Antarvasna, hindi sex stories: मैं जिस कॉलोनी में रहता हूं उसी कॉलोनी में महिमा भी रहती है लेकिन महिमा और मेरे बीच अब बिल्कुल भी बात नहीं होती पहले हम लोग बहुत ही अच्छे दोस्त थे लेकिन अब महिमा मुझे अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती हैं। उसका ऐसा मानना है कि मेरी वजह से ही उसकी जिंदगी पूरी तरीके से बर्बाद हुई है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मैंने तो हमेशा से ही महिमा को सपोर्ट करने की कोशिश की लेकिन महिमा को ना जाने मुझसे अब क्या परेशानी होने लगी थी जिस वजह से वह मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं किया करती थी। एक दिन हमारी कॉलोनी में चोरी हुई उस दिन मैंने देखा कि महिमा के पिताजी ने हीं यह चोरी की है तो मैंने पुलिस को इस बारे में बता दिया लेकिन महिमा को हमेशा ही लगता है कि उसके पिताजी ने यह सब नहीं किया था लेकिन महिमा को इस बात का कोई पता ही नहीं है कि आखिर हुआ क्या था। महिमा के पापा ने दूसरी शादी की जिस वजह से उनके ऊपर काफी ज्यादा समस्याएं हैं लेकिन इस बारे में महिमा को कुछ भी नहीं पता महिमा इस बात से पूरी तरीके से अनजान है और उसे लगता है कि उसके पापा अपनी जगह सही है।
महिमा को अपने पापा की दूसरी शादी के बारे में भी नहीं पता और महिमा के पापा ने महिमा की मां और उससे आज तक कभी भी कुछ नहीं कहा उन्होंने आज तक अपने बच्चों से यह सब कुछ छुपा कर रखा। मैंने जब महिमा को इस बारे में बताया तो महिमा ने मुझे कहा कि गौतम तुम पापा के बारे में यह सब कैसे कह सकते हो इसी बात पर महिमा ने मुझसे झगड़ा कर लिया और उसके बाद हम दोनों अब एक दूसरे से बात नहीं करते। एक दिन जब मैं अपने घर लौट रहा था तो उस दिन मैंने देखा की महिमा को कुछ लड़के बहुत परेशान कर रहे हैं इसलिए मुझे ही बीच में जाना पड़ा और मैं महिमा को अपने साथ घर ले कर आया लेकिन महिमा ने मुझसे कोई बात नहीं की। काफी समय बाद महिमा ने मुझसे बात की उस वक्त महिमा को अपने पापा के बारे में पता चल चुका था क्योंकि उसके पापा के कारण उनके परिवार में काफी समस्याएं आने लगी थी और अब महिमा को भी इस बारे में पता चल चुका था महिमा मुझसे बात करने लगी थी। महिमा और मेरे बीच पहले भी काफी अच्छी दोस्त थी और अब महिमा और मेरे बीच में पहले की तरह ही दोबारा से दोस्ती हो गई थी।
एक दिन महिमा मेरे पास आई और वह मुझे कहने लगी कि गौतम मैंने अपनी जॉब से रिजाइन दे दिया है क्या तुम जॉब ढूंढने में मेरी मदद कर सकते हो तो मैंने महिमा को कहा हां महिमा क्यों नहीं मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं। मैंने अपने दोस्त को फोन किया क्योंकि कुछ दिनों पहले ही मेरा दोस्त मुझे मिला था और उसने मुझे बताया था कि उनकी कंपनी में एक वैकेंसी है तो उसके लिए मैंने अपने दोस्त को फोन किया और उसने मुझे कहा कि तुम महिमा को भेज देना। मैंने महिमा को उनके ऑफिस का एड्रेस दे दिया और उसके बाद महिमा वहां पर गई तो महिमा का सिलेक्शन हो गया महिमा जब उस दिन अपने ऑफिस से घर लौटी तो महिमा मुझे मिली और कहने लगी कि गौतम मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे दूं। मैंने महिमा को कहा देखो महिमा तुम्हें पता है पहले भी हम लोगों के बीच सब कुछ ठीक था और मैं तुम्हारा दोस्त हूं। महिमा कहने लगी कि हां गौतम तुम ठीक कह रहे हो अब महिमा अपने ऑफिस हर रोज सुबह जाती ऑफिस से आते वक्त हम दोनों साथ में ही आया करते थे। महिमा की मां को भी अब उसके पापा के बारे में पता चल चुका था इसलिए उसके पापा अब उन लोगों के साथ नहीं रहते थे महिमा और उसकी मां इस बात से काफी परेशान हो चुके थे लेकिन महिमा ने कभी हिम्मत नहीं हारी। महिमा ने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैंने महिमा को कहा कि महिमा तुमने आगे इस बारे में क्या सोचा है तो महिमा ने मुझे कहा कि गौतम मैंने फिलहाल तो इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा है मैं चाहती हूं कि बस मैं मां की किसी प्रकार से सेवा कर पाऊं। महिमा के जीवन में अब सब कुछ सामान्य होने लगा था उसके पिताजी उन्हें छोड़कर अब अलग रहने लगे थे लेकिन उसके बावजूद भी महिमा ने कभी हार नहीं मानी और उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो गया था। महिमा को जब भी कोई जरूरत होती तो वह हमेशा मुझे कहती और मैं उसकी मदद कर दिया करता।
