चूत से लावा निकलने लगा था

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Antarvasna, hindi sex story: मैं उस दिन जब अपने दफ्तर से घर लौटा तो मेरी पत्नी कविता मेरा इंतजार कर रही थी मैंने अपनी पत्नी कविता से कहा कि आज तुम्हारा चेहरा बिल्कुल उतरा हुआ है। वह कहने लगी की मुझे पापा का फोन आया था वह कह रहे थे कि तुम मुझसे मिलने के लिए कुछ दिनों के लिए आ जाओ। मैंने कविता से कहा कि ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए उनसे मिलने चली जाओ तो वह कहने लगी ठीक है माधव मैं देखती हूं। मैंने उसे कहा कि तुम्हें मैं कल तुम्हारे पापा मम्मी के यहां छोड़ दूं तो कैसा रहेगा वह कहने लगी ठीक है लेकिन बच्चे भी तो हैं। मैंने कविता से कहा क्या बच्चे अभी ट्यूशन से नहीं आए हैं तो वह कहने लगी नहीं वह अभी ट्यूशन से नहीं आए हैं। थोड़ी देर बाद बच्चे भी ट्यूशन से आ चुके थे मैं हर रोज की तरह अपने दफ्तर से शाम के वक्त घर लौट आता था उसके बाद हम लोगों ने साथ में डिनर किया और अगले दिन मैंने कविता और बच्चों को कविता के पापा मम्मी के पास छोड़ दिया। कुछ दिनों तक मैं घर पर अकेला ही था इसलिए मुझे थोड़ा परेशानी जरूर हो रही थी लेकिन फिर भी मैंने मैनेज कर लिया था। एक दिन मैं अपने दफ्तर गया तो उस दिन मुझे पता चला कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है इस बात से मैं बड़ा दुखी था कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है।

मैंने जब यह बात कविता को फोन पर बताई तो वह भी यह बात सुनकर चौक गयी। मैं काफी समय से लखनऊ में ही नौकरी कर रहा था लेकिन अब मेरा ट्रांसफर पुणे होने वाला था इसलिए मेरे लिए सब कुछ नया होने वाला था। कविता अपने पापा मम्मी के पास ही थी तो वह कहने लगी कि माधव मैं कल ही घर आ जाऊंगी मैंने उसे कहा ठीक है और अगले दिन कविता घर आ गई। जब अगले दिन कविता घर आई तो मैंने कविता से कहा कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है और मुझे कुछ दिनों के लिए पुणे जाना पड़ेगा वहां पर मुझे सारी व्यवस्था करनी पड़ेगी उसके बाद मैं तुम लोगों को लेने के लिए आ जाऊंगा कविता कहने लगी ठीक है माधव। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि लखनऊ में ही हमारे सारे रिश्तेदार है और कविता के मम्मी पापा भी लखनऊ में ही रहते हैं।

हालांकि मेरे माता-पिता बरेली में रहते हैं लेकिन फिर भी कभी मुझे कुछ जरूरत होती तो कविता के माता-पिता हम लोगों की हमेशा मदद कर दिया करते थे और मुझे किसी भी बात की कोई चिंता नहीं रहती थी लेकिन अब मैं पुणे जाने वाला था और मेरे लिए पुणे में सब कुछ नया होने वाला था। मैं जब कुछ दिनों के लिए पुणे गया तो मैंने वहां पर रहने के लिए पहले तो घर ढूंढना शुरू किया कुछ दिनों तक मैं अपने एक परिचित के घर पर रुका था और फिर मुझे थोड़े दिनों बाद घर मिल गया तो वहां पर मैं रहने लगा। मैंने कविता को रात के वक्त फोन किया और कहा कि मुझे घर मिल चुका है और जल्दी मैं तुम लोगों को लेने के लिए लखनऊ आऊंगा। कविता कहने लगी ठीक है माधव आप अपना ध्यान रखना। कविता को मेरी बहुत चिंता सताती थी और वह मुझे कहती की आप अपना ध्यान रखते हैं या नहीं मैंने कविता को कहा कि हां मैं अपना ध्यान रखता हूं। हालांकि मुझे एडजस्ट करने में थोड़ा परेशानी जरूर हो रही है लेकिन फिर भी मैं एडजस्ट कर रहा था। मुझे पुणे में करीब 15 दिन हो चुके थे और इन 15 दिनों में मैं अब अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी जानने लगा था। मैं इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं था कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है लेकिन मेरी मजबूरी थी कि मुझे पुणे में नौकरी करनी थी। मैंने उस रात कविता से बात की और कविता से मेरी काफी देर तक बात हुई उस दिन मैं अपने ऑफिस से लौटा था तो मुझे काफी थकावट सी महसूस हो रही थी। कविता कहने लगी कि आपकी आवाज से आज ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि आप काफी ज्यादा थके हुए हैं तो मैंने कविता को कहा हां मैं बहुत ज्यादा थका हुआ हूं और आज मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं है। कविता कहने लगी अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो आप ऑफिस से छुट्टी ले लेते मैंने कविता को कहा आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था इसलिए मैं छुट्टी नहीं ले पाया। कविता और मैं काफी देर तक बात करते रहे मैंने उस रात खाना बाहर से ही आर्डर करवा लिया था और जब खाना आया तो मैं खाना खाकर लेट चुका था।

