प्रेम से चुदाई पति की सताई की

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प्रेम से चुदाई पति की सताई की


यह कहानी मेरी यानि अमित और दिव्या की (नाम बदला हुआ) है। कहानी 3 साल पुरानी है।
मेरे ऑफिस में एक औरत ने ज्वाइन किया था उसका नाम दिव्या था।
सबमें बहुत चर्चा थी कि यह औरत बहुत तेज़ है।
कुछ ने कहा कि बहुत बड़ी चुदक्कड़ है।
मैं हैरान था कि क्या सही में ये ऐसी ही इतनी खुश मिजाज़ है.. सबसे बात करने वाली है.. या लोग सिर्फ़ अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते है, इसलिए इसके विषय में ऐसा कह रहे हैं।
खैर.. भगवान को शायद कुछ और मंजूर था, उसकी सीट मेरे पास हो गई, उससे मेरी बात शुरू हुई।
आम ऑफिस के अन्य सहकर्मियों की तरह थोड़ा छेड़छाड़ भी हुई।
वो इतना हँसती और ऐसे शरमाती थी.. जैसे सच में वो खुद को और छेड़ने का आमंत्रण दे रही हो।
उसकी बहुत अच्छी स्माइल थी। उसका शरमाना ऐसा कि उससे नाज़ुक और उससे ज़्यादा कमसिन कोई नहीं हो। वो 32 साल की होकर भी लड़कों से बहुत घुलमिल कर रहती थी।
एक दिन मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसका पति साइंटिस्ट है और एक बेटी भी है।
शायद वो अपने पति से थोड़ी उखड़ी सी थी। जब उसकी तारीफ करो तो कहती शायद मेरा पति इस बात को समझता।
मुझे समझ आ गया कि इसका पति इसे परेशान करता होगा।
खैर कुछ दिन बीते.. एक दिन शाम को एक अंजान नंबर से फोन आया।
ये दिव्या ही थी.. वो बोली- मुझे तुमसे कुछ काम है।
मैंने फोन पर ही मदद की बात कही, तो उसने कहा- फोन पर थोड़ा समझ नहीं आ पाएगी।
मैंने कहा- चलो आकर मिलता हूँ।
वो नज़दीक ही रहती थी।
मैं उससे मिला, बात हुई.. आते हुए मैंने हाथ मिलाया.. तो वो थोड़ा झिझक रही थी।
मैंने पूछा तो कहती है- मैं ऐसे हाथ नहीं मिलाती.. अजीब लगता है।
पर उसने मुझसे हाथ मिलाया और कहा- तुम गर्म हो.. मतलब तुम अपनी गर्लफ्रेंड के लिए वफ़ादार रहोगे।
मैंने कहा- तो अच्छा है ना तुम्हारे लिए.
वो शर्मा गई।
फिर उससे मुलाकात होने लगी।
वो हर बात मुझसे शेयर करती, उसने अपने पति के बारे में बात करनी शुरू की।
अब सब कुछ खुल कर होने लगा।
एक दिन वो यूं ही खुलते हुए बोली- मेरा पति मुझको सिर्फ़ चोदने के लिए इस्तेमाल करता है। जब भी ऑफिस से आता.. वो मुझको नंगी करता और चढ़ जाता। चाहे मेरा मन हो या ना.. वो मुझे ज़बरदस्ती चोदता है।
यह बता कर वो काफ़ी उदास हो गई।
मैं उसकी तरफ ही देख रहा था।
वो आगे बोली- मेरा पति कहता है कि चुदाई करना.. ऑफिस की टेन्शन मिटाने का सबसे बढ़िया उपाय है। उसको मना करो.. तो वो मुझको धक्के देकर कमरे से निकाल देता है।
मैं हैरान होकर उसकी बातों को सुन रहा था।
उसने बताया- मैं इस सबसे परेशान होकर एक और लड़के के चक्कर में पड़ गई, जिसने मुझे प्यार के जाल में फंसाया और मेरे पैसे लूटे। कई बार मेरा जिस्म इस्तेमाल किया, जबकि मैं उससे प्यार करने लगी थी। मैं उस लड़के के लिए अपने पति को छोड़ कर बंगलोर आ गई थी। आज मैं घरवालों से बात को छिपा कर अपनी बेटी उनके पास छोड़कर यहाँ काम कर रही हूँ।
मुझे उसकी बातों से लगने लगा था कि वो काफ़ी सताई हुई है। मुझे उस पर दया आ गई और मैं उसके करीब हो गया।
मैं उसको खुश करने के लिए मज़ाक में छेड़ने लगा और उससे कहा- मेरी गर्ल-फ्रेण्ड बनोगी?
वो बोली- मैंने प्यार तो बहुत कर लिया अब ना होगा।
मैं चुप हो गया।
पर वो मुझे खोना भी नहीं चाहती थी। वो मुझसे हमेशा कहती रहती कि लड़की को पटाना हो.. तो आगे बढ़ना सीखो।
उसका एक मुँह बोला भाई भी था, जो उसको नशा करवा के चोदता था। वो उससे तंग आ गई थी।
एक दिन उसके पास उस भाई का फोन आया तो वो रोने लगी। मैंने उसका हाथ थामा और चूम लिया। वो अपना गम भूल कर मुस्कुरा दी।
फिर मेरे हाथ को लेकर वो फोन सुनने लगी कि अचानक वो मेरा हाथ अपने बोबे पर ले गई और मेरा हाथ उसके चूचे को महसूस करने लगा।
तभी वो अचानक चौंक गई और शर्मा गई।
फिर मैं उसके माथे को चूम कर जाने लगा।
उसने कहा- तुम मत आया करो।
मैंने कहा- पक्का..?
हँस कर बोली- प्लीज़ मुझे मत छोड़ना।
मैंने कहा- ओके.. नहीं छोडूंगा।
मैं उसके गले से लग गया।
कहती- अब मुझे छोड़ो.. और जाओ..
मैं चला गया।
उसने मुझे फोन किया.. कहती है- तुम मेरे गले से मत लगा करो।
मैंने कहा- क्यों?
कहती- कुछ होता है।
मैंने कहा- कहाँ?
‘तुम बहुत शरारती हो..’
फिर वो हँस दी।
मेरे साथ बाइक पर आते-जाते कहती- ब्रेक मत मारो.. और कितना दबाओगे।
मेरा लौड़ा गरम होकर खड़ा हो जाता.. तो हँसने लगती।
एक दिन वो मेरे कमरे में आई। मुझसे बात करने लगी।
मैंने कहा- मुझे तुमको चूमना है।
बोली- नो..
