ससुराल की डबल ड्यूटी - बुरचट बलमा चूत हलाल देवर

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हथिनी जैसी चूत है मेरी मस्त मस्त है गांड, चाहे चोदे हाथी इसको चाहे चोदे सांड!

हाय दोस्तों मैं आरती हूं, जब से होश संभाला है याद है मेरी सखियां मेरे बुर को मतलब की चूत को बित्ते से नाप के कहती थीं, हथिनी जैसी बुर है तुम्हारी तो आरती! तेरा क्या होगा? तब मैं ज्यादा ना समझ पाती थीं। ये मेजरमेंट क्यों था, किस लिए था पर कुछ तो था इसमें क्योंकि बुजुर्ग औरते भी इस बात को कहते हूए थकतीं नहीं थी, जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मेरे दूसरे अंग भी कुछ यूं निखर आए जैसे कि उपर वाले की खास नेमत थी मेरी जवानी के उपर। इस बात को मुहल्ले और शहर के लड़के देखते रहते। उन्होंने जिन्होंने मुझे अपने साथ पाला पोषा था, उनके बर्ताव में भी अंतर आने लगा था। उनके छूने का अंदाज, सहलाने का हरकत, बात करने का तरीका सब तो बदल चुका था। हाय मैं क्या करुं, मेरे नस नस में इन सब बदलावों के बदले में जो प्रतिक्रिया होती वो कुछ ऐसी थी कि बताते हुए शरम सी आ जाती है।

मैं भी सोचती कितना अच्छा था पहले कोई कहने वाला नहीं था, अब तो सब कपड़े चीर के स्कैन करने लगते हैं। खैर प्यार तो नहीं हुआ क्योंकि जैसे ही उमर चढी, पापा ने शादी कर दी। मेरे पति देव छोटे शहर में पान की दुकान लगाते हैं। कत्था चूना, खैर और सुपाड़ी से महकती उनकी रजनीगंधा की खूश्बू पहले दिन सुहागरात को ही मुझे कुछ ज्यादा नहीं भाई थी। सजन जी ने पहली रात को आधा वक्त तो पान चूना और सुपाड़ी लगा के खाने और थूकने में बिता दिया और जब चूत चोदने की बारी आई तो साया खोल कर लगे चूत चाटने। वैसे जैसे कि पान के पत्ते पर रखे चूने को कोई शौकीन पान का खवैया खाने के लिए अपनी जीभ लपलपा के उठा लेता है, वैसे ही उसने मेरे चूत के हर भाग को चाटा। हर पल हर कोने को अपने जिह्वा के स्पर्श से गदगद करते हुए मेरे अंदर चुदाई की भीक्ख जला दी। मैंने अपनी टांगे पसार लंड की भीख मांगी, पर जब पाया कि उसका इंटरेस्ट तो सिर्फ चूसने में ही है तो मैने माथा पीट लिया।

आगे बढ के जब मैने उसकी लुंगी टटोलनी शुरु की तो ढीला लंड घंटे की तरह लटक रहा था। मैने पकड़ कर चूसना शुरु किया। उसे बेड पर पटक कर लिटा दिया। पहली चुदाई का अवसर इतना जाया नहीं जाने दे सकती थी मैं। पर लन्ड था कि खड़ा ही नहीं हो रहा था, मैने सुपाड़े के चमडे को उपर खिसका के लंड के सफेद सुपाड़े को मुर्गे की टांग की तरह चूसना शुरु किया। वो कहने लगा - आह्ह! मारोगी क्या? क्या कर रही हो? प्लीज छोड़ दे, आहह। और उसका लंड थोड़ा बहुत खड़ा हो गया था। मेरी सील लगी टाईट चूत को छेदने के लिए ये पर्याप्त तो नहीं था। मैं थक हार के लेट गयी और उसने मेरे उपर आकर मेरे चूत पर लंड को रगड़ना शुरु किया और मैं सिस्कारियां लेती रही। उसने फिर मेरे चूत के पैमाने पर अपना मुह लगा कर रस पीना जारी रखा। पूरी रात उसने सोने ना दिया। चार बजे सुबह थक कर मेरे पैरों के बीच में सो गया। अपने भाग्य को कोसती मै भी ये सोच रही थी कि क्या मेरी जिंदगी इस लुजलुजे लंड और बुरचट बलमा के सहारे ही चलने वाली है। लेकिन कहते हैं - चाह वहां राह, और जहां चूत वहां लंड का भूत तो भटकता ही रहता है।

बलमा की चटाई, देवर से चुदाई!

