नमस्कार दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है।
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। पर पहली बार मैं अपना अनुभव आप लोगों के सामने रख रही हूँ।
अगर कुछ गलती हो जाए तो माफ कर दीजिएगा।
मेरा नाम श्रद्धा है, मैं एक छोटे से गाँव की रहने वाली लड़की हूँ और पिछले साल ही मैंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है।
आगे की पढ़ाई के लिए मैं अब शहर में आई हूँ।
एक साल तो यूं ही निकल गया, पता भी नहीं चला, ऐसा लगा जैसे अभी-अभी ही मैं आई हूँ।
मैं शहर में नई थी। पहली बार घर छोड़ कर घर से दूर रहने आई थी। कॉलेज में एडमिशन लिया, रहने के लिए कॉलेज के ही हॉस्टल में कमरा लिया।
शुरुआत में अजीब लगता था लेकिन बाद में आदत हो गई।
हॉस्टल में मेरे कमरे में एक और लड़की की थी, मतलब वो हम दोनों का ही कमरा था। उसका नाम स्नेहल था। अच्छे घर की लड़की थी, मॉर्डन थी।
हम दोनों में दोस्ती हो गई। अच्छी-खासी दोस्ती होने के बाद हम लोग पढ़ाई करने लगी।
दोनों ही पढ़ाई में अच्छी हैं, पेपर हो गए, फिर हम छुट्टियों के लिए घर गए।
छुट्टियाँ खत्म हुईं, फिर से कॉलेज शुरु हो गया।
घर से आते वक्त स्नेहल अपने साथ नया मोबाइल लाई। मेरे पास तो था नहीं, तो मैं भी उसका ही ले लेती थी जरूरत होने पर।
उसमें नेट भी था, मुझे तो आता नहीं था, लेकिन उसे आता था, कभी-कभी वो मुझे सिखाती थी।
एक दिन हम दोनों रात के वक्त खाना खा कर पढ़ाई कर रहे थे।
उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था तो वो मोबाइल लेकर बैठी गई।थोड़ी देर बाद अचानक मेरे पास मोबाइल लेकर आई और तस्वीरें दिखाने लगी।
पहले तो मैंने अनदेखा कर दिया, लेकिन तस्वीरें मुझे अजीब सी लगीं।
गौर से देखने के बाद मुझे पता चला कि वो नंगी तस्वीरें हैं।
मैंने कहा- छी.. ये कैसी गंदी तस्वीरें हैं..!
फिर उसने मुझे समझाया कि इसे सेक्स कहते हैं और उसे करने में बहुत मजा आता है।
स्नेहल ने मुझे फ़िर बताने लगी कि कैसे वो उसके पापा-मम्मी का चुदाई का खेल छुप-छुप कर देखा करती थी और मजे लेती थी।
मैं भी पढ़ाई छोड़कर उसकी बातें सुनने लगी।
मेरी रुचि भी बढ़ने लगी और मैं उसकी बातों में इतना खो गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब स्नेहल ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए।
मेरा जब ध्यान गया मैं उससे अलग हो गई।
उसने कहा- क्या हुआ.. बुरा लगा क्या..!
मैंने कहा- नहीं…!
तो वो फ़िर से मेरे पास आई, मैं उसकी तरफ़ देख रही थी। उसने मेरे बाल मेरे कानों के पीछे किए और फिर से मुझे चुम्बन किया।
मैंने कहा- यह ठीक नहीं है..!
उसने कहा- कुछ नहीं होता..!
और कस कर मुझे चुम्बन करने लगी।
मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगी और मजे लेने लगी।
उसने फ़िर धीरे-धीरे अपने हाथों से मेरे बालों को सहलाया, फ़िर वो पीठ को सहलाने लगी।
धीरे-धीरे उसके हाथ मेरे वक्ष पर आ गए और स्नेहल उन्हें सहलाने, दबाने लगी।
हमारी चूमा-चाटी भी चल रही थी।
उसने फ़िर मेरी कमीज उतारी, मैं भी उसका साथ दे रही थी।
उसने ब्रा भी निकाली, मेरे वक्ष भी बाहर आने की राह देख रहे थे। जैसे ही ब्रा फ़ेंकी, उसने मेरा एक वक्ष अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
मैं गर्म होती जा रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ ‘अमहअमह… आ… अहा… अम्ह…..आह्ह..’ निकल रही थीं।
बाद में उसने झटके से मेरी सलवार खींचीं, पैन्टी के ऊपर से ही मेरी योनि को सहलाने लगी, जो गीली हो गई थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने कहा- इतनी जल्दी.. अरे और बहुत कुछ बाकी है।
फ़िर उसने पैन्टी भी निकाल दी। अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी।
उसने अपनी एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मैं चिल्लाई.. फ़िर उसने धीरे से ऊँगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगी।
मेरे मुँह से आवाजें आ रही थीं- आह… आह… आ… आ… आ.. ओ… धीरे.. आ.. आह… आ…!
