लगातार चुदने की लालसा

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जूही परमार
हैलो दोस्तो, आप लोगों के ढेर सारे प्यार भरे मेल्स के लिए धन्यवाद। चलिए आज मैं आपको मेरी ग्रेजुएशन के समय के एक घटना सुनाती हूँ।
मैं बी.कॉम. सेकंड इयर में थी। उस समय मेरा नया-नया बॉय-फ्रेंड बना था और तब मैंने चुदाई भी ज्यादा नहीं की थी, तब तक बस 3-4 बार ही चुदी थी।
पर यह मेरा दूसरा बॉय-फ्रेंड था और मैंने इसके साथ कभी चुदाई नहीं की थी, पर ‘हाँ’ हम ऊपरी सेक्स काफी किया करते थे, जैसे चुम्मी लेना, एक दूसरे के अंगों को दबाना और कुछ प्राइवेट चीजें जैसे कि आप लोग भी करते हैं।
इसके बारे में ज्यादा गहराई में जाने का कोई मतलब नहीं है।
एक दिन हम लोग कॉलेज में बैठे थे और लेक्चर से बोर हो रहे थे, तभी मेरे बॉय-फ्रेंड आकाश ने कहा- चलो कहीं बाहर चलते हैं, क्लास में तो बोर हो रहे हैं।
मैंने भी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला दी और हम पीछे के गेट से बाहर निकल गए।
उसने अपनी बाइक निकाली और फिर हम ‘मेघदूत गार्डन’ आ गए ताकि थोड़ी देर बैठ कर आराम से चूमाचाटी करेंगे, फिर घर चले जायेंगे।
इरादा तो यही था, पर शायद किस्मत में कुछ और ही लिखा था। जैसे ही हम वहाँ पहुँचे, हमने देखा उधर कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। हमने वहाँ जाना ठीक नहीं समझा।
आकाश ने कहा- चलो मेरे फ्लैट पर ही चलते हैं, उधर अभी कोई नहीं है आराम से शांति से बात करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, चलो वहीं चलते हैं।
आकाश ने बाइक निकाली और हम उसके फ्लैट की ओर जाने लगे।
हम उसके फ्लैट पर पहुँचे और उसने मुझे अपना बेड की तरफ इशारा किया और बोला- तुम बैठो, मैं आता हूँ।
मैं उसके बिस्तर पर दीवार पर सर टिका कर बैठ गई और पास में रखी एक किताब देखने लगी। थोड़ी देर बाद आकाश आया और वो भी मेरे बगल में वैसे ही बैठ गया, जैसे मैं बैठी थी और मुझे देखने लगा।
मैंने आकाश से कहा- पानी ला दो यार.. बहुत प्यास लग रही है।
आकाश उठा और रसोई में चला गया।
उसको आने में थोड़ी देर हो गई और जब वो नहीं आया तो मैं वहीं लेट गई।
मैंने सोचा जब तक वो नहीं आता है, तब तक थोड़ी देर मैं आराम ही कर लेती हूँ।
मैं लेटी ही थी कि आकाश मेरे ऊपर आ गया और मेरे मम्मे पकड़ कर बगल में लेट गया।
मेरे होंठों के पास आकर बोला- यार, पीने का पानी नहीं है, अभी मैंने फ़ोन किया है थोड़ी देर में बन्दा लेकर आ जाएगा।
उसके बाद आकाश मुझ से चिपक गया और मुझे चुम्बन करने लगा और मेरे मम्मे भी दबा रहा था।
मैंने भी उसका साथ दिया और उसे चुम्बन करने लगी।
फिर आकाश ने अपना एक पैर मेरे पैरों के ऊपर रख दिया और चुम्बन करना जारी रहा। उसके बाद वो अपने हाथ मेरी जाँघों पर फेरने लगा तो मैंने अपना हाथ पीछे से उसकी पीठ पर रख दिया और सहलाने लगी। फिर आकाश ने एक हाथ से अपनी बेल्ट खोली और उठा और मेरे ऊपर लेट गया और मेरे दोनों हाथ अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझसे चुम्बन करने लगा।
मुझे नीचे उसका तना हुआ लंड महसूस हो रहा था, जबकि उसने अभी सिर्फ बेल्ट खोला था।
