Raand aur randwe ki jodi ka sex kaand - Hot kahani
मैं अपने हालात से तो दुखी था ही और उससे भी ज्यादा दुखी था अपनी बीवी के छोड़ जाने से, अगर वो कमीनी मुझे छोड़ कर नहीं गयी होती तो मैं यूँ भरी जवानी में रंडवों का सा जीवन नहीं जी रहा होता. वो तो भला हो छोटू का की मुझे लंड लगाने की जगह मिल गयी, छोटू कोई लड़का नहीं बल्कि हमारे मोहल्ले की सबसे चुदैल लड़की थी जो जाने कब से लंड ले ले कर ढीली हो गयी थी लेकिन ना तो उसकी चुदास मिटटी थी और ना ही उसके आशिकों की लाइन. वो हरामजादी गालियाँ दे दे कर भी बात करती तो भी कुछ चूतिये उसकी बातों का रस सिर्फ इसलिए लेते थे की कहीं छोटू उन्हें बुला कर उनका लंड भी ले ले तो मज़ा आजाए. पर छोटू तो इतनी बड़ी वाली होने के बावजूद एक कड़क अखरोट थी जब तक उसकी मर्ज़ी नहीं तब तक चुदाई भी नहीं, ऐसे में कई लोग उससे आए दिन गालियाँ सुनते थे.
एक दिन मैं घर से बाहर निकला ही था की पीछे से छोटू की आवाज़ आई "कहाँ जा रहा है" मैं बोला "चौराहे तक" तो उसने मेरे पास आ कर कहा "ठीक है तो आते वक़्त ठेके से एक बैगपाइपर की अद्धी ले अयियो" ये कह कर उसने मुझे पैसे दे दिए. मैंने इसे नॉर्मली लिया और चला गया, ठेके से उसके लिए अद्धी लेते समय मैंने अपने लिए भी एक पव्वा ले लिया क्यूंकि वैसे भी अकेलेपन में क्या करता सो अब ठेके आ ही गया हूँ तो एक ले ही लेता हूँ सोच कर अपने लिए भी एक पव्वा ले कर मैं छोटू के दरवाज़े पहुंचा. उसने मुझे खिड़की से ही देख लिया था सो वो दरवाज़े तक आ गयी और मुझे अन्दर ले कर उसने अद्धी ले ली, लेकिन उसकी नज़र मेरे पव्वे पर पड़ी तो बोली "तू कब से पीने लगा रे, अच्छा बीवी की याद में अकेला पिएगा. चल अन्दर मेरे साथ पी ले अकेले में फिर बुरे विचार आयेंगे".
मैं पता नहीं क्या सोच कर अन्दर चला गया, वो ग्लास्सें ले आई और साथ में चखना नमकीन वगेरह भी लाई और हम दोनों नए पीना शुरू किया. पीते पीते छोटू ने एक सिगरेट सुलगाई और बोली "तेरे तो लंड के श्राप लग रहे होंगे तुझे हैं, क्यूंकि रांडों रखेलों में जाने जैसा तो है नहीं तू" मैं उसकी सिगरेट ले कर एक गहरा कश भरा और कहा "काश जाता होता और इस कारण से मुझे वो छोड़ कर जाती तो इतना दुःख ना होता" कह कर मेरी आँखों में आंसू आ गए. मेरे आंसू देख कर छोटू ने मेरे के चपत लगा कर कहा "रोए मत जो गयी वो तेरी थी ही नहीं. मैं बिलख पड़ा और छोटू ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं उसकी धडकनें साफ़ सुन सकता था और वो मेरे चेहरे को अपने ढीले चूचों में दबाए जा रही थी, छोटू के इस तरह दबाने से मेरे अन्दर सेक्स जाग उठा और मैं उसके चूचों पर अपना मुंह हौले हौले रगड़ने लगा वो भी इस चीज़ का मजा ले रही थी और उसके चुचे ढीले से हलके टाइट हो चले थे खास तौर पर उसकी निप्प्लें.
