मेरे सर ने किया मेरी गांड का जबरदस्त उद्घाटन

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कुछ ही समय गुजरा होगा और मैं शायद सो गया था कि तभी अचानक मेरी आँख खुल गयी. वजह थी कि सर का हाथ मेरे लंड पर था. फिर मैंने उनका हाथ वहाँ से हटा दिया और कुछ देर सोचता रहा. सर का मजबूत शरीर और बाल से भरा हुआ सीना मेरे सामने था. उनके शरीर से आती हुई पशीने की महक मुझे मदहोश कर रही थी. शायद पहली बार मुझे लगा कि मेरे अंदर की लड़की जाग रही है…

हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम मनु है और मेरी उम्र 28 साल है. मैं दिल्ली में रहता हूँ और यहां पर एक बैंक में काम करता हूं. आज मैं अन्तर्वासना पर अपने पहले सेक्स की कहानी लिख रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि आपको सब को पसंद आएगी.

मैं 6 फिट लंबा स्लिम सा औसत दिखने वाला लड़का हूँ. मेरी ये कहानी तब की है जब मैं इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष का छात्र था. मैं कॉलेज से बाहर शहर में किराये पर एक कमरा लेकर रहता था. घटना वाले दिन मुझे कॉलेज के लिए देर हो गई थी और दिन के 12 बज रहे थे. जेठ की दोपहर थी और गर्मी अपने शबाब पर थी. धूप का सितम ऐसा था कि दूर – दूर तक कहीं कोई नहीं दिख ही रहा था.

खैर किसी तरह मैं अपने कॉलेज पहुँच गया. जैसे ही मैंने कॉलेज के प्रवेश द्वार पर गया तो करीब 6 फिट लंबे और मजबूत शरीर वाले दरबान सुरेश ने मुझे रोक लिया. हालांकि वो मुझे पहले से ही जनता था लेकिन मेरे देर से पहुंचने के कारण उसने मुझे रोका था, क्योंकि उसको रजिस्टर में इन सब का कुछ हिसाब रखना पड़ता था.

इसलिए रोक कर उसने मुझसे पूछा – और मनु बाबू, आज देर कैसे हो गई?

मैंने भी कहा – कुछ नहीं भैया, जरा बैंक तक गया था तो वहां पर काफी भीड़ थी तो कुछ देर बाद ही मेरा नंबर आया, इसलिए थोड़ी देर हो गई है.

मेरे मुंह से अपने लिए भैया शब्द सुन कर उसके चेहरे का भाव बदल गया. खैर उसने अपने रजिस्टर को मेनटेन किया और मैं उसके सवाल का जवाब देकर आगे बढ़ चला, मुझे लगा कि वो मुझे दूर तक देखता रहा. खैर मैं पढ़ने वाला बच्चा था तो मुझे इन सब चीजों की ज्यादा समझ नहीं थी, इसलिए मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

वहां से आगे बढ़ कर मैंने जैसे ही कॉलेज की मुख्य बिल्डिंग में प्रवेश किया तो वहां पर जो देखा उससे मेरे चेहरे पर एकदम से खुशी आ गयी. सामने से मेरे सीनियर संजय सर चले आ रहे थे. पहले मैं आपको संजय सर के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे देता हूँ. संजय सर मेरे पसंदीदा सीनियर थे और अब वो कोलकाता में एक कंपनी में जॉब करते हैं. वो सांवले रंग के तंदरुस्त शरीर के मालिक थे और जब मैं कॉलेज में नया – नया आया था, तब उन्होंने एडमिशन, नोट्स से लेकर हर चीज में मेरी बहुत मदद की थी.

सामने से उनको आता देख मैंने उनको आवाज दिया मुझे देख कर वो रुक गए और मैं दौड़ कर उनके गले से लग गया. गले से लगता भी क्यों नहीं, आखिर पूरे 4 महीने के बाद उनसे जो मिला था. फिर मैंने उनसे पूछा कि वो कॉलेज में क्या कर रहे हैं. तो उन्होंने बताया कि वो अपना ओरिजनल सर्टिफिकेट लेने के लिए यहां आये हुए हैं, लेकिन संबंधित कर्मचारी छुट्टी पर गया हुआ है, जिसकी वजह से उनका काम नहीं हो पाया और उनको अगले दिन आने के लिए कहा गया था.

उनसे बातें करने के दौरान मैंने पूछा कि अब वो क्या करेंगे? तो उन्होंने कहा कि अब यहां से जाकर किसी होटल में रुकेंगे. तो मैंने उनसे कहा कि अगर वो थोड़ी देर तक रुक जाएं तो मैं उनके साथ चलूँगा और वो आज रात मेरे यहां मेरे रूम पर रुक सकते हैं.