चुम्बन करते-करते मैं उससे लिपट गई तो वो मेरी गरदन को चूमने लगा।
फिर वो मेरे ऊपर से उठा और बगल में लेट गया तो मैंने भी अपने घुटने ऊपर किए।
अब आकाश मेरे बगल में लेट कर मुझे फिर से चुम्बन करने लगा, मैं भी उसे चुम्बन करने लगी और दोनों हाथों से उसकी पीठ और आकाश भी मुझे आगोश में लेकर अपनी टाँगों के बीच में जकड़ लिया और अपने हाथ मेरे मम्मों के ऊपर फिराने लगा।
हमारी चूमा-चाटी जारी थी।
चुम्बन करते-करते आकाश का हाथ मेरे पजामे के नाड़े को टटोलने लगे। मैंने अपने घुटने ऊपर कर लिए और आकाश के बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर चूमती रही।
थोड़ी देर बाद आकाश ने फिर से मुझे अपनी टाँगों से दबा लिया और मेरे चूतड़ों पर कुछ मिनट तक हाथ फिराता रहा।
आकाश ने मेरे कुरते की डोरी पीछे से खोल दी और उसे मेरे कन्धों से सरकाने लगा, तो मैं भी अब गर्म होकर मूड में आ गई था सो खुद उठ गई और मैंने अपना कुरता खुद ही उतारने लगी और आकाश से कहा- मेरा हाथ निकाल दो।
तो उसने हाथ लगा कर मेरा कुरता निकाल दिया।
अब मैं और आकाश दोनों बैठे थे। आकाश मेरे पीछे बैठ गया और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा और फिर मुझे कमर से पकड़ कर खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और फिर मेरी ब्रा में से मेरे मम्मे बाहर निकालने लगा।
मैंने उसके हाथ रोकने चाहे, पर वो नहीं माना और मुझे फिर से चुम्बन करने लगा और साथ ही साथ अपने हाथों से मेरे मम्मे भी दबाता रहा।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और फिर मेरे मम्मों को अपने होंठों से चूसने लगा।
मैं एकदम से चुदास से भर उठी और फिर मैं उठ गई उसने पीछे से मेरी ब्रा निकाली और अपने दोनों हाथ से फिर से मेरे मम्मे पकड़ लिए और कभी नीचे, कभी ऊपर, कभी मेरी पीठ पर चुम्बन कर रहा था। कभी अपनी जीभ से चाट रहा था और फिर वो मेरी गर्दन को चुम्बन करने लगा।
एक बार फिर मैं उसकी गोद में लेट गई और वो एक बार फिर से मेरे उरोजों को मसलने लगा और फिर अपने होंठों से चूसने लगा।
अब मुझे अजीब सा लग रहा था। मैंने उसके हाथ हटाने चाहे, पर वो नहीं माना, मेरे चूचुकों को चूसने लगा। मैंने दोनों हाथों से उसके हाथ हटाने की कोशिश की, पर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ कर अलग कर दिए और फिर से मेरे दुद्दुओं को चचोरने लगा।
करीब दस मिनट तक वो चचोरता रहा। फिर मुझसे न रहा गया तो मैंने जबरदस्ती करके हाथ छुड़ा लिए और अपने दोनों कबूतरों को दोनों हाथों से ढक लिया ताकि वो और न कर पाए।
तब उसने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और मेरी सलवार निकालने लगा। उसने मेरी आधी सलवार नीचे की क्योंकि मैं उसकी गोद में लेटी थी और अब वो मेरी चूत को सहलाने लगा।
फिर उसने मुझे गोद से उठाया और मैं फिर बिस्तर पर लेट गई। वो उठ कर मेरी सलवार नीचे करके निकाल दिया और फिर उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी और फिर अपनी पैंट और अंडरवियर भी उतार दी। अब हम दोनों नंगे थे।
