चुदक्कड़ चौधरी साहब और भावना पटेल

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चूत फाडू चौधरी फ्रॉम हरियाणा

मेरी और कॉलेज की कभी नहीं बनी साली. सेकण्ड इयर में तिन बार फेल होने के बाद मेरे पिताजी ने मुझे चौधरी बलदेव सिंग के वहाँ काम करने के लिए रख दिया. अब मैं भले फेल था लेकिन वहाँ सब लौंडो में मैं सब से ज्यादा पढ़ालिखा था इसलिए मुझे चौधरी के पीए और उसके हिसाबकिताब देखने का जिम्मा दे दिया. यह बात हैं हमारे चौधरी साहब की जो चूत फाडू चौधरी कहलाये जाते हैं और यह किस्सा हैं मुंबई की एक रंडी भावना का जिसकी चूत में जितना भी डालो वो हंसती थी. बल्कि भावना ने तो एक छोटी सी कहावत बनाई थी लंड के साइज़ के ऊपर


तिन इंची अपनी माँ चुदाओ


चार इंच हो तो शिलाजीत खाओ


5 और 6 वाले थोडा अभी ठहर जाओ


7 के ऊपर मुझे नंबर मिलाओ


8 वाले अभी भावना को पेल जाओ...!

चौधरी वैसे रंडी बाजी नहीं करते थे लेकिन वो तो उस दिन शादी के मौके पे हुक्को के धुंए में किसी ने कह दिया की मुंबई की एक रंडी चंडीगढ़ आई हैं. चौधरी फिर भी उसे अनसुना कर देते लेकिन बात अब लंड के ऊपर आ गई थी. क्यूंकि इस बन्दे ने कह दिया की दुनिया में कोई ऐसा लंड शायद ही होगा जिस से यह औरत चीख शके. चौधरी ने मुछो पे ताव देते हुए कहा, "अरे इसकी माँ का चूत भी फाड़ सकते हैं हम. तू केवल मुझे अड्रेस दे और फिर चीखें सुननी हो तो कल आ जाना."

चौधरी के इशारे पे मैंने उस बन्दे से भावना का अड्रेस ले लिया. दुसरे ही दिन चौधरी मुझे और उनके दुसरे आदमी अल्ताफ को ले के निकल पड़े. चंडीगढ़ यहाँ से 19 किलोमीटर था और उतरते ही चौधरी ने अड्रेस निकलवाया और अल्ताफ को बोले, "अल्ताफ तू एक काम कर लाला जी के छोरे से मेरे पैसे ले आ. मैं तुझे 1 घंटे में यही मिलता हूँ."

फिर चौधरी मुझे देखते हुए बोले, "तू मेरे साथ रहना. चल बता किधर जाना हैं."

चौधरी के भोलेपन का फायदा उठा के मैंने उस से आईफोन वगेरह ले रखा था, मैंने उसे मामू बनाया था की इसमें किसी का नाम भी डाल दो तो घर पहुंचा देता हैं. मैंने भावना का पता फ़ीड किया और चौधरी ने गाडी उधर ड्राइवर से कह के ली. 10 मिनिट में हम लोग भावना के कामचलाऊ कोठे के निचे थे. वैसे तो यह रंडी मुंबई की जान थी लेकिन त्योहारों ने मौके पे वो यहाँ आती थी, अच्छे खासे पैसे पंजाब और हरियाणा से बटोरने के लिए.

चौधरी मुझे ले के ऊपर गए और उन्होंने सीधे ही एक दल्ले से पूछा, "वो रेकोर्ड चूत किधर हैं जिसे बड़े लंड लेने की जुर्रत हैं."

दल्ले ने चौधरी साहब कारुआब देखा और उसने ऊँगली से एक कमरा दिखा दिया. हम लोग कमरे में गए. वहाँ पलंग और दो कुर्सी लगी थी. एक 35 साल की औरत पलंग पे बैठ के पान बना रही थी. उसने चौधरी को देखा और हंसने लगी. चौधरी ने अंदर घुसके मुझे बहार रहने को इशारा किया. दरवाजा अभी खुला ही था इसलिए मैंने उन दोनों की बाते सुनी,

चौधरी: क्यों रे तारी चूत में बहुत गर्मी हैं?

भावना: अरे हैं तो हैं गर्मी. मर्दों में वो ताकत कहा की मेरी गर्मी उतार सके.

