गॉंव की छोरी बगिया में चोदी

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अपने गॉंव में की गयी चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ और उम्मीद करूँगा की आपको यह मेरी चुदाई बिलकुल पसंद आई | उस गॉंव की लड़की का नम् गौतमी था और और वो मेरे गॉंव की थी पर मेरे मौहल्ले की दूसरे पार को रहा करी थी | मैं जब भी राह से गुजरता तो बस उसके लटके हुए चुचों को देखता ही रह जाया करता था जिसपर वो मेरे उप्पर हंस दिया करती थी | मैंने भी ठान ली की किसी दिन इसे अपनी आहोश में लपेट ही लूँगा जोकि मुझे एक दिन मौका मिल भी गया | एक दिन मैं किसी काम से अपने बाघ में आया हुआ और च्यूंकि दोपहर का वक्त था वहाँ ज्यादा लोग मौजूद भी नहीं थे |

मेरी तभी नज़र गौतमी पर पड़ी जोकि मेरे बाजु वाले भाग से घास काट रही थी | मुझसे रहा नहीं गया और मैं उससे जाकर पीछे से लिपट गया | उसने शुरूआत में तो अपने आप को मुझसे बहुत छुडाने की कोशिश की पर मैं भी किसी पागल भेडिये की तरह उसे अपनी आहोश में लपेट चूका था और किसी भी तरह अब खाली हाथ लौटने नहीं वाला था | मैं जल्दी अब उसके चुचों को भींचते हुए उसके होठों कोअपने होठों की कैद में लिया जिससे अब उसने भी मुझसे अपने आपको छुड़ाना रोक दिया और शान्ति से अपने आप को मेरे हवाले कर दिया | मैं अब उसके गीले होठों को जमकर चुसना शुरू कर दिया और धीरे - धीरे कुछ देर में उसकी कुर्ती और सलवार को उतार दिया |

उस डर था की कोई वहाँ पर ना आया जाये पर मैंने उसे अपने अपनी बाँहों में जकड़ते हुए इस बात का भरोसा दिलाया की वहाँ कोई नहीं आयगा इस वक्त | मैं उसके उसके चुचों को दबाते हुए चूस रहा था जिससे उसकी भी सिस्कारियां छूट रही थीं | मैं अब वहीँ नीचे नरम घासों में उसे लिटाकर उसकी पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी उसकी चुत में अपनी उँगलियों घुसाने लगा जिससे तड़पने लगी और मेरा हौंसला बढ़ता चल गया | मैं उसके उप्पर अब चढ गया अपने लंड के सुपाडे उसकी चुत पर टिकाते हुए अंदर देने लगा और वो बेताब होती हुई अपनी टांगों को पटकने लगी | मैं उसे अब चोदे जा रहा था और जोश - जोश में उसके चूतडों पर भी थप्पड़ पेल रहा था |

मैंने दोस्तों उसकी चुत उस पूरी दोपहर भर मारी और वो दर्द से पागलों की तरह कराह रही थी | उसके दोनों चूतड़ आपस में भूचाल की तरह टकरा रहे थे जो मुझसे उसके बदन के साथ और बेरहमीपना करने पर मजबूर कर रहा था | मैंने अब उसे वहीँ कुतिया बना दिया और कुत्ते की तरह उसकी गांड के पीछे अपने लंड को टीकाकार उसकी गांड में अपने लंड को दौडाने लगा | अब उसकी चींखें और बढती जा रही थीं जिससे मेरे मज़ा भी रुकने का नाम नहीं ले रहा | मैं उसकी गांड भी उसकी बहरी दोपहरी खूब चोदी और अपना सार लंड का माल उसी के मुंह में छोड दिया |
 
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