पहले प्यार का पहला एहसास

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फिर मैं उसे उठाये हुए घूमने लगा. थोड़ी देर बाद हम थक गए और दोनों जमीन पर गिर गए. अब वो आँखें बन्द करके लेटी थी. तब मैंने अपना हाथ उसके स्तनों पर रख दिया. वो बिल्कुल नहीं हिली. इसलिए फिर धीरे – धीरे मैं उन्हें सहलाने लगा. उसकी साँसें तेज़ होने लगी और फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया…

अन्तर्वसना के पाठकों को मेरा नमस्कार! मैं समीर, मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच और वजन 66 किलो है और मैं अच्छे चेहरे के साथ – साथ मस्क्युलर बॉडी का मालिक हूँ.

हम दोनों दिल्ली से हैं. उसे स्कूटी लेनी थी पर लेने से पहले वो चलाना सीखना चाहती थी. मेरे पास बाइक थी तो उसने मुझे एक दिन कॉल किया और अपनी प्रॉब्लम बताई. मैंने ख़ुशी – ख़ुशी हाँ कर दी.

दरअसल उसकी नज़रों में मेरी क्लीन इमेज तब से ही थी, जब हम साथ पढ़ा करते थे. मैं पढने में तेज़ हुआ करता था तो वो मेरे साथ ही बैठा करती थी. जल्दी ही वो जान गई थी कि मेरे मन में उसके लिए फीलिंग्स पैदा हो चुकी हैं और फिर उसने मुझसे दूरी बना ली थी. लेकिन फिर भी वो मुझे बहुत ईमानदार और अच्छा इंसान मानती थी, इसलिए उसने बाइक सिखाने के लिए मुझसे कहा.

अब आपका इंतज़ार खत्म करते हुए मैं उसके हुस्न पर आता हूँ. उसका नाम श्रुति है और उसकी हाइट 5 फुट 3 इंच है. उसका दूधिया रंग और 54 किलो वजन की वजह से भरा हुआ शरीर, मस्त उठे हुए 34बी के स्तन, 30 की बलखाती कमर और 34 के उठे हुए कूल्हे बहुत सेक्सी लगते थे.

जब वो चलती थी तो उसके कमर और कूल्हे ऐसे मटकते थे जैसे दो खरबूजे साथ में रखे हो और ऊपर – नीचे हो रहे हों. कुल मिला के वो एक सेक्स बम थी जो अपने हुस्न से किसी का भी लण्ड खड़ा कर दे.

मई का महीना था और बहुत ही तेज़ गर्मी पड़ रही थी पर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और उसको बाइक सिखाने की क्लास शुरू कर दी. शुरू में मैं थोड़ा अनकंफर्टेबल फील कर रहा था तो उसे ठीक से सिखा नहीं पा रहा था.

इस स्थिति को समझते हुए उसने मुझसे कहा कि तुम समझो कि एक लड़के को सीखा रहे हो और फ्री माइंड से मुझे सिखाओ. बस फिर क्या था, मैं उसके पीछे बैठ कर हैंडल पकड़ कर उसे सिखाने लगा. फिर धीरे – धीरे हम खुल गए.

मैं उसके पीछे चिपक कर बैठता था और उसके बदन की खुशबू लेता रहता था और जब मैं उसे पीछे बिठा कर मेरे हाथों के मूवमेंट्स देखने के लिए कहता तो उसके टाइट और मोटे स्तन मेरी पीठ पर रगड़ने लगते. जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था.

हमें बहुत मज़ा आने लगा था. कुछ दिनों बाद जब उसे बाइक चलानी आ गयी तो हम हाईवे पर भी जाने लगे थे. अब हम रोज़ राइडिंग किया करते थे. एक दिन उसने कहा कि मुझे लाइफ में बियर जरूर पीनी है.

फिर मैं अगले ही दिन 2 बियर लेकर पहुँच गया. पहले तो वो मना करने लगी पर मेरे समझाने पर कि ज्यादा नशा नहीं होगा न ही नशा ज्यादा देर तक रहेगा वो मान गयी. इसके बाद हम एक सुनसान पार्क में गए और वहीं बैठ कर हमने वो बियर पी.

बियर पीकर वो मदहोश सी होने लगी और मेरे गोद में अपना सर रख कर लेट गयी. फिर मैं उसके माथे पर हाथ फेरने लगा. मुझ पर भी अब बियर का असर होने लगा था. जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी तो मैंने झुक कर उसके गालों को चूम लिया. इस पर उसने कोई रिएक्ट नहीं किया.

फिर मैं उसके गले पर चूमने लगा तो उसने अचानक से उठ कर मुझे हग कर लिया. इसके बाद फिर मैंने डरते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. जिस पर उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया.

फिर वो मेरी धड़कन सुनने के बहाने मेरे सीने से लग गई. अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था. फिर मैंने भी उसकी धड़कन सुनने के लिए रिक्वेस्ट की और उसने अपनी बाहें खोल दी. अब मैंने अपना कान उसके बाएं स्तन पर लगा दिया. फिर श्रुति बोली -क्या आवाज़ आ रही है मेरी धड़कन से?

मैं बोला – ढंग से सुनाई नहीं दे रहा है.

तो उसने मेरे सर को और जोर से अपने स्तन पर दबा लिया. अब हम दोनों एक दम मदहोश हो चुके थे और एक ऐसे रिश्ते का जन्म हो चुका था जिसका कोई नाम नहीं था पर वो दोस्ती से बढ़ कर था और हम दोनों को अच्छा लग रहा था.

