(Na Bur Na Chuchi Baat Unchi)
लेखिका : श्रेया अहूजा
हाय श्रेया मैं देव. डिग्री कॉलेज वाला देव भटनागर ! सोचा बहुत दिन हो गए, बात नहीं हुई !
आखरी बार जब बात हुई थी अब तुमने पूछा था- हाउ इस लाइफ??
आज सोचा तुम्हें बताऊँ मेरी ज़िन्दगी कैसी थी, और अब कैसी है.
तुम्हें तो याद होगा ज्योति. थोड़ी सांवली सी हमारे क्लास में थी. निताशा और मनोज, सुरेश !
कॉलेज के दिनों में ज्योति मेरी अच्छी दोस्त बन गई. ज्योति उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से थी, न जाने ज्योति को कब मुझसे प्यार हो गया ! वो मुझसे बहुत प्यार करने लगी थी. हम अक्सर छुप छुप कर मिला करते थे !
मैंने भी काफी पंजाबन लड़कियों पर ट्राई मारी पर कोई हाथ न लगी तो सोचा हाथ से कब तक मुठ मारूँ. एक बार ज्योति की चुदाई की कोशिश करता हूँ !
मैंने ज्योति को मिलने होटल में बुलाया, बजट कम था इसीलिए हज़ार रुपये का कमरा लिया।
हाँ कोई खतरा नहीं था, होटल का कमरा अच्छा ही था, मैंने झट से ए.सी. चालू किया और इंतज़ार करने लगा ज्योति का !
तभी बेल बजी कमरे की, दरवाजा खोला, ज्योति ही थी.. नीले रंग की कसी हुई कुर्ती और सफ़ेद पजामा में सेक्सी लग रही थी..
मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और ज्योति को करीब खींचा !
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रखा और चूसने लगा, चूसते चूसते मैंने अपने दोनों हाथों को ज्योति के दोनों कूल्हों पर रखा, दबाया और उसकी चूत को अपने लंड के करीब लाया।
ज्योति तभी अचानक पीछे हो गई.
ज्योति- यह सब ठीक नहीं है देव..
मैं- क्यूँ. क्या बुराई है? सभी करते हैं.
ज्योति- पर मैं वैसी नहीं हूँ देव. क्या तुम ये सब करने के बाद मुझसे शादी करोगे?
देव- हाँ इतना भी यकीन नहीं है.?
अन्दर ही अन्दर मैं जानता था कि मैं कभी ज्योति से शादी नहीं करूँगा. मुझे तो इससे भी अच्छी माल की तलाश है, ऐसी माल जिसे सब चोदना चाहें. जो देखे उसकी गांड और आँखें दोनों फट जाये. मालदार असामी भी हो और मालदार आइटम भी. ज्योति दोनों में से कुछ नहीं थी मेरे नज़रों में !
ज्योति को मैंने बिस्तर पर बैठाया, उसे पानी दिया !
मैं- क्या हुआ? डर रही हो?
ज्योति- हाँ शाम हो रही है. रात भर हॉस्टल से कभी बाहर नहीं रही।
मैं- रात ऐसी बीती भी तो नहीं. सब भूल जाओ, बस प्यार करो.
ज्योति मुझसे चिपक गई.. मैंने ज्योति को लिबास से बेलिबास कर दिया. वो अब केवल ब्रा पैंटी में थी !
मैंने आज तक किसी भी लड़की को ब्रा पैंटी में नहीं देखा था. यह भी नहीं सोचा था कि बीस साल की उम्र में चुदाई का मज़ा मुझे मिल जायेगा. चाचू ने बताया था कि चोदने के लिए उन्होंने 26 साल तक शादी का इंतज़ार किया था.
मैं इतना बेसब्र हूँ पता नहीं था.. या चोदने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी मुझे.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब बारी थी मेरी चड्डी उतरने की.
मैंने अपनी चड्डी जैसे उतारी ज्योति ने आँखें बंद कर ली.
