से किसी सूप के प्याले की तरह सर्र सर्र पीना शुरु कर दिया। सुर्ख चूत की फांकों को जीभ से टटोल कर मैने उसे बेचैन कर दिया। उसकी आंखें मुझसे अब अपने अंदर समा जाने को कह रहीं थीं।

कोई विकल्प भी नहीं था, मैने अपना लन्ड उस्के मुह मे चूसाना शुरु कर दिया। पहले तो उसने कहा कि यह नापाक है, इसे मुह में नहीं ले सकती पर जब मैने उसकी चूत चाट ली तो वो आराम से उसे लालीपाप की तरह खाने लगी।

अब लंड को निकाल कर मैने उसके चूत में घुसाया। कोरी कंवारी चूत को चोदने के लिए कड़े लंड की जरुरत थी जो कि मेरा राड जैसा लंड था ही। घुसा के मैने उसके चूंचे पकड़े और मिशनरी स्टाइल में पूरा भार लंड पर डालकर उसे चोदा। फच से उसक्के चूत से हायमन फटने की आवाज आई और चूत रिसने लगी।

सील टूट चुकी थी दर्द खतम था और हर झटके के साथ थी, देसी गांड की उछाल, और कराहने और आनंअ की मीठी बेला, दोनों ने मिलकर प्यार की कहानी लिखनी शुरु कर दी थी। धकाधक, पकापक और चपाचप, चुदाई का मधुर संगीत चारों तरफ फैला हुआ था। जल्द ही मेरी महजबीन रानी की चूत से वीर्य की पिचकारी निकली और मैं भी झड़ गया।

इसके बाद मैने उसको लंड चटाया दुबारा और फिर उसकी देसी गांड को पेला। वो पेट के बल लेट गयी और मैं उसकी देसी गांड पर चढ कर के उसके पतले संकरे छेद को चोदता रहा। वो मरमराती रही पर अफसोस, देसी गांड तो मरवानी ही थी, वैसे भी आज चुदाई का मेनु बदल के पहल्ले चूत ले चुका था पर देर आयत दुरुस्त आयत।
 
Back
Top