मैंने कहा- हाँ..
और मैंने उसका गाल चूम लिया।
वो- मैं शादीशुदा हूँ।
तो मैंने कहा- चुम्मा अच्छा नहीं लगा?
कहती- नहीं ऐसी बात नहीं..
मैंने उसको और चूमा।
फिर यह सिलसिला चलने लगा। बहुत जल्दी ‘वो’ दिन भी आ गया।
एक दिन वो बहुत परेशान थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
कहती- पति फोन करके तलाक़ देने का बोल रहा है।
वो बहुत परेशान थी।
मैंने उसको गले से लगाया.. तो थोड़ी शांत हुई।
फिर अचानक से मैंने उसके होंठ चूमे तो उसने कुछ ना कहा।
मैंने फिर से चूमा.. तो वो खुद से लेट गई।
मैंने भी अचानक से उसके ऊपर लेटकर उसको चूमना जारी रखा.. तो उसने साथ देना शुरू कर दिया।
मैंने उसके बोबे दबाए.. तो वो और गर्म हो गई, फिर अचानक वो मुझसे कसके लिपट गई.. जैसे कह रही हो कि आओ मेरी प्यास बुझाओ।
मैंने उसकी टी-शर्ट उठा कर उसके बोबे दबाए और ब्रा उतार दी।
क्या बोबे थे.. एकदम मस्त.. और निप्पल तो बस कातिलाना थे।
मैंने हल्का सा काटा तो उसने टाँगें उठा कर मेरी कमर से लपेट लीं।
बस फिर मैंने नीचे आकर उसकी पैन्ट निकालना चाही.. तो उसने पहले मना किया।
मैंने कहा- चाहती नहीं क्या?
तो थोड़ी देर में वो मान गई, उसने फिर अपनी चूत सिकोड़ ली।
मैंने चूत में उंगली डाल दी.. तो उसने ‘आ.. उहह’ शुरू कर दी.. और टाँगें खोल दीं।
अब उसने भी मेरी शर्ट उतार कर मेरी छाती चूमनी शुरू कर दी।
अब मैंने अपने लंड निकाल कर उसके मुँह में देने लगा।
कहती- नहीं.. यह ग़लत है।
मैंने कहा- प्लीज़ आज मत रोको.. क्या मेरे प्यार भरोसा नहीं है?
उसने मेरी तरफ प्यार से देखा और मुँह में लेकर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
फिर उसने कहा- तुमने पहले चुदाई की है?
मैंने कहा- नहीं।
तो बोली- मुझे प्रेग्नेंट मत कर देना।
मैंने उसकी बात को सुन कर लौड़ा चूत में पेल दिया।
हाय क्या मस्त चुदाई हुई.. उसने भी क्या गाण्ड उठा कर साथ दिया.. मजा आ गया।
पूरी दम से चोदा और फिर उसकी गाण्ड में उंगली की.. तो कहती है- नो.. आज उधर नहीं।
‘ओके..’
कुछ देर यूं ही पड़े रहने के बाद उसने कहा- अब जाने दो यार.. दो बज गए।
वो उठी तो सामने शीशे में उसके उछलते बोबे देखकर मैं फिर उत्तेजित हो गया और उसको पीछे से पकड़ कर बिस्तर पर गिर गया।
मैं उसके बोबे चूसने लगा तो उसने कहा- तुम मुझे इतना प्यार मत करो.. डर लगता है।
मैंने कहा- क्यों?
तो कहती है- यह ग़लत है.. भगवान ने मुझे सच्चा प्यार दिया।
फिर हमने दीवार के साथ लग कर एक बार फिर से चुदाई की। अब तो यह सिलसिला चलने लगा। हर हफ्ते एक-दो बार चुदाई पक्के में होने लगी।
उसके साथ अब तक के जीवन के कई दिन बिताने के बाद मैं सोचने लगा कि दिव्या के साथ मेरी जो कल्पना थी, वो सच में पूरी होती नजर आ रही थी।
मैं बिस्तर में लेटा हुआ उसकी याद में डूबा था.. कुछ पुरानी यादें याद आ गईं कि कैसे कुछ दिन पहले ही दिव्या मिली थी.. कितनी जल्दी हम दोनों कितने करीब आ गए।
फिर दिमाग वही सब फिल्म की तरह चला कि हमारी छेड़-छाड़ से हुई शुरुआत.. बिस्तर तक आ गई और इस तरह से कब हमारे सम्बन्ध चुदाई में बदल गए.. पता ही नहीं चला।
उन दिनों के कुछ किस्से भी याद आए कि कैसे मैं उसे छेड़ता था.. या वो खुद मुझे छेड़ती थी।
एक बार हम दोनों उसकी कार में घूमने भी गए थे, उस दिन उसने बहुत मस्त बैकलैस टॉप पहना हुआ था।
 
उस वक्त मैंने उसे देख कर ‘आह..’ भरी थी तो उसने मुस्कुरा कर मुझसे पूछा था कि कैसी लग रही हूँ, जिस पर मैंने उत्तर दिया था कि बहुत हॉट लग रही हो।
मेरे इस उत्तर पर बोली थी कि मेरी शादी ना हुई होती और बच्चे ना होते तो रोज ऐसे ही सजती संवरती।
इसी तरह की बातों के बाद बोली कि चलो वापस चलते हैं। मेरे कार में बैठते ही उसने कहा कि मेरे टॉप का फीता बांध दो ना।
मैंने कहा- आहह.. दिल तो टॉप ही उतारने का कर रहा है!
तो पलट कर बोली- चुप.. फीता बाँध दो.. और ये कहते हुए ही वो मुड़ गई थी।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और कहा- सोच लो घूमने जाना है कि रूम पर वापिस चलें?
दिव्या बोली- घूमने जाना है।
मैंने कहा- अगर मैं शरारत करूँ तो?
बोली- मुझे भरोसा है तुम पर!
मैंने फिर फीता पकड़ा.. थोड़ा पीठ पर हाथ फेरा और साइड से थोड़ा उसका बोबे को हल्का सा छुआ.. तो वो सिसक गई। फिर मैंने फीता बाँध दिया।
फीता बंधने के बाद घूम कर बोली- मुझे पता था.. कि तुम मेरा भरोसा नहीं तोड़ोगे।
मैंने कहा- मुश्किल से कंट्रोल किया मैंने!