मैं- क्या हुआ ज्योति. आँखें खोल और इसे चूस.
ज्योति ने आँखें तो नहीं खोली पर लंड चूसने लगी.
मैं- अहह अह और चूस..
मेरा लंड क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया था. ज्योति के नरम होंठों ने उसे और कठोर बना दिया था।
ज्योति ने आँखें खोली !
ज्योति- ओह्ह ! कितना बड़ा है देव मैं इसी कैसे ले पाऊँगी अन्दर.?
मैं- कुछ नहीं होगा. बस लेट जाओ आराम से !
मैंने ज्योति को बिस्तर पर लिटाया और पैंटी नीचे खींच दी.
ज्योति की चूत और बगलों में एक भी बाल नहीं था. सफाचट.
उसके भूरे रंग की चूत और गुलाबी छिद्र मुझे आज भी याद है. एकदम कुंवारी चूत थी.
मैंने उसकी पतली पतली टांगों को फैलाया.. बदन के मुकाबले जांघें और कमर काफी भरी हुई थी.
ऐसे अवस्था में बीस साल की हर लड़की खूबसूरत ही लगती है. और वैसे भी मैं हर दूसरी लड़की को फैन्टेसाईज करता था।
मैंने ज्योति की टांगों को फैलाया और उसकी चूत चाटने लगा.
ज्योति- अहह ई मम्मी. बस देव छोड़ दो मुझे.
मैं- शश. धीरे बोलो !
ज्योति गरम हो रही थी. मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था. बहुत उतावला हुए जा रहा था मैं चोदने को, मैंने अपना लाल लंड सुपारा उसकी भूरी चूत में रख दिया. और धीरे धीरे घुसाने लगा।
ज्योति कसमसा रही थी.
मैंने उसकी पतली कलाई पकड़ लिया और लंड घुसता चला गया.
ज्योति- अह. अह. बस. बस. देव. मैं मर जाऊँगी.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
मेरा लंड उसके अन्दर घुस चुका था. अब ज्योति को थोड़ा आराम मिल रहा था.
ज्योति भी घस्से मारने लगी. मैंने सोचा भी नहीं था कि ज्योति भी सेक्स करने के लिए उतावली थी।
ज्योति- अह देव.. करते रहो. बस अभी झड़ मत जाना. मारते रहो !
मैं भी कभी जोर कभी धीमे घस्से मार रहा था. बहुत मज़ा आ रहा था. पहली बार चुदाई गीली गीली चूत में मेरा लण्ड फिसला जा रहा था.. बार बार घुसाना पड़ रहा था.
मैं उसके मम्मों को चूस रहा था.. मम्मे छोटे लेकिन नुकीले थे. बड़ा भूरा निप्पल था.
उसके बदन में सबसे सेक्सी उसकी गांड लगी. एकदम मुलायम.. गोल मटोल.
मैंने अपनी आँखें बंद की और निताशा कौर के बारे सोचने लगा.
निताशा मुझे कॉलेज के शुरुवाती दिनों से पसंद थी. लेकिन उसे चोदना तो दूर उससे बातें करने का दम भी नहीं था मेरे टट्टों में !
निताशा नहीं ज्योति ही सही. कम से कम चुदाई करने को चूत तो मिली. कम से कम उस रात मैंने मुठ नहीं मारी थी !
मेरे झटके और तेज़ होते चले गए. ज्योति ने मुझे कस के पकड़ा और हम दोनों ही साथ में स्खलित हो गए.
मैं- अहह जान. मज़ा आ गया.
ज्योति- अहह बस मज़े के लिए किया?
ज्योति मुझसे चिपक गई।
मैं- नहीं पगली. प्यार के लिए.
ज्योति- तुम नहीं समझोगे. एक लड़की के लिए यह दिन सबसे बड़ा होता है।
मैं- मतलब?
ज्योति- मतलब कि बुद्धू, अब मैं कुंवारी रही नहीं. आज तुमने मुझे लड़की से औरत बनाया है।
मैं- कम ओन. कैसी बात कर रही हो. गंवारों वाली !
