मा बेटा और बहन की चुदाई कहानी

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(Ma Beta Aur Behan Ki Chudai Kahani)

मेरा नाम आमिर है और मेरी उमर 20 साल है है. मेरी एक छ्होटी बहन शुमैला है. वा अभी २१ साल है और कॉलेज मैं है. मों अब 40 की हैं. मों स्कूल मैं टीचर हैं और मैं यूनिवर्सिटी मैं हूँ. हमलोग करांची से है. पापा का 2 साल पहले इंतेक़ाल हो गया था. अब घर मैं सिर्फ़ हम टीन लोग ही हैं. यह अब से 6 मंत पहले हुवा था. एक रात मम्मी बहुत उदास लग रही थी. मैं समझ गया वा पापा को याद कर रही हैं. मैने उनको बहलाया और खुश करने की कोशिश की. मम्मी मेरे गले लग रोने लगी. तब मैने कहा, "मम्मी हम दोनो आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर पापा की कमी महसूस नही होने देंगे." शुमैला भी वहाँ आ गयी थी, वा भी मम्मी से बोली, "हन मम्मी प्लीज़ आप दिल छ्होटा ना करिए. भाईजान हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भाईजान हमलोगो का कितना ख़याल रखते हैं.""हन बेटी पर कुच्छ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे.""नही मम्मी आप भाईजान से कह कर्ट उ देखिए."खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गया. उसी रात शुमैला अपने रूम मैं थी.मैं रात को टाय्लेट के लिए उठा तू टाय्लेट जाते हुवे मम्मी के रूम से कुच्छ आवाज़ आई.

12 बाज चुके थे और मम्मी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके रूम की तरफ गया. मम्मी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मैं खोलकर अंदर गया तू चौंक गया. मम्मी अपनी शलवार उतरे अपनी छूट मैं एक मोमबत्ती दल रही थी. दरवाज़े के खुलने की आवाज़ पर उन्होने मुड़कर देखा. मुझे देख वा घबरा सी गयी. मैं भी शर्मा गया की बिना नॉक किए आ गया. मैं वापस मुड़ा तू मम्मी ने कहा, "बेटा आमिर प्लीज़ किसी से कहना नही." "नही मम्मी मैं किससे कहूँगा?" "बेटा जब से तेरे पापा इस दुनिया से गये है तब से आज टक्क मैं.." "श मम्मी मैं भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रीरट है पर क्या करूँ अब पापा तू हैं नही."
फिर मैं मम्मी के पास गया और उनके हाथो को पाकर बोला, "मम्मी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए." "बेटा आज भूल गयी." फिर मैं वापस आ गया. अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मैं वापस आया तू हमलोगो ने साथ ही छाई पी. छाई के बाद शुमैला बोली, "भाईजान बेज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ जो खाना हा."

मैं जाने लगा तू मम्मी ने कहा, "बेटा किचन मैं आओ तू कुच्छ और समान बता दे लेते आना." मैं किचन मैं जा बोला, "क्या लाना है मम्मी?" मम्मी ने बाहर झाँका और शुमैला को देखते धीरे से बोली, "बेटा 5- 6 बैगान लेते आना लंबे वेल." मैं मम्मी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, "मम्मी अंदर करने के लिए?" मम्मी शर्मा गयी और मैं भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बहा चला गया. सब्ज़ी लाकर शुमैला को दी और 4 बैगान लाया था जिनको अपने पास रख लिया. शुमैला ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले गये. तब करीब 11 बजे मम्मी मेरे रूम मैं आ बोली, "बेटा बैगान लाए थे?""हन मम्मी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है.

""कोई बात नही बेटे अब जो है सही है.""बहुत ढूँढा मम्मी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले.""क्या मतलब बेटा."मैं बोला, "मम्मी मतलब यह की इनसे लंबा और मोटा तू मेरा है."तब मम्मी ने कुच्छ सोचा फिर कहा, "क्या करें बेटा अब तू जो किस्मेट मैं है वहिसही." फिर मेरी पंत के उभार को देखते बोली, "बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?""हन मम्मी 8 इंच है.""श बेटा तेरे पापा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तू तेरे पापा की याद ताज़ी हो जाए.""लेकिन मम्मी मैं तू आपका बेटा हूँ.""हन बेटा तभी तू कह रही हूँ. तू मेरा बेटा है और अपनी मान से क्या शरम.तू एकदम अपने पापा पा गया हा. देखूं तेरा वा भी तेरे पापा के जैसा है यानही?"तब मैने अपनी पंत उतेरी और अंडरवेर उतारा तू मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मम्मी एकदम से खुश होगआई. वा मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, "हाए आमिर बेटा तेरे पापा का भी एकदम ऐसा ही था. हाए बेटा यह तू मुझे टर पापा का ही लग रहा है. बेटा क्या मैं इसे तोड़ा सा प्यार कर लून?"

