चोदकर बुखार हवा हो गया

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Sex stories in hindi, antarvasna: मेरे ऑफिस की छुट्टी का यह आखिरी दिन था और अगले दिन से मुझे अपने ऑफिस जाना था मेरी पत्नी ने मुझे कहा कि अमन मैं सोच रही हूं कि कल मैं पापा मम्मी से मिल आऊं। मैंने अपनी पत्नी ललिता से कहा कि ठीक है अगर तुम पापा मम्मी से मिलने के लिए जाना चाहती हो तो तुम चली जाओ। वह मुझे कहने लगी कि लेकिन अमन आपको मुझे कल सुबह छोड़ने के लिए आना होगा मैंने ललिता से कहा कि ठीक है मैं तुम्हें छोड़ने के लिए आ जाऊंगा। अगले दिन सुबह जब हम लोगों ने नाश्ता किया तो उसके बाद मैं ललिता को छोड़ने के लिए उसके पापा मम्मी के घर पर चला गया ललिता कुछ दिनों के लिए अपने मायके में ही रहना चाहती थी। मैं ललिता को छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन ऑफिस में इतना ज्यादा काम था कि मुझे घर पहुंचने में देरी हो गई। ललिता ने मुझे दो बार फोन भी किया था लेकिन मैं उसका फोन नहीं उठा पाया था। जब मैं घर पर पहुंचा तो मैंने ललिता को फोन किया और उससे कहा कि क्या तुमने मुझे फोन किया था तो वह मुझे कहने लगी कि हां अमन मैंने आपको फोन किया था लेकिन आपने मेरा फोन नहीं उठाया।

मैंने ललिता को बताया कि मैं ऑफिस में बिजी था इस वजह से मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया क्योंकि आज ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया था। ललिता ने मुझे कहा कोई बात नहीं और जब ललिता और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें कर रहे थे तो उसने मुझे बताया कि उसके पापा मम्मी उसके भाई के लिए रिश्ता ढूंढ रहे है। मैंने ललिता को कहा कि क्यों ना तुम हमारे पड़ोस में रहने वाली रचना की बात अपने पापा से करो तो ललिता कहने लगी कि हां यह तो तुम ठीक कह रहे हो। वैसे रचना बहुत ही अच्छी लड़की है और उसने रचना के बारे में अपने पापा मम्मी से बात की तो वह लोग भी रचना के पिता जी से मिलना चाहते थे। जब वह लोग रचना के पापा से मिले तो उन लोगों को रचना और उनका परिवार काफी अच्छा लगा और उन लोगों के बीच शादी को लेकर बात होने लगी और जल्द ही रचना और ललिता के भाई सोहन की शादी तय हो गई। जब उन लोगों की शादी तय हो गई तो ललिता बहुत ही ज्यादा खुश हो गयी और अब जल्द ही उन दोनों की शादी होने वाली थी। सोहन और रचना की शादी बड़ी ही धूमधाम से हुई, सब लोग बहुत ही खुश थे जब सोहन और रचना की शादी हुई।

उन दोनों की शादी हो गई थी और ललिता भी इस बात से खुश थी कि सोहन को रचना जैसी पत्नी मिली क्योंकि रचना बहुत ही अच्छी लड़की है और सब लोग रचना को बहुत ज्यादा प्यार भी करते हैं। मैं एक दिन ऑफिस से थका हुआ घर लौटा जब उस दिन मैं घर आया तो ललिता मेरे लिए पानी का गिलास लेकर आई और वह कहने लगी कि अमन मुझे आपसे कुछ बात करनी थी। मैंने ललिता को कहा हां ललिता कहो ना क्या बात करनी थी तो वह मुझे कहने लगी कि घर में सामान भी खत्म हो चुका है तो मैं सोच रही हूं कि हम लोग घर का सामान ले आए। मैंने ललिता को कहा कि आज तो मैं तुम्हारे साथ नहीं चल पाऊंगा क्योंकि मैं काफी ज्यादा थका हुआ हूं और मुझे बहुत ज्यादा थकावट महसूस हो रही है। वह मुझे कहने लगी कि कोई बात नहीं हम लोग कल चले जाएंगे कल आप अपने ऑफिस से छुट्टी ले लीजिए। मैंने ललिता को कहा ठीक है मैं कल अपने ऑफिस से छुट्टी ले लूंगा और अगले दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। जब मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ली तो ललिता और मैं उस दिन घर का सामान लेने के लिए अपने घर के बगल के डिपार्टमेंटल स्टोर में चले गए। वहां से हम लोगों ने सामान ले लिया था और उसके बाद ललिता चाहती थी कि मैं उसके साथ टाइम स्पेंड करूं इसलिए हम दोनों ने साथ में समय बिताया।

ललिता भी काफी खुश थी कि इतने दिनों बाद मैंने उसके साथ एक अच्छा समय बिताया। मैंने ललिता को कहा कि मुझे भी आज तुम्हारे साथ काफी अच्छा लग रहा है उस दिन हम लोगों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया था। अगले दिन मुझे अपने ऑफिस जल्दी जाना था तो मैंने ललिता को कहा कि तुम जल्दी से नाश्ता तैयार कर दो तो ललिता मुझे कहने लगी कि ठीक है मैं अभी नाश्ता तैयार कर देती हूं। ललिता ने मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था और नाश्ता करने के बाद मैं अपने ऑफिस चला गया था। मैं जब अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन काफी ज्यादा काम था उस दिन जब मैंने ऑफिस का काम खत्म किया तो मुझे पता चला कि मुझे अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में दो दिनों के लिए मुंबई जाना है। मैंने घर आकर जब यह बात ललिता को बताई तो ललिता ने मुझे कहा आप वहां से वापस कब लौटेंगे। मैंने ललिता को कहा वहां से मैं दो दिन बाद वापस लौट आऊंगा। ललिता ने मेरा सामान पैक करने में मेरी मदद की और अगले दिन मैं मुंबई चला गया, मुंबई में मैं दो दिन तक रुका और उसके बाद मैं वहां से वापस लौट आया था।