ज्योति- कहा न. तुम नहीं समझोगे !
ज्योति मुझसे चिपक के सोने लगी. मध्यरात्रि को वो फिर मुझे उठा कर चोदने को कहने लगी !
मैंने ज्योति को फिर से चोद दिया.
सुबह जब हम दोनों होटल से चेक आउट कर रहे थे मैंने देखा ज्योति की चाल बदल गई थी.
सुना था चुदने के बाद लड़कियाँ टाँगें फैला कर चलती हैं. आज देख भी रहा था.
कुछ दिन बाद ज्योति मेरे पास आई.
ज्योति- देव फिर कब चलोगे होटल? अब बस मन करता है हर वीक एंड हम दोनों होटल में बितायें.
मैं- हाँ हाँ बस चलो इस शनिवार.
मेरे तो निकल पड़ी थी. आने वाले कॉलेज के तीन साल चुदाई का मौका बना दिया था.
सुरेंश और मनोज मेरे दोस्त हुआ करते थे. सुरेश ज्यादा क्लोज़ था सो मैंने ये बात उसे बताई.
सुरेश- हा हा ज्योति को चोदा ! कोई और लड़की नहीं मिली? श्रेया आहूजा मिल जाती तो मज़ा आ जाता यार !
मैं- क्यूँ ज्योति में क्या बुराई है?
सुरेश- ज्योति. कोई में है क्या .. न बुर न चूची बातें करे ऊँची ऊँची.
ये बात मेरे ज़हन में बस गई.
रात भर सोचा. न बुर न चूची.. मतलब लड़कों ने ज्योति को माप लिया है. उसके मम्मे छोटे है. और सेक्सी भी नहीं ! अगर लड़कों को पता चला कि मैंने ज्योति को चोदा है तो और मेरी रेटिंग कॉलेज में बढ़ेगी नहीं उल्टा घट जाएगी।
मुझे ज्योति से जयादा शायद अपनी ही रेटिंग की फ़िक्र थी. और बार बार याद आ रहा था सुरेश का कहना 'न बुर न चूची
बातें करें ऊँची ऊँची'
मैंने भी ठान लिया अब मैं निताशा कौर को चोद कर दिखाऊँगा।
निताशा कौर हमारे क्लास की सबसे सेक्सी लड़की थी. मैंने सोचा अगर किसी तरह इसी फंसा कर चोद दूँ तो मेरे भी रैंकिंग कॉलेज स्टड में आ जाएगी।
मैंने पूरे तन मन धन से निताशा के पीछे पड़ गया. ज्योति को इग्नोर करने लगा।
बात यहाँ तक आ पहुँची कि हम और निताशा डेट पर गए और कॉलेज कैंपस में एक सुनसान जगह में बैठ गए।
निताशा उस रात गुलाबी रंग का टॉप और केप्री पहनी हुई थी. बहुत सेक्सी लग रही थी.
मैंने उसे अपने करीब लाया. उसके गुलाबी होंठों में अपना होंठ रखा.
क्या बताऊँ बहुत ही रसेदार थे वो होंठ. ऐसा लग रहा था कि मैं रसगुल्ले चूस रहा था.
उसके मुँह और बदन से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी. इतना मज़ा मुझे ज्योति में कभी नहीं आया था.
मैं उसके गोल गोल मम्मों को दबाने लगा. पीछे से अपना हाथ उसके केप्री के अन्दर डाला और चूतड़ सहलाने लगा।
बहुत मुलायम थे. उसे चोदने को मन करने लगा.
मैं- डार्लिंग चलो न किसी होटल में. सेक्स करेंगे।
निताशा- आर यू मैड?
यह बोल कर वो चली गई।
मैंने घर आकर देखा तो मेरे अंडरवियर में मुठ निकला हुआ था.
अपना फोन देखा तो ज्योति के बीसियों मिस्ड कॉल थे.