एक दिन महिमा ने मुझे कहा कि मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है तो उस दिन मैंने महिमा से कहा कि हां महिमा कहो ना तुम्हें क्या जरूरत है, उस दिन महिमा ने मुझसे कुछ पैसे मांगे तो मैंने उसे पैसे दे दिए उसे कुछ पैसों की जरूरत थी क्योकि उसकी मां का इलाज उसे करवाना था मैंने उस वक्त महिमा की मदद की। महिमा का उसकी मां के सिवा इस दुनिया में और कोई था भी तो नहीं उसके पापा ने तो उनसे पूरी तरीके से अपना रिश्ता खत्म ही कर लिया था। महिमा के पापा एक दिन उनके घर पर आए हुए थे और उस दिन वह शराब के नशे में थे जिस वजह से महिमा की मां के साथ उनका बहुत झगड़ा हुआ उसके बाद वह चले गए। महिमा इस बात से बहुत ज्यादा परेशान थी वह उस दिन मुझसे मिलने के लिए आई तो मैंने महिमा को समझाया उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
महिमा और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने महिमा को कहा महिमा जब भी तुम्हें मेरी जरूरत होगी तो मैं हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं। महिमा मुझे कहने लगी गौतम मैं पापा से काफी ज्यादा परेशान हो चुकी है उन्होंने हमारे साथ इतना गलत किया और उसके बावजूद भी वह हमारे लिए परेशानी ही खड़ी कर रहे हैं। मैं और महिमा साथ में बैठे हुए थे तो मैंने महिमा की जांघ पर अपना हाथ रखा तो महिमा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी वह मेरी तरफ देखने लगी। वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी हम दोनों अब एक दूसरे की बाहों में थे। मैं महिमा के पतले और गुलाबी होंठों को अपने होंठों में लेकर चूस रहा था तो उसे बहुत अच्छा लगता। काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद अब हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने उसके स्तनों को भी दबाना शुरू कर दिया जब मैंने उसे सोफे पर लेटाया तो उसके स्तन बाहर की तरफ से निकलने लगे थे। मैंने उसके स्तनों को बाहर निकाला और उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसने लगा मैंने उसके कपड़े उतार दिए जब मैंने उसके निप्पलो को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वह भी बहुत खुश थी महिमा मुझे कहने लगी गौतम मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है महिमा के चेहरे की खुशी देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका था अब मैं चाहता था कि वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले और सकिंग करें। उसने मेरे लंड को हाथ मे लिया जब उसने ऐसा किया तो मेरे अंदर गर्मी पैदा होने लगी उसके हाथों मे मेरा लंड था जब उसने मेरे मोटे लंड को हिलाना शुरू किया तो मुझे अच्छा लग रहा था। वह काफी देर तक मेरे लंड को ऐसे ही हिलाती रही मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती हूं जब उसने यह बात कही तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। उसने अपने मुंह को खोलकर मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत आनंद आने लगा वह मेरे मोटे लंड को अपने गले तक लेने लगी जिससे कि मेरे लंड से पानी बाहर निकल रहा था उसने मेरे पूरे पानी को बाहर निकाल कर रख दिया था मेरे लिए यह बहुत ही खुशी की बात थी।
वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी को तुमने अब बढ़ा दिया है मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ निकल रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को खोलकर उसकी नरम और मुलायम योनि पर अपनी जीभ को लगाया तो वह उत्तेजित होने लगी और उसकी योनि से लगातार पानी बाहर की तरफ को बहने लगा था। उसकी चिकनी और मुलायम चूत से काफी ज्यादा पानी का निकल आया था जिस से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उससे कहा तुम अपने पैरों को खोल लो उसने अपने पैरों को खोल लिया उसने अपने पैरों को खोला तो मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया।
