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नमस्कार मित्रों मै रागिनी आपके सामने अपनी कहानी लेकर हाजिर हूं। यह मेरी काल्पनिक कहानी है, इसमें मेरी पहली चुदाई किस तरह से अनजान आदमी से होनी चाहिए, मेरी कल्पना के अनुसार यह है। तो अब आपका ज्यादा समय ना लेते हुए, मै सीधे कहानी पर आती हूं। मै एक सीधी साधी लडकी हूं, जिसकी उम्र 22 साल है। मेरा फिगर ऐसा है कि, कोई भी देखके मुझे चोदने की सोचेगा। मेरे उरोज मेरी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही बढ गए है। मेरा रंग गोरा है, मुझे जब भी कोई देखता है, तो उसकी नजर एक बार तो मेरी चूचियों पर जरूर अटक जाती है।

मै बचपन से ही घर मे रही हूं, बाहर ज्यादा गई नही और ना ही मेरी कोई ज्यादा सहेलियां थी। इसी वजह से मुझे चुत, लंड, चुदाई यह सब बातें बहुत लेट पता चली। तब तक मेरे क्लास की लगभग सभी लडकियों के किसी न किसी के साथ चक्कर चल रहे थे। तो वो लडकियां क्लास में आने के बाद यह सब बातें करती थी। तो उत्सुकता वश मैने उनसे यह सब जान लिया।

अब मै ठहरी पढाकू लडकी, अगर कोई मुझे कुछ इशारा भी करे, तो मुझे समझ नही आता था। इस वजह से कभी मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही बना, और मै अब तक कुंवारी हूं। हर किसी की अपनी अपनी कल्पना होती है, तो इस मामले में मेरी भी एक कल्पना है।

इस कहानी में मेरी कल्पना के अनुसार मेरी पहली चुदाई कैसी होनी चाहिए, यह मै आपके सामने रखने जा रही हूं। मै पिछले दो साल से इस साइट की सेक्सी कहानियां पढती हूं, और मुझे अनजान से चुदाई और रिश्तों में सेक्स संबंध वाली कहानियां ज्यादा उत्तेजित कर देती है। तो मेरी कल्पना के अनुसार मुझे या तो कोई अनजान आदमी चोद कर कली से फूल बनाए या फिर कोई करीबी रिश्तेदार। अब मै अपनी काल्पनिक कहानी शुरू करती हूं। अगर मुझसे कोई गलती हो जाए, तो मुझे माफ़ कर देना।

एक दिन ऐसे ही बारिश हो रही थी, और मेरे घर पर उस वक़्त सिर्फ मै थी। मम्मी और पापा कहीं बाहर गए हुए थे, और बारिश तेज होने के कारण रास्ते मे ही रुके हुए थे।

उस वक्त मै एक नीले रंग का टी-शर्ट पहने हुए थी, और नीचे पजामा था। तभी अचानक घर की बेल बजने लगी। मुझे लगा मम्मी पापा होंगे, इसलिए मै दौडती हुई दरवाजा खोलने गई, लेकिन वो तो कोई अनजान आदमी था। मेरे उससे पूछने पर उन्होंने बताया कि, "वो रास्ते से जा रहे थे, तभी तेज बारिश शुरू हो गई, और वो यहां अटक गए। उन्हें अभी अपने घर मे फोन करके बताना था कि, वो ठीक है। बस बारिश में थोडे से फसे हुए है, तो घर आने में देर होगी।"

लेकिन उनके पास मोबाइल नही था। तो वो आदमी बस अपने घर पे फोन करने के लिए फोन ढूंढ रहा था। और फोन ढूंढते-ढूंढते वो अभी मेरे घर तक पहुंच गया था। मेरे दरवाजा खोलते ही उसने मुझे यह सब बताया और बोला कि, "अगर मुझे कोई आपत्ति ना हो तो वो मेरा फोन इस्तेमाल करना चाहेगा।"

वो आदमी दिखने में अच्छा ही था, उसका शरीर बलिष्ठ था। उसे देखकर कोई भी बोलेगा कि, उसने जिम में अच्छी खासी मेहनत की हुई है। उसे देखते ही मै मन ही मन उस पर लट्टू हो गई थी। उसके बात करने का अंदाज भी अलग ही था। मैने उसे घर के अंदर बुलाया और हॉल में बैठने के लिए बोल दिया।