छोटू ने कहा "तू तो मेरे मज़े लेने लग गया रे रोते रोते" मैं शर्मा गया तो वो बोली "रुक कुण्डी लगाने दे मैं भी हफ्ते भर से प्यासी बैठी हूँ पीरियड्स की वजह से" वो कुण्डी लगा कर आई और पहले की तरह ही उसने मेरे चेहरे को अपनी छातियों में दबा लिया हालाँकि उसके शरीर में से अजीब सी स्मेल आ रही थी लेकिन मुझे उस वक़्त वो बड़ी अच्छी लग रही थी. देखते ही देखते हम दोनों एक दुसरे में समा जाने के लिए तैयार हो गए थे और मेरा लंड उठ कर सलामी देने लगा था, छोटू ने मेरे और अपने कपडे उतार कर मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और हम दोनों नंगे बदन एक दुसरे को सहला रहे थे कि वो बोली "तू तो अपनी लुगाई समझ के प्यार कर रहा है रे मुझे" तो मैंने कहा "मुझे तो ऐसे ही करना आता है". वो हंसी और बोली "जो भी आता है मुझे अच्छा लग रहा है, एक काम कर आज तू मेरा पति बन जा और मैं तेरी लुगाई और उसी तरह प्यार कर जैसे तू अपनी लुगाई से करे था".
मैंने छोटू को एक बार फिर अपने आगोश में लिया और उसके बदन को चूमने लगा उसके ढीले चुचे अब मुझे ढीले नहीं लग रहे थे और उसकी चूत पर हलकी हलकी झाटें मुझे रेशम का सा अहसास करवा रही थीं, मैंने उसके पूरे बदन पर अपनी उंगलियाँ फिराई तो उसकी आह्ह निकल गयी और वो बोली "तू तो वाकई अच्छे से कर रहा है, फिर उसने तुझे क्यूँ छोड़ा". मैंने उसके होठों के करीब जा कर कहा "अब तू अगर उसकी बातें करेगी तो लंड लटक जाएगा मेरा चोदने से पहले ही" वो मुस्कुराई और उसने मेरे होंठ चूम लिए, हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे और मैं साथ ही साथ उसकी चूत को सहला रहा था और उस में अपनी ऊँगली से मालिश कर रहा था. छोटू की चूत वैसे तो चुद चुद के ढीली हो चुकी थी लेकिन उसमें अब भी वो तरावट थी जो किसी नई लौंडिया में होती है और मैंने उसी तरावट को और गीला करने पर तुला हुआ छोटू की सिस्कारियों का मज़ा ले रहा था.
छोटू ने कहा "अब मत तडपा ज़ालिम दे दे मुझे अपना लंड, दिख तो घणा कसूता रहा है" मैं शर्मा गया तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ से ही अपनी चूत में लगाया और खिसक कर मेरे करीब आई जिस से मेरा लंड उसकी चूत में सरक गया बिना किसी लफड़े के. मैं छोटू की लंड लेने की कैपेसिटी जानता था लेकिन बिना किसी विचार को मन में लाए मैंने अपनी पूरी ताकत से उसे चोदा पर जैसे ही उसके सर पर हाथ फिराकर उसके बालों में उंगलियाँ फिराईं और सहलाने लगा तो छोटू की आँखों से आंसू निकल आए, मैंने उस से पूछा तो बोली "तू बस सेक्स में नद्यां दे मुझे अच्छा लग रहा है". हम दोनों ही इस सेक्स क्रिया का बड़े प्यार से मज़ा ले रहे थे, कभी वो मेरे ऊपर तो कभी मैं उसके ऊपर और फाइनली मैं झड़ गया उसने कहा "बस कमर हिलाता रह मेरा भी होने वाला है" तो मैंने अपने धक्के कंटिन्यू रखे और पल भर में वो भी झड़ गयी.
हम दोनों पास में लेटे रहे और हमने उस शाम चार पांच बार सेक्स किया, छोटू इतनी खुश थी की उसने मेरे लिए अपने हाथों से खाना बनाया और मुझे रोटी परोसते हुए बोली "मेरे साथ जिस जिस ने भी किया उसने बस भड़ास निकाली है और सच कहूँ तो मैंने भी उन लोगों के साथ भूख ही मिटाई है पहली बार किसी ने प्यार से चोदा है, तू प्लीज़ रोज़ आ जाया कर ना तेरा खाना खर्चा वगेरह सब मैं दूंगी और सामने वाली का मकान खाली कर दे और मेरे गहर में ही किराए रह जा. बाहर तू मेरा किरायेदार है और घर में तू मेरा यार है, खसम तो बनाउंगी नहीं लेकिन प्यार पूरा दूंगी". मैं छोटू की बात मान ली और उसके घर में किराये पर रहने लगा, दुनिया की नज़र में हम माकन मालिक और किरायेदार थे लेकिन अन्दर हम दोनों सेक्स पार्टनर थे और इस में मुझे बड़ा मज़ा आरहा था.