उसने फ़िर उनगली बाहर निकाली जो मेरे योनिरस से पूरी गीली हो गई थी, मैं मजे ले रही थी।
उसने कहा- क्यूँ.. मजे आ रहे हैं.. या नहीं..!
मैंने कहा- बहुत..!
फ़िर उसने अपनी जुबान मेरे योनि पर रख दी। मैं थरथराई और स्नेहल मेरी योनि चाटने लगी।
मैंने ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, इसी बीच मैं झड़ गई, स्नेहल ने पूरा मेरा योनि-रस पी लिया।
उसने कहा- अकेली ही मजे लेगी क्या? मुझे भी जरा मजे दिला.. चल अब मेरी बारी…!
मैंने भी कहा- हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. हो जा तैयार..!
मैंने उसे कस कर अपने आलिंगन में भींचा और उसके गर्दन पर चुम्बन करके दांत से काट लिया।
वो चिल्लाई, “आउच.. अरे धीरे से यार..!
“ओके… ओके..!”
फ़िर उसके कानों को चूमते हुए उसके गालों पर से हाथ फ़िराते हुए, उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके नीचे के होंठों को चूसने लगी।
फ़िर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसकी जीभ के साथ लड़ाई करने लगी।
फ़िर उसकी ब्रा खोली, जो अभी तक उसने खोली नहीं थीं। उसके उरोज देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए।
इतने बड़े..!!
फ़िर उन्हें हाथ में लिया, जो हाथ में नहीं आ रहे थे। उसके मस्त पपीतों को एक हाथ से दबाने लगी और एक हाथ पीठ पर फ़िराने लगी।
वो गर्म हो रही थी। फ़िर मैंने अपना मुँह उसके पपीतों पर रख दिया और एक-एक करके चूसने लगी।
स्नेहल मस्त हो रही थी और मादक आवाजें उसके मुँह से निकल रही थीं, “आअह आअह अहम आ अम्मम आ आ..!”
दोनों उरोजों को चूसने के बाद मैंने अपना एक हाथ स्नेहल की पैन्टी में डाल दिया।
वो चिहुंक उठी।
मैंने बाद में उसे बेड पर लेटने को कहा और उसके उरोजों को चूमते हुए उसके पेट पर चुम्बन करने लगी और झटके से उसकी पैन्टी निकाल फ़ेंकी।
उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था, वो होश में नहीं थी। मैंने उसकी योनि पर चुम्बन किया तो उसकी योनि गीली हो चुकी थी।
फ़िर मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि के अन्दर डाल दी।
उसे बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना काम जारी रखा और ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगी।
उसकी आवाजें निकल रही थीं, “आ आह आह आ अमम आह आआह जोर से आ आ आह आआह अम्म आ..!”
स्नेहल ने कहा- यार श्रद्धा मैं तो झड़ गई।
मैंने अपनी उंगली निकाली और चाट ली।
फ़िर उसके पैरों पर चुम्बन करके ऊँगलियाँ फ़िराने लगी। उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
पैरों पर चूम कर मैं वापिस योनि की तरफ़ आ गई। मैंने अपना मुँह स्नेहल की योनि पर रख दिया और चाटने लगी।
फ़िर अपनी जीभ मैंने उसके योनि के अन्दर डाल दी, वो चिल्लाई और मस्त हो कर आवाजें निकालने लगी, “आ आ आह आ ओ आह आ आ ओ आ आह आ आ आआआह ओ आ आ आअ..!”