अगले मुझे महसूस हो रहा था कि मुझे काफी तेज बुखार है इसलिए मुझे अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ी और फिर मैं अपने ऑफिस से छुट्टी ले चुका था लेकिन मैंने यह बात कविता को नहीं बताई थी अगर मैं इस बारे में कविता को बताता तो वह बहुत परेशान हो जाती इसलिए मैंने उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया। मैंने कविता को उस दिन मैसेज कर दिया और कहा कि मेरा ऑफिस में आज कुछ ज्यादा काम है इसलिए मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। कविता ने भी मेरे मैसेज का रिप्लाई किया और कहने लगी कोई बात नहीं। उस दिन मैं घर पर ही लेटा हुआ था और जब मुझे लगने लगा कि शायद मेरी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब होने लगी है तो मैं डॉक्टर के पास गया और डॉक्टर ने मुझे कहा कि तुम्हारी तबीयत तो काफी खराब है। उन्होंने मुझे दवाई दी और कहा कि तुम्हें कुछ दिनों के लिए आराम करना पड़ेगा। मैंने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और कुछ दिनों के लिए मैं आराम करने लगा क्योंकि मेरी तबीयत काफी ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए घर पर ही आराम करना था।

मै अब ठीक होने लगा था मेरी तबीयत में आप पहले से ज्यादा सुधार था मैं जब उस दिन अपने घर से बाहर जा रहा था तो मैंने देखा हमारे पड़ोस में कोई फैमली रहने के लिए आ रही हैं। मैं जब गोविंद जी से मिला तो उन्होंने मेरा परिचय अपनी पत्नी से करवाया उनकी पत्नी शीतल ने मुझसे पूछा कि क्या आप अकेले रहते हैं? मैंने उन्हें बताया मुझे यहां आए कुछ ही दिन हुए हैं और थोड़े समय बाद मै अपनी पत्नी को यहां ले आऊंगा। उसके बाद गोविंद जी और मेरे बीच काफी अच्छी बात हो गई थी वह भी किसी सरकारी संस्थान में ही नौकरी करते थे और उनका ट्रांसफर भी पुणे में ही हुआ था। शीतल भाभी घर पर ज्यादा समय अकेला ही रहती थी जब भी मैं घर पर होता तो वह मुझसे मिलने आ जाती थी पहले तो मुझे इस बात को लेकर कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर मुझे लगा कि वह मुझसे कुछ तो चाहती हैं। एक दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो वह मेरे बगल में ही बैठे हुए थे देखते ही देखते जब वह मेरी गोद में आकर बैठ गई तो मेरा लंड तन कर खड़ा होने लगा मेरा मोटा लंड उनकी गांड से टकराकर और भी ज्यादा कठोर होने लगा। मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुका था मुझे लगने लगा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा मेरे अंदर की गर्मी बहुत अधिक बढ़ने लगी थी उन्होंने भी जब मेरे लंड को बाहर निकाल कर उसे अपने हाथों में लिया और उसको हिलाना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जब वह मेरे लंड को हिलाती तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ जाती। अब मेरे अंदर की आग इस कदर बढ़ चुकी थी मैं बिल्कुल भी रहा नहीं पा रहा था और ना ही वह रह पा रही थी उन्होंने मुझसे कहा मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उन्हें कहा रह तो मैं भी बिल्कुल नहीं पा रहा हूं उन्होंने मेरे लंड को चूसकर मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया था मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया। मैंने उनकी साड़ी के ऊपर उठाते हुए उनकी पैंटी को नीचे सरका दिया उनकी चूतड़ों को अपनी तरफ किया तो मैंने देखा उनकी चूत से पानी टपक रहा था मैंने उनकी चूत के अंदर जब उंगली को घुसाया तो वह कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं मैंने आपकी चूत में लंड घुसाने से पहले आपकी चूत मे उंगली को डालना चाहता हूं।

शीतल भाभी की चूत के अंदर बाहर मै अपनी उंगली को करता तो वह अब तड़पने लगी थी और मुझे कहने लगी आप जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल दीजिए। मैंने उन्हें कहा मै अपने लंड को आपकी चूत मे डाल रहा हू। वह बहुत ही ज्यादा तड़पने लगी थी मेरे अंदर की भी गर्मी इतनी बढ़ गई कि मैंने अपने लंड पर थूक लगाते हुए जब अपने लंड को उनकी चूत पर सटाया तो वह कहने लगी आप मेरी चूत को अपना बना लो। मैंने भी एक ज़ोरदार झटके के साथ अपने पूरे लंड को उनकी चूत के जड़ तक घुसा दिया मेरे अंडकोष उनकी चूत की दीवार से टकराने लगे तो मुझे महसूस हो गया वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई है क्योंकि उनकी चूत से जिस प्रकार की गर्मी बाहर निकल रही थी उससे मुझे साफ तौर पर लग गया था कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पाएंगी। मैंने उनको बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दिया मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था।

अब मैं उनको बड़ी तीव्र गति से धक्के मार रहा था मैं जिस तेज गति से उनको धक्के मारता उससे मुझे और भी ज्यादा मजा आता और कहीं ना कहीं मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो चला था कि मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। उनकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी मैं उनकी चूतड़ों पर अपने लंड को बड़ी तेजी से टकराता तो वह खुश हो जाती और वह अपने चूतड़ों को मुझसे मिलाने की कोशिश करती लेकिन जब वह ऐसा करती तो उनके अंदर की गर्मी बढ जाती। उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी निकाल रहा था करीब 10 मिनट तक हम दोनों के चूत और लंड से ऐसी ही रगडन पैदा होती रही तो उसको मेरा लंड बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाया मेरे लंड से वीर्य बाहर की तरफ को निकाल आया। शीतल भाभी बड़ी खुश थी और उनके चूत की खुजली हमेशा मैं ही मिटा दिया करता।
 
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