उसे हॉल में बिठाकर मैने उसे पानी वगैरह पूछकर फोन लेने के लिए अपने कमरे में गई। जैसे ही मै अपने कमरे में गई, मुझे लगा कोई मेरा पीछा कर रहा है। मैने देखा तो वही आदमी उठकर मेरे पीछे पीछे चले जा रहा था।जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, वह मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया, और आगे बढकर उसने मुझे अपने बाहुपाश में जकड लिया।

एक तो पहले से ही बारिश की वजह से रोमांटिक मौसम बना हुआ था, ऊपर से वो आदमी भी मुझे पसंद आया था। तो उसकी इस हरकत से मै नाराज नही हुई, बल्कि मै खुश थी कि, मुझे ऐसा आदमी मिला। मै चाहती थी, वो आदमी मुझे आज मेरे ही घर मे चोदकर मुझे कली से फूल बना दे।
जैसे ही उसने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया, उसका लंड मुझे मेरी गांड की दरार में महसूस होने लगा था।

मुझे पकडते ही उसने एक हाथ मेरी कमर पर रखकर उससे अपनी पकड मजबूत बनाए रखी और दूसरे हाथ से मेरे बालों को एक तरफ करके, उसने अपने होंठ मेरी गर्दन पर रख दिए। अब वो मेरी गर्दन पर चुमे जा रहा था। मैंने अब तक उसके द्वारा की गई किसी भी हरकत का विरोध नही किया था तो मैने बस उसे दिखावे के लिए उससे खुद को छुडाकर दूर हटने की कोशीश करने लगी। लेकिन उसकी मजबूत पकड से मै आजाद नही हो पाई।

जैसे जैसे मै खुद को उससे छुडाने का प्रयास करता, वैसे ही मै थोडा और फंस जाती थी। तो मेरा उसको विरोध करना मैने कम कर दिया। अब उसके हाथ पीछे से मेरे स्तनों पर घूमते हुए उन्हें सहला रहे थे। अब तक हम दोनों ही खडे ही थे। थोडी देर ऐसे ही मेरे उरोजों को अच्छे से मसलने के बाद उस आदमी ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया। और खुद भी जल्द ही मेरे उपर आ गया। अब तक वो मेरे पीछे से था, लेकिन मुझे बिस्तर पर धकेलकर अब वो मेरे आगे से आकर अपनी हरकते शुरू कर दी। उसने अब पहली बार मेरे नाजुक से होठों पर अपने गर्म और तपते हुए होंठ रख दिए।

मेरे होंठों को चूमते हुए वो बीच बीच मे मेरे निचले होंठ को पकडकर अपने दांतों से हल्के से काट भी देता। कभी अपनी जीभ मेरे मुंह मे घुसाकर मेरी जीभ के साथ खेलने लगता। अब उस आदमी ने मुझे किस करते करते मेरे उरोजों को मसलना शुरू कर दिया। स्तनों को मसलने से अब मै भी चुदासी होने लगी थी, और मुझ पर भी हवस हावी होने लगी थी। अब उसने मुझे चूमते हुए अपना हाथ मेरे टॉप के नीचे से मेरे टॉप के अंदर घुसा दिया। मैने टॉप के अंदर ब्रा पहनी हुई थी, तो वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूधों को अपने हथेलियों में भरकर सहलाने लगा।

अब धीरे धीरे करके उसने मेरा टॉप पूरा उपर उठाकर मेरे कंधो के ऊपर तक चढा दिया। टॉप उपर चढाने के बाद, उसने नीचे झुकते हुए मेरे पेट पर चूमते हुए बीच बीच मे मेरी नाभि में अपनी जीभ घुसेड देता था। जिससे मेरे मुंह से अब सिसकारियां निकलने लगी थी। वह आदमी जिस तरह से सब कुछ कर रहा था, उससे साफ पता चलता था कि, वह बहुत बडा चोदू है।

जो आज मेरी सील तोडकर ही मानेगा। उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों को मसलते हुए निप्पल को अपनी उंगलियों में पकड लिया और जोर से भींच दिया। दर्द के मारे मेरी तो चीख ही निकल गई।