इस पर वो हँसने लगी और बोली- कंट्रोल करो.. अभी कुछ नहीं होने वाला।
मैंने कहा- अभी कुछ नहीं.. तो मतलब रात को पक्का!
तो वो शर्मा गई।
इस तरह के सीन आँखों के सामने चलते रहे।
एक दिन हम यूँ ही बातें कर रहे थे, तो दिव्या बोली- पता तुमको मैं क्यों पसंद करती हूँ?
मैंने बोला- बताओ?
बोली- तुम लड़की से बात करते समय उसका चेहरा देखते हो.. औरों के जैसे उसके बूब्स पर नहीं देखते हो।
मैंने कहा- अभी तो तुम्हारे देख कर करता हूँ।
तो हँस पड़ी.. और बोली- अब तो तुम प्यार करने लगे हो।
मैंने कहा- और तुम..?
तो वो चुप हो गई और रुक कर बोली- मुझे पता नहीं..!
मैंने कहा- अब मान भी लो ना!
तो बोली- मान कर खुद को और तुमको भी दोबारा दुख नहीं पहुँचा सकती।
मुझे उसकी वो बात याद थी कि वो मुझसे टुन्नी में कहती थी कि उसके मुँहबोले भाई के साथ मिलकर वो नशा करती थी और वो उसको ब्लू फिल्म दिखा कर न जाने कितनी पोज़िशन्स में उसको चोदता था।
जब मैंने उससे कहा- उसको मना नहीं करती थीं।
तो बोलती थी- नहीं.. पता नहीं उस वक्त मुझे क्या हो जाता था।
मैंने कहा- सो डोंट यूँ एंजाय गेटिंग फक्ड?
तो कहती- मुझे नहीं पता कि इसे लड़कियाँ पसंद करती हैं या नहीं… मुझे इतना मालूम है कि वे जोर जबरदस्ती पसंद नहीं करती हैं।
मैंने कहा- आज फिर पूरी रात तुम्हारे साथ चुदाई करूँ?
तो कहती- पूरी रात.. इतना करोगे, तो मैं तो मर ही जाऊँगी.. मेरा तो इतना स्टॅमिना है ही नहीं।
मैंने कहा- ओके थोड़ी देर सही..
तो वो चुप होकर मुझे देखती रही। उसकी आँखें कुछ ऐसे कह रही थीं कि मन की बात ज़ुबान पे नहीं ला रही हो।
हमारी चुम्मा-चाटी शुरू हो चुकी थी, मैं ऑफिस में भी उसके साथ ये सब कभी भी कर लेता। जो लोग उसको या मुझे नहीं जानते थे, उन देखने वालों को लगता था कि वो मेरी बीवी है।
एक बार मैंने उसे लिफ्ट में चूमा तो बहुत खुश हुई, कहती है कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड भी ऐसे ही करता था.. तो मुझे गुस्सा आ गया, तब वो चुप हो जाती थी।
मुझसे कई बार गले लगने के बाद बोलती- तुम बहुत गर्म हो.. जिसके साथ शादी करोगे, वो बहुत लकी होगी।
मैंने कहता कि तुमसे ही करूँगा.. तो हंस देती और कहती कि जब तुम मेरी गर्दन के पास गरम साँसें लेते हो.. तो मुझे कुछ हो जाता है.. पागल हो जाती हूँ।
दोस्तो, कई बार लगता था कि इन सब बातों से वो मुझे उकसा रही थी.. कि मैं आगे बढूँ और उसको चोदूं।
खैर.. हमारा रिश्ता बन चुका था, अब आगे की कहानी पर आता हूँ।
उस रात के बाद अगले दिन जब हम मिले, तो वो थोड़ी उदास थी।
बोली- अमित कल जो हुआ, उससे बड़ा अजीब लग रहा है।
मैंने उसे गले से लगाया तो कहने लगी- नहीं नहीं.. दूर रहो।
मैंने कहा- यार अब तुम ऐसे कर रही हो तो मुझे गिल्टी फील हो रहा है।
दिव्या- नहीं.. तुम दोष मत लो.. हमने पी कर कंट्रोल खो दिया था।
मैंने फिर पूछा- सच्ची बताओ.. अच्छा नहीं लगा था?
बोली- पता नहीं..
इतना बोल कर मुझे देखा और फिर कस के मेरे गले से लग गई। मैंने भी उसको कसके अपनी बांहों में भींच लिया और उसको चूमने लगा।
बोली- हटो अब.. अमित ऐसा फिर से नहीं होगा ना..!
मैंने कहा- जैसा तुम चाहो.. लेकिन ग़लत क्या है.. तुम मुझसे प्यार करती हो, मैं भी!
वो इठला कर बोली- मिस्टर मैं अभी भी शादीशुदा हूँ.. अच्छा नहीं लगता यार!
मैंने कहा- ओके जब तुम्हें ठीक लगे, तब आगे बढ़ेंगे।
फिर उसने कहा- चलो कहीं चलते हैं।
हम दोनों घूमने गए और देर रात को वापिस आए.. तो ठंड हो रही थी। वो काँपने लगी. फिर खुद बाइक पर मुझसे चिपक गई और मेरी जाँघों पर हाथ फेरने लगी।
उसके ऐसा करने से मैं बहुत गर्म हो गया.. फिर भी मैंने कंट्रोल किया।
फिर हमने खाना खाया ही था कि उसके भाई का कॉल आ गया कि उसने बताया वो इसी शहर में है.. उससे मिलने आया है, यह सुन कर वो परेशान हो गई, वो झुंझला कर बोली- इसीलिए मैं इसका फोन ही नहीं उठा रही थी.. और अब यह यहाँ आ गया।
मैंने कहा- तो मिल लो..!
बोली- लेकिन यार वो तंग करेगा।
मैंने कहा- फिर मैं साथ चलता हूँ.. मैं सब संभाल लूँगा।
बोली- नहीं यार, फिर वो कहेगा कि अब इससे चुद रही है तू!
मैंने कहा- तुम पहले ही कह देना कि मैं तुम्हारी टीम में हूँ.. साथ में काम करते हैं।
तो बोली- हाँ देखती हूँ, अभी मैं जाती हूँ.. तुम थोड़ी देर में आ जाना।
मैं वहाँ पहुँचा तो देखा वो टेंशन में लेटी थी और उसका भाई दारू पीने में लगा था। मुझे देखकर उसने अच्छे से बात की।
दिव्या को लगा था कि कहीं मैं उसके भाई की पिटाई ना कर दूँ। उसके भाई ने मुझे भी दारू पिलाई और दिव्या को भी पैग बना कर दिया।
फिर थोड़ी देर के बाद मैं और दिव्या निकल पड़े.. मैंने कहा- कहाँ चलोगी?
