मैं आंटियों की चूत का शिकार किये बिना कभी रह ही नहीं पाया हूँ और सभी लगभग सभी मेरे मौहल्ले की आंटियां मुझे बखूबी जानती है | आज मैं आपको एक नयी आंटी की चूत की खुजली को बखूबी बताने जा रहा हूँ जिसे उम्मीद है आप लोग खूब पसंद करेंगे | दोस्तों उन दिनों मैं यारों के साथ मौहल्ले में हसीनायों के पीछे बतियाते हुए चक्कर लगा रहा था की तभी मेरी नजर एक आंटी पर पड़ी जो मुझे ताक रही थी अपनी बालकोनी से | मैं आंटी के इरादों को समझ चूका था और मनो, मुझे उनकी नजर कह रही थी, आ जायो सुजा दो मेरी चूत . . घर पे कोई नहीं है . .!! मैंने अपने मन की सुनी और आंटी के घर पानी पीने के बहाने चल पड़ा |
आंटी के घर जाते ही आंटी ने मुझे अंदर कमरे में बुलाया और जहां तक मैंने सोचा था कुछ ऐसा ही हो भी रहा था | मैं आंटी के मस्ताने चुचों को कसकर निचोड़ने के लिए तड़प रहा था और आंटी भी मुझसे ऐसे ही मेरा परिचय लेती हुई उत्तेजना भरी हुई नज़रों से देख रही थी | मैंने अब एक पल भी ना गंवाया और सीधा आंटी को धक्का देते हुए उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनके चुचों को अपने हाथों में मलने लगा | मैंने आंटी के होठों को अपने मुंह में भर लिया और आंटी की कुर्ती को उतारकर नंगे मोटे चुचों को चूस रहा था | आंटी भी मज़े में तर्र हो चुकी थी और मेरे तने हुए लंड को अपने हाथ में लेते हुए मसल रही थी |
मैंने जोश में उनकी सलवार को खींच, उतार खींच दिया और अपनी उँगलियाँ आंटी की चूत में धंसाने लगा जिसपर आंटी पहले से ही सिंहर चुकी थी और अब तो आंटी की चूत गीली भी हो चुकी थी | मैंने आब अपने लंड को आंटी की चूत के सामने ले आया ओरुन्हे एक कामुक मुस्कान देते हुए आँख मारी | मैंने अपने लंड को आंटी की गीली चूत में देते हुए से चोदे रहा था और आंटी अहहहह्ह अहहहहा दईया रे दईया . . .!!! मरर गयी रे मरर गयी. .. केकर चींखें भर रही थी | उनकी सीत्कारें मेरे लंड में और ज्वाला पैदा कर रही थी और मैं उनकी चूत में अपने लंड को और बेहतरीन तरीके से ठुंसे जा रहा था |
मेरा लंड अब तक आंटी की चूत में गहराई में नाच रहा था और मेरी कमरा बस आंटी की चूतडों को फाड़ती हुई अलग कर रही थी | आंटी अपने होंठों को अजब सी वासना की खायी में पाते हुई अपने दाँतों तले चबा रही थी और मैं भी उनकी चूत चोदते हुए कभी उनके चूतडों पर थप्पड़ पेल देता तो कभी उनके मोटे चुचों पर | इस तरह आंटी की चूत मारते वक्त मुझे १५ मिनट तो ही गए और मैं बस अपने मुठ की फुव्वार छोड़ते हुए आंटी की चूत को नमस्कार कर चल पड़ा | आंटी की चूत का प्याला पीकर जैसे की अब मेरी पानी की प्यास भुज चुकी थी |
आंटी के घर जाते ही आंटी ने मुझे अंदर कमरे में बुलाया और जहां तक मैंने सोचा था कुछ ऐसा ही हो भी रहा था | मैं आंटी के मस्ताने चुचों को कसकर निचोड़ने के लिए तड़प रहा था और आंटी भी मुझसे ऐसे ही मेरा परिचय लेती हुई उत्तेजना भरी हुई नज़रों से देख रही थी | मैंने अब एक पल भी ना गंवाया और सीधा आंटी को धक्का देते हुए उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनके चुचों को अपने हाथों में मलने लगा | मैंने आंटी के होठों को अपने मुंह में भर लिया और आंटी की कुर्ती को उतारकर नंगे मोटे चुचों को चूस रहा था | आंटी भी मज़े में तर्र हो चुकी थी और मेरे तने हुए लंड को अपने हाथ में लेते हुए मसल रही थी |
मैंने जोश में उनकी सलवार को खींच, उतार खींच दिया और अपनी उँगलियाँ आंटी की चूत में धंसाने लगा जिसपर आंटी पहले से ही सिंहर चुकी थी और अब तो आंटी की चूत गीली भी हो चुकी थी | मैंने आब अपने लंड को आंटी की चूत के सामने ले आया ओरुन्हे एक कामुक मुस्कान देते हुए आँख मारी | मैंने अपने लंड को आंटी की गीली चूत में देते हुए से चोदे रहा था और आंटी अहहहह्ह अहहहहा दईया रे दईया . . .!!! मरर गयी रे मरर गयी. .. केकर चींखें भर रही थी | उनकी सीत्कारें मेरे लंड में और ज्वाला पैदा कर रही थी और मैं उनकी चूत में अपने लंड को और बेहतरीन तरीके से ठुंसे जा रहा था |
मेरा लंड अब तक आंटी की चूत में गहराई में नाच रहा था और मेरी कमरा बस आंटी की चूतडों को फाड़ती हुई अलग कर रही थी | आंटी अपने होंठों को अजब सी वासना की खायी में पाते हुई अपने दाँतों तले चबा रही थी और मैं भी उनकी चूत चोदते हुए कभी उनके चूतडों पर थप्पड़ पेल देता तो कभी उनके मोटे चुचों पर | इस तरह आंटी की चूत मारते वक्त मुझे १५ मिनट तो ही गए और मैं बस अपने मुठ की फुव्वार छोड़ते हुए आंटी की चूत को नमस्कार कर चल पड़ा | आंटी की चूत का प्याला पीकर जैसे की अब मेरी पानी की प्यास भुज चुकी थी |