जैसे ही उसकी चूत के अंदर मेरा लंड घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई उसकी चूत से खून बाहर की तरफ को निकलने लगा था महिमा ने मुझे कसकर पकड़ लिया मैंने उसकी योनि पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू किया जिससे की महिमा मुझे कहने लगी गौतम तुम बहुत अच्छे हो और तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा है तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मेरे अंदर भी गर्मी बढ चुकी थी और उसके अंदर तो मैंने इतनी ज्यादा गर्मी पैदा कर दी थी कि वह अपने पैरों के बीच में मुझे जकडने लगी और कहने लगी गौतम तुम्हारे लंड से कुछ ज्यादा ही आग बाहर की तरफ को निकल रही है। मैंने उसे कहा महिमा तुम वाकई में बड़ी लाजवाब हो उसने मुझे कहा तुम भी तो बहुत अच्छे हो यह कहते हुए उसने अपनी चूतडो को थोड़ा ऊपर उठाया तो मेरा लंड उसकी योनि के अंदर चला गया। अब मैं उसे तेजी से चोदने लगा लेकिन ज्यादा देर तक मै उसकी चूत का मजा ले ना सका और अपने वीर्य को मैंने उसकी चूत में गिरा दिया।
महिमा को अपने पापा की दूसरी शादी के बारे में भी नहीं पता और महिमा के पापा ने महिमा की मां और उससे आज तक कभी भी कुछ नहीं कहा उन्होंने आज तक अपने बच्चों से यह सब कुछ छुपा कर रखा। मैंने जब महिमा को इस बारे में बताया तो महिमा ने मुझे कहा कि गौतम तुम पापा के बारे में यह सब कैसे कह सकते हो इसी बात पर महिमा ने मुझसे झगड़ा कर लिया और उसके बाद हम दोनों अब एक दूसरे से बात नहीं करते। एक दिन जब मैं अपने घर लौट रहा था तो उस दिन मैंने देखा की महिमा को कुछ लड़के बहुत परेशान कर रहे हैं इसलिए मुझे ही बीच में जाना पड़ा और मैं महिमा को अपने साथ घर ले कर आया लेकिन महिमा ने मुझसे कोई बात नहीं की। काफी समय बाद महिमा ने मुझसे बात की उस वक्त महिमा को अपने पापा के बारे में पता चल चुका था क्योंकि उसके पापा के कारण उनके परिवार में काफी समस्याएं आने लगी थी और अब महिमा को भी इस बारे में पता चल चुका था महिमा मुझसे बात करने लगी थी। महिमा और मेरे बीच पहले भी काफी अच्छी दोस्त थी और अब महिमा और मेरे बीच में पहले की तरह ही दोबारा से दोस्ती हो गई थी।
एक दिन महिमा मेरे पास आई और वह मुझे कहने लगी कि गौतम मैंने अपनी जॉब से रिजाइन दे दिया है क्या तुम जॉब ढूंढने में मेरी मदद कर सकते हो तो मैंने महिमा को कहा हां महिमा क्यों नहीं मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं। मैंने अपने दोस्त को फोन किया क्योंकि कुछ दिनों पहले ही मेरा दोस्त मुझे मिला था और उसने मुझे बताया था कि उनकी कंपनी में एक वैकेंसी है तो उसके लिए मैंने अपने दोस्त को फोन किया और उसने मुझे कहा कि तुम महिमा को भेज देना। मैंने महिमा को उनके ऑफिस का एड्रेस दे दिया और उसके बाद महिमा वहां पर गई तो महिमा का सिलेक्शन हो गया महिमा जब उस दिन अपने ऑफिस से घर लौटी तो महिमा मुझे मिली और कहने लगी कि गौतम मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे दूं। मैंने महिमा को कहा देखो महिमा तुम्हें पता है पहले भी हम लोगों के बीच सब कुछ ठीक था और मैं तुम्हारा दोस्त हूं। महिमा कहने लगी कि हां गौतम तुम ठीक कह रहे हो अब महिमा अपने ऑफिस हर रोज सुबह जाती ऑफिस से आते वक्त हम दोनों साथ में ही आया करते थे। महिमा की मां को भी अब उसके पापा के बारे में पता चल चुका था इसलिए उसके पापा अब उन लोगों के साथ नहीं रहते थे महिमा और उसकी मां इस बात से काफी परेशान हो चुके थे लेकिन महिमा ने कभी हिम्मत नहीं हारी। महिमा ने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैंने महिमा को कहा कि महिमा तुमने आगे इस बारे में क्या सोचा है तो महिमा ने मुझे कहा कि गौतम मैंने फिलहाल तो इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा है मैं चाहती हूं कि बस मैं मां की किसी प्रकार से सेवा कर पाऊं। महिमा के जीवन में अब सब कुछ सामान्य होने लगा था उसके पिताजी उन्हें छोड़कर अब अलग रहने लगे थे लेकिन उसके बावजूद भी महिमा ने कभी हार नहीं मानी और उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो गया था। महिमा को जब भी कोई जरूरत होती तो वह हमेशा मुझे कहती और मैं उसकी मदद कर दिया करता।
