दोस्तो.. यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है जो मेरे साथ घटी है।
मेरा नाम राजू है, मेरी उम्र 20 साल है। यह कहानी मेरे और मेरे मामू की लड़की की है। मेरा घर मेरे मामू का घर थोड़ी दूरी पर है।
मेरे मामू के घर में चार लोग मामू, मुमानी, लड़का आसिफ़ और लड़की मुस्कान हैं। मुस्कान की उम्र जवानी की दहलीज पर है और आसिफ़ अभी 12 साल का हुआ है।
मैं अक्सर मामू के घर पर जाया करता हूँ.. मगर मैं दिल में आज तक किसी के बारे में ग़लत नहीं सोचता था।
मेरे मामू एक कंपनी में अच्छी पोस्ट पर हैं, अक्सर मामू कंपनी के काम से बाहर जाते रहते थे.. तो उनके घर का थोड़ा बहुत काम में कर दिया करता था।
एक दिन मैं मामू के घर पर गया तो वहाँ आसिफ़ पढ़ाई कर रहा था और मुस्कान और मुमानी कपड़े धो रही थीं, मामू अपनी जॉब पर कंपनी गए थे।
मैं आसिफ़ के पास जाकर बैठ गया।
मुमानी ने मुस्कान से कहा- जा तू झाड़ू लगा ले.. मैं कपड़े धो लूँगी।
मुस्कान कमरे में आई और मुझे देख कर हँस कर बोली- और राजू भाई क्या मज़े ले रहे हो?
ऐसा बोलते हुए वो बाहर झाड़ू लेने चले गई।
मैं कुछ भी नहीं बोला बस बैठा रहा, जब मुस्कान वापस कमरे में आई और मुझे देख कर हँसते हुए झाड़ू लगाने लगी।
मैंने कहा- क्या पागल हो गई है.. हँसे जा रही है।
तो मुस्कान ने कहा- हाँ भाई..
अब मुस्कान दूसरे कमरे में चली गई, मैं आसिफ़ की किताब उठा कर पढ़ने लगा।
फिर मुस्कान आकर झाड़ू लगाने लगी। मैंने जब मुस्कान की तरफ देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। मुस्कान की सलवार फटी थी और उसमें से उसकी चिकनी बुर नज़र आ रही थी। मैं नीचे मुँह करके बैठा रहा। फिर मुस्कान ने पीछे से अपनी पूरी टांगें खोल दीं और झुक कर झाड़ू लगाने लगी।
मेरा लम्बा लंड फूल कर सख्त हो गया। उसकी चिकनी बुर देख कर मैं अपना लंड दबा रहा था। वो मुझे चुपके से देख रही थी और हँस रही थी।
मैंने उसकी तरफ देखा ओर सोचने लगा कि मुस्कान मुझे जानबूझ कर बुर दिखा रही है। मैं उठा और अपने घर जाकर मुस्कान के नाम की मुठ मारी।
जब मैं सोने लगा तो मेरे दिमाग में सिर्फ़ मुस्कान की बुर नज़र आ रही थी। मैंने सोचा क्या मुस्कान मुझसे चुदवाना चाहती है। यह सोचते ही मैंने भी सोच लिया था कि अब मैं मुस्कान को चोद कर ही रहूँगा।
अगले दिन मैं मामू के घर लोवर और एक ढीली सी शर्ट पहन कर गया। मामू तो कंपनी जा चुके थे.. घर पर मुमानी.. आसिफ़ और मुस्कान थे।
मुझे देख कर मुस्कान हँसने लगी, मैंने भी हल्की सी स्माइल दे दी।
फिर मुमानी ने मुझे देख कर कहा- चलो राजू आ गया है, ऊपर वाले कमरे का भंगार बाहर निकालना है।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
अब हम सब ऊपर के कमरे में जाकर सामान निकालने लगे।
मुमानी ने कहा- मैं जरा बाजार तक जा रही हूँ अभी आती हूँ। तब तक तुम सामन ऊपर से नीचे फेंकते जाना.. मैं बाद अच्छा सामान घर में रख लूँगी.. बाकी बेच दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है.. आप चली जाओ।
अब सिर्फ हम तीनों ऊपर थे। मैं कमरे में एक तरफ खड़ा था। आसिफ़ और मुस्कान एक तरफ थे। मैं मुस्कान को देख रहा था और वो मुझे।