दिव्या- तुम्हारे रूम पर ही चलती हूँ।
हम दोनों वहाँ गए..
वो बुझी हुई थी, बोली- साले ने मुझसे पैसे ले लिए और कह रहा था कि और पैसे चाहिए।
मैंने कहा- मत दो..
तो कहती- भाई है..
मैंने कहा- ऐसा कैसा भाई है यार?
वो उदास हो उठी थी।
मैंने उसके साथ बिस्तर पर लेट कर उसे गले लगा लिया।
फिर वो बोली- मैं बहुत थक गई हूँ।
मैंने कहा- यहीं सो जाओ।
वो लेट गई.. मैंने किस की तो वो हँसी और आँख मार दी। मैंने कमरा बंद कर दिया और उससे लिपट गया। थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथ पर हाथ फिराना चालू किया। मैंने उसकी चुची दबाना चालू की।
वो मुझे कसके लिपट गई।
फिर हम दोनों ने चूमना चालू किया.. बहुत देर चूमते रहे। मैं उसकी चुची मसलता रहा.. उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी और ब्रा ऊपर करके एक दूध चूसने लगा, वो मुझे अपने ऊपर दबाने लगी।
फिर चूमते-चूमते मैं नीचे आ गया.. उसकी पैंट निकालने लगा। वो रोकने लगी.. लेकिन थोड़ी देर में उतार दी। मैंने पैंट उतराते ही उसकी पेंटी भी उतार दी।
वो ‘उहह ह्म..’ करने लगी।
मैंने उसकी टांगें खोलीं और उसकी चूत पर चूमा, तो उसने चूत पसार दी।
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे, उसको चोदने लगा।
उसने पहले मना किया.. लेकिन फिर धक्के लगते रहे उम्म्ह… अहह… हय… याह… और वो मस्त होती रही।
मैंने थोड़ी देर बाद लंड निकाल कर उसकी चूत पर पानी छोड़ दिया। माल को एक कपड़े से साफ करके उससे लिपट गया।
वो रात को उठी.. थोड़ी उखड़ी हुई थी, उस वक्त बोली- मुझे अभी घर छोड़ कर आओ।
मैंने कहा- सुबह चली जाना।
बोली- नो.. अभी।
मैं उसको 3.30 बजे उसके घर छोड़ कर आया।
सुबह उसने उलाहना देते हुए कहा- हमने फिर हदें पार कर दीं।
मैंने कहा- तो क्या हुआ.. तुम मेरी हो।
वो कहती- नहीं.. जब तक डाइवोर्स नहीं होता.. तब तक नहीं हूँ।
मैंने कहा- हाँ.. ये सही बात है।
फिर अगले दिन ही ऑफिस में ही लिफ्ट के पास मैंने उसे चूम लिया। हम दोनों फिर से हँस कर बातें करने लगे।
फिर कुछ दिन सिर्फ़ चुम्मा-चाटी या बोबे दबाना चलता रहा। अचानक एक दिन लगा कि चुदाई न हो पाने के कारण वो कुछ उखड़ी सी है। एक-दो बार ऐसा लगा कि अभी वो जानबूझ कर मुझे चिढ़ा रही है।
जैसे एक दिन क्या हुआ कि सुबह मैं उसको ऑफिस लेने के लिए पहुँचा और हॉर्न मारा.. उसकी मकान मालकिन ने उसको आवाज़ लगाई.. दरवाज़ा खुला था, वो अचानक से तौलिया में ही भाग कर बाहर बालकनी में आई और उसने न सुन पाने के लिए ‘सॉरी’ बोला।

मैंने नोटिस किया कि तौलिया से सिर्फ़ बोबे छुप रहे थे.. उसकी चूत नहीं।
उसने नीचे खुद को देखा और शर्मा कर कमरे में चली गई। फिर वो तैयार होकर नीचे आई और बाइक पर बैठ गई।
मेरी हालत खराब हो रही थी.. उसको समझ आ रहा था क्योंकि मेरा लंड खड़ा था और हमेशा की तरह उसके हाथ बाइक पर मेरी जांघों पर थे।
मैंने कहा- तौलिया मस्त था!
उसने मुझे मुक्का मारा और बोली- पूरे बेशरम हो।
एक दिन उसने मुझे बताया- मेरी पड़ोसन कह रही थी कि मेरे बोबे बहुत अच्छे हैं।
मैंने कहा- क्या वो लेस्बो है?
तो दिव्या हँसने लगी।
मैंने कहा- वैसे वो सच कहती है.. तेरे मस्त लगते हैं।
उस शाम हम दोनों मेरे कमरे पे मिले। उस दिन मेरा रूम मेट नहीं था।
दिव्या बोली- क्या बात आज अकेले?