मैं अपने हालात से तो दुखी था ही और उससे भी ज्यादा दुखी था अपनी बीवी के छोड़ जाने से, अगर वो कमीनी मुझे छोड़ कर नहीं गयी होती तो मैं यूँ भरी जवानी में रंडवों का सा जीवन नहीं जी रहा होता. वो तो भला हो छोटू का की मुझे लंड लगाने की जगह मिल गयी, छोटू कोई लड़का नहीं बल्कि हमारे मोहल्ले की सबसे चुदैल लड़की थी जो जाने कब से लंड ले ले कर ढीली हो गयी थी लेकिन ना तो उसकी चुदास मिटटी थी और ना ही उसके आशिकों की लाइन. वो हरामजादी गालियाँ दे दे कर भी बात करती तो भी कुछ चूतिये उसकी बातों का रस सिर्फ इसलिए लेते थे की कहीं छोटू उन्हें बुला कर उनका लंड भी ले ले तो मज़ा आजाए. पर छोटू तो इतनी बड़ी वाली होने के बावजूद एक कड़क अखरोट थी जब तक उसकी मर्ज़ी नहीं तब तक चुदाई भी नहीं, ऐसे में कई लोग उससे आए दिन गालियाँ सुनते थे.
एक दिन मैं घर से बाहर निकला ही था की पीछे से छोटू की आवाज़ आई "कहाँ जा रहा है" मैं बोला "चौराहे तक" तो उसने मेरे पास आ कर कहा "ठीक है तो आते वक़्त ठेके से एक बैगपाइपर की अद्धी ले अयियो" ये कह कर उसने मुझे पैसे दे दिए. मैंने इसे नॉर्मली लिया और चला गया, ठेके से उसके लिए अद्धी लेते समय मैंने अपने लिए भी एक पव्वा ले लिया क्यूंकि वैसे भी अकेलेपन में क्या करता सो अब ठेके आ ही गया हूँ तो एक ले ही लेता हूँ सोच कर अपने लिए भी एक पव्वा ले कर मैं छोटू के दरवाज़े पहुंचा. उसने मुझे खिड़की से ही देख लिया था सो वो दरवाज़े तक आ गयी और मुझे अन्दर ले कर उसने अद्धी ले ली, लेकिन उसकी नज़र मेरे पव्वे पर पड़ी तो बोली "तू कब से पीने लगा रे, अच्छा बीवी की याद में अकेला पिएगा. चल अन्दर मेरे साथ पी ले अकेले में फिर बुरे विचार आयेंगे".
मैं पता नहीं क्या सोच कर अन्दर चला गया, वो ग्लास्सें ले आई और साथ में चखना नमकीन वगेरह भी लाई और हम दोनों नए पीना शुरू किया. पीते पीते छोटू ने एक सिगरेट सुलगाई और बोली "तेरे तो लंड के श्राप लग रहे होंगे तुझे हैं, क्यूंकि रांडों रखेलों में जाने जैसा तो है नहीं तू" मैं उसकी सिगरेट ले कर एक गहरा कश भरा और कहा "काश जाता होता और इस कारण से मुझे वो छोड़ कर जाती तो इतना दुःख ना होता" कह कर मेरी आँखों में आंसू आ गए. मेरे आंसू देख कर छोटू ने मेरे के चपत लगा कर कहा "रोए मत जो गयी वो तेरी थी ही नहीं. मैं बिलख पड़ा और छोटू ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं उसकी धडकनें साफ़ सुन सकता था और वो मेरे चेहरे को अपने ढीले चूचों में दबाए जा रही थी, छोटू के इस तरह दबाने से मेरे अन्दर सेक्स जाग उठा और मैं उसके चूचों पर अपना मुंह हौले हौले रगड़ने लगा वो भी इस चीज़ का मजा ले रही थी और उसके चुचे ढीले से हलके टाइट हो चले थे खास तौर पर उसकी निप्प्लें.