मेरा नाम राजू है, मेरी उम्र 20 साल है। यह कहानी मेरे और मेरे मामू की लड़की की है। मेरा घर मेरे मामू का घर थोड़ी दूरी पर है।
मेरे मामू के घर में चार लोग मामू, मुमानी, लड़का आसिफ़ और लड़की मुस्कान हैं। मुस्कान की उम्र जवानी की दहलीज पर है और आसिफ़ अभी 12 साल का हुआ है।
मैं अक्सर मामू के घर पर जाया करता हूँ.. मगर मैं दिल में आज तक किसी के बारे में ग़लत नहीं सोचता था।
मेरे मामू एक कंपनी में अच्छी पोस्ट पर हैं, अक्सर मामू कंपनी के काम से बाहर जाते रहते थे.. तो उनके घर का थोड़ा बहुत काम में कर दिया करता था।
एक दिन मैं मामू के घर पर गया तो वहाँ आसिफ़ पढ़ाई कर रहा था और मुस्कान और मुमानी कपड़े धो रही थीं, मामू अपनी जॉब पर कंपनी गए थे।
मैं आसिफ़ के पास जाकर बैठ गया।
मुमानी ने मुस्कान से कहा- जा तू झाड़ू लगा ले.. मैं कपड़े धो लूँगी।
मुस्कान कमरे में आई और मुझे देख कर हँस कर बोली- और राजू भाई क्या मज़े ले रहे हो?
ऐसा बोलते हुए वो बाहर झाड़ू लेने चले गई।
मैं कुछ भी नहीं बोला बस बैठा रहा, जब मुस्कान वापस कमरे में आई और मुझे देख कर हँसते हुए झाड़ू लगाने लगी।
मैंने कहा- क्या पागल हो गई है.. हँसे जा रही है।
तो मुस्कान ने कहा- हाँ भाई..
अब मुस्कान दूसरे कमरे में चली गई, मैं आसिफ़ की किताब उठा कर पढ़ने लगा।
फिर मुस्कान आकर झाड़ू लगाने लगी। मैंने जब मुस्कान की तरफ देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। मुस्कान की सलवार फटी थी और उसमें से उसकी चिकनी बुर नज़र आ रही थी। मैं नीचे मुँह करके बैठा रहा। फिर मुस्कान ने पीछे से अपनी पूरी टांगें खोल दीं और झुक कर झाड़ू लगाने लगी।
मेरा लम्बा लंड फूल कर सख्त हो गया। उसकी चिकनी बुर देख कर मैं अपना लंड दबा रहा था। वो मुझे चुपके से देख रही थी और हँस रही थी।
मैंने उसकी तरफ देखा ओर सोचने लगा कि मुस्कान मुझे जानबूझ कर बुर दिखा रही है। मैं उठा और अपने घर जाकर मुस्कान के नाम की मुठ मारी।
जब मैं सोने लगा तो मेरे दिमाग में सिर्फ़ मुस्कान की बुर नज़र आ रही थी। मैंने सोचा क्या मुस्कान मुझसे चुदवाना चाहती है। यह सोचते ही मैंने भी सोच लिया था कि अब मैं मुस्कान को चोद कर ही रहूँगा।
अगले दिन मैं मामू के घर लोवर और एक ढीली सी शर्ट पहन कर गया। मामू तो कंपनी जा चुके थे.. घर पर मुमानी.. आसिफ़ और मुस्कान थे।
मुझे देख कर मुस्कान हँसने लगी, मैंने भी हल्की सी स्माइल दे दी।
फिर मुमानी ने मुझे देख कर कहा- चलो राजू आ गया है, ऊपर वाले कमरे का भंगार बाहर निकालना है।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
अब हम सब ऊपर के कमरे में जाकर सामान निकालने लगे।
मुमानी ने कहा- मैं जरा बाजार तक जा रही हूँ अभी आती हूँ। तब तक तुम सामन ऊपर से नीचे फेंकते जाना.. मैं बाद अच्छा सामान घर में रख लूँगी.. बाकी बेच दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है.. आप चली जाओ।
अब सिर्फ हम तीनों ऊपर थे। मैं कमरे में एक तरफ खड़ा था। आसिफ़ और मुस्कान एक तरफ थे। मैं मुस्कान को देख रहा था और वो मुझे।