उन्हें भला क्या आपत्ति हो सकती थी, वो मान गए और कॉलेज की कैंटीन में जाकर मेरा इन्तजार करने लगे. मैंने भी कॉलेज में अपना जरुरी असाइनमेंट जमा किया और संजय सर को लेकर अपने रूम के लिए निकल पड़ा. कुछ याद नहीं कि कितने पल गुजरे, कितनी दूरी गुजरी, खुशी का आलम ऐसा था कि पता ही नहीं चला कि कब हम रूम पर आ गए थे. बिखरा हुआ रूम, बिखरी हुई किताबें और जमीन पर बिछा हुआ एक गद्दा, यही तो है एक अकेले रहने वाले के रूम की परिभाषा. खैर जल्दी – जल्दी मैंने रूम सही किया और फिर हाथ – पैर धोकर एक छोटा सा बिछावन जो जमीन पर बिछा था उसपर बैठ गए.

फिर मैंने टिफिन सर्विस वाले को फोन किया कि आज वो दो टिफिन भिजवा दे. टिफिन आने तक हम दोनों दुनिया भर की बहुत सारी बातें करते रहें. टिफिन आने के बाद दोनों ने साथ में खाना खाया. गर्मी के दिनों में तो खाने के बाद बहुत बुरी नींद आती है, तो हम दोनों भी सो गए. शाम को करीब 6.30 बजे हमारी नींद खुली तो हम दोनों शहर घूमने का प्लान बनाया और फिर कपड़े पहन कर निकल पड़े. शहर को देख कर सर अपने पुराने दिनों के किस्से सुना रहे थे, जिन्हें सुन कर मुझे बहुत मजा आ रहा था.

बाहर हमें घूमते हुए रात के 9 बज गए थे. तो हम दोनों ने बाहर ही खाना खाया और फिर वापस रूम पर लौट आये. रूम पर आकर हम लैपटॉप पर एक अंग्रेजी फिल्म लगा कर देखने लगे. जब फिल्म खत्म हुई तो उस समय 12.10 बज गए थे और हमें नींद भी आने लगी थी. गर्मी काफी ज्यादा होने की वजह से हम दोनों ने अपने कपड़े निकाल दिए और सिर्फ अंडरवियर में ही वहीं जमीन पर ही सो गए.

कुछ ही समय गुजरा होगा और मैं शायद सो गया था कि तभी अचानक मेरी आँख खुल गयी. जिसकी वजह थी कि सर का हाथ मेरे लंड पर था. फिर मैंने उनका हाथ वहाँ से हटा दिया और कुछ देर तक उसके बारे में सोचता रहा. सर का मजबूत शरीर और बाल से भरा हुआ उनका सीना मेरे सामने था. उनके शरीर से आती हुई पशीने की महक मुझे मदहोश कर रही थी. शायद पहली बार मुझे लगा कि मेरे अंदर की लड़की जाग रही है.

खैर मैंने करवट बदला और सोने का नाटक करते हुए सर के सीने से चिपक गया. उफ क्या मर्दाना खुशबू थी वो! सर के सीने से चिपक कर मुझे लगा कि दुनिया में सबसे महफूज़ जगह यही है. उनके शरीर से निकलता हुआ पशीना मुझे और भी पागल बना रहा था. तभी सर ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं तो गलत – सही का फर्क ही नहीं कर पा रहा था. मैं वैसे ही सोया रहा, कुछ देर बाद मुझे लगा कि सर मुझे अपने सीने की तरफ चिपका रहे हैं. मदहोशी में मैं भी उनसे चिपक गया.

सर धीरे – धीरे अपना सीना मुझसे रगड़ने लगे थे तो फिर मैंने भी अपनी तरफ से शुरुआत कर दिया और उनको जोर से पकड़ कर उनसे चिपक गया. अब सर समझ गए थे कि मैं क्या चाहता हूं. पर मेरे लिए ये सब कुछ बिल्कुल नया और बिल्कुल अजीब था, लेकिन जो भी हो रहा था वो बहुत मजेदार और सुखद लग रहा था. अब हमारे प्यार और वासना की गाड़ी लाइन पर आ गयी थी और हमारे होंठ एक – दूसरे को ऐसे चूस रहे थे जैसे आज एक दूसरे को खा जाएंगे.

बेचैनी और उत्तेजना की वजह से एक – दूसरे को चूमते वक़्त हमारी लार मुँह से निकल कर बहने लगा था और उनका काला अंडरवियर एकदम से छतरी बन गया था. अब सर ने वासना की गाड़ी को नीचे ले जाना शुरू कर दिया और उनके होंठ अब मेरी गर्दन पर पहुंच गए थे. जिससे मैं हवा में दूर कहीं पतंग की तरह मस्ती में लहरा रहा था.

काफी देर तक मेरे शरीर को चाटने के बाद अब वो पल आ गया था, जब सर ने अपना अंडरवियर उतार कर अपना हथियार मेरे हाथ में दे दिया. अंधेरे में कुछ दिखाई तो नहीं दिया, लेकिन उसे हाथ में लेकर महसूस हो गया था कि उनका हथियार काफी मोटा और टाइट है.

