दोस्तो.. यह मेरी पहली कहानी है जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ।
मेरा नाम राज है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी आयु 19 साल है।
हमारे घर पर कुछ दिनों पहले एक शादीशुदा कपल किराए पर रहने आए। उन दोनों में आंटी 28 साल की थीं और अंकल 32 साल के थे। हम सब घर वाले और अंकल-आंटी सब घुल-मिल गए।
अंकल एक कम्पनी में जॉब करते थे और आंटी घर का काम करती थीं।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आंटी के साथ कुछ करूँगा। मैं कॉलेज से आता और बात करने आंटी के पास चला जाता, मुझे उनका स्वभाव बहुत अच्छा लगता था।
एक दिन में कॉलेज से जल्दी घर आ गया और मैं आंटी के पास चला गया। मैं अन्दर गया और मैंने आंटी को आवाज लगाई.. पर आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया।
मैं और अन्दर गया तो देखा कि आंटी नहा रही हैं क्योंकि उनके बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी।
मैं वहीं सोफे पर बैठ गया।
आंटी को शायद नहीं पता था कि मैं आ गया हूँ, आंटी बाथरूम से केवल ब्रा और पैन्टी में ही बाहर आ गईं।
मैं उन्हें इस हालत में देखता रहा.. फ़िर आंटी ने मुझे देखा तो वो भागते हुए जल्दी से अपने कमरे में चली गईं।
थोड़ी देर बाद आंटी ने कपड़े पहन कर बाहर आईं और बोलीं- तुम आ गए थे तो मुझे आवाज क्यों नहीं दी?
मैंने बड़ी मासूमियत से आंटी को बोला- मैंने आवाज लगाई थी.. लेकिन आपने सुना ही नहीं था.. तो मैं यहाँ आकर बैठ गया।
आंटी- ओके.. कोई बात नहीं.. तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।
मैं- ओके आंटी..
फिर आंटी चाय बनाने रसोई में चली गईं।
पहली बार आंटी को इस तरह देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया था.. कुछ देर बाद आंटी आईं।
आंटी- ये लो चाय पियो।
‘जी..’
उन्होंने पूछा- तुम कॉलेज से इतनी जल्दी कैसे आ गए?
मैं- आंटी आज कॉलेज में दो क्लास नहीं लगीं.. तो मैं जल्दी आ गया।
आंटी- चलो अच्छा तुम चाय पी लो फिर तुम मेरे साथ मेरे कमरे की थोड़ी सफ़ाई करा देना प्लीज़।
मैं- ओके आंटी..
फिर हम दोनों चाय पीकर कमरे में चले गए। कुछ देर सफ़ाई करवा के मैं अपने कमरे में आ गया। लेकिन मेरी आँखों में आंटी का जिस्म घूमता रहा.. उनका वो मदमस्त जिस्म मेरी नजरों से हट ही नहीं रहा था। मैंने सोचा कल भी कॉलेज से जल्दी ही आऊँगा।
मैं अगले दिन का इन्तजार करने लगा। अगले दिन भी कल की तरह जल्दी आया और धीरे-धीरे आंटी के कमरे में चला गया।
कल की तरह आंटी आज भी ब्रा-पैन्टी में ही बाहर आ गई थीं। आज आंटी ने रेड कलर की ब्रा-पैन्टी पहन रखी थी.. जिसमें वो कयामत लग रही थीं। आंटी के उभरे हुए चूचे साफ़ दिखाई दे रहे थे.. जो शायद 34 इंच के रहे होंगे।
आज जब वो मुझे देख कर अपने कमरे में जा रही थीं.. तो उनके चूतड़ मटक रहे थे। जो शायद 36 इंच के थे। ये सब देख कर मेरा लंड टाइट हो गया। आज वो मुझे देख कर भागी नहीं.. बल्कि मुस्कुराते हुए अपनी गाण्ड मटकाते हुए कमरे में गई थीं।
कुछ देर बाद आंटी आईं और बोलीं- कॉलेज से जल्दी आकर तुम मुझे ऐसे क्यों देखते हो?