मैं जहाँ लेटी हुई थी, वहीं आकाश अभी बैठा था। आकाश मेरे पास आ गया और मेरी चूत चाटने लगा और अपनी जीभ मेरे चूत की पँखुड़ियों के बीच में लगा कर अन्दर-बाहर करने लगा।
मुझे झुरझुरी सी हुई और मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह”
थोड़ी देर तक वो इसी मुद्रा में मेरी चूत चाटता रहा और फिर मेरे पास लेट गया और मुझे फिर से चुम्बन करने लगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरे बगल में आकर लेट गया। उसका लंड खड़ा था। मैंने अपने लेफ्ट हैण्ड से उसका लंड पकड़ा और सहलाने लगी, तो आकाश ने भी अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया और उसमें उंगली करने लगा।
मैं उसका लंड हिलाती रही और उसको नशीली आँखों से देखती रही। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने उसी पोजीशन में उसके लंड को कंडोम पहनाया।
फिर थोड़ी देर बाद वो मुझसे चिपक कर कमर के बल हो गया और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा कर दाने से रगड़ने लगा। कभी वो अपने लंड से मेरी चूत को स्पर्श करता तो कभी मेरे नाभि को।
फिर आकाश उठा औऱ मेरी टाँगें फैला दीं और मेरी टाँगों के बीच आकर बैठ गया और मेरी टाँगें अपने घुटनों के ऊपर रख ली और अपना लंड मेरी चूत में ‘फटाक’ से झटका मारा.. और उसका मूसल जैसा लौड़ा मेरी चूत में फंस गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ। आप मेरे दर्द का अहसास इसी बात से लगा सकते हैं कि मैंने अपनी कमर उठा ली, इतनी ज़ोर का दर्द हुआ..!
दर्द इतना था कि बार-बार मेरी छाती ऊपर उठी जा रही थी। मेरे मुँह से, “ऊऊह्ह्ह्ह आआह्हह्हह अॅस्स्स्स्स आआईईईईए,” की आवाजें आ रही थीं।
उधर आकाश ने अपना लंड निकाल कर एक बार फिर से अन्दर ठूँस दिया। मैं फिर से उसी हालत में पहुँच गई, “ऊऊईई ईईई ऊऊऊ ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआ… आआअह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह।”
आकाश मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरी गरदन अपने हाथों में पकड़ ली और फिर उसने लौड़े को मेरी चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था, इसलिए आकाश उठा और फिर से उसने लंड मेरी चूत से एक बार बाहर खींच कर दुबारा से पेल दिया अब उसका लौड़ा सही जगह फिट हो गया था। वो लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा।
जहाँ एक तरफ मेरे मुँह से, “आआअह्ह आआईईए ऊऊओईईइस्स्स,” जैसी आवाजें आ रही थीं, उधर दूसरी तरफ से, “फ्फ्फऊछह्ह फफूऊकछह्हह्हह्ह,” की आवाजें आ रही थीं। ये लंड के अन्दर और बाहर आने के कारण आ रही थीं।
आकाश मेरे ऊपर लेट सा गया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपनी चुदाई जारी रखी। करीब दो मिनट बाद मेरा दर्द कम होने लगा और अब लंड के अन्दर-बाहर होने से मज़ा आ रहा था।
मैं अपने हाथ आकाश की कमर पे रख कर चुदाई का मज़े लेने लगी।
जैसे ही आकाश को इसका अहसास हुआ, उसने स्पीड और तेज़ कर दी और मेरा मज़ा भी दोगुना हो गया।
अपने हाथों से आकाश की पीठ जोर से पकड़ ली और अपनी टाँगें उसके टाँगों के ऊपर चढ़ा कर उसको भींच लिया।