मैंने ज्योति को फ़ोन किया- क्या बात है क्यूँ बार बार फ़ोन करती हो?
ज्योति- तुम्हारा मतलब क्या है? क्या अब हमारे बीच कुछ नहीं रहा?
मैं- कुछ कभी था ही नहीं तो अब क्या होगा? और वैसे भी मैं निताशा को प्यार करता हूँ और वो भी मुझे करती है।
ज्योति- निताशा?
मैं- हाँ. और वैसे भी तुम्हारी जैसे झल्ली को प्यार करूँगा मैं?
ज्योति ने फ़ोन रख दिया. वैसे भी निताशा से आज सेक्स करने का मन था और ऊपर से ज्योति की सेंटी बातें !
अगले दिन मैंने निताशा को मिलने बुलाया. फिर से उस सेक्सी को चूमने का मन था।
निताशा- हाय देव, बोलो क्यूँ बुलाया है?
मैं- घूमने चलना है?
निताशा- नहीं और कल जो हुआ बस चान्स की बात थी ! मैं तुमसे नहीं कुलश्रेष्ठ सिंह से प्यार करती हूँ।
मेरे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. इस लड़की के चलते ज्योति से भी हाथ धोना पड़ा।
मैंने ज्योति से पैच अप करने की कोशिश की लेकिन उसकी ज़िन्दगी में मनोज आ गया था।
कुछ महीने बाद मनोज ने बताया- यार किसी को बताना नहीं, कल रात मेरे और ज्योति के बीच सेक्स हो गया।
मैं- क्या?
मनोज- इसमें चौंकने वाली क्या बात है. तुम्हें नहीं पता कि ज्योति मेरी गर्लफ्रेंड है.
मैं क्या बोलता. ज्योति से ब्रेकअप के बाद किसी लड़की ने मुझे देखा तक नहीं था इन महीनों में.
मनोज- यार कल फिर होटल जा रहा हूँ ज्योति के साथ. बोल न कौन सी ड्रेस पहनूँ .. नीली शर्ट कैसी लगेगी?
मैं क्या बोलता. बस इस बात का गर्व था कि ज्योति के साथ सबसे पहले मैंने सेक्स किया था या इस बात का गर्व कि निताशा कौर जैसे लड़की को मैंने किस किया था. ये दोनों बात कोई नहीं मानता.. कॉलेज के लोग मुझे गांडू समझने लगे.
मनोज- जो कहो यार, ज्योति बहुत सेक्सी है. अब तो कॉलेज के बाकी के साल तो आराम से गुज़र जायेंगे।
इस तरह मेरे बाकी के साल बिना लड़की के गुज़र गए कॉलेज में. जॉब लगी तो ऑफिस में अधिकतर लेडी शादीशुदा हैं. अभी मेरी उम्र उनतीस हो गई है. शादी भी नहीं हुई. आखिरी चुदाई मैंने नौ साल पहले की थी.
अब अपनी दिनचर्या बताता हूँ.
सुबह उठ के ऑफिस जाता हूँ. खाली टाइम मोबाइल या लैप टॉप में HotSexStory.xyz की कहानियाँ पढता हूँ
पोर्न विडियो देखता हूँ और नंगी तस्वीरें डाउनलोड करता हूँ.
घर आते वक़्त सड़क और बस में लड़कियाँ देखता हूँ. कभी कभी स्पर्श भी हो जाये तो खुशनसीब समझता हूँ।
इस उम्र में अकेले नींद भी नहीं आती. सो बिस्तर में मुठ मारता हूँ. या बाथरूम में पोर्न मैगजीन में फोटो देखकर मुठ मारता हूँ. या सुबह नहाते वक़्त मुठ मारता हूँ.
तो मेरे ज़िन्दगी तो फक हो चुकी है.
यह कहानी थी मेरे दोस्त देव की. उसका ईमेल आया तो मैंने सोचा कि किसी की निजी ज़िन्दगी आपके सामने लेकर आऊँ.
कैसी लगी, अपनी श्रेया को ज़रूर बताना !
