मैडम की मारी टेबल पर लिटाकर

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नमस्ते दोतों,

मैंने विनु प्रसाद आपका अपनी इस नवीनतम कहानी में स्वागत करता हूँ और उम्मीद करता हूँ की आज आपको मेरी मैडम के साथ की चुदाई खूब पसंद आयगी | दोस्तों, मैं पढाई में इतना अच्छा नहीं पढता था जिसके कारण अक्सर ही मेरी विघ्यान की मैडम मुझे हमेशा ही अपनी एक्स्ट्रा - क्लास में रोक लेती और कुछ बच्चों के साथ ज़बरदस्ती ही पढाया करती थी | मेरा धयान अक्सर ही किताबों में ना रहता हूँ मेरी मैडम के दिख रहे चुचों के बीच गलियारे में रहता था जिसकी मुझे यह भनक नहीं थी कि मैडम को भी मेरी नज़रों के बारे में खूब पता था | मैं मैडम के चुचों को अच्छी तरह से सामने से देखने के लिए उनके पास आकर कुछ सवाल पूछता जिससे मेरा लंड उनके चुचों को मस्त वाला तन जाया करता था |

एक दिन इसी तरह उनके चुचों के लिए ताक - झांकी करते हुए मुझे अदम कुछ सवाल बता रही थी तभी एक्स्ट्रा - क्लास का समय भी खत्म हो चला और वो बचे - कुचे बच्चे भी चले गए | अब तो मस्त में उनके झुके होने पर चुचों को उचक - उचककर देख रहा और अचानक से मेरे लंड को किसी ने पकड़ लिया और किसी और हाथ नहीं बल्कि मेरी मैडम का ही था साथ ही कहने लगी,

मैडम - क्यूँ रे हीरो . . तू क्या समझता है मुझे तेरी नज़रों का कुछ नहीं पता . . ले अब देख जी भर के . . ! !

उन्होंने यह कहते हुए अपने कुर्ती को पूरा ही एक बार में निकाल दिया | मैंने मैडम के काले ब्रा के साथ ही उनके चुचों को लगभग साफ़ देख सकता था और अब मेरे हाथ भी आगे बढ़ने से ना रुके | दोस्तों मैंने उसी वक्त आगे बढ़कर उनके ब्रा को खोलकर चुचों को मस्त तरीके से दबाते हुए अपने हाथों भरकर चूसने लगा जिसपर वो भी उत्तेजित हो चली और मुझसे चिपककर मुझसे चुम्मा - चाटी करने लगी | कुछ ही पल में मैं अपने पुरे कपड़े उतारने लगा और उनके चुचों को चूस रहा था | नीचे से अब मदेम भी मेरे लंड को मसल रही थी बड़ी ही फुर्ती में आती हुई और साथ ही चूसने भी लगी जिससे मैं पूरी तरह गरमा गया |

मेरा लंड अब सख्ती में अत हुआ उन्हें चोदने को तरसने लगा और मैंने अपने लंड को उनके मुंह से निकाल दिया और साथ ही उन्हें वहीँ के टेबल पर लिटाकर पैंटी भी उतार दी और उन्की चुत की फांकों के बीच रगड़ने लगा | वो भी मज़े ले रही थी कि मैं अपने लंड को उनकी चुत के अंदर - बाहर करना चली कर दिया | मैंने झटकों कि रफ़्तार उनकी चुत में बढ़ा दी जिससे कुछ ही देर में मेरा लंड उनकी चुत में पूरा जाने लगा | वो अब जोर - जोर अपने होठों मिस्मिसाते हुए तेज झटकों के लिए तरस रही थी और मैं भी अपनी मैडम कि चुत में तेज़ी से अपने लंड को घुमाता चला गया और साथ ही उसके होंठों को भी दबोच लेता | इस तरह हमने कुछ घंटे बिताए और उनकी चुत में थक हार कर मैं झड भी गया | उस दिन के बाद से मैं रोज ही एक्स्ट्रा - क्लास से बाद अपनी मैडम कि यूँही चुत मारा करता |
 
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