चौधरी: हरियाणा का लंड लिया हैं कभी तूने अपनी चूत में.

रंडी: अरे हर सीजन में हरियाणा और पंजाब के 100 100 लंड लेके जाती हूँ मैं. और आप क्यों इतना गुमान रखते हैं अपने लंड के ऊपर.

चौधरी ने अपनी मुछो पे मरोड़ देते हुए कहा, "चल निकाल तेरी चूत आज तुझे असली हरियाणा स्टाइल में चोदेंगे, फिर ना तू कहावत कहेंगी ना किसी हरियाणा के मर्द से पंगे लेगी."

चौधरी ने दी भावना को लंड चुनौती

अब मुझे भी चौधरी और भावना की बातो में मजे आने लगे थे. चौधरी पलंग पे बैठा और इस रंडी ने खड़े होके कमाड को बंध किया. मैं सोच रहा था कहाँ से चौधरी की चूत फाडू इनिंग देखूं. ऐसे ही कुछ 2-3 मिनिट निकल गए और तभी मुझे एक छेद नजर आया खिड़की के उपर. मैंने अपनी आँखे वहाँ लगाई और मुझे अंदर का द्रश्य थोडा धुंधला लेकिन नजर आने लगा. मने देखा की चौधरी ने अपनी पग उतार दी थी और कुर्ता भी निकाल फेंका था. उन्होंने भावना को नंगी कर के पलंग पे लिटाया था. उसकी तांगे उन्होंने हवा में कर रखी थी और अपने पजामें का नाडा खोल रहे थे. ओह.चौधरी का लंड देख के मैं भी हक्काबक्का रह गया, पुरे 9 इंच से उपर का और 3.5 इंच चौड़े लौड़े को देख के तो यही होना था. अब मुझे पता चला की चौधरी को लोग चूत फाडू चौधरी क्यों कहते थे. चौधरी ने अपने कुर्ते की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाली और अपने लंड पे पहन ली. भावना ने अपनी चूत के होंठो को एक हाथ से फाड़ा और दुसरे हाथ से उसने चौधरी साहब का लंड चूत पे रखा. यह महाचुदक्कड़ रंडी भी लंड का अहेसास अपने हाथ पे पाके दंग रही होगी. चौधरी ने तो जैसे मिशन चूत फाड़ के लिए ही आये हो वैसे कुत्ते की तरह जोर जोर से चूत मारना चालू कर दिया. भावना ने बहुत हिम्मत दिखाई लेकिन चौधरी के 10 झटको में उसकी चूत फटने लगी. वो चौधरी की टाँगे पकड़ के चूत में झटको की तीव्रता कम करने की कोशिश करने लगी.

चौधरी ने बल दे दे के चूत में पेलन चालू रखा. भावना से अब बर्दास्त नहीं हुआ और उसकी आह ओह निकलने लगी. चौधरी के मुहं पे विजयी योध्धा के भाव थे. उन्होंने कुछ 15 मिनिट और चूत मारी और फिर अपना सारा माल चूत के अंदर ही निकाल बैठे. रंडी ने धीरे से कंडोम पकड़ के निकाला ताकि वीर्य चूत से बहार ना निकले. चौधरी के झटको से वो भी मर सी गई थी. चौधरी ने कपडे पहले लेकिन महाचुदाई की थकान की वजह से भावना वही लेटी रही. चौधरी पगड़ी पहनते हुए बोले, "कितने पैसे हुए रे तेरे. और अपनी कविता में एक लाइन जोड़ देना की मैंने अपनी चूत फाड़ सके ऐसा एक ही लंड चौधरी बलदेव सिंग का देखा हैं."

भवन हँसते हुए बोली, "अरे मैं तो आज से आप की गुलाम हूँ. आप से कैसे पैसे. " उसने अपने ब्लाउज से एक कार्ड निकाल के चौधरी को दिया और बोली, "यह मेरा मुंबई का अड्रेस हैं कभी भी आ जाइए. मैंने अब जिन्दगीभर आप से चूत मारने के पैसे नहीं लुंगी. वैसे आप कहा रहते हैं." चौधरी अपने लंड को ठीक से पजामे में सेट करते हुए बोले, "नहार गाँव आके किसी को भी पूछ लेना की चूत फाडू चौधरी के घर जाना हैं.!"
 
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