"मम्मी अगर आपको इससे पापा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तू कर लीजिए.""बेटा मुझे तू लग रहा है की मैं इस तेरा नही बल्कि तेरे पापा का पकड़े हूँ."फिर मम्मी ने मेरे लंड को मुँह मैं लिया और चाटने लगी. यह मेर साथ पहली बार हो रहा था इसलिए मेरे लिए सम्हालना मुश्किल था. 6-7 मिनिट मैं ही मैं उनके मुँह मैं झार गया. 1 मिनिट बाद मम्मी ने लंड मुँह से बाहर किया और मेरे पास बैठ गयी. मैं बोला, "सॉरी मम्मी आपका मूँहगांदा कर दिया." "आहह बेटा तेरे पापा भी रोज़ रात मेरे मुँह को पहले ऐसे ही गंदा करते थे फिर मेरी च.." मम्मी इतना कह हप हो गयी. मैं उनके चेहरे को देखते बोला, "फिर क्या क्या करते थे पापा? मम्मी जो पापा इसके बाद करते थे वा मुझे बता दो तू मैं भी कर डून. आपको पापा की कमी नही महसूस होगी." मम्मी मेरे चेहरे को पाकर बोली, "बेटा यह जो हुवा है एक मान बेटे मैं ना होता. लेकिन बेटा इस वक़्त तुम मेरे बेटे नही बल्कि मेरे शौहर हो. अब तुम मेरे शौहर की तरह ही करो. वा मेरे मुँह मैं अपना झड़कर अपने मुँह से मेरी झारते थे फिर मुझे.." "मम्मी अब जब आप मुझे अपना शौहर कह रही है तू शर्मा क्यों रही हैं.

सबकुच्छ खुलकर कहिए ना.""बेटा तू सच कहता है, छा लब मेरी छूट चाट और फिर मुझे छोड़ जैसे तेरे पापा छोड़ता था.""ठीक है मम्मी आओ बिस्तर पर चलो." फिर मम्मी को अपने बेड पर लिटाया और उनको पूरा नंगा कर दिया. मम्मी की चूचियाँ अभी भी सख़्त थी. 2-3 साल से किसी ने टच नही किया था. मैने छूट को देखा तू मस्त हो गया. मम्मी की छूट कसी लग रही थी. 40 की उमर मैं मम्मी 30 की ही लग रही थी. मम्मी को बेड पर लिटा अपने कापरे अलग किए फिर मम्मी की चूचियाँ पाकर उनकी छूट पर मुँह रख दिया. चूचियों को दबा दबा छूट चाट अपने झारे लंड को कसने लगा. 8-10 मिनिट बाद मम्मी मेरे मुँह पर ही झाड़ गयी. वा अपनी गांद तेज़ी से उचका झाड़ रही थी. मैं मम्मी की झड़ती छूट मैं 1 मिनिट तक जीभ पेले रहा फिर उठकर ऊपर गया और चूचियों को मुँह से चूसने लगा. "हाअ आहह बेटा चूस अपनी मम्मी की चूचियों को. हाए पियो इनको हाए कितना मज़ा आ रहा है बेट एके साथ."
मेरा लंड अब फिर खरा था. 4-5 मिनिट बाद मम्मी ने मुझे अलग किया और फिर मेरे लंड को मुँह से चूस्कर खरा करने के बाद बोली, "बेटा अब छरह जा अपनी मान पर और छोड़ डाल." मैने मम्मी को बेड पर लिटाया और लंड को मम्मी के च्छेद पर लगा गॅप से अंदर कर दिया. अब मैं तेज़ी से चुदाई कर रहा था और दोनो चूचियों को दबा दबा चूस भी रहा था. मम्मी भी नीचे से गांद उच्छल रही थी. मैं धक्के लगता बोला, "मम्मी शाम को जब आपने बैगान लाने को कहा था तभी से दिल कर रहा था की काश अपनी मम्मी को मैं कुच्छ आराम दे सकूँ.

