जीजा जी का लण्ड और पेशाब का कोल्ड ड्रिंक।

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जीजा जी का लण्ड गोरा हो या काला अपना होता है।

हाये दोस्तों मेरा नाम रोशनी है और मैं आज आप लोगों को अपने जीजा जी के लण्ड को पहली बार चुसकियां लेकर चूसने और फिर उनके मुंह में मूतने की कहानी सुनाने वाली हूं। कसम से किसी मरद के मुहं में मूतने का मजा कुछ और होता है। जब मूत की धार उसके चूत से सटे हुए मर्द के जीभ से टकराती है और वो भगनाशा या चूत के घुंडी को अपनी जीभ से सहला रहा होता है तो उसका मजा ही कुछ और होता है। छर्र छर्र मूत की धार में लण्ड की तलवार जब अचानक से उसके बहाव को रोकने के लिए चूत में घुस जाए। फिर क्या कहना।

और अगर साली नवयौवना अठरह की हो, यह पहला अनुभव भी हो तो फिर चुदाई की रस्म एक मजेदार घटना हो जाती है जो जीवन भर याद रहती है।

उस रात पहली बार हमारे जीजा जी ससुराल आये थे। दीदी उनके घर पर ही थीं और वो अकेले ही उस शाम आये थे। संयोग से पापा शहर से बाहर थे और हम और मम्मी दो ही लोग थे घर पर। मुझे खाना तो बनाना आता नही। इसलिए मम्मी आवभगत में लग गयीं और फिर मैं जीजा से दिल्लगी करने में लगी हुई थी। जीजा का नाम अमन है और सच तो ये है कि मैं उनपे पहली नजर में ही मर मिटी थी। उनको देख कर मुझे लगा था हाये दीदी की जगह इसकी शादी तो मेरे से ही होनी चाहिए थी। पर अफसोस की कल्पनाओं में जीने से क्या फायदा। पर मैने ठान लिया था कि एक न एक दिन उनको पाके रहूंगी।

और उस रात जब डिनर करके मम्मी अपने कमरे में, हम अपने कमरे में और जीजू अपने कमरे में सोने चले गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी, सच में मेरे पूरे बदन में आग दौड़ रही थी, कितना अच्छा मौका था, कोई नहीं था घर में। मैं उनके कमरे के पास गयी, देखा तो वो दरवाजा खुला छोड़ के सो रहे थे। मतलब कि उनको भी इंतजार था, मेरे आने का। अंदर गयी तो देखा, एकदम गहरी नींद में सो गये थे। मैने चादर उनके उपर से धीरे से सरकाई तो देखा कि अंदर वो पूरे नंगे ही सो रहे थे। उफ्फ, गोरा बदन, बालों से ढंका चौड़ा सीना और मस्त चौड़े कंधे, कमर एक दम पतली और कमर के नीचे का नजारा देख कर मेरे होश उड़ गये। एक दम चार इंच मोटे व्यास वाला लण्ड, जो कि ढीला रह्ने के बावजूद, 7 इंच लंबा था, अगर ये खड़ा होता तो कमसे कम दस इंच लंबा और पांच इंच मोटा हो जाता। किसी गोरे गोरे मसाल की तरह उनका लण्ड एकदम मस्त लग रहा था। अमूमन इंडियन लड़कों का लण्ड काला ही होता है। ये बात मैं शादी के बाद ही जान पाई।

मैंने धीरे से जीजा के लण्ड को पकड़ लिया, देखा तो वो हिले भी नहीं, न कोई हलचल, न कोई भाव। वो पूरे नींद में थे। सोया हुआ लण्ड मानों जगा हुआ था, उसमें धड़कन थी, गरमी थी। मैने उसे उठाया और अपने होटों से लगा लिया। जीभ लण्ड के जड़ से लेकर सुपाड़े तक फिराते हुए मैने उनके अंडों को सहलाना शुरु कर दिया। जीजा जी को सुगबुगाहट होने लगी, लेकिन मैं इतना बेहोश था कि शायद मेरे पास उस लण्ड को चूसने के अलावा कोई चारा ही न था।