करते ही जोर से झड़ गई।
मैंने पूरा रस पी लिया और मस्त हो गई। दोनों को भी इसमे बहुत मजा आया और ढेर होकर दोनों हम एक-दूसरे से नंगी ही लिपटकर सो गईं।
आज भी हम वक्त मिलने पर एक-दूसरे के साथ लेस्बीयन सेक्स करते हैं।
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। पर पहली बार मैं अपना अनुभव आप लोगों के सामने रख रही हूँ।
अगर कुछ गलती हो जाए तो माफ कर दीजिएगा।
मेरा नाम श्रद्धा है, मैं एक छोटे से गाँव की रहने वाली लड़की हूँ और पिछले साल ही मैंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है।
आगे की पढ़ाई के लिए मैं अब शहर में आई हूँ।
एक साल तो यूं ही निकल गया, पता भी नहीं चला, ऐसा लगा जैसे अभी-अभी ही मैं आई हूँ।
मैं शहर में नई थी। पहली बार घर छोड़ कर घर से दूर रहने आई थी। कॉलेज में एडमिशन लिया, रहने के लिए कॉलेज के ही हॉस्टल में कमरा लिया।
शुरुआत में अजीब लगता था लेकिन बाद में आदत हो गई।
हॉस्टल में मेरे कमरे में एक और लड़की की थी, मतलब वो हम दोनों का ही कमरा था। उसका नाम स्नेहल था। अच्छे घर की लड़की थी, मॉर्डन थी।
हम दोनों में दोस्ती हो गई। अच्छी-खासी दोस्ती होने के बाद हम लोग पढ़ाई करने लगी।
दोनों ही पढ़ाई में अच्छी हैं, पेपर हो गए, फिर हम छुट्टियों के लिए घर गए।
छुट्टियाँ खत्म हुईं, फिर से कॉलेज शुरु हो गया।
घर से आते वक्त स्नेहल अपने साथ नया मोबाइल लाई। मेरे पास तो था नहीं, तो मैं भी उसका ही ले लेती थी जरूरत होने पर।
उसमें नेट भी था, मुझे तो आता नहीं था, लेकिन उसे आता था, कभी-कभी वो मुझे सिखाती थी।
एक दिन हम दोनों रात के वक्त खाना खा कर पढ़ाई कर रहे थे।
उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था तो वो मोबाइल लेकर बैठी गई।थोड़ी देर बाद अचानक मेरे पास मोबाइल लेकर आई और तस्वीरें दिखाने लगी।
पहले तो मैंने अनदेखा कर दिया, लेकिन तस्वीरें मुझे अजीब सी लगीं।
गौर से देखने के बाद मुझे पता चला कि वो नंगी तस्वीरें हैं।
मैंने कहा- छी.. ये कैसी गंदी तस्वीरें हैं..!
फिर उसने मुझे समझाया कि इसे सेक्स कहते हैं और उसे करने में बहुत मजा आता है।
स्नेहल ने मुझे फ़िर बताने लगी कि कैसे वो उसके पापा-मम्मी का चुदाई का खेल छुप-छुप कर देखा करती थी और मजे लेती थी।
मैं भी पढ़ाई छोड़कर उसकी बातें सुनने लगी।
मेरी रुचि भी बढ़ने लगी और मैं उसकी बातों में इतना खो गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब स्नेहल ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए।
मेरा जब ध्यान गया मैं उससे अलग हो गई।
उसने कहा- क्या हुआ.. बुरा लगा क्या..!
मैंने कहा- नहीं…!
तो वो फ़िर से मेरे पास आई, मैं उसकी तरफ़ देख रही थी। उसने मेरे बाल मेरे कानों के पीछे किए और फिर से मुझे चुम्बन किया।
मैंने कहा- यह ठीक नहीं है..!
उसने कहा- कुछ नहीं होता..!
और कस कर मुझे चुम्बन करने लगी।
मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगी और मजे लेने लगी।
उसने फ़िर धीरे-धीरे अपने हाथों से मेरे बालों को सहलाया, फ़िर वो पीठ को सहलाने लगी।
धीरे-धीरे उसके हाथ मेरे वक्ष पर आ गए और स्नेहल उन्हें सहलाने, दबाने लगी।
हमारी चूमा-चाटी भी चल रही थी।
उसने फ़िर मेरी कमीज उतारी, मैं भी उसका साथ दे रही थी।
उसने ब्रा भी निकाली, मेरे वक्ष भी बाहर आने की राह देख रहे थे। जैसे ही ब्रा फ़ेंकी, उसने मेरा एक वक्ष अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
मैं गर्म होती जा रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ ‘अमहअमह… आ… अहा… अम्ह…..आह्ह..’ निकल रही थीं।
बाद में उसने झटके से मेरी सलवार खींचीं, पैन्टी के ऊपर से ही मेरी योनि को सहलाने लगी, जो गीली हो गई थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने कहा- इतनी जल्दी.. अरे और बहुत कुछ बाकी है।
फ़िर उसने पैन्टी भी निकाल दी। अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी।
उसने अपनी एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मैं चिल्लाई.. फ़िर उसने धीरे से ऊँगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगी।
मेरे मुँह से आवाजें आ रही थीं- आह… आह… आ… आ… आ.. ओ… धीरे.. आ.. आह… आ…!