मेरी आरज़ू पूरी हुई.""बेटा अगर तू मुझे छोड़ना चाहता तट तू कोई गोली लेता आता. अब तू मेरे अंदर मत झड़ना. आज बाहर झड़ना फिर कल मैं गोली ले लूँगी तू ख़तरा नही होगा तब अंदर डालना पानी. छूट मैं गरम पानी बहुत मज़ा देता है." करीब 10 मिनिट बाद मेरा लंड झड़ने वाला हुवा तू मैने उसे बाहर किया और मम्मी से कहा, "हाः मम्मी अब मेरा निकालने वाला है.""हाए बेटा ला अपने पानी से अपनी मम्मी की चूचियों को भिगो दे." फिर मैं मम्मी की चूचियों पर पानी निकाला. झारकर अलग हुवा तू मम्मी अपनी चूचियों पर मेरे लंड का पानी लगती बोली, "बेटा तू एकदम अपने बाप की तरह छोड़ता है. वा भी ऐसा ही मज़ा देते थे. आहह बेटा अब तू सो." फिर मम्मी अपने रूम मैं चली गयी और मैं भी सो गया. अगले दिन मम्मी बहुत खुश लग रही थी. शुमैला भी मम्मी को देख रही थी. नाश्ते पर उसने पूच ही लिया, "मम्मी आप बहुत खुश लग रही हो?""हन बेटी अब मैं हमेशा खुश रहूंगी.""क्यों मम्मी क्या हो गया?" वा भी मुस्करती बोली."कुच्छ नही बेटी तुम्हारे भाईजान मेरा खूब ख्याल रखता है ना इसलिए.""हन मम्मी भाईजान बहुत आचे हैं."फिर वा कॉलेज चली गयी और मैं यूनिवर्सिटी.उस रात मम्मी ने गोली ले लिट ही और अपनी छूट मैं ही मेरा पानी लिया था. हम दोनो मांबेटे 1 महीने इसी तरह मज़ा लेते रहे.

एक रात जब मैं मम्मी को छोड़ रहा तट उ मम्मी ने मुझसे पूचछा, "आमिर बेटा एक बात तू बता.""क्या मम्मी" "बेटा अब शुमैला बड़ी हो रही है उसकी शादी करनी है. इस उमर मैं लड़कियों की शादी कर देनी चाहिए वरना अगर वा कुच्छ उल्टा सीधा कर ले तू बहुत बदनामी होती है." "मम्मी आप सही कह रही हो. अब उसके लिए कोई लड़का देखना होगा." "हन बेटा, अच्छा एक बात तू बता तुमको शुमैला कैसी लगती है?" "क्या मतलब मम्मी?" "मतलब तुझे अच्छी लगती है तू इसका मतलब वा किसी को भी अच्छी लगेगी और उसे कोई लड़का पसंद कर लेगा तू उसकी शादी कर देंगे.""हन मम्मी शुमैला बहुत खूबसूरत हा." "तू उसे कभी कभी अजीब सी नज़रो से देखता है?" मैं अपनी चोरी पकड़े जाने पर घबरा कर बोला, "न नही मम्मी ऐसी बात नही?" "कल तू उसकी चूचियों को घूर रहा था.""नही मम्मी." "पगले मुझसे झूठ बोलता है.

सच बता." मैं शरमाता सा बोला, "मम्मी कल वा बहुत अच्छी लग रही थी. कल वा छ्होटसा कसा कुर्ता पहने तीन आ जिससे उसकी चूचियाँ बहुत अची लग रही थी." " तुझे पसंद है शुमैला की चूचियाँ?" मैं चुप रहा तू मम्मी ने मेरे लंड को अपनी छूट से जाकड़ कहा, "बताओ ना वाहतोड़े ना सुन रही है?" "हन मम्मी." "उसकी चूचियों को कभी देखा है?""नही मम्मी.""देखेगा?""कैसे?""पगले कोशिश किया कर उसे देखने की जब वा कापरे बदले तब या जब वा नहाने जाए तब.""ठीक है मम्मी पर वा दरवाज़ा बंद करके सब करती है.""हन पर तू जब भी घर पर रहा कर तब तहमद पहना करो और नीचे अंडरवेर नही. अपने लंड को तहमद मैं खड़ा कर उसे दिखाया करो. सोते मैं लंड को तहमद से बाहर निकले रखना मैं उसको तुम्हारे रूम मैं झारू लगाने भेजू तू उसे अपना दिखाया करो और तुम अब उसकी चूचियों को घूरा करो और उसे छ्छूने की कोशिश किया करो."