मैंने आँख मार दी, तो वो भी मुस्कुरा दी।
हम दोनों बातें करने लगे। वो अधलेटी थी.. मैंने उसकी शर्ट ऊपर की हुई थी और चुची चूस रहा था। वो बहुत गर्म हो रही थी.. मुझसे भी रुका ना गया, मैंने कहा- आज पूरे 15 दिन हो गए हैं तुम्हें चखा नही है।
उसने भी चुदास से सर हिलाया तो मैंने उसे खींचा और चूमा और चित लिटा दिया।
अब मैंने भी अपने कपड़े उतारे और चुदाई शुरू करने लगा। उसने भी साथ दिया तो लगा कि हाँ वो भी बहुत प्यासी थी।
वो खुद चुदने के लिए चूत दिखा कर और गर्म बातें करके मुझे उकसा रही थी।
उस दिन लगातार 4 बार चुदाई चली।
दोस्तो, आज जिस तरह से वो खुल कर खेल रही थी, उससे मालूम हुआ कि वो बहुत गर्म माल थी.. और आज यह तो पता चला ही साथ ही ये भी समझ आया कि उसको भी चुदाई का बहुत शौक था।
हमारे बीच हमको पता था एक भरोसा ही था, जिससे यह रिश्ता बना क्योंकि भरोसा हो तो तुम कुछ भी कर सकते हो। इसी भरोसे के चलते ही उसके साथ ज़बरदस्ती की जरूरत ही नहीं पड़ी, सिर्फ़ इशारा ही काफ़ी था।
हालांकि हम दोनों को ये भी पता था कि यह रिश्ता कभी एक रूप नहीं लेगा लेकिन हमें एक-दूसरे के साथ से बड़ा सुख मिल रहा था और वो हमारी मर्ज़ी से था।
दिव्या को मुझसे मिल कर अच्छा लगता था, वो कहती थी कि तुम हो तो थोड़ा अच्छा लगता है.. घर जाकर पति और घरवालों की सुनो तो दिमाग खराब हो जाता है।
इधर ऑफिस में उसको कई लोग चोदना चाहते थे।
ऑफिस के लोग चाय की टेबल पर उसके बारे में डिसकस करते, जैसे ‘यार बड़ा मस्त माल है.. पति ने क्या छोड़ा.. साली और मस्त हो गई है.. एक बार मिल जाए तो इसका सारा अकेलापन मिटा दूँ।’
इस तरह की बातों को सुनने के बाद भी वो सभी लड़कों से हँस कर बात करती.. उनकी डबल मीनिंग बातों को भी एंजाय करते हुए इग्नोर कर देती।
एक लड़का तो उसके पीछे बहुत ही ज्यादा पड़ा था, वो रोज़ उससे किसी न किसी बहाने से मिलने लगा।
मुझे यह अच्छा नहीं लगता था। जब मैं ये बात दिव्या से बोलता.. तो वो कहती कि अरे मिलने में क्या है.. बेचारा वो प्राब्लम ही तो डिसकस करता है.. मैं तुम्हारी ही हूँ.. क्यों सोचते रहते हो?
मुझे उसकी इस तरह की बात पर गुस्सा आ जाता.. तो वो मुझे किस करती और मुझसे लिपट जाती।
अपने घर दिव्या जब मुझसे लिपटी.. तब वो सिर्फ़ टी-शर्ट में थी। चुस्त टी-शर्ट उसकी मस्त फिगर को और उभार देती थी, इसमें उसके बोबे और भी मस्त, टाइट और उभर कर दिखते थे। नीचे उसका शॉर्ट्स जो कि उसकी मस्त गांड और सेक्सी टांगों को दिखाता था।
एक दिन मैं पी के आया.. उसी वक्त वो रूम पर आई। नशे की टुन्नी में उसे देखके मेरा लंड खड़ा हो गया। हम दोनों बातें करते रहे.. मैं उसको छेड़ता रहा।
मैंने कहा- बहुत हॉट लग रही हो..!
बोली- वो तो मैं हमेशा से हूँ।
मैंने कहा- वो तो है.. लेकिन आज तुम्हारे लोटे उभर के दिख रहे हैं।
वो हँस कर झिड़कते हुए कहती- हट बेशरम..
फिर काफ़ी देर बाद वो बोली- अब मुझे जाना चाहिए.. तुम्हारा रूममेट आ गया।
मैंने कहा- तो क्या.. वो अपने रूम में है।
मैंने उसको पकड़ लिया और उठा कर दीवार के सहारे लगा कर उसे चूमना शुरू कर दिया।
उसने मेरे मुँह से मुँह लगाया तो बोली- आई हेट दिस यार.. जब तुम पी करके मुझे चूमते हो।
मैंने कहा- सब छोड़ दूँगा!
हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे, फिर मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करना चाही, तो कहने लगी- अब शुरू मत हो जाना।
मैंने कहा- रुका ही नहीं जा रहा है।
मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर करके ब्रा पर से उसे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- आई लाइक योर दिस ब्रा.. क्या मस्त लगती है।
दिव्या बोली- क्यों.. इसमें क्या खास है?
मैंने कहा- पहली बार यही वाली उतारी थी ना!
वो कातिलाना अदा से मुस्कुराई और फिर चूमने लगी। मैं धीरे से नीचे पहुँच कर उसकी टांगों को चूमने लगा।
उसने भी मेरे चूमने का मजा लिया।
मैंने उसकी जांघें चूमी तो उसने दीवार पकड़ कर बोबे उभार दिए ‘उहह आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्लीज़ प्लीज़..’
मैंने उसकी शॉर्ट्स का बटन खोला तो बोली- अह.. रुक जाओ ना!
मैंने उसका हाथ मेरे पजामे के ऊपर रख दिया.. उसने फट से लंड दबा दिया।
उफ लंड की क्या हालत हो गई थी.. वो लंड मसलने लगी, मैं जोर से उसके बोबों से चिपक गया।
फिर मैंने उसके शॉर्ट्स के बटन खोल दिए और अंडरवियर भी खींच कर पैरों तक ले आया।
अब मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और अपना खड़ा लंड उसको दिखाया.. तो कहने लगी- आज ये इतना बेचैन क्यों है?
मैंने कहा- इसके सामने इतना गर्म माल जो है।
मैंने यह कहते हुए उसकी टांगों के बीच में लंड को रगड़ा.. और फिर टांगें खोल कर चूत में लंड को पेल दिया।
‘आ उहह.. आराम से कर ना..’
मैं धक्का पर धक्का लगता गया। उफ.. फाइनली उसकी चूत से लंड निकाल लिया और बाहर झड़ गया। मैं उसकी गर्दन पर चूम रहा था, साथ ही अपनी चौड़ी छाती को उसके मम्मों पर रगड़ता हुआ ऊपर-नीचे हो रहा था.. एकदम गरम माहौल था।
फिर उसने कहा- अब तो घर छोड़ आओ।
मैंने कहा- पक्का जाना है?
कहती- हाँ यार..
मैं उसको छोड़ने गया, मैंने कहा- बाय डार्लिंग..
वो मेरे करीब वापिस आकर गुस्से में बोली- सुनो!
मैंने कहा- बोल?
बोली- दो चीजें कभी मत करना..
मैंने कहा- क्या.. और क्या हुआ?
बोली- कभी बियर पीके मुझे मत चोदना.. और डार्लिंग मत कहना.. साला मेरा हजबेंड करता था.. आई हेट दैट..
मैंने उसके होंठों को चूमा और कहा- वादा रहा.. कोई तेरी पुरानी याद नहीं वापिस दूँगा। हमारा रिश्ता सिर्फ अच्छी यादों के साथ ही रहेगा।
तो वो हँस कर चली गई।
फिर रूम पर पहुँचने के बाद उसका फोन आया- सुनो कल से पीरियड चालू हैं.. ध्यान रखना और तुम एक अलग कमरा ले लो यार.. रूममेट क्या सोचेगा तुम्हारा?