जब मैं वापस लौटा तो उस दिन ललिता की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी उसके सर में दर्द हो रहा था मैंने ललिता को कहा कि क्या हुआ तो वह मुझे कहने लगी कि मेरे सर में दर्द हो रहा है। उस दिन मैं घर पर ही रहने वाला था इसलिए मैं ललिता को पास के ही डॉक्टर के पास ले गया, हमारे घर के पास ही एक क्लीनिक है वहां पर मैं जब ललिता को ले गया तो उन्होंने ललिता को कुछ दवाइयां दे दी। ललिता ने घर आकर वह दवा खा ली थी उसके बाद वह आराम करने लगी और कुछ ही समय में उसकी आंख लग गई और उसे कुछ पता ही नहीं चला कि कब वह सो गई थी। ललिता अब सो चुकी थी। जब वह सो कर उठी तो मैंने ललिता से पूछा अब तुम्हारी तबीयत कैसी है? वह कहने लगी अब मेरी तबीयत पहले से बेहतर है। मैं ललिता के पास ही बैठा हुआ था ललिता की साड़ी हल्की सी ऊपर हुई थी जिसे देखकर मैं ललिता की जांघों को सहलाने लगा। मैंने अब ललिता की साड़ी को पूरा ऊपर कर दिया था। वह मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो? मैंने उसे कहा कुछ भी नहीं बस तुम्हारी जांघों को सहला रहा हूं। वह मुझे कहने लगी मुझे सब पता है आपको क्या चाहिए। मैंने ललिता को कहा अगर तुम्हें पता है तो तुम मुझे देती क्यों नहीं। वह मुझे कहने लगी मैं आपको मना कर सकती हूं। जब उसने मेरे लंड को निकाला तो मैंने ललिता से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में समा लो। उसने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया वह उसे चूसने लगी।

वह जब मेरे मोटे लंड को चूस रही थी तो वह उत्तेजित होने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैंने ललिता को कहा मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। ललिता मुझे कहने लगी तुम अब मेरे अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढा चुके हो। मैंने ललिता को कहा मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। मैंने अब ललिता की चूत के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया तो ललिता की योनि के अंदर तक मेरा लंड प्रवेश हो चुका था। जब मैने उसकी योनि के अंदर लंड को घुसाया तो वह जोर से चिल्ला कर बोली तुम्हारे लंड ने मेरी चूत फाड दी है। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरा साथ देती रहो। उसने मेरा साथ अच्छे से दिया जब मैंने ललिता की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। तुम बस ऐसे ही मुझे अब धक्के देते रहो। मैंने उसे कहा मुझे मजा आ रहा है। मुझे उसे चोदने में बड़ा ही मजा आ रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उसे बस धक्के मारता ही जाऊं और ललिता के अंदर की गर्मी को बढ़ाता जाऊं। मैंने ललिता के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था जब मैंने ऐसा किया तो वह मुझे कहने लगी मेरा बुखार अब छूमंतर हो चुका है।

मैने ललिता की चूत मारकर उसकी चूत से पानी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। मुझे लग रहा था मेरा माल जल्दी ही बाहर गिरने वाला है। मैंने ललिता को कहा जल्दी ही मेरा माल बाहर गिरने वाला है। मैं उसे तेजी से धक्के मारता रहा। वह अपनी मादक आवाज से मुझे उत्तेजित करती जा रही थी। उसने अपनी मादक आवाज से मुझे गरम कर दिया था। मुझे और भी ज्यादा मजा आता जा रहा था और मैं उसे लगातार तेजी से चोदे जा रहा था। ललिता को बहुत ही मजा आ रहा था मैं उसे इतनी ज्यादा तीव्र गति से धक्के मार रहा था लह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे कहती आज तुमसे मजा ही आ गया। मैंने ललिता को कहा मुझे भी बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। ललिता की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढने लगा था।

मेरे अंदर से निकलती हुई गर्मी भी अब बढ़ने लगी थी इसलिए मैंने जल्दी ही उसकी योनि के अंदर अपने माल को गिराकर उसकी इच्छा को पूरा कर दिया और थोड़ी देर बाद मेरा मन दोबारा से ललिता को चोदने का होने लगा। जब मेरा मन उसके साथ दोबारा से सेक्स करने का होने लगा तो मैंने दोबारा से उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को घुसा दिया जैसे ही मेरा लंड ललिता की योनि के अंदर घुसा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। अब ललिता को बहुत ज्यादा मजा आने लगा था जब मैं उसे तेजी से धक्के मार रहा था तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा था और मेरे अंदर की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी। मैंने उसे कहा मुझे आज मजा आ रहा है। वह मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से चोदो मैंने उसे बहुत ही तेजी से अब धक्के मारना शुरु किया जब तक मेरा माल उसकी योनि के अंदर नहीं चला गया। जैसे ही मेरा माल ललिता की योनि के अंदर गया तो उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।
 
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