मैं मम्मी की बात मस्त हो उसे तेज़ी से छोड़ने लगा. वा तेज़ी से चुड्ती हाए हाए करती बोली, "हे बहन को देखने की बात सुन इतना मस्त हो गया की मम्मी की छूट की धज्जी उड़ते दे रहा है." फिर मेरी कमर को अपने पैरो से कस बोली, "छोड़ अपनी मम्मी को हाअ आज मुझे छोड़ कल से अपनी बहन पर लाइन मारो और उसे पाटकर छोड़ो."फिर 4-5 धक्के लगा मैं झरने लगा. झरने के बाद मैं मम्मी से चिपक बोला, "मम्मी शुमैला तू मेरी छ्होटी बहन है, भला मैं उसके साथ कैसे..?""जब तू अपनी माँ के साथ चुदाई कर सकता है तू अपनी बहन के साथ क्यों नही?""मम्मी आपकी बात और है.""क्यों?""मम्मी आप पापा के साथ सब कर चुकी हैं और अब उनके ना रहने पर मैं तू उनकी कमी पूरी कर रहा हूँ. लेकिन शुमैला तू अभी अनचू..""अनचुड़ी है, यही कहना चाह रहा है ना?""हन मम्मी.""बेटा अब तेरी बहन २१ की हो गयी है.

इस उमर मैं लड़कियों को बहुत मस्ती आती है. आजकल वा कॉलेज भी जा रही है. मुझे लगता है की उसके कॉलेज के कुच्छ लड़के उसको फँसाने की कोशिश कर रहे हैं. पड़ोस के भी कुच्छ लड़के तेरी बहन पर नज़रे जमाए हैं. अगर तू उसे घर पर ही उसकी जवानी का मज़ा उसे दे देगा तू वा बाहर के लड़कों के चक्कर मैं नही पड़ेगी और अपनी बदनामी भी नही होगी." "मान आप सही कह रही हो मैं अपनी बहन को बाहर नही चूड़ने दूँगा. सच मम्मी शुमैला कीट उ बहुत मस्त चूचियाँ दिखती हैं. मम्मी टब ही उसे तैय्यर करो." "करूँगी बेटा, मैं उसे भी यही सब धीरे धीरे समझा दूँगी." फिर अगले दिन जब मैं सुबह सुबह उठा तू देखा की वा मेरे रूम मैं झारू दे रही है. मैं उसे देखने लगा. वा कसी हुई कमीज़ पहने थी और झुककर झारू देने से उसकी लटक रही चूचियाँ हिलहील बहुत प्यारी लग रही थी. तभी उसकी नज़र मुझपर पड़ी. मुझे अपनी चूचियों को घूरता पा वा मूड गयी और जल्दी से झारू पूरी कर चली गयी. मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता कर टीवी देखने लगा. उस दिन च्छुतटी थी इसलिए किसी को कही नही जाना था. मम्मी भी टीवी देख रही थी. शुमैला भी आ गैट उ मैने उसे अपने पास बिता लिया. मैं उसकी कसी कमीज़ से झाँकति चूचियों को ही देख रहा था. मम्मी ने मुझे देखा तू चुपके से मुस्कराती इशारा करते कहा की ठीक जेया रहे हो.

शुमैला कभी कभी मुझे देखती तू अपनी चूचियों को घूरता पा वा सिमट जाती. आख़िर वा उठकर मम्मी के पास चली गयी. मम्मी ने उसे अपने गले से लगते पोच्छा, "क्या हुवा बेटी?""कुच्छ नही मम्मी." वा बोली."तू यहाँ क्यों आ गयी बेटी जा भाई के पास ऐत.""मम्मी ववववाह ब्ब भाईजान." वा फुसफुसते हुवे बोली. मम्मी भी उसी की तरह फुसफुसाई, "क्या भाईजान.""मम्मी भाईजान आज कुच्छ अजीब हरकत कर रहे हैं." वा धीरे से बोली तू मम्मी ने कहा, "क्या कर रहा तेरा भा?""मम्मी यहाँ से चलो तू बतौन." मम्मी उसे ले अपने रूम की तरफ गयी और मुझे पिच्चे आने का इशारा किया. मैं उंदोनो के रूम के अंदर जाते ही जल्दी से मम्मी के रूम के पास गया. मम्मी ने दरवाज़ा पूरा बंद नही किया था और पर्दे से च्छुपकर मैं दोनो को देखने लगा. मम्मी ने शुमैला को अपनी गोद मैं बिताया और बोली, "क्या बात है बेटी जोत उ मुझे यहाँ लाई है?" "मम्मी आज भाईजान मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे जैसे कॉलेज के.." "क्या पूरी बात बताओ शुमैला बेटी."

