शकल नहीं बदन देखो

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Shakal Nahi Badan Dekho

कैसे हो मेरे प्यारे दोस्तो? मैं हूँ चूत का प्यासा रौनक़ ब्रोचा। मुझे जवान चूत मारना अच्छा लगता है और जब चूत न मिले तो मैं लौड़ा हिलाकर मज़े करता हूँ। फिलहाल, मैं कुछ महीनों से घर पर निकम्मा बैठा हूँ, लेकिन इसका मुझे एक फ़ायदा हुआ है। कैसे?

मज़े से मेरी कहानी पढ़कर पता लगाए।

कुछ दिन पहले, मेरे घर के दरवाज़े पर एक लड़की आई थी दान माँगने। वह मुझे बता रही थी कि किस तरह दान का पैसा वह ग़रीब बच्चों को देकर उनकी मदत करेगी।

वह चालाक लड़की मुझे रेलवे का पुराना फॉर्म दिखाकर उल्लू बनाने की कोशिश कर रही थी। दिखने में भले ही वह बदसूरत थी लेकिन उसका बदन का नक्शा मेरे लौड़े के लिए ठीक था।

मैंने उसे घर के अंदर बुलाया और हम दोनों सोफ़े पर आमने-सामने बैठकर बातें करने लगे। उसने मुझे अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ फ़साने की कोशिश की थी, लेकिन मैं तो उसकी बदसूरत शकल देखकर ही समझ गया था कि वह चूतिया बना रही है।

उसकी बकवास बातें काफ़ी देर तक सुनने के बाद मैंने उसे बता दिया कि मैं आसानी से बेवकूफ़ बनने वाला नहीं हूँ। उसकी हिम्मत फटकर उसकी गाँड़ से बाहर निकल गई थी। वह सोफ़े पर से उठकर दरवाज़े की तरफ़ भागने लगी।

मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में खींचकर बिठा दिया। मैंने उसे अपने इरादे साफ़-साफ़ बता दिए थे।

[मैं:] देख रे लड़की, मैं चाहता हूँ कि तू मेरे साथ अभी बिस्तर गरम कर। मैं तुझे उसके पैसे भी दूँगा। तू दान समझकर रख लेना अपने पास।

[बदसूरत लड़की:] प्लीज जाने दो मुझे, मुझसे गलती हो गई।

[मैं:] ठीक है, चल पुलिस स्टेशन। आज तेरी पोल खोलकर रहूँगा मैं। वह लोग तुझे अच्छी तरह से देख लेंगे।

[बदसूरत लड़की:] देखो ऐसा मत करो। तुम्हें जो करना है वह करो, लेकिन मुझे पुलिस स्टेशन मत भेजो।

[मैं:] चल तो फिर आजा, मेरे लौड़े की सैर कराता हूँ तुझे।

मैंने उस बदसूरत लड़की को अपनी गोद में उठा दिया और मेरे कमरे में लेकर गया। माँ-पिताजी ऑफिस में अपनी गाँड़ घिसकर पैसा कमा रहे थे और मेरे उस दिन का चूत का जुगाड़ हो गया था।

अपने कमरे में लाकर मैंने उस बदसूरत लड़की को पलँग के पास नीचे उतार दिया। उसकी शकल मुझसे देखि नहीं जा रही थी, इसलिए मैंने उसके पपीते जितने बड़े चूचियों को देखकर अपना मूड बनाने लगा था।

मैंने अपने कपड़े निकालकर उस बदसूरत लड़की के सामने लौड़ा सहलाने लगा।

मैंने बदसूरत लड़की को पलँग पर लेटा दिया और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। वह मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगी।

चुम्मियाँ लेते वक़्त मैंने बदसूरत लड़की की पुरानी टी-शर्ट के अंदर अपना हाथ घुसा दिया और उसके पपीते जितने बड़े चूचियों को पकड़कर दबाने लगा।

उसने अपनी फ़टी हुई जीन्स पैंट उतार दिए। मैंने भी उसकी पुरानी टी-शर्ट उतारी और उसपर चढ़कर लेट गया। बदसूरत लड़की मेरी गाँड़ को पकड़कर दबा रही थी। मैं पलँग पर से उतर गया और बदसूरत लड़की के पैर पकड़कर उसे उल्टा लटकाया।

उसने मेरी जाँघों को पकड़कर मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया। मैंने बदसूरत लड़की की कमर को अपने सीने से लगाकर उसकी साफ़ चूत को चाटने लगा। उसकी चूत चाटते हुए, मैंने उसके चुत्तड़ों को कसकर पकड़ लिया।

बदसूरत लड़की मेरे लौड़े को हिलाते हुए उसे अपने मुँह में डाल रही थी। मैं उसकी गाँड़ की छेद में अपनी एक उँगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। मैं निचे फ़र्श पर लेट गया और बदसूरत लड़की के चूत में अपनी ज़ुबान डालकर चाटने लगा।