अब उसने मेरा टॉप पूरा ही उतार दिया, और अब मेरे उपर से हटकर मेरा पजामा भी उतारने लगा। पजामा उतारने के बाद वो फिर से मेरे ऊपर आने लगा, तो मैने उससे कहा, "आपने मेरे कपडे तो उतार दिए, अब खुद के भी उतार दो।"
मेरा इतना कहना था कि, अगले ही पल वह बिस्तर से नीचे उतर गया और झट से खुद के भी सारे कपडे उतार दिए। अब वो सिर्फ चड्डी में था, और मै ब्रा-पैंटी में।

उसने बिस्तर पर आकर मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और खुद उनके बीच मे आकर बैठ गया। अब मुझसे रहा नही जा रहा था, मुझे लग रहा था कोई भी अब बस मेरी चुत की आग को जल्दी से शांत कर दे। लेकिन वह था कि, मुझे तडपाते हुए सब कुछ बहुत ही आराम से कर रहा था। फिर उसने नीचे झुककर मेरे पैरों पर अपने हाथ घुमाते हुए उन्हें नाखूनों से नोचने लगा। और उसके बाद वो मेरी जांघों पर पहुंचकर उन्हें चूमने लगा।

थोडी देर मेरी जांघों को चूमने के बाद उसने उपर आकर मेरी ब्रा उतार दी, और मेरे एक उरोज को अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा, तो दूसरे को अपने हाथ से मसले जा रहा था। वह बारी बारी से मेरे दोनों उरोजों को मसलते हुए उनकी घुंडीयों के साथ भी छेडछाड करता रहता था। अब उसने नीचे आकर मेरी पैंटी भी एक झटके में उतार दी, और मेरी चुत को निहारने लगा। उसे मेरी चुत दिखते ही वह खुशी से उछल पडा, और नीचे झुककर उसने सबसे पहले मेरी चुत पर एक गहरा चुम्बन दे दिया।

फिर मेरी चुत की फांकों को फैलाकर उसे अंदर से भी देखने लगा। फिर उसने जो अपनी जीभ मेरी चुत में घुसाकर, मुझे अपनी जीभ से चोदकर बहुत मजा दिया।
जैसे ही मुझे लगा कि, मै झडने वाली हूं, मैने उसे रोक दिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी चड्डी में घुसा दिया। अंदर उसका लंड पूरी तरह से सख्त बनकर खडा था। मैंने उसकी चड्डी उतारकर उसके लंड को ठीक से अपने हाथों में भर लिया। फिर उसके लंड को देखते हुए पहले मैंने उसके टोपे को चूमा और फिर धीरे धीरे उसे पूरी तरह से अपने मुंह मे भर लिया।

अब मै मजे के साथ उसका लौडा चूस रही थी, और उसके टट्टों से मजे भी ले रही थी।
थोडी देर बाद, जब मुझसे रोक पाना असंभव सा लगने लगा, तब मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके लंड को अपने हाथ मे पकडकर उसे चुत का रास्ता दिखाने लगी। उसने भी अब ज्यादा देर न करते हुए फटाफट से धक्का लगा दिया, जिससे उसका टोपा मेरी चुत में घुस गया। तभी मेरी चुत की झिल्ली फट गई, और मेरी चुत से खून बहने लगा। उसने मेरे होठों को अपने होठों से बंद करके रख था, इसलिए मेरी चीख ज्यादा बाहर नही आ पाई।

फिर उसने बिना रुके दो और धक्के मार दिए, जिससे लगभग उसका पूरा लौडा मेरी चुत में घुस गया। और अब वो शांत सा पडा रहा, फिर जब मेरी चुत ने लंड के लिए जगह बना ली, और मेरा दर्द भी कम हो गया। तब जाकर मैने नीचे से अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी।

उसने मुझे उस दिन घोडी बनाकर अपने लंड का पानी मेरी चुत में ही उतार दिया। चुदाई के एक दौर बाद बारिश भी रुक गई थी, और उसके जाने का समय भी आ गया था। तो वह अपने अपने रास्ते चल दिया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, यह हमें कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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