छोटू ने कहा "तू तो मेरे मज़े लेने लग गया रे रोते रोते" मैं शर्मा गया तो वो बोली "रुक कुण्डी लगाने दे मैं भी हफ्ते भर से प्यासी बैठी हूँ पीरियड्स की वजह से" वो कुण्डी लगा कर आई और पहले की तरह ही उसने मेरे चेहरे को अपनी छातियों में दबा लिया हालाँकि उसके शरीर में से अजीब सी स्मेल आ रही थी लेकिन मुझे उस वक़्त वो बड़ी अच्छी लग रही थी. देखते ही देखते हम दोनों एक दुसरे में समा जाने के लिए तैयार हो गए थे और मेरा लंड उठ कर सलामी देने लगा था, छोटू ने मेरे और अपने कपडे उतार कर मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और हम दोनों नंगे बदन एक दुसरे को सहला रहे थे कि वो बोली "तू तो अपनी लुगाई समझ के प्यार कर रहा है रे मुझे" तो मैंने कहा "मुझे तो ऐसे ही करना आता है". वो हंसी और बोली "जो भी आता है मुझे अच्छा लग रहा है, एक काम कर आज तू मेरा पति बन जा और मैं तेरी लुगाई और उसी तरह प्यार कर जैसे तू अपनी लुगाई से करे था".
मैंने छोटू को एक बार फिर अपने आगोश में लिया और उसके बदन को चूमने लगा उसके ढीले चुचे अब मुझे ढीले नहीं लग रहे थे और उसकी चूत पर हलकी हलकी झाटें मुझे रेशम का सा अहसास करवा रही थीं, मैंने उसके पूरे बदन पर अपनी उंगलियाँ फिराई तो उसकी आह्ह निकल गयी और वो बोली "तू तो वाकई अच्छे से कर रहा है, फिर उसने तुझे क्यूँ छोड़ा". मैंने उसके होठों के करीब जा कर कहा "अब तू अगर उसकी बातें करेगी तो लंड लटक जाएगा मेरा चोदने से पहले ही" वो मुस्कुराई और उसने मेरे होंठ चूम लिए, हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे और मैं साथ ही साथ उसकी चूत को सहला रहा था और उस में अपनी ऊँगली से मालिश कर रहा था. छोटू की चूत वैसे तो चुद चुद के ढीली हो चुकी थी लेकिन उसमें अब भी वो तरावट थी जो किसी नई लौंडिया में होती है और मैंने उसी तरावट को और गीला करने पर तुला हुआ छोटू की सिस्कारियों का मज़ा ले रहा था.
छोटू ने कहा "अब मत तडपा ज़ालिम दे दे मुझे अपना लंड, दिख तो घणा कसूता रहा है" मैं शर्मा गया तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ से ही अपनी चूत में लगाया और खिसक कर मेरे करीब आई जिस से मेरा लंड उसकी चूत में सरक गया बिना किसी लफड़े के. मैं छोटू की लंड लेने की कैपेसिटी जानता था लेकिन बिना किसी विचार को मन में लाए मैंने अपनी पूरी ताकत से उसे चोदा पर जैसे ही उसके सर पर हाथ फिराकर उसके बालों में उंगलियाँ फिराईं और सहलाने लगा तो छोटू की आँखों से आंसू निकल आए, मैंने उस से पूछा तो बोली "तू बस सेक्स में नद्यां दे मुझे अच्छा लग रहा है". हम दोनों ही इस सेक्स क्रिया का बड़े प्यार से मज़ा ले रहे थे, कभी वो मेरे ऊपर तो कभी मैं उसके ऊपर और फाइनली मैं झड़ गया उसने कहा "बस कमर हिलाता रह मेरा भी होने वाला है" तो मैंने अपने धक्के कंटिन्यू रखे और पल भर में वो भी झड़ गयी.
हम दोनों पास में लेटे रहे और हमने उस शाम चार पांच बार सेक्स किया, छोटू इतनी खुश थी की उसने मेरे लिए अपने हाथों से खाना बनाया और मुझे रोटी परोसते हुए बोली "मेरे साथ जिस जिस ने भी किया उसने बस भड़ास निकाली है और सच कहूँ तो मैंने भी उन लोगों के साथ भूख ही मिटाई है पहली बार किसी ने प्यार से चोदा है, तू प्लीज़ रोज़ आ जाया कर ना तेरा खाना खर्चा वगेरह सब मैं दूंगी और सामने वाली का मकान खाली कर दे और मेरे गहर में ही किराए रह जा. बाहर तू मेरा किरायेदार है और घर में तू मेरा यार है, खसम तो बनाउंगी नहीं लेकिन प्यार पूरा दूंगी". मैं छोटू की बात मान ली और उसके घर में किराये पर रहने लगा, दुनिया की नज़र में हम माकन मालिक और किरायेदार थे लेकिन अन्दर हम दोनों सेक्स पार्टनर थे और इस में मुझे बड़ा मज़ा आरहा था.