वह मेरे लौड़े और गोटियों को बारी-बारी से चूस रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान से बदसूरत लड़की की चूत की गुलाबी पँखुड़ियों को फैला दिया और उन्हें चूसने लगा। बदसूरत लड़की की सिसकियाँ चीख़ों में बदल गई थी।

उसकी चूत को चाटते समय उसकी गाँड़ की छेद सिकुड़ने लगी थी। मैंने अपनी उँगली को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। थोड़ी देर बाद, मैंने अपनी उँगली निकालकर उसे चखा और फिर बदसूरत लड़की के मुँह में डाल दिया।

मैंने बदसूरत लड़की को उठाकर पलँग पर लेटा दिया और उसपर चढ़ गया। उसके पैरों को पकड़कर मैंने उसकी चूत की दरार के सामने अपना लौड़ा रख दिया। बदसूरत लड़की ने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे धीरे से अंदर घुसा दिया।

मैंने धीरे से अपने लौड़े को अंदर-बाहर किया। जब मेरा लौड़ा चिकनेपन से बदसूरत लड़की की चूत में फिसलने लगा तब मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मैं बदसूरत लड़की के ऊपर लेट गया और उसके पपीते जितने बड़े चूचियों को दबाने लगा।

वह मेरे होंठों की चुम्मियाँ लेने लगी। वह अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह के अंदर घुसाकर चाटने लगी। कुछ देर तक बदसूरत लड़की की ठुकाई करने के बाद मैं रुक गया था। तभी बदसूरत लड़की उठ गई और मुझे घोड़ा बनाकर पलँग पर लेटा दिया।

उसने मेरे लौड़े को पकड़कर हिलाना शुरू किया और मेरी गोटियाँ चूसने लगी। कुछ देर बाद, वह मेरी गाँड़ की छेद के अंदर अपनी उँगली घुसाने लगी। मेरा लौड़ा एकाएक से और कड़क हो गया।

मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इसलिए बदसूरत लड़की मेरी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाने लगी। जब मैं एकदम उत्साहित हो गया तब मैं बदसूरत लड़की को पकड़कर पलँग पर बैठ गया।

मैंने बदसूरत लड़की को अपने आगे बिठाया और उसे गाँड़ से उठाकर मेरे लौड़े पर टिका दिया। उसकी गाँड़ की छेद में थूक लगाकर मैंने अपने लौड़े की नोक को सामने रख दिया।

बदसूरत लड़की ने धीरे से मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। वह खुद से ही मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। उसकी गाँड़ जब मेरे मेरी जाँघों से टकराने लगी तब एक मदहोश कर देने वाली आवाज़ निकलने लगी थी।

बदसूरत लड़की की चीख़ें मेरी हवस को उकसाह रही थी। ज़ोर-ज़ोर से बदसूरत लड़की अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर उछालने लगी थी। उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलना शुरू हो गया था। वह ज़ोर-ज़ोर से अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर पटक रही थी।

कुछ देर बाद, मैंने बदसूरत लड़की को मुझपर सीधा लेटाकर उसकी गीली चूत के अंदर अपना लौड़ा घुसा दिया। बदसूरत लड़की मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उठा-उठाकर खुद को उछाल रही थी।

मैंने उसके निप्पल को खींचकर उसकी चीख़ें बढ़ा दी। बदसूरत लड़की अपने पैरों के बल बैठकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी।

जोश में आकर कहीं मैं बदसूरत लड़की की चूत के अंदर अपने लौड़े का पानी निकाल न दू, इसलिए मैंने अपना लौड़ा निकालकर उसकी गाँड़ की छेद के अंदर गुसा दिया।

लेटकर बदसूरत लड़की की गाँड़ चोदते वक़्त मेरा लौड़ा कई बार गाँड़ की छेद से बाहर फिसल रहा था। इसलिए मैंने बदसूरत लड़की को कुतिया बनाकर पलँग पर लेटा दिया। मैंने उसकी गाँड़ की छेद के अंदर थूक मारकर अपना लौड़ा अंदर घुसा दिया।

बदसूरत लड़की की कमर को पकड़कर मैंने उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से घुसाना शुरू कर दिया। उसकी चीख़ों की आवाज़ को दबाने के लिए मैं आगे झुककर उसकी चुम्मियाँ लेने लगा।

जब मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था तब मैंने बदसूरत लड़की की चुत्तड़ों को फैलाकर गाँड़ की छेद को चौड़ा कर दिया। लौड़े को गाँड़ की छेद में घुसाते हुए मैंने अपने लौड़े का पानी उसकी गाँड़ के अंदर निकाल दिया था।

मैंने बदसूरत लड़की की पैंटी से उसकी गाँड़ की छेद को साफ़ किया। मैंने जाकर अलमारी से २, ००० रुपए का नोट निकाला और उसे गोल घुमाकर उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया।

बदसूरत लड़की को कपड़े पहनाकर मैंने उसे घर से रवाना कर दिया। अब वह महीने में २-३ बार आकर मुझसे दान के पैसे लेकर जाती है।
 
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