श्रेया आहूजा
लेखिका : श्रेया अहूजा
हाय श्रेया मैं देव. डिग्री कॉलेज वाला देव भटनागर ! सोचा बहुत दिन हो गए, बात नहीं हुई !
आखरी बार जब बात हुई थी अब तुमने पूछा था- हाउ इस लाइफ??
आज सोचा तुम्हें बताऊँ मेरी ज़िन्दगी कैसी थी, और अब कैसी है.
तुम्हें तो याद होगा ज्योति. थोड़ी सांवली सी हमारे क्लास में थी. निताशा और मनोज, सुरेश !
कॉलेज के दिनों में ज्योति मेरी अच्छी दोस्त बन गई. ज्योति उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से थी, न जाने ज्योति को कब मुझसे प्यार हो गया ! वो मुझसे बहुत प्यार करने लगी थी. हम अक्सर छुप छुप कर मिला करते थे !
मैंने भी काफी पंजाबन लड़कियों पर ट्राई मारी पर कोई हाथ न लगी तो सोचा हाथ से कब तक मुठ मारूँ. एक बार ज्योति की चुदाई की कोशिश करता हूँ !
मैंने ज्योति को मिलने होटल में बुलाया, बजट कम था इसीलिए हज़ार रुपये का कमरा लिया।
हाँ कोई खतरा नहीं था, होटल का कमरा अच्छा ही था, मैंने झट से ए.सी. चालू किया और इंतज़ार करने लगा ज्योति का !
तभी बेल बजी कमरे की, दरवाजा खोला, ज्योति ही थी.. नीले रंग की कसी हुई कुर्ती और सफ़ेद पजामा में सेक्सी लग रही थी..
मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और ज्योति को करीब खींचा !
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रखा और चूसने लगा, चूसते चूसते मैंने अपने दोनों हाथों को ज्योति के दोनों कूल्हों पर रखा, दबाया और उसकी चूत को अपने लंड के करीब लाया।
ज्योति तभी अचानक पीछे हो गई.
ज्योति- यह सब ठीक नहीं है देव..
मैं- क्यूँ. क्या बुराई है? सभी करते हैं.
ज्योति- पर मैं वैसी नहीं हूँ देव. क्या तुम ये सब करने के बाद मुझसे शादी करोगे?
देव- हाँ इतना भी यकीन नहीं है.?
अन्दर ही अन्दर मैं जानता था कि मैं कभी ज्योति से शादी नहीं करूँगा. मुझे तो इससे भी अच्छी माल की तलाश है, ऐसी माल जिसे सब चोदना चाहें. जो देखे उसकी गांड और आँखें दोनों फट जाये. मालदार असामी भी हो और मालदार आइटम भी. ज्योति दोनों में से कुछ नहीं थी मेरे नज़रों में !
ज्योति को मैंने बिस्तर पर बैठाया, उसे पानी दिया !
मैं- क्या हुआ? डर रही हो?
ज्योति- हाँ शाम हो रही है. रात भर हॉस्टल से कभी बाहर नहीं रही।
मैं- रात ऐसी बीती भी तो नहीं. सब भूल जाओ, बस प्यार करो.
ज्योति मुझसे चिपक गई.. मैंने ज्योति को लिबास से बेलिबास कर दिया. वो अब केवल ब्रा पैंटी में थी !
मैंने आज तक किसी भी लड़की को ब्रा पैंटी में नहीं देखा था. यह भी नहीं सोचा था कि बीस साल की उम्र में चुदाई का मज़ा मुझे मिल जायेगा. चाचू ने बताया था कि चोदने के लिए उन्होंने 26 साल तक शादी का इंतज़ार किया था.
मैं इतना बेसब्र हूँ पता नहीं था.. या चोदने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी मुझे.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब बारी थी मेरी चड्डी उतरने की.
मैंने अपनी चड्डी जैसे उतारी ज्योति ने आँखें बंद कर ली.
मैं- क्या हुआ ज्योति. आँखें खोल और इसे चूस.