‘कुछ नहीं सोचेगा।’
‘मुझे नहीं पता, जल्दी करो।’
मैंने एक अलग कमरा ले लिया और उसने भी कहा- वाउ… यह अच्छा है।
 
मुझे वो पल अच्छा नहीं लगता था, जब वो दूसरे लड़कों से बात करती थी क्योंकि वो सिर्फ़ उसको चोद कर दुख पहुँचना चाहते थे.. जबकि मुझे यह अब ग़लत लगता है।
मुझे लगता है कि यार अगर कोई शादी के बाद भी खुश नहीं है.. तो उसको कोई तो चाहिए होता है.. वो एक समझने वाला पार्ट्नर होना चाहिए.. ना कि बस चुदाई करने वाला हो।
हालाँकि चुदाई भी जरूरी होती है.. जोकि दोनों ही चाहते हैं.. लेकिन प्यार से चुदाई हो और दोनों की सहमति से हो, तभी ये सब अच्छा लगता है। जबरदस्ती कुछ भी करने से रिश्ता नहीं चलता है।
एक-दो बार मैंने नोटिस किया कि ऑफिस का एक लड़का दिव्या से मिलने की फिराक में रहता था, वो रात को कोई काम के बहाने उसके रूम पर जाकर उसे शॉर्ट्स और टाइट टी-शर्ट में घूरता रहता था। मेरी इस बात पर दिव्या से बहस होती तो कह देती कि अरे ऐसे-कैसे कुछ करेगा.. तुम हो ना!
मैंने कहा- उसको आने से मना करो।
तो कहती- देखूँगी..
फिर वैलेंटाइन वाले दिन उसकी एक पक्की सहेली आ गई। मैंने मन में भुनभुनाते हुए सोचा कि खड़े लंड पर धोखा हो गया.. चलो कोई बात नहीं.. शाम को प्लान बनाता हूँ। शाम को जब मैं उसके घर गया, तो उस समय वो लड़का भी था।
फिर मैं गुस्से में दिव्या के घर से चला गया। कुछ ही देर बाद उसका कॉल आया।
कहती- सॉरी.. मान जाओ।
मैंने कहा- नहीं।
वो रोने लगी.. कहती- आओ ना!
फिर उसकी सहेली ने भी कहा- प्लीज़ मूड खराब मत करो।
मैं चला गया.. उस वक्त वो लेटी हुई थी, मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके बोबे दबा दिए।
वो कहती- नाराज़ हूँ मैं..!
मैंने उसकी गांड पर अपने लंड का प्रेशर बनाया और बोबा मसलते हुए कहा- मना लूँगा।
इतने में उसकी फ्रेंड कमरे में आकर बोली- ओये लव बर्ड्स.. खुले में जरा कंट्रोल करो यार..
दिव्या उठकर उसके पास चली गई और कहती- देखा ना.. ये मुझे कैसे तंग करता है?
मैंने उसकी फ्रेंड से कहा- तंग नहीं कर था.. मना रहा था तेरी दोस्त को!
कहती- चल हट..
फिर मैंने दिव्या को बांहों में ले लिया और चूम लिया, उसकी सहेली ने भी दिव्या को चूमा।
दिव्या बोली- चलो ओये चलो.. खाना खाते हैं।
फिर हम तीनों ने डिनर किया और छत पर आकर बैठ गए। पहले मैं फिर उसकी सहेली उसकी गोद में लेटे रहे और वो हम दोनों को चूमती रही।
मस्त हवा और यह जवान शरीरों की गर्मी.. मजा आने लगा।
कुछ देर में उसकी फ्रेंड सो गई और मैं दिव्या का टॉप ऊपर करके उसके मम्मों को चूसता रहा।
फिर उसने चोदने को मना किया और उसने मेरी ज़िप खोल कर लंड पकड़ कर ब्लोजॉब करते हुए लंड से पानी निकाल दिया।
कुछ देर बाद मैं चला गया और वो दोनों भी नीचे आ कर सो गईं।
अगले दिन सुबह मैं और वो ऑफिस गए.. तो लिफ्ट के पास हमेशा की तरह लिपलॉक किया।
दिव्या बोली- मुझे कुछ बताना है।
हम दोनों ऊपर गए.. जाब ब्रेकफास्ट कर रहे थे तो बोली- तुम्हारे जाने के बाद मेरी फ्रेंड और में नीचे आ गए थे। हम दोनों आपस में लिपटे रहे.. किस करते रहे।
मैंने कहा- ओहो फन…!
दिव्या बोली- वो ऊपर से दबाती रही और मुझसे तेरे लिए बोली कि तू मेरा कितना ख्याल रखता है.. उसकी हो ज़ा।
लेकिन मैंने कहा- हमारे रिश्ते का अंजाम नहीं है।
उसको भी पता है लेकिन कहती- कोशिश करके देखा जाए?
मैंने कहा- जितना साथ लिखा है, उतना समय अच्छे से बिताएँगे। इस रिश्ते को लोग नहीं समझ सकते.. लेकिन हमें पता है कि हमारा रिश्ता क्या है।
वो उदास सी हुई.. तो मैंने कहा- अरे अभी थोड़ी अलग हुए!
वो थोड़ी खिल गई और फिर हम काम करने चले गए।
दिव्या ने एक अलग कमरा लिया था और जैसा उसने वायदा किया था, एक चाबी मुझे दी.
उसके शिफ्ट करने के दिन हमारे ऑफिस का एक और लड़का राम उसके रूम पे समान छोड़ने आया. उसके सामने वो मुझे छेड़ रही थी- सुनो, बिस्तर पे सिर्फ़ मेरा बॉयफ्रेंड या पति ही बैठेगा.
तो हम दोनों झट से बैठ गये.
मुझे समझ नही आया कि राम क्यों बैठा.
वह हंसने लगी.
रात को खाना ख़ाकर मैं राम को घर छोड़ कर वापिस आया दिव्या के रूम पर… वो शायद नहा कर निकली थी तो बाल गीले थे और टीशर्ट और शॉर्ट्स में थी.
मैं गया तो वो डर गयी, मैंने उसको बाहों में लिया तो कहने लगी- घर जाओ, लेट हो गया है.