"मम्मी आज भाईजान मेरी इनको बहुत घूर रहे है, जैसे कॉलेज मैं लड़के घूरते हैं." "इनको." मम्मी ने उसकी चूचियों को पकरा तू वा शरमाती सी बोली, "ज्ज्ज जी मम्मी." "अरे बेटी अब तू जवान हो गयी है और तेरी यह चूचियाँ बहुत प्यारी हो गयी हैं इसीलिए कॉलेज मैं लड़के इनको घूरते हैं. तेरा भाई भी इसीलिए देख रहा होगा की उसकी बहन कितनी खूबसूरत है और उसकी चूचियाँ कितनी जवान हैं." "मम्मी आप भी.." वा शरमाई. "अरे बेटी मुझसे क्या शरम. बेटी कॉलेज के लड़कों के चक्कर मैं मत आना वरना बदनामी होगी. अगर तू अपनी जवानी का मज़ा लेना चाहती है तू मुझसे बताना."

"मम्मी आप तू जाइए हटिए." "अच्छा बेटी एक बात तू बता, जब भाईजान तेरी दोनो मस्त जवानियों को घूरते हैं तू तुझे कैसा लगता है?""मम्मी हटिए मैं जा रही हूँ." "अरे पगली फिर शरमाई, चल बता कैसा लगता है जब तुम्हारे भाईजान इनको देखते हैं?" "ज्ज्ज ज्जई अच्छा तू लगा पर.." "पर वॉर कुच्छ नही बेटी, जानती है बाहर के लड़के तेरे यह देखकर क्या सोचते हैं?" "क्या मम्मी?" "यही की हाए तेरे दोनो अनार कितने कड़क और रसीले हैं. वा सब तेरे इन अनारो का रस्स पीना चाहते हैं." "मम्मी चुप रहिए मुझे शरम आती है." "अरे बेटी वाइस ईक बात है इनको लड़के के मुँह मैं देकर चूसने मैं बहुत मज़ा आता है. जानती हो लड़के इनको चूस्कर बहुत मज़ा देते हैं. अगर एक बार कोई लड़का तेरे अनार चूस ले तू तेरा मॅन रोज़ रोज़ चूसने को करेगा और अगर कोई तेरी नीचे वाली चाटकार तुझे छोड़ दे तब तू बिना लड़के के रह ही नही पाएगी." "अब मैं जा रही हूँ मम्मी मुझे नही करवाना तह सब." "हन बेटा कभी किसी बाहर के लड़के से कुच्छ भी नही करवाना वरना बहुत दर्र और बदनामी होती है. हन अगर तेरा मॅन हो तू मुझे बताना.""मम्मी..""अच्छा बेटी चल अब कुच्छ खाना वाना लिया जाए तेरा भाई भूखा होगा.

जा तू उससे पूच क्या खाएगा, जो खाने को कहे बना देना."फिर मैं भाग कर टीवी देखने आ गया. थोड़ी देर बाद शुमैला आई और मुझसे बोली, "भाईजान.""हूँ.""भाईजान जो खाना हो बता दीजिए मैं बनती मम्मी आराम कर रही हैं."मैं उसकी चूचियों को घूरते अपने हूँट पर ज़बान फेरता बोला, "क्या क्या खिलाओगी?"वा मेरी इस हरक़त से शरमाई और नज़रे झुका बोली, "जो भी आप कहें."मैने उसका हाथ पकड़ अपने पास बिताया और चूचियों को घूरता बोला,"ख़ौँगा तू बहुत कुच्छ पर पहले इनका रस्स पीला दो.""ज्ज जी क्या भाईजान किसका रस्स?" वा घबराती सी बोली.मैं बात बदलता बोला, "मेरा मतलब है पहेल एक छाई ला दे फिर जो चाहे बना लो.वा चली गयी. मैं उसको जाते देखता रहा. 5 मिनिट बाद वा छाई लेकर आई तू मैने उसे कहा, "अपने लिए नही लाई?" "मैं नही पियूंगी."
"पियो ना लो इसी मैं पीलो. एक साथ पीने से आपस मैं प्यार बर्हता है."वा मेरी बात सुन शरमाई फिर कुच्छ सोच पास बैठ गयी तू मैने कप उसकहूँटो से लगाया तू उसने एक सीप लिया फिर मैं ईक सीप लिया. इस तरह से पूरी छाई ख़तम हुई तू वा बोली, "अब खाने का इंतेज़ाम करती हूँ."