ज्योति ने आँखें तो नहीं खोली पर लंड चूसने लगी.
मैं- अहह अह और चूस..
मेरा लंड क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया था. ज्योति के नरम होंठों ने उसे और कठोर बना दिया था।
ज्योति ने आँखें खोली !
ज्योति- ओह्ह ! कितना बड़ा है देव मैं इसी कैसे ले पाऊँगी अन्दर.?
मैं- कुछ नहीं होगा. बस लेट जाओ आराम से !
मैंने ज्योति को बिस्तर पर लिटाया और पैंटी नीचे खींच दी.
ज्योति की चूत और बगलों में एक भी बाल नहीं था. सफाचट.
उसके भूरे रंग की चूत और गुलाबी छिद्र मुझे आज भी याद है. एकदम कुंवारी चूत थी.
मैंने उसकी पतली पतली टांगों को फैलाया.. बदन के मुकाबले जांघें और कमर काफी भरी हुई थी.
ऐसे अवस्था में बीस साल की हर लड़की खूबसूरत ही लगती है. और वैसे भी मैं हर दूसरी लड़की को फैन्टेसाईज करता था।
मैंने ज्योति की टांगों को फैलाया और उसकी चूत चाटने लगा.
ज्योति- अहह ई मम्मी. बस देव छोड़ दो मुझे.
मैं- शश. धीरे बोलो !
ज्योति गरम हो रही थी. मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था. बहुत उतावला हुए जा रहा था मैं चोदने को, मैंने अपना लाल लंड सुपारा उसकी भूरी चूत में रख दिया. और धीरे धीरे घुसाने लगा।
ज्योति कसमसा रही थी.
मैंने उसकी पतली कलाई पकड़ लिया और लंड घुसता चला गया.
ज्योति- अह. अह. बस. बस. देव. मैं मर जाऊँगी.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
मेरा लंड उसके अन्दर घुस चुका था. अब ज्योति को थोड़ा आराम मिल रहा था.
ज्योति भी घस्से मारने लगी. मैंने सोचा भी नहीं था कि ज्योति भी सेक्स करने के लिए उतावली थी।
ज्योति- अह देव.. करते रहो. बस अभी झड़ मत जाना. मारते रहो !
मैं भी कभी जोर कभी धीमे घस्से मार रहा था. बहुत मज़ा आ रहा था. पहली बार चुदाई गीली गीली चूत में मेरा लण्ड फिसला जा रहा था.. बार बार घुसाना पड़ रहा था.
मैं उसके मम्मों को चूस रहा था.. मम्मे छोटे लेकिन नुकीले थे. बड़ा भूरा निप्पल था.
उसके बदन में सबसे सेक्सी उसकी गांड लगी. एकदम मुलायम.. गोल मटोल.
मैंने अपनी आँखें बंद की और निताशा कौर के बारे सोचने लगा.
निताशा मुझे कॉलेज के शुरुवाती दिनों से पसंद थी. लेकिन उसे चोदना तो दूर उससे बातें करने का दम भी नहीं था मेरे टट्टों में !
निताशा नहीं ज्योति ही सही. कम से कम चुदाई करने को चूत तो मिली. कम से कम उस रात मैंने मुठ नहीं मारी थी !
मेरे झटके और तेज़ होते चले गए. ज्योति ने मुझे कस के पकड़ा और हम दोनों ही साथ में स्खलित हो गए.
मैं- अहह जान. मज़ा आ गया.
ज्योति- अहह बस मज़े के लिए किया?
ज्योति मुझसे चिपक गई।
मैं- नहीं पगली. प्यार के लिए.
ज्योति- तुम नहीं समझोगे. एक लड़की के लिए यह दिन सबसे बड़ा होता है।
मैं- मतलब?
ज्योति- मतलब कि बुद्धू, अब मैं कुंवारी रही नहीं. आज तुमने मुझे लड़की से औरत बनाया है।
मैं- कम ओन. कैसी बात कर रही हो. गंवारों वाली !