एक दिन महिमा ने मुझे कहा कि मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है तो उस दिन मैंने महिमा से कहा कि हां महिमा कहो ना तुम्हें क्या जरूरत है, उस दिन महिमा ने मुझसे कुछ पैसे मांगे तो मैंने उसे पैसे दे दिए उसे कुछ पैसों की जरूरत थी क्योकि उसकी मां का इलाज उसे करवाना था मैंने उस वक्त महिमा की मदद की। महिमा का उसकी मां के सिवा इस दुनिया में और कोई था भी तो नहीं उसके पापा ने तो उनसे पूरी तरीके से अपना रिश्ता खत्म ही कर लिया था। महिमा के पापा एक दिन उनके घर पर आए हुए थे और उस दिन वह शराब के नशे में थे जिस वजह से महिमा की मां के साथ उनका बहुत झगड़ा हुआ उसके बाद वह चले गए। महिमा इस बात से बहुत ज्यादा परेशान थी वह उस दिन मुझसे मिलने के लिए आई तो मैंने महिमा को समझाया उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
महिमा और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने महिमा को कहा महिमा जब भी तुम्हें मेरी जरूरत होगी तो मैं हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं। महिमा मुझे कहने लगी गौतम मैं पापा से काफी ज्यादा परेशान हो चुकी है उन्होंने हमारे साथ इतना गलत किया और उसके बावजूद भी वह हमारे लिए परेशानी ही खड़ी कर रहे हैं। मैं और महिमा साथ में बैठे हुए थे तो मैंने महिमा की जांघ पर अपना हाथ रखा तो महिमा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी वह मेरी तरफ देखने लगी। वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी हम दोनों अब एक दूसरे की बाहों में थे। मैं महिमा के पतले और गुलाबी होंठों को अपने होंठों में लेकर चूस रहा था तो उसे बहुत अच्छा लगता। काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद अब हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने उसके स्तनों को भी दबाना शुरू कर दिया जब मैंने उसे सोफे पर लेटाया तो उसके स्तन बाहर की तरफ से निकलने लगे थे। मैंने उसके स्तनों को बाहर निकाला और उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसने लगा मैंने उसके कपड़े उतार दिए जब मैंने उसके निप्पलो को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वह भी बहुत खुश थी महिमा मुझे कहने लगी गौतम मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है महिमा के चेहरे की खुशी देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका था अब मैं चाहता था कि वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले और सकिंग करें। उसने मेरे लंड को हाथ मे लिया जब उसने ऐसा किया तो मेरे अंदर गर्मी पैदा होने लगी उसके हाथों मे मेरा लंड था जब उसने मेरे मोटे लंड को हिलाना शुरू किया तो मुझे अच्छा लग रहा था। वह काफी देर तक मेरे लंड को ऐसे ही हिलाती रही मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती हूं जब उसने यह बात कही तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। उसने अपने मुंह को खोलकर मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत आनंद आने लगा वह मेरे मोटे लंड को अपने गले तक लेने लगी जिससे कि मेरे लंड से पानी बाहर निकल रहा था उसने मेरे पूरे पानी को बाहर निकाल कर रख दिया था मेरे लिए यह बहुत ही खुशी की बात थी।
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जैसे ही उसकी चूत के अंदर मेरा लंड घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई उसकी चूत से खून बाहर की तरफ को निकलने लगा था महिमा ने मुझे कसकर पकड़ लिया मैंने उसकी योनि पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू किया जिससे की महिमा मुझे कहने लगी गौतम तुम बहुत अच्छे हो और तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा है तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मेरे अंदर भी गर्मी बढ चुकी थी और उसके अंदर तो मैंने इतनी ज्यादा गर्मी पैदा कर दी थी कि वह अपने पैरों के बीच में मुझे जकडने लगी और कहने लगी गौतम तुम्हारे लंड से कुछ ज्यादा ही आग बाहर की तरफ को निकल रही है। मैंने उसे कहा महिमा तुम वाकई में बड़ी लाजवाब हो उसने मुझे कहा तुम भी तो बहुत अच्छे हो यह कहते हुए उसने अपनी चूतडो को थोड़ा ऊपर उठाया तो मेरा लंड उसकी योनि के अंदर चला गया। अब मैं उसे तेजी से चोदने लगा लेकिन ज्यादा देर तक मै उसकी चूत का मजा ले ना सका और अपने वीर्य को मैंने उसकी चूत में गिरा दिया।