सुबह को मेरी बांछे खिल गयीं जब एक उन्नीस साल के हम उम्र युवक ने आकर मेरा पैर छुआ, साले ने पैर क्या छुआ, बस घुटने से उपर और चूत के नीचे वाली पूरी जगह को सहलाते हुए मुस्करा के बोला - पाउं लागी भौजी, मतलब कि नमस्कार भाभी। वो मेरा देवर था, जिससे मैं परिचित नहीं थी। वो बीए कर रहा था और अक्सर घर में बैठ कर पढता रहता था। मेरी चूत को एक अदद लंड की छवि दिखाई दी उसमें। जब मेरा पति दुकान पर चले गए तो अमन ने पीछे से आकर मुझे अचानक अपनी बाहों में भर लिया और कहने लगा, भाभी में तो आधा हक होता है, फिर रात को भैया को इतना मजा चखाया है तो थोड़ा हमें भी दो ना भाभी। मैं अवाक थी कि इतनी जल्दी वो चूत मांगने लगा। गांव के छोरे ऐसे ही होते हैं बुम्बाट बकलंड और चुदक्कड़, बात करने की तमीज तो होती नहीं। पर मुझे ये बदतमीजी अच्छी लगी। मैने अपना आंचल छोड़ दिया और मेरा ब्लाउज जो कि बड़े गले का था, और चूंचों को जरा जरा ही छुपाता था, उसके सामने नंगा हो गया। बदतमीज उसपे हाथ फेरते हुए मेरी गांड सहलाने लगा था। रात भर की प्यासी तो थी ही मैं, मैने उसे खेलने दिया अपने बदन से। हक था मेरा भी चुदवाने का और इसलिए मैने उसे रोका नहीं। ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसने मेरी साड़ी को खोल दिया।

एक मिनट में कमीने ने मुझे सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में कर दिया। उसने मेरे बाल पकड़ के जबरदस्त चुम्मा चाटी शुरु कर दी। इमरान हाशमी का बाप लग रहा था वो। पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर उसने मेरी गांड में उंगली शुरु कर दी। मैं मारे खुशी और उत्तेजना के पागल हो रही थी कि उसने मुझे अपनी बाहों में उठा कर अपने बेडरुम के पलंग पर ले जाकर पटक दिया। बेड पर पटक कर उसने मेरी पेटीकोट और ब्लाउज को भी खोल दिया और बिना बाल वाली सफाचट चूत को सहलाते हुए मेरे बड़े चूंचों को मसलना शुरु किया। उसने कहा - भाभी चूत तो मैने भी बहुत मारी है पर इतनी बड़ी चूत तो कभी देखी ही नहीं। वह उसे सहलाता और चाटता रहा। फिर उसने अपनी लुंगी में से जब मिसाईल जैसा मोटा लंड निकाला तो चीन की शांग 2 और पाकिस्तान की हत्फ मिसाइल की तस्वीर मेरे दिमाग में उभर गयी। साला खतरनाक और धोकेबाज लंड दिख रहा था वो। कमीने ने बिना एक मिनट देर किये अपना नौ इंच लंबा लंड मेरे मुह में ठूंसना शूरु कर दिया और देखते ही देखते मेरा मुह फटने वाला था। मैं उसके सुपाड़े को अपने मुह में नहीं ले पा रही थी।

काफी मशक्कत के बाद मैने अपना मुह फाड़ कर उसका लंड लिया। उसने टाईट चूत की तरह मुह में पेलना शुरु किया। उफ्ह मेरा मुह भर गया था। मैने अपनी आंखों मे दया की भीख मांगी तो उसने मुह से लंड निकाल कर चूत के द्वार पर टिकाया। धक्का मारने के लिए उसने पोजिशन लिया। मेरी बड़ी बुर उसके बड़े लंड के प्रजेंस से गदगद थी। उसने मेरे मुह पर हाथ रख कर एक झटके में ही अंदर घुसने की कोशिश की। बड़े शाट के साथ ही उसका आधा लंड कचाक से चूत में घुसा पर जाकर रुक गया। मैं सोचती रह गयी, पर मुझे दर्द का अनुभव हुआ। उसने फिर मेरे मुह पर हाथ रखा और एक जबरदस्त झटका लगाया। इस झटके ने मेरी चूत की हलाली कर दी। घसघसाता हुआ लंड गर्भाशय के पेंदे पर टकराया। मेरी चूलें हिल गयीं। मेरी हथिनी जैसी चूत को उसका हाथी जैसा लंड रौंद रहा था। किसी लैंड रोबर की तरह मेरी पिच को दबाता हुआ मेरी फुद्दी को भोसड़े में बदलने के नापाक इरादों के साथ मेरे देवर राजा ने मेरी तमन्ना पूरी कर दी थी। वो चोद रहा था किसी मशीनगन की तरह। मैने अपनी बुर का ये हश्र होते देख बेहद खुश हुई।

इसके बाद मेरे देवर ने मेरे पैर अपने कंधे पर रख मेरे, दोनो बाजू अपनी गर्दन में फंसा दिए। मेरी गांड को सहारा देते हुए खड़ा हो गया। मेरे पैर बेहद खींच रहे थे जैसे कि टूट जाएंगे पर उसने अपने खड़े लंबे लंड को नब्बे डिग्री पर करके मेरी चूत को चोदना शुरु किया। मेरी गांड को उपर नीचे झुलाते हुए उसने धका धक चोदना शुरु कर दिया। उफ्फ इतना मजा, मैं सोच भी नहीं सकती थी, मेरी चूत का एक एक रेशा और बदन का हर अंग पानी मांग रहा था। बेदर्दी से उसने मेरी चूत को चोदा। और फिर लंड निकाल कर छेद बदल दिया। चूत से गांड की तरफ स्विच करते हुए बेदर्दी देवर ने मेरी कंवारी गांड की कली को फूल और बगीचा बनाने में कोई कसर ना छोड़ी। एक घंटे तक चोदने के बाद ये चुदाई का सत्र चलता रहा। मेरी हथिनी की चूत को एक हाथी जैसा मूसल लंड मिल गया था।
 
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