ज्योति- कहा न. तुम नहीं समझोगे !
ज्योति मुझसे चिपक के सोने लगी. मध्यरात्रि को वो फिर मुझे उठा कर चोदने को कहने लगी !
मैंने ज्योति को फिर से चोद दिया.
सुबह जब हम दोनों होटल से चेक आउट कर रहे थे मैंने देखा ज्योति की चाल बदल गई थी.
सुना था चुदने के बाद लड़कियाँ टाँगें फैला कर चलती हैं. आज देख भी रहा था.
कुछ दिन बाद ज्योति मेरे पास आई.
ज्योति- देव फिर कब चलोगे होटल? अब बस मन करता है हर वीक एंड हम दोनों होटल में बितायें.
मैं- हाँ हाँ बस चलो इस शनिवार.
मेरे तो निकल पड़ी थी. आने वाले कॉलेज के तीन साल चुदाई का मौका बना दिया था.
सुरेंश और मनोज मेरे दोस्त हुआ करते थे. सुरेश ज्यादा क्लोज़ था सो मैंने ये बात उसे बताई.
सुरेश- हा हा ज्योति को चोदा ! कोई और लड़की नहीं मिली? श्रेया आहूजा मिल जाती तो मज़ा आ जाता यार !
मैं- क्यूँ ज्योति में क्या बुराई है?
सुरेश- ज्योति. कोई में है क्या .. न बुर न चूची बातें करे ऊँची ऊँची.
ये बात मेरे ज़हन में बस गई.
रात भर सोचा. न बुर न चूची.. मतलब लड़कों ने ज्योति को माप लिया है. उसके मम्मे छोटे है. और सेक्सी भी नहीं ! अगर लड़कों को पता चला कि मैंने ज्योति को चोदा है तो और मेरी रेटिंग कॉलेज में बढ़ेगी नहीं उल्टा घट जाएगी।
मुझे ज्योति से जयादा शायद अपनी ही रेटिंग की फ़िक्र थी. और बार बार याद आ रहा था सुरेश का कहना 'न बुर न चूची
बातें करें ऊँची ऊँची'
मैंने भी ठान लिया अब मैं निताशा कौर को चोद कर दिखाऊँगा।
निताशा कौर हमारे क्लास की सबसे सेक्सी लड़की थी. मैंने सोचा अगर किसी तरह इसी फंसा कर चोद दूँ तो मेरे भी रैंकिंग कॉलेज स्टड में आ जाएगी।
मैंने पूरे तन मन धन से निताशा के पीछे पड़ गया. ज्योति को इग्नोर करने लगा।
बात यहाँ तक आ पहुँची कि हम और निताशा डेट पर गए और कॉलेज कैंपस में एक सुनसान जगह में बैठ गए।
निताशा उस रात गुलाबी रंग का टॉप और केप्री पहनी हुई थी. बहुत सेक्सी लग रही थी.
मैंने उसे अपने करीब लाया. उसके गुलाबी होंठों में अपना होंठ रखा.
क्या बताऊँ बहुत ही रसेदार थे वो होंठ. ऐसा लग रहा था कि मैं रसगुल्ले चूस रहा था.
उसके मुँह और बदन से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी. इतना मज़ा मुझे ज्योति में कभी नहीं आया था.
मैं उसके गोल गोल मम्मों को दबाने लगा. पीछे से अपना हाथ उसके केप्री के अन्दर डाला और चूतड़ सहलाने लगा।
बहुत मुलायम थे. उसे चोदने को मन करने लगा.
मैं- डार्लिंग चलो न किसी होटल में. सेक्स करेंगे।
निताशा- आर यू मैड?
यह बोल कर वो चली गई।
मैंने घर आकर देखा तो मेरे अंडरवियर में मुठ निकला हुआ था.
अपना फोन देखा तो ज्योति के बीसियों मिस्ड कॉल थे.
मैंने ज्योति को फ़ोन किया- क्या बात है क्यूँ बार बार फ़ोन करती हो?
