अनीता अपने कमरे बैठी कुछ पढ़ रही थी.. तभी एक पेज पर एक चित्र को देख कर वो पढ़ना बंद कर देती है और कुछ सोचने लग जाती है।
कुछ देर बाद वो फिर से किताब खोलती है और उसमें उस पेज को खोजने लग जाती है जहाँ से उसने पढ़ना बंद किया था। उसे वो पेज मिल जाता है। वो उस पेज पर छपे चित्र को ध्यान से देखती है जिसमें एक कंडोम का एक एड छपा था.. जिसमें एक पुरुष और एक लड़की को नग्न.. एक-दूसरे से चिपका हुआ दिखाया गया था।
उसे देखकर अनीता के मन में एक आग सी लग जाती है.. जो उसके मन में एक कामेच्छा को जन्म देती है।
वो कुछ देर तक उस चित्र को बड़ी बारीकी से देखती रही और उस चित्र में लड़की को प्राप्त होने वाले आनन्द को महसूस करने की कोशिश करने लगी। फिर वो खुद भी इसी आनन्द को प्राप्त करने की सोच में अपनी उंगलियों को अपनी गर्दन पर ले जाती है और अपनी उंगलियों से अपनी गर्दन को छूती है। उसकी ये छुअन उसके मन को एक छोटा सा.. पर एक सुखद एहसास देती है और उसे पीछे की तरफ लेटा देती है।
अब वो अपना हाथ अपनी गर्दन से हटा कर चेहरे की तरफ ले जाती है और अपनी उंगलियों से अपने गालों को स्पर्श करती है.. उसके बाद वो अपने होंठों पर अपनी उंगलियां फिराने लगती है। उसकी उंगलियां उसके शरीर को एक नया एहसास देना शुरू कर देती हैं.. जो उसके शरीर में एक अकड़न सी पैदा करने लगा।
अब उसने अपना हाथ चेहरे से हटाया और फिर से गर्दन पर अपनी हाथों से स्पर्श करने लगी। यह स्पर्श धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसने अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ा दिया। उसके हाथ ने उसकी कोमल छाती को छू लिया। उसकी उंगलियों ने उसके स्तनों पर एक प्यारी सी रगड़ कर दी और उस रगड़ के एहसास ने उसकी आँखें बंद कर दीं।
अब उसका हाथ अपनी मर्जी से उसके स्तनों पर चल रहा था और उसकी उंगलियां उसके स्तनों के हर हिस्से को छूने लगीं। अनीता अपनी उंगलियों से मिलने वाले उस एहसास को महसूस कर रही थी, जो उसे एक नई दुनिया में ले जा रहा था।
वो अपने एक हाथ को अपनी छाती से नीचे की तरफ ले जाती है और पेट की नाभि पर अपनी एक उंगली से स्पर्श करती है। फिर वो नाभि के चारों तरफ अपनी उस उंगली को घुमाने में लग जाती है। उस उंगली का मादक एहसास पाकर वो अपने होंठों को भींच लेती है और अपने दांतों से अपने निचले होंठ को थोड़ा सा दबा लेती है।
अनीता इस आनन्द के वशीभूत होकर अपनी दोनों जांघों को भींच लेती है.. जिससे उसकी योनि पर एक दबाव बन जाता है और इस दबाव से वो अपनी योनि में एक अजीब सी सिरहन महसूस करती है।
उसके मन की काम-तृष्णा अब उसके शरीर को एक आनन्द की प्राप्ति करा रही थी और वो उसमें खोती जा रही थी।
अब वो उस उंगली को नाभि से हटा कर और नीचे की तरफ बढ़ने लगी। उसकी बाकी उंगलियों ने भी उसकी सलवार के नाड़े को छू लिया। उसकी उंगलिया नाड़े के बराबर-बराबर चलने लगीं.. जैसे वे कोई रास्ता ढूँढ रही हों।
उसके मन में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसकी उंगलियां उस कामुक एहसास को बढ़ा रही थीं।
कुछ देर बाद वो फिर से किताब खोलती है और उसमें उस पेज को खोजने लग जाती है जहाँ से उसने पढ़ना बंद किया था। उसे वो पेज मिल जाता है। वो उस पेज पर छपे चित्र को ध्यान से देखती है जिसमें एक कंडोम का एक एड छपा था.. जिसमें एक पुरुष और एक लड़की को नग्न.. एक-दूसरे से चिपका हुआ दिखाया गया था।
उसे देखकर अनीता के मन में एक आग सी लग जाती है.. जो उसके मन में एक कामेच्छा को जन्म देती है।
वो कुछ देर तक उस चित्र को बड़ी बारीकी से देखती रही और उस चित्र में लड़की को प्राप्त होने वाले आनन्द को महसूस करने की कोशिश करने लगी। फिर वो खुद भी इसी आनन्द को प्राप्त करने की सोच में अपनी उंगलियों को अपनी गर्दन पर ले जाती है और अपनी उंगलियों से अपनी गर्दन को छूती है। उसकी ये छुअन उसके मन को एक छोटा सा.. पर एक सुखद एहसास देती है और उसे पीछे की तरफ लेटा देती है।
अब वो अपना हाथ अपनी गर्दन से हटा कर चेहरे की तरफ ले जाती है और अपनी उंगलियों से अपने गालों को स्पर्श करती है.. उसके बाद वो अपने होंठों पर अपनी उंगलियां फिराने लगती है। उसकी उंगलियां उसके शरीर को एक नया एहसास देना शुरू कर देती हैं.. जो उसके शरीर में एक अकड़न सी पैदा करने लगा।
अब उसने अपना हाथ चेहरे से हटाया और फिर से गर्दन पर अपनी हाथों से स्पर्श करने लगी। यह स्पर्श धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसने अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ा दिया। उसके हाथ ने उसकी कोमल छाती को छू लिया। उसकी उंगलियों ने उसके स्तनों पर एक प्यारी सी रगड़ कर दी और उस रगड़ के एहसास ने उसकी आँखें बंद कर दीं।
अब उसका हाथ अपनी मर्जी से उसके स्तनों पर चल रहा था और उसकी उंगलियां उसके स्तनों के हर हिस्से को छूने लगीं। अनीता अपनी उंगलियों से मिलने वाले उस एहसास को महसूस कर रही थी, जो उसे एक नई दुनिया में ले जा रहा था।
वो अपने एक हाथ को अपनी छाती से नीचे की तरफ ले जाती है और पेट की नाभि पर अपनी एक उंगली से स्पर्श करती है। फिर वो नाभि के चारों तरफ अपनी उस उंगली को घुमाने में लग जाती है। उस उंगली का मादक एहसास पाकर वो अपने होंठों को भींच लेती है और अपने दांतों से अपने निचले होंठ को थोड़ा सा दबा लेती है।
अनीता इस आनन्द के वशीभूत होकर अपनी दोनों जांघों को भींच लेती है.. जिससे उसकी योनि पर एक दबाव बन जाता है और इस दबाव से वो अपनी योनि में एक अजीब सी सिरहन महसूस करती है।
उसके मन की काम-तृष्णा अब उसके शरीर को एक आनन्द की प्राप्ति करा रही थी और वो उसमें खोती जा रही थी।
अब वो उस उंगली को नाभि से हटा कर और नीचे की तरफ बढ़ने लगी। उसकी बाकी उंगलियों ने भी उसकी सलवार के नाड़े को छू लिया। उसकी उंगलिया नाड़े के बराबर-बराबर चलने लगीं.. जैसे वे कोई रास्ता ढूँढ रही हों।
उसके मन में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसकी उंगलियां उस कामुक एहसास को बढ़ा रही थीं।