मैने उसका हाथ पकड़ खींचते हुवे कहा, "अभी क्या जल्दी है थोड़ी देर रूको बहुत अच्छा प्रोग्राम आ रहा देखो." मेरे खींचने पर वा मेरे ओपर गिरी थी. वा हटने की कोशिश कर रही थी पर मैने उसे हटने नही दिया तू वा बोली, "हाए भाईजान हटिए क्या कर रहे हैं?" "कुच्छ भी तू नही टीवी देखो मैं भी देखता हूँ." "ठीक है पर छ्होरिय तू ठीक से बैठकर देखूं." "ठीक से बैठी हू, शुमैला मेरी छ्होटी बहन अपने बड़े भाई की गोद मैं बैठकर देखो ना टीवी."वा चुप रही और हम टीवी देखने लगे. थोड़ी देर बाद मैने उसके हाथो को अपने हाथो से इस तरह दबाया की उसकी कमीज़ सिकुड कर आयेज को हुई और उसकी दोनो चूचियाँ दिखने लगी. उसकी नज़र अपनी चूचियों पर पड़ी तू वा जल्दी से मेरी गोद से उतार गयी और तभी मम्मी ने उसे आवाज़ दी तू वा उठकर चली गयी. मैं भी पहले की तरह पर्दे के पीछे चिप देखने लगा. वा अंदर गयी तू मम्मी ने पूचछा, "क्या हुवा बेटी आमिर ने बताया नही क्या खाएगा?" "व्वाह वा मम्मी भाईजान ने.." "क्या भाईजान ने, बताओ ना बेटी क्या किया तेरे भाई ने?" "वा भाईजान ने मुझे अपनी गोद मैं बिता लिया था और फिर अओर फिर.." "और फिर क्या?""और और कुच्छ नही.""

अरे अगर तेरे भाई ने तुझे अपनी गोद मैनबिता लिया तू क्या हुवा, आख़िर वा तेरा बड़ा भाई है. अच्छा यह बता उसने ग्ड मैं ही बिताया था या कुच्छ और भी किया था?" "और तू कुच्छ नही मम्मी भाईजान ने फिर मेरी दोनो को देख लिया था." "मुझे लग रहा है मेरे बेटे को अपनी बहन की दोनो रसीली चूचियाँ पसंद आ गयी हैं तभी वा बार बार इनको देख रहा. बेचारा मेरा बेटा, अपनी ही बहन की चूचियों को पसंद करता है. अगर बाहर की कोई लड़की होती तू देख लेता जी भरकर पर टर साथ वा डरता होगा. अच्छा बेटी यह बता जब तुम्हारे भाईजान तेरी चूचियों को घूरता है तू तुमको कैसा लगता है?" "ज्जज्ज जी मम्मी वा वा लगता तू अच्छा है पर." "पर क्या बेटी. अरे तुझे तू खुश होना चाहिए की तुम्हारा अपना भाई ही तुम्हारी चूचियों का दीवाना हो गया हा. अगर मैं तेरी जगह होती तू मैं तू बहाने बहाने से अपने भाई को दिखती." "मम्मी.""हन बेटी सच कह रही हूँ.

क्या तुझे अच्छा नही लगता की कोई तेरा दीवाना हो और हर वक़्त बस तेरे बारे मैं सोचे और तुझे देखना चाहे. तुझे छोड़ना चाहे." "मम्मी आप भी.""अरे बेटी कोई बात नही जेया अपने भाई को बेचारे को दो चार बार अपनी दोनो मस्त जवानियों की झलक दिखा दिया कर. वैसे उस बेचारे की ग़लती नही, तू है ही इतनी कड़क जवान की वा क्या करे. देख ना अपनी दोनो चूचियों को लग रहा है अभी कमीज़ फाड़कर बाहर आ जाएँगी. जेया तू भाई के पास जाकर टीवी देख और बेचारे को अपनी झलक दे मैं खाने का इंतेज़ां करती हूँ. खाना तैय्यर होने पर तुम दोनो को बुला लूँगी."
 
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