मैंने कहा- अब तो घर ही हूँ.
और आँख मार दी.
फिर मैंने उसे चूमना चालू किया.
वो कहती- क्यों इतने गर्म हो?
मैंने कहा- नहा कर तुम और हॉटनेस बिखेर रही हो.
फिर उसकी टीशर्ट ऊपर की तो देखा कि उसने ब्रा नहीं पहनी तो जल्दी ही उसका बोबा पकड़ के चूसना शुरू किया तो कहती ‘जरा आराम से…’
मैं चूसता रहा, काट भी रहा था तो वो सिसक जाती- उहह आ प्लीज आराम से!
उसकी टीशर्ट उतार दी, कहती- नहीं प्लीज!
मैंने कहा- आज तो सुहागरात होगी!
उसने आँखें बड़ी कर ली, बोली- उस रात की याद मत दिलाओ!
मैंने कहा- ओके… लेकिन मुझे तो कुछ करने दो! तुम्हारे नए रूम की खुशी तो मना लें!
मैंने उसको हर जगह चूमा, उसकी चूची के नीचे पेट पर, फिर उसकी चूत पर एक मस्त वाली पप्पी की, फिर उसका शॉर्ट्स खोला तो वो थोड़ी मुस्कुराई, मैंने उसके होंठ चूम कर उसकी शॉर्ट्स उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी.
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और उसको लिटा दिया, ऊपर से नीचे चूमते हुए उसके बोबे को काटा, उसने उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए और मुझे उत्तेजित किया.
फिर मैंने उसकी टांगें खोल कर लंड पेल दिया… फॅक फॅक की आवाजें… उसकी मदहोश ‘उऊहह आहह…’ की आवाज़े कमरे को और गर्म कर रही थी.
उसने मुझे कस के लिपटा रखा था और गांद ऊपर उठा उठा कर चूत चुदवा रही थी.
फिर कुछ देर के बाद मैंने अपना माल निकाल दिया और उसको पौंछ कर उसके ऊपर पड़ा रहा, चूमता रहा, चूसता रहा उसकी चुची को!
वो खुश लग रही थी, मदहोशी में बोली- जब तुम मुझे चोद के मेरे ऊपर पड़े रहते हो और प्यार करते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है!
मैंने कहा- तेरा हज़्बेंड और बॉयफ्रेंड क्या करते थे?
कहती- उनकी बात ना कर, वो साले चोद कर ऐसे निकलते थे जैसे मैं रंडी हूँ, चोद दिया तो बस जाओ!
मैं उसे और चूमने लगा.
कहती- तेरे बदन से अच्छा लगता है… उन कमीनों के बदन से सिर्फ़ सिगरेट या दारू की बदबू आती थी.
कुछ देर बाद कहने लगी-अब जाओ ना!
मैंने जकड़ के रखा उसे!
कहती- तुमने बॉडी अच्छी बनाई तो इसका मतलब गर्लफ्रेंड को तंग करोगे?
मैंने कहा- तेरे लिए ही है यह बॉडी!
फिर उसे अपने बदन से चिपका के मैंने लंड पेल दिया उसकी चूत में.
काफ़ी देर चुदाई के बाद वो थक गई लेकिन मुझसे बड़े हॉट तरीके से लिपटी रही.
हम दोनों ऐसे ही सो गए.
सुबह उठी, मुझे जगा कर कहने लगी- जाओ अपने घर!
मैं उठा, देखा वो बिना ब्रा और पेंटी के शॉर्ट और टीशर्ट पहन रही थी.
 
मैंने उठ के उसे पकड़ा और टीशर्ट निकाल दी और कहा- आओ गुड वाली मोर्निंग करें!
कहती- बदमाश… जाओ! तुम मेरे हज़्बेंड नहीं हो जो सुबह ही चालू हो गये!
मैंने कहा- तू है इतनी हॉट!
‘क्यूँ ना होऊँ?’
मैंने कहा- बॉयफ्रेंड हूँ, हज़्बेंड नहीं, तभी तो लव ऑल टाइम!
तो कहती- क्यूँ प्यार करता है तू मुझे… मैं इतनी बड़ी हू आंटी जैसी!
तो मैं उसे अपने बदन से लिपटा कर बोला- कहाँ से आंटी लगती हो?
कहती- यह पेट देखो!
मैंने पेट चूम लिया.
कहती- मत करो!
फिर बोली- देखो मेरी टाँगें मोटी हो रही है.
मैंने वहाँ पप्पी ली तो कहती- लगती हूँ ना आंटी?
मैंने कहा- चलो इस आंटी को चोदना पसंद है मुझे!
कहती- छी… बहुत बुरे हो!
मैंने कहा- हाँ इस बुरे को तुम्हारी चुची पसंद हैं.
और मैंने चूसना शुरू किया.
फिर सुबह चुदाई का दौर काफी लम्बा चला उसके बाद मैंने उसको ऑफिस के पास छोड़ दिया और मैं अपना काम करने लगा.
एक घंटे के बाद मैंने देखा कि वो राम के साथ हंस हंस कर कैन्टीन में बात कर रही थी.
चुदाई की बात चल रही थी, वो कहता ‘ यार आराम से करना चाहिए!’
वो कहती- नहीं वाइल्ड!
मैं हैरान… यह क्या चल रहा है? फिर सोचा ‘यार… शी इस ओपन तो क्या है… अच्छा है इफ़ शी इस हैपी!’
फिर मैं कुछ दिन ऐसे ही देखता रहा उसकी मज़ाक-मस्ती राम के साथ!
वो थोड़ा गुंडा टाइप था और दिव्या को भी ऐसी लड़कपन वाली बातें पसंद थी.
एक दिन हुआ यूँ कि हम मूवी देखने गये, वहाँ किसी ने दिव्या की चुची रगड़ दी भीड़ में… मैंने उससे लड़ाई की, दिव्या खुश हुई, बोली- तुम ऐसे मेरी केयर करते अच्छे लगते हो!
खुश होकर उसने एक साइड पे मुझे पप्पी दी.
फिर मूवी देखते वक़्त कहती- मुझसे भी गुस्सा हो?
मैंने कहा- नहीं!
फिर उसने कहा- देख लो!
मैं गुस्सा उस आदमी पर था लेकिन मेरा गुस्सा मेरा काम बना गया, दिव्या ने मुझे मनाने के लिए मेरी पैंट के ऊपर से मेरा लंड दबा दिया.