ज्योति- तुम्हारा मतलब क्या है? क्या अब हमारे बीच कुछ नहीं रहा?
मैं- कुछ कभी था ही नहीं तो अब क्या होगा? और वैसे भी मैं निताशा को प्यार करता हूँ और वो भी मुझे करती है।
ज्योति- निताशा?
मैं- हाँ. और वैसे भी तुम्हारी जैसे झल्ली को प्यार करूँगा मैं?
ज्योति ने फ़ोन रख दिया. वैसे भी निताशा से आज सेक्स करने का मन था और ऊपर से ज्योति की सेंटी बातें !
अगले दिन मैंने निताशा को मिलने बुलाया. फिर से उस सेक्सी को चूमने का मन था।
निताशा- हाय देव, बोलो क्यूँ बुलाया है?
मैं- घूमने चलना है?
निताशा- नहीं और कल जो हुआ बस चान्स की बात थी ! मैं तुमसे नहीं कुलश्रेष्ठ सिंह से प्यार करती हूँ।
मेरे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. इस लड़की के चलते ज्योति से भी हाथ धोना पड़ा।
मैंने ज्योति से पैच अप करने की कोशिश की लेकिन उसकी ज़िन्दगी में मनोज आ गया था।
कुछ महीने बाद मनोज ने बताया- यार किसी को बताना नहीं, कल रात मेरे और ज्योति के बीच सेक्स हो गया।
मैं- क्या?
मनोज- इसमें चौंकने वाली क्या बात है. तुम्हें नहीं पता कि ज्योति मेरी गर्लफ्रेंड है.
मैं क्या बोलता. ज्योति से ब्रेकअप के बाद किसी लड़की ने मुझे देखा तक नहीं था इन महीनों में.
मनोज- यार कल फिर होटल जा रहा हूँ ज्योति के साथ. बोल न कौन सी ड्रेस पहनूँ .. नीली शर्ट कैसी लगेगी?
मैं क्या बोलता. बस इस बात का गर्व था कि ज्योति के साथ सबसे पहले मैंने सेक्स किया था या इस बात का गर्व कि निताशा कौर जैसे लड़की को मैंने किस किया था. ये दोनों बात कोई नहीं मानता.. कॉलेज के लोग मुझे गांडू समझने लगे.
मनोज- जो कहो यार, ज्योति बहुत सेक्सी है. अब तो कॉलेज के बाकी के साल तो आराम से गुज़र जायेंगे।
इस तरह मेरे बाकी के साल बिना लड़की के गुज़र गए कॉलेज में. जॉब लगी तो ऑफिस में अधिकतर लेडी शादीशुदा हैं. अभी मेरी उम्र उनतीस हो गई है. शादी भी नहीं हुई. आखिरी चुदाई मैंने नौ साल पहले की थी.
अब अपनी दिनचर्या बताता हूँ.
सुबह उठ के ऑफिस जाता हूँ. खाली टाइम मोबाइल या लैप टॉप में HotSexStory.xyz की कहानियाँ पढता हूँ
पोर्न विडियो देखता हूँ और नंगी तस्वीरें डाउनलोड करता हूँ.
घर आते वक़्त सड़क और बस में लड़कियाँ देखता हूँ. कभी कभी स्पर्श भी हो जाये तो खुशनसीब समझता हूँ।
इस उम्र में अकेले नींद भी नहीं आती. सो बिस्तर में मुठ मारता हूँ. या बाथरूम में पोर्न मैगजीन में फोटो देखकर मुठ मारता हूँ. या सुबह नहाते वक़्त मुठ मारता हूँ.
तो मेरे ज़िन्दगी तो फक हो चुकी है.
यह कहानी थी मेरे दोस्त देव की. उसका ईमेल आया तो मैंने सोचा कि किसी की निजी ज़िन्दगी आपके सामने लेकर आऊँ.
कैसी लगी, अपनी श्रेया को ज़रूर बताना !
श्रेया आहूजा