आकाश जहाँ मुझे जी भर के चोद रहा था वहीं साथ में वो मुझे चुम्बन भी करते जा रहा था, ताकि मुझे दर्द का अहसास न हो।
थोड़ी देर बाद उसने स्पीड कम कर दी, पर हमारा चुम्बन जारी रहा।
थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द बहुत कम हो गया, तो मैंने अपनी टाँगें सीधी कर लीं और फिर आकाश ने भी अपनी टाँगें सीधी करके मेरे ऊपर सीधे लेट कर चुदाई करने लगा।
मैंने अपने हाथ आकाश के चूतड़ों के ऊपर रख लिए और चुदाई का आनन्द लेने लगी।
थोड़ी देर बाद आकाश उठा उसने अपने दोनों हाथों मेरे कंधों पर रखे और उसने कन्धों के बल पे खड़ा हुआ और फिर मुझे उसी पोजीशन में चोदने लगा।
कुछ देर बाद जब हम थक गए, तो वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चुम्बन करने लगा और उसका लंड अभी भी मेरी चूत में ही था। मैंने आकाश की कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था।
थोड़ी देर बाद जब आकाश की ताकत वापस आई तो वो फिर उठा और एक बार और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख कर और झुकी हुई पोजीशन में, जैसे कि कोई चौपाया हो, उसके जैसे बन कर मुझे चोदने लगा और मुझे चूमता रहा।
थोड़ी देर में वो फिर थक गया और मेरे ऊपर लेट गया और फिर से कुछ सेकण्ड्स बाद उसने लेटे-लेटे चूत चोदना शुरू कर दी और स्पीड तेज़ कर दी।
करीब पाँच मिनट तक वो ऐसे ही मुझे चोदता रहा और फिर वो मेरे ऊपर से उठा और मुझे अपने ऊपर बिठा लिया।
अब मेरी बारी थी, मैंने दोनों टाँगें उसकी टाँगों के बाहर रखीं और अपनी चूत में उसका लंड घुसाया और उसके ऊपर लेट गई और चुम्बन करने लगी और साथ ही साथ अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी।
आकाश के हाथ मेरे नितम्ब बजा रहे थे और मैं चुदाई में व्यस्त थी।
थोड़ी देर बाद जब मैं रुक गई, तो आकाश ने अपने हाथ मेरे चूतड़ों के बीच में गांड के छेद में उंगली डाली और उंगली करने लगा। उसके बाद हम चुम्बन करने लगे।
फिर आकाश ने मुझे नीचे लिटाया और फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना कंडोम निकाला और फिर उसने अपना लंड चूत की बजाए गांड के छेद में घुसा दिया और कहा- अब शुरू हो जाओ।
मैंने अपने दोनों घुटने बिस्तर में रखे और घुटनों के बल मैं उछलने लगी और लंड मेरी गांड के अन्दर-बाहर होने लगा।
ऐसा मैंने करीब दस मिनट तक अलग-अलग तरीके से किया। मैं कभी गाँड को नीचे की तरफ बढ़ाती और ऊपर-नीचे करती, तो कभी सीधे ऊपर-नीचे करती थी।
जब मैं थोड़ी थक गई तो मैं इधर-उधर करने लगी और थोड़ी देर बाद ही अलग-अलग पोजीशन में गांड की चुदाई जारी रखी। उसके बाद जब मैं बहुत थक गई तो आकाश के ऊपर लेट गई।
थोड़ी देर बाद आकाश ने कहा- बस तुम घुटने के बल ऐसे ही रहना, अब मैं घुसाता हूँ।
अब मैं उसी पोजीशन में स्थिर थी और वो अभी कमर उठा कर लंड मेरे गांड के अन्दर-बाहर करने लगा। इस चुदाई के बाद जब हम दोनों का स्खलन हुआ तो हम बहुत थक गए थे और एक-दूसरे पर ही लेट गए।
कब आँखें मुंद गईं.. कुछ पता ही नहीं चला।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना।
 
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