फिर उसने मुझे अपने आप को उठाने के लिए कहा तो मैंने उसे बेंच पर खड़ा किया और उसके उठे हुए कूल्हों पर दोनों हाथों का घेरा बना कर कस कर अपने से चिपका के उठा लिया. वो दोनों हाथ खोल के मेरी बाहों में झूमने लगी.

फिर मैं उसे उठाये हुए घूमने लगा. थोड़ी देर बाद हम थक गए और दोनों जमीन पर गिर गए. अब वो आँखें बन्द करके लेटी थी. तब मैंने अपना हाथ उसके स्तनों पर रख दिया. वो बिल्कुल नहीं हिली. इसलिए फिर धीरे – धीरे मैं उन्हें सहलाने लगा. उसकी साँसें तेज़ होने लगी और फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

अब हम दोनों एक – दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैं उसके सूट के ऊपर से ही उसके स्तनों को सहला रहा था और उसके कूल्हों को भी दबा रहा था. हम दोनों खुद के ऊपर से कंट्रोल खो चुके थे. फिर मैंने उसका सूट ऊपर करना चाहा पर उसने अपने पैर मोड़ लिए और मुझसे रिक्वेस्ट करने लगी कि ये गलत है और यहाँ पर कोई भी आ सकता है.

तब मुझे होश आया कि हम खुले पार्क में लेट कर ये सब कर रहे हैं और हमारे लिए यह बहुत ही रिस्की हो सकता है. फिर मैंने और कुछ नहीं किया और उठ गया. फिर वो भी उठ गयी. तभी मैंने देखा कि उसकी सलवार जांघों के बीच में गीली हो चुकी है.

तब तक हमारा नशा उतर चुका था. अब उसे ये सब गलत लग रहा था और ग्लानि महसूस हो रही थी. अब वो कुछ न बोली और चुपचाप बाइक की तरफ चल दी. रास्ते में भी उसने मुझसे कोई बात नहीं की. फिर 2 दिनों तक उसने मुझसे किसी भी तरह की कोई बात नहीं की.

आखिर तीसरे दिन उसने मेरा फ़ोन उठाया और कहा, “हमारे बीच में उस दिन जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ”. फिर मैंने उस बात के लिए उसे सॉरी बोला. अब हम फिर से बाइक राइड करने लगे. कुछ दिनों बाद मैं फिर से बियर लेकर पहुँच गया.

अब हमारा बियर पीकर उस सुनसान पार्क में रोमांस करना हमेशा का काम हो गया था. एक दिन हमने फिर बियर पी और बियर पीकर वो रोने लगी और मेरी बाँहों में आकर बोली – समीर मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. मुझे कभी धोखा मत देना.

अभी मैं उसकी बातों का मतलब नहीं समझ पाया था लेकिन फिर भी मैंने उसे कस कर गले लगा लिया. फिर घर जाकर उसने मुझे ‘आई लव यू’ बोला. तब मैं उसकी बात का मतलब समझा और मैंने वापस उसे ‘आई लव यू टू’ बोल दिया.

अब हमें और ज्यादा खुलने का आधार मिल गया था. अगली बार मेने रोमांस करते हुए मैंने अपना हाथ उसके सूट के अंदर डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा.
पीठ सहलाते हुए मुझे पता लग गया कि उसने ब्रा नहीं पहना था. मुझे बिना ब्रा के भी उसके उठे हुए स्तनों पर गर्व हो रहा था.

फिर मैंने अपना दूसरा हाथ आगे से उसके सूट के अंदर डाल कर उसके स्तन पकड़ लिए. जिससे उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी और उसके निप्पल उठ गए थे. अब उन्हें उँगलियों के बीच में लेकर मैं मसलने लगा. जिससे वो मदहोश होने लगी.

फिर मैंने उसका सूट स्तनों तक ऊपर कर दिया और उसके दोनों स्तनों का मर्दन करने लगा. फिर मैंने एक स्तन मुंह में ले लिया और चूसने लगा. जिससे वो मदहोश होने लगी. उसका स्तन मेरे मुह में नहीं समा रहा था. वो मेरा साथ दे रही थी और मुझे बहुत चूम रही थी.

फिर मैंने उसकी योनि पर हाथ लगाना चाहा तो उसने अपनी टाँगे पूरी ताकत से जोड़ ली पर जांघों के बीच में उसकी लेगी गीली थी. जिसे देख कर मैं समझ गया था कि उसे भी इस सब में खूब मज़ा आ रहा है.

फिर मैंने अपनी ताकत से उसकी जांघें खोली और योनि पर ऊँगली लगा दी. जिससे उसके मुंह से किलकारी निकल गयी और उसने खुद ही अपनी टांगें खोल दी और मज़ा लेने लगी.

कुछ देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और वो जोर – जोर से किलकारी भरने लगी. चूंकि हम पार्क में थे तो मैंने उसका मुंह हाथ से बंद कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद वो झड़ गयी. झड़ते हुए उसने अपने नाख़ून मेरे गले और गालों पर गाड़ा दिए.

उसका अमृत मेरे हाथों पर भी आ गया था. ये उसकी लाइफ का पहला ओर्गास्म था. अब मैंने रुमाल से उसकी योनि को लेगी के ऊपर से ही साफ़ किया और फिर अपनी ऊँगली भी साफ़ की और उसके बाद उसे वापस चलने के लिए बोला तो उसने मना कर दिया और मुझे कस कर गले लगा लिया और पूछा कि कभी धोका तो नहीं दोगे ना मुझे?

मैं बोला – नहीं जान, कभी नहीं.

फिर हम पार्क से निकल गए. वो मुझे कस कर हग करके पीछे बैठी रही. अब मैंने उसे, उसके घर के पास छोड़ा और अपने घर चला गया.
 
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