मैं हैरान था, फिर मुस्कुरा दिया, मैंने उसकी चुची दबा दी.
फिर हमने डिनर किया और अपने अपने रूम पे आ गये.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे काल की तो काफ़ी देर उसका फोन बिज़ी आया.
फिर उसका फोन आया, मैंने पूछा- क्या कर रही थी?
बोली- राम से बात कर रही थी.
मुझे गुस्सा आया, मैंने सोचा ‘यार अब इसको कोई और चाहिए… तो इसकी खुशी क्यूँ फालतू में बिगाड़ना!
फिर सब ऐसे चलता रहा.
एक मेरी दोस्त थी ऑफिस की ही… वो मुझसे अपनी निजी ज़िंदगी शेयर करने लगी… मेरे ही दोस्त से उसके संबंध बन रहे थे और वो ना चाहते हुए या चाहते हुए उसके जाल में फंस रही थी.
लेकिन इस बारे में सोच कर परेशान होती तो मेरे पास आकर शेयर करती, मुझसे लिपट कर कहती- तू ही मेरा दोस्त है!
हम काफ़ी बात करते, मैं उससे मज़ाक भी करता, वो भी!
हमें देख कर हर कोई कहेगा कि वो मेरी गर्लफ्रेंड है.
फिर उसने मज़ाक में मुझे कहा- तू काश मेरा बॉयफ्रेंड होता!
मैंने कहा- अब बना ले!
वो ह्नास्ती और कहती- तू होता तो क्या करता?
मैंने उसे बांहों में भरा और कहा- तुझे चूमता!
कहती- हट साला बदमाश!
मैंने कहा- हाँ रे!
‘सच्ची?’ कहती.
फिर मैंने कहा- किस तो कर लूँ?
उसने कहा- हट मैं नहीं करूँगी!
मैंने कहा- डर गई?
कहती- जा नहीं डरती!
मैंने कहा- तो आ करें!
फिर हमने होंठ चिपका लिए और मेरा हाथ उसके बोबे पकड़ के सहलाने लगा.
वो अचानक से हटी, बोली- यार बस कर… साले मेरा फ़ायदा उठा रहा है!
फिर मैंने कहा- छोड़!

फिर हम उसके रिलेशनशिप की बात करने लगे, मेरा दोस्त उसका बहुत फायदा उठा रहा था, उसको बहला फुसला के धीरे धीरे नीचे ला रहा था.
एक दिन उसने बताया- यार कल उसने मुझे अपना बना लिया!
मैंने कहा- ओये तूने कर डाला?
कहती- यार ऐसे मत बोल! हो गया बस!
मैंने उसको गले लगाया और छेड़ते हुए बोला- अब तू औरत हो गई साली!
तो हंस कर वो बताने लगी- यार बस हम लिपटे हुए स्मूच कर रहे थे… अचानक क्या हुआ!
मैंने कहा- बता!
वो अपनी चुदाई की बात बताने लगी:
यार, मैं उसके रूम पे थी वो और मैं चुदाई की बातें कर रहे थे वो और मैं चूम रहे थे. अचानक उसने मेरा बोबा दबा दिया, मुझे कुछ हुआ, मैं लेट गई, वो ऊपर आकर चूमने लगा. फिर उसने मेरी शर्ट ऊपर की, मुझे अच्छा लगा, फिर उसने उतार दी और मेरी ब्रा भी… मैं शरमाने लगी तो उसने कहा ‘अभी शुरुआत है मेरी जान!
इतना कहते ही उसने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने उठ के उसका कच्छा उतार दिया लेकिन उसका देख कर मैं डर गई, उसने पहले मेरी चुची पकड़ी और काट लिया. मैंने उसके मुँह पे थप्पड़ लगा दिया तो उसने मेरे ऊपर आकर किस किया और मेरी चुची चूसने लगा, फिर चूमते हुए नीचे आया और मेरी शॉर्ट्स निकाल दी और उसके बाद पेंटी भी!
मुझे अजीब लगा.
फिर उसने अपना मेरे मुँह में दे दिया और मैं चूसने लगी.
अजीब था लेकिन फिर उसने मेरी टांगें खोल दी और मेरे ऊपर आ गया और बोला- थोड़ा दर्द होगा लेकिन सह लियो!
फिर उसने डाल दिया, और मेरी फट गई.
लेकिन थोड़ी देर बाद अच्छा लगा.
फिर कुछ देर बाद उसने अपना पानी मेरी चुची पर निकाल दिया हमने साफ किया.
उसके बाद मैं वहां से भाग आई.
अब वो मुझसे आँखें नहीं मिला पा रही थी, नजर नीचे करके पूछने लगी- अमित मैंने ठीक किया?
मैंने कहा- आ ज़रा!
वो मुझसे लिपट गई.
मैंने कहा- तू खुश है?
कहती- हाँ!
मैंने उसके होंठ चूमे और कहा- तो बस… अब तू औरत बन गई.
वो हंसने लगी और मुझे मारने लगी, कहती- तूने किया किसी के साथ?
मैंने उसका हाथ लेके अपने लंड पे रखा तो कहती- साले कितनी के साथ किया?
और मेरा लंड सहलाती रही, कहती- यार बड़ा सख़्त है!
मैंने कहा- दिखाऊँ?
वो इधर उधर देख कर बोली- चल कमरे में!
मैंने उसे दिखाया, बोली- वा!
मैंने कहा- करेगी मेरे साथ?
वो मुझे मार कर चली गई.
फिर हम में अश्लील मज़ाक चलते रहते.
मैंने उस रात दिव्या का कॉल अवाय्ड किया तो वो रूम पर आ गई, गुस्से में थी, रूम बंद करके बोली- फोन क्यूँ नहीं उठाया?
मैंने कहा- बिज़ी था.
फिर वो रोने लगी, बोली- मुझसे कुछ ग़लती हुई तो माफ़ कर दो!
उसने अपने टीशर्ट निकाल दी और कहा- प्लीज मुझे मत छोड़ना!
मैंने उसकी नंगी चूची देकही और एक को मुँह में लिया, उसको चूसा फिर उसके होंठ चूसे और कहा- नहीं यार, तू मेरी रानी है!
फिर उसने मेरे ऊपर लेट कर पूरे कपड़े निकाल के मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर कूदने लगी.
जब वो थक गई तो कहती- तुम आओ ना ऊपर!
फिर तो दोस्तो पूरी रात आपको पता है कि क्या हुआ.
 
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