मैं कुछ नहीं बोला और थोड़ी इधर-उधर की बात करके मैं अपने कमरे में आ गया। अपने कमरे में आकर मैंने आंटी के नाम की मुठ मारी और सोचा कि आंटी के साथ जल्दी सेक्स करके अपनी प्यास बुझाऊँगा।
मेरा नाम राज है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी आयु 19 साल है।
हमारे घर पर कुछ दिनों पहले एक शादीशुदा कपल किराए पर रहने आए। उन दोनों में आंटी 28 साल की थीं और अंकल 32 साल के थे। हम सब घर वाले और अंकल-आंटी सब घुल-मिल गए।
अंकल एक कम्पनी में जॉब करते थे और आंटी घर का काम करती थीं।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आंटी के साथ कुछ करूँगा। मैं कॉलेज से आता और बात करने आंटी के पास चला जाता, मुझे उनका स्वभाव बहुत अच्छा लगता था।
एक दिन में कॉलेज से जल्दी घर आ गया और मैं आंटी के पास चला गया। मैं अन्दर गया और मैंने आंटी को आवाज लगाई.. पर आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया।
मैं और अन्दर गया तो देखा कि आंटी नहा रही हैं क्योंकि उनके बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी।
मैं वहीं सोफे पर बैठ गया।
आंटी को शायद नहीं पता था कि मैं आ गया हूँ, आंटी बाथरूम से केवल ब्रा और पैन्टी में ही बाहर आ गईं।
मैं उन्हें इस हालत में देखता रहा.. फ़िर आंटी ने मुझे देखा तो वो भागते हुए जल्दी से अपने कमरे में चली गईं।
थोड़ी देर बाद आंटी ने कपड़े पहन कर बाहर आईं और बोलीं- तुम आ गए थे तो मुझे आवाज क्यों नहीं दी?
मैंने बड़ी मासूमियत से आंटी को बोला- मैंने आवाज लगाई थी.. लेकिन आपने सुना ही नहीं था.. तो मैं यहाँ आकर बैठ गया।
आंटी- ओके.. कोई बात नहीं.. तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।
मैं- ओके आंटी..
फिर आंटी चाय बनाने रसोई में चली गईं।
पहली बार आंटी को इस तरह देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया था.. कुछ देर बाद आंटी आईं।
आंटी- ये लो चाय पियो।
‘जी..’
उन्होंने पूछा- तुम कॉलेज से इतनी जल्दी कैसे आ गए?
मैं- आंटी आज कॉलेज में दो क्लास नहीं लगीं.. तो मैं जल्दी आ गया।
आंटी- चलो अच्छा तुम चाय पी लो फिर तुम मेरे साथ मेरे कमरे की थोड़ी सफ़ाई करा देना प्लीज़।
मैं- ओके आंटी..
फिर हम दोनों चाय पीकर कमरे में चले गए। कुछ देर सफ़ाई करवा के मैं अपने कमरे में आ गया। लेकिन मेरी आँखों में आंटी का जिस्म घूमता रहा.. उनका वो मदमस्त जिस्म मेरी नजरों से हट ही नहीं रहा था। मैंने सोचा कल भी कॉलेज से जल्दी ही आऊँगा।
मैं अगले दिन का इन्तजार करने लगा। अगले दिन भी कल की तरह जल्दी आया और धीरे-धीरे आंटी के कमरे में चला गया।
कल की तरह आंटी आज भी ब्रा-पैन्टी में ही बाहर आ गई थीं। आज आंटी ने रेड कलर की ब्रा-पैन्टी पहन रखी थी.. जिसमें वो कयामत लग रही थीं। आंटी के उभरे हुए चूचे साफ़ दिखाई दे रहे थे.. जो शायद 34 इंच के रहे होंगे।
आज जब वो मुझे देख कर अपने कमरे में जा रही थीं.. तो उनके चूतड़ मटक रहे थे। जो शायद 36 इंच के थे। ये सब देख कर मेरा लंड टाइट हो गया। आज वो मुझे देख कर भागी नहीं.. बल्कि मुस्कुराते हुए अपनी गाण्ड मटकाते हुए कमरे में गई थीं।
कुछ देर बाद आंटी आईं और बोलीं- कॉलेज से जल्दी आकर तुम मुझे ऐसे क्यों देखते हो?
मैं कुछ नहीं बोला और थोड़ी इधर-उधर की बात करके मैं अपने कमरे में आ गया। अपने कमरे में आकर मैंने आंटी के नाम की मुठ मारी और सोचा कि आंटी के साथ जल्दी सेक्स करके अपनी प्यास बुझाऊँगा।