चुत की खुशनसीबी ने खटकाया दरवाज़ा

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अस्पताल में काम करने वाली डॉक्टर की चुदाई करने की कहानी सुनाने जा रह हूँ जिसकी चुदाई मैंने उसके के ही केबिन में की थी | उन दिनों मैं अपनी माँ को लेकर बहुत चिंतित रहा करता था और अपने शहर के मशहूर अस्पताल में अपनी माँ का इलाज कर रह था | वहीँ मेरी माँ का इलाज करने वाली डॉक्टर से भी अच्छी - खासी पटती चली गयी | वो मुझे दिखने में बहुत पसंद थी पर अब मैं माँ के आगे कुछ ना सोचने को मजबूर था | मैं हर - रोज अस्पताल में आया करता था क्यूंकि उसी अस्पताल में मेरी माँ इलाज भी चल रहा था | एक दिन डॉक्टर ने आखिरी दिन मुझे एक रात अपनी माँ के सतह ही रुक जाने को कहा |

मैंने भी महिला डॉक्टर की बात मानते हुए उस रात अपनी माँ के कमरे के बहार ही रुकने का फैसला किया | जब इलाज पूरा हुआ तो करीब आधी रात हो चुकी थी और लगबग सभी डॉक्टर अपने - अपने घर जा चुके थे | उस दिन पर उस महिला डॉक्टर की रात की ड्यूटी लगी हुई थी और वो भी भी मेरा माँ के सामने वाले के ही वार्ड में अपना काम कर रही थी | अचानक बीच रात में उसने मुझे अपने पास बुला लिया और मुझसे मेरी माँ के इलाज में लगने वाले पैसों के बारे में बात करने लगी | उसकी उतनी ज्यादा रकम सुनकर मैं घबरा गया और मैं जब रकम कुछ काम करने की बता की तो उसने बदले में उसकी अंदर चल रही आग हो शांत करने के लिए कहा और साथ - साथ यह भी कहा की मैं जितना उसे अच्छे से संतुष्ट करूँगा वो मेरी लगने वाली रकम उतनी ही काम कर देगी |

दोस्तों, मुझे तो वो पहले से ही पसंद थी और मैं रकम तो किसी भी हालत में नहीं दे पता इसीलिए मैं अब अब उसकी चुत - चुदाई के लिए अपने आप को तैयार कर लिया | वो डॉक्टर मेरे सामने ही लेट गयी और मस्त वाली मुस्कान देने लगी | अब आगे बढते हुए उसके होठों को चूमते हुए उसके उसके कपड़ों के उतारते हुए उसके चुचों को दबाने लगा | उसने भी मेरी इस क्रिया पर अपने चेहरे पर मज़े की आहत दि और मैंने अब उसके गोरे - गोरे चुचों को चूसना शुरू कर दिया | उसके चुचों की नमी मेरे लबों पर लग चुकी थी जैसे किसी शेर के मुंह में खून लग गया हो | अब मैंने उसकी पैंट को भी उतार दिया उसकी पैंटी भी कुछ ही देर में उतार दी | मैं उसकी चुत में अपनी जीभ फिर रहा था और वो अपनी चुत की फांकों को उप्पर से रगड रही थी |

वो अब तो मुझे गाली ही देने लगी थी और साथ - साथ मस्त वाली सिस्कारियां भी भर रही थी मैंने अपने लंड को निकाला और उसके हाथ में थमा दिया | उसने भी काफी देर मेरे लंड को अपने हाथ में मसला और मैं भी उसके साथ बिस्तर पर चड गया | वो अब भी अपनी चुत को मसल रही थी और मैं लंड को अपने हाथ का सहर देते हुए उसकी चुत के गुलाभी छेद पर टिका दिया | मैं अब तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं लिया और बस उसके उप्पर लेटे हुए अपने लंड के झटके देने शुर कर दिया | मैं उस महीन डॉक्टर की चुत मत तरीके से चोदे जा रहा था और इसी तरह चोदते हुए हमें सुबह भी हो गयी | आखिर में मैंने भी थकक हर - कर उसके उप्पर अपना सारा मुठ छोड दिया और फिर से उसके होठों को चूसने लगा | उसने आखिर में मेरी माँ को ले जाने को बोल दिया और मुझसे इलाज के लिए एक पैसा तक नहीं लिया | चलो इसी बहाने माँ का इलाज भी हुआ और मुफ्त की चुत भी मिली |
 
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