अचानक जीजा जी जग गये और उठ कर बैठ गये। उनको जगते देखके ही, मुझे जरा सा इमोशनल ड्रामा करना पड़ा और मैं उनके गले लग के बोली " अमन मैं तुम्हें पहली नजर से प्यार करने लगी थी, पर क्या करती अपनी बहन का हक छीना नहीं गया, पर तुम्हें पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं" और मैं उनका लण्ड लेकर चूसने लगी। वो मदहोश होकर अपनी आंखें बंद करके आह्ह!! रौशनी, धीरे चूसो!! आह्ह!! लगता है लण्ड का सारा हवा चूस जाओगी, क्या। आह्ह!! लग रहा है कि जान ले लोगी लौंडे के रास्ते से। और सच में वो बहुत ज्यादा रिएक्ट कर रहे थे।

मैने पूछा तो बोले कि पेशाब लगा है, बाथरुम जाने दो। मुझे चुदास चढी थी तो मैं क्या करती। मैने उनको कहा कि चलो जीजू मेरे मुह में ही मूत लो। और जीजू ने बेशर्मी की हद पार करते हुए मेरे गले तक मोटे लण्ड को घुसा दिया और मैने अपना मुह बंद उनके लौड़े पर चिपका लिया होट बंद कर लिए जिससे कि मूत की एक भी बूंद बाहर ना जा सके। अमन दो मिनट तक मेरे मुह में मूतता रहा। पेशाब पीकर मैं और भी जंगली हो गयी। उसको बेड पर लिटा दिया और उसके मुह पर बैठ गयी। वह अपन मुह मेरे चूत के फांकों पर रख कर जोर जोर से चुसके मारने लगा।

लण्ड से टपका पेशाब जैसे बोतल से शराब।

आह्ह!! कमीने, चूसो मेरी चूत, आह ले पी ले रसमलाई, और मेरे चूत से निकलता लिजलिजा रस, उसके मुह में जाकर उसे स्वाद दे रहा था। उसकी आंखों की बढती चमक मुझे यह अहसास करा रही थी। और अचानक से बहुत देर से रोकी हुई पेशाब मुझे भी सताने लगी। मैने कहा " अमन मुझे मूतना है, तो बोला, साली पहले मूत पिया तो क्या जरुरी है कि मुझे भी पिलाएगी?" इससे पहले कि वो आंखें लाल पीली करता, मैने उसके मुह में मूतना शुरु कर दिया। उसने जीभ से मेरे चूत के अंदर कोंच कर धार को कम करने का प्रयास किया और फिर जब असफल रहा तो उंगलियों से मेरे चूत में कोंच दिया और मूझे मूतने से रोक कर खुद खड़ा हो गया। उसने मुझे पटक कर मेरी चूत में जो कि पेशाब से भीगी हुई और गीली थी, और उसमें उंगली पहले से उसने कोंची हुई थी, अपना लण्ड दनाक से घुसा दिया। इतना मोटा लन्ड और बेचारी पतली सी चूत। फटने लगी, और उसने बेरहमी से मेरी चूंचियां मसलते हुए बेदर्द झटके देने शुरु कर दिये

मेरी सारी मस्ती काफूर हो गयी। दर्द से दोहरी होती मैने उससे हाथ जोड़े, "प्लीज छोड़ दो, मुझे ये पता न था कि मुझे इतना दर्द होने वाला है। अगर करना ही है तो कोई ऐसे तरीके से करो कि मेरी चूत फट न जाए। मैं मर जाउंगी, प्लीज" लेकिन उसके उपर कोई असर न पड़ा। उल्टा उसने मेरे होंटों पर अपने गर्म होट रख दिये और जोर जोर से धक्के मारने लगा। उसका नौ इंच का लंबा और पांच इंच मोटा लण्ड चूत को फाड़ता हुआ हर झट्के के साथ अंदर जा रहा था। और मैने अपनी आंखें मून्द कर दान्त भींच लिये। जिससे कि दर्द को बर्दाश्त कर सकूं। वो मस्त होकर स्पीड पकड़ रहा था।

दनादन और फचाफ्च, आह्ह्। उह्ह्ह!! उफ्ह!! उफ्फ्फ!! और फिर कमरा सेक्सी और चुदासी आवाजों से भर गया। पलंग टूट रहा था, गद्दा की मां चुद गयी थी। एक घंटे तक उसने मुझे कैसे चोदा, चुदाई के उन्माद में मुझे यह याद ही न रहा। जब गरमा गरम लावा मेरी चूत से में बहता हुआ ऐसा लगा जैसे मेरे कलेजे में उतर गया हो तब मैं लगभग अपने होशो हवास में आई।

वीर्य को निकालने के बाद उसने मुझे फिर लण्ड चुसाया। और चुदाई का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। लण्ड का शिकार आखिर मैने कर ही लिया।
 
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