तभी सर ने सन्नाटा खत्म करते हुए कहा – चूस इसको.

मैं तुरन्त ही अपना मुँह को उनके लंड के पास ले गया. उनके लंड से एक अजीब सी बदबू आ रही थी, जिससे लगा कि उल्टी हो जायेगी और मैंने मना कर दिया. तभी वो हुआ जो मैंने सोचा नहीं था, सर ने मुझे पटक कर मेरे मुँह में लौड़ा पेल दिया. जिससे मेरे मुँह से गूँ गूँ की आवाज़ आने लगी और ऐसा लग रहा था कि अभी तुरन्त उल्टी हो जायेगी. लेकिन सर जानवर बन गए थे और मेरे मुँह को चोदे जा रहे थे.

जब कुछ समय गुजर गया तो मुझे भी मजा आने लगा और मैं चप्पे लगा – लगा कर उनका लौड़ा चूसने लगा. उनका लौड़ा थूक की वजह से एकदम गीला हो रहा था. तभी सर ने मुँह से लौड़ा खींच लिया और मेरी टांग उठा कर मेरे गांड के छेद पर अपना मुँह रख दिया. मुझे घिन सी आयी लेकिन तभी सर की जीभ ने अपना कमाल दिखाना शुरू किया.

जब वो अपनी जीभ को मेरी गांड में घुसेड़ते तो लगता कि मैं जन्नत में आ गया. उन्होंने मेरी गांड चाट कर गांड को एकदम चिकना कर दिया था. अब बारी थी मेरी गांड को ठोकने की. उन्होंने मेरी टांग को अपने कंधे पर रखा तो सामने से मेरी गांड तरबूज की तरह दो भाग में फट गयी और छेद सामने की तरफ हो गया.

अंधेरे में ही उन्होंने आखिरी बार थूक कर के छेद पर ढेर सारा थूक दिया और कुछ थूक मुँह से निकाल कर अपने लंड पर लगाया. फिर अपने आप को सेट करते हुए लंड और गांड के मुँह का एक – दूसरे से मिलन कराया और उसी स्थिति में मेरा हाथ पकड़ते हुए अपना सारा वजन मेरे ऊपर डालना शुरू किया. फक की आवाज हुई और मैं थोड़ा सा कसमसाया, लेकिन उनके लंड का टोपा मेरी गांड में अपनी जगह बना चुका था.

मैं कुछ कहता तब तक उन्होंने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और उनका 6 इंच का लंड मेरी गांड में टट्टी को हटाता हुआ सेट हो गया था. मैं दर्द से बिलबिला उठा, लेकिन उनको तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ता था. पहली चुदाई में मेरी गांड से खून तो नहीं आया लेकिन मेरा तो बाकी सब हो गया. वो मुझे बुरी तरह से दबा कर लंड को आगे – पीछे सरकाने लगे.

मैंने हर संभव कोशिश की कि उनका लंड बाहर निकल जाये, लेकिन सब कोशिश बेकार चली गयी. वो अब हचक – हचक कर मेरी गांड मार रहे थे और मैं दर्द और मजा दोनों को महसूस कर रहा था. मुझे अपनी गांड के अंदर कुछ गर्म लोहा सा महसूस हो रहा था. अब लंड ने अच्छे तरीके से अपनी जगह बना ली थी और गांड पर लगे थूक की वजह से फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी थी. जब सर का आण्ड मेरी गांड पर लगता था तो पत्त – पत्त, थप्प – थप्प की आवाज़ आती थी.

पूरा वातावरण वासना में डूब गया था और कमरे में अजीब सी खुमारी फैली हुई थी. उनका हर एक झटका मुझे आनंद की नई ऊंचाई पर ले जा रहा था. उनके तेज होते झटके से मेरी गांड का चूल्हा बन गया था. अब उनका झटका इतना तेज़ हो गया था कि मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और फिर वो पल भी आ गया, जब मेरी गांड के अंदर लंड ने चार झटका लिया और मेरी गांड सर के वीर्य से भर गई.

सर मेरे ऊपर लेट कर हांफने लगे थे. कुछ देर बाद उन्होंने फच्च की आवाज़ के साथ अपना लंड बाहर खींच लिया और बाथरूम चले गए. मैंने हाथ लगा कर नीचे देखा तो पाया कि गांड अभी भी अपना मुँह खोले हुए है. शायद मेरी गांड छिल गयी थी और गांड ऐसे खुली थी कि अगर आप पेशाब करते तो वो सीधे गांड में ही जाता.

मैं वैसे ही लेटा रहा और गांड का मुह बंद होने का इंतज़ार कर रहा था, तभी सर आ गए वो एक बार फिर से मेरी गांड का मुँह खोलने को तैयार थे.
 
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