उसने फ़िर उनगली बाहर निकाली जो मेरे योनिरस से पूरी गीली हो गई थी, मैं मजे ले रही थी।
उसने कहा- क्यूँ.. मजे आ रहे हैं.. या नहीं..!
मैंने कहा- बहुत..!
फ़िर उसने अपनी जुबान मेरे योनि पर रख दी। मैं थरथराई और स्नेहल मेरी योनि चाटने लगी।
मैंने ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, इसी बीच मैं झड़ गई, स्नेहल ने पूरा मेरा योनि-रस पी लिया।
उसने कहा- अकेली ही मजे लेगी क्या? मुझे भी जरा मजे दिला.. चल अब मेरी बारी…!
मैंने भी कहा- हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. हो जा तैयार..!
मैंने उसे कस कर अपने आलिंगन में भींचा और उसके गर्दन पर चुम्बन करके दांत से काट लिया।
वो चिल्लाई, “आउच.. अरे धीरे से यार..!
“ओके… ओके..!”
फ़िर उसके कानों को चूमते हुए उसके गालों पर से हाथ फ़िराते हुए, उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके नीचे के होंठों को चूसने लगी।
फ़िर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसकी जीभ के साथ लड़ाई करने लगी।
फ़िर उसकी ब्रा खोली, जो अभी तक उसने खोली नहीं थीं। उसके उरोज देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए।
इतने बड़े..!!
फ़िर उन्हें हाथ में लिया, जो हाथ में नहीं आ रहे थे। उसके मस्त पपीतों को एक हाथ से दबाने लगी और एक हाथ पीठ पर फ़िराने लगी।
वो गर्म हो रही थी। फ़िर मैंने अपना मुँह उसके पपीतों पर रख दिया और एक-एक करके चूसने लगी।
स्नेहल मस्त हो रही थी और मादक आवाजें उसके मुँह से निकल रही थीं, “आअह आअह अहम आ अम्मम आ आ..!”
दोनों उरोजों को चूसने के बाद मैंने अपना एक हाथ स्नेहल की पैन्टी में डाल दिया।
वो चिहुंक उठी।
मैंने बाद में उसे बेड पर लेटने को कहा और उसके उरोजों को चूमते हुए उसके पेट पर चुम्बन करने लगी और झटके से उसकी पैन्टी निकाल फ़ेंकी।
उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था, वो होश में नहीं थी। मैंने उसकी योनि पर चुम्बन किया तो उसकी योनि गीली हो चुकी थी।
फ़िर मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि के अन्दर डाल दी।
उसे बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना काम जारी रखा और ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगी।
उसकी आवाजें निकल रही थीं, “आ आह आह आ अमम आह आआह जोर से आ आ आह आआह अम्म आ..!”
स्नेहल ने कहा- यार श्रद्धा मैं तो झड़ गई।
मैंने अपनी उंगली निकाली और चाट ली।
फ़िर उसके पैरों पर चुम्बन करके ऊँगलियाँ फ़िराने लगी। उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
पैरों पर चूम कर मैं वापिस योनि की तरफ़ आ गई। मैंने अपना मुँह स्नेहल की योनि पर रख दिया और चाटने लगी।
फ़िर अपनी जीभ मैंने उसके योनि के अन्दर डाल दी, वो चिल्लाई और मस्त हो कर आवाजें निकालने लगी, “आ आ आह आ ओ आह आ आ ओ आ आह आ आ आआआह ओ आ आ आअ..!”
करते ही जोर से झड़ गई।
मैंने पूरा रस पी लिया और मस्त हो गई। दोनों को भी इसमे बहुत मजा आया और ढेर होकर दोनों हम एक-दूसरे से नंगी ही लिपटकर सो गईं।
आज भी हम वक्त मिलने पर एक-दूसरे के साथ लेस्बीयन सेक्स करते हैं।