मेरे घर के पास एक शर्मा परिवार रहता है.. उसमें पति-पत्नि और पत्नी की ननद रहती है।
ननद अभी कालेज की पढ़ाई कर रही है। उसका यह अंतिम वर्ष है.. इसके बाद उसकी शादी हो जाएगी।
इस कहानी को जब ननद ने मुझे बताया तो मैंने उसकी इस मस्त कहानी को अन्तर्वासना के माध्यम से आप सभी को लिखने का सोचा।
अब आप पढ़ें उसी की जुबानी चूत चुदाई की कहानी।
भाभी ने मुझसे कहा- अगले वर्ष आपका ब्याह हो जाएगा.. जितना पढ़ाई करना है, कर लो।
मैंने कुछ नहीं कहा।
एक दिन मैंने भाभी की डायरी देखी। पहले तो मैं उसे सरसरी निगाह से देखा तो मुझे कुछ मजेदार सी लगी.. तो मैं डायरी को चुपचाप अपने कमरे में ले जाकर पढ़ने लगी।
मैंने देखा कि भाभी का संबंध एक लड़के से था जिसका नाम अरूण लिखा था। भाभी की पहली चुदाई का वर्णन भी इस डायरी में मिल गया।
अब मैं उसे ध्यान से पढ़ने लगी।
उसमें लिखा था कि अरूण मेरे मकान मालिक का बड़ा लड़का था.. वो सुन्दर नौजवान था.. साथ ही अरुण मुझसे कुछ वर्ष छोटा था।
एक बार मैं उसके घर गई तो वो खाट पर लेट कर चादर के अन्दर अपने लंड को हिला रहा था।
मैंने खाट के नजदीक जाकर चादर खींच दी।
चादर के हटते ही अरूण का खड़ा लंड दिखाई देने लगा।
मैंने कहा- ये तुम क्या कर रहे हो.. बताऊँ तुम्हारे माता पिता को?
वो शर्मवश कुछ नहीं कह सका।
मैंने भी वो बात छुपा दी।
जब मैं घर आई तो उसका लंड मेरी नजरों में बार-बार दिखने लगा।
गोरा लंबा लंड.. जिसका सुपारा गुलाबी था।
वो अपने लौड़े को इतना घोंट चुका था कि उसका वीर्य लंड से बाहर आ चुका था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने उसे अपने घर बुलाने का सोच लिया।
इसके लिए मैंने अरुण की माँ से कहा- मेरे घर पर कोई नहीं है.. मुझे अकेले सोने में डर लगता है।
उसकी माँ ने कहा- अरुण को अपने साथ ले जाओ.. ये वहीं पढ़ भी लेगा और आपके घर सो जाएगा।
मैंने उसे सोने के लिए बुला लिया।
मैं अभी 25 साल की थी और वो मा़त्र 18 साल का था।
मैंने उसे खाना खिलाया और खुद खाकर सोने के लिए अपने पलंग पर ही सुला लिया।
मैंने रात को देखा कि वो अपना पैन्ट उतार कर अन्डरवियर और बनियान में सोने गया था। उसके अन्डरवियर में उसके फूले हुए लंड पर मेरी नजर पड़ गई।
मैंने उसकी चड्डी निकाल दी.. नींद में होने के कारण उसे पता नहीं चला और अपने कपड़े उतार फेंके। उसके लंड में मैं अपने स्तनों को छुआने लगी।
वो धीरे-धीरे उस दिन जैसा कड़ा हो गया।
मैं अब उसके पैरों की तरफ मुँह करके लेट गई और उसके लंड को चूसने लगी। वो गहरी नींद में था.. जैसे ही पूरा लंड मेरे मुँह के अन्दर गया तो उसके शरीर में हलचल होने लगी।
मैंने और जोर से अन्दर चूसा तो लंड गीला हो गया।
मैंने फिर भी नहीं छोड़ा और लौड़े को चूसती रही।
मैंने कुछ देर में महसूस किया कि कोई मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा।
मैंने देखा कि वो अरूण ही था।
मैं जान गई कि वो सोया नहीं था।
मैंने अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया और एक पैर को फैला दिया.. जिससे चूत आसानी से चूस सके।
वो चूत की एक फली को अपने होंठों से दबाते हुए चूसने लगा और इसी के साथ उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी।
ननद अभी कालेज की पढ़ाई कर रही है। उसका यह अंतिम वर्ष है.. इसके बाद उसकी शादी हो जाएगी।
इस कहानी को जब ननद ने मुझे बताया तो मैंने उसकी इस मस्त कहानी को अन्तर्वासना के माध्यम से आप सभी को लिखने का सोचा।
अब आप पढ़ें उसी की जुबानी चूत चुदाई की कहानी।
भाभी ने मुझसे कहा- अगले वर्ष आपका ब्याह हो जाएगा.. जितना पढ़ाई करना है, कर लो।
मैंने कुछ नहीं कहा।
एक दिन मैंने भाभी की डायरी देखी। पहले तो मैं उसे सरसरी निगाह से देखा तो मुझे कुछ मजेदार सी लगी.. तो मैं डायरी को चुपचाप अपने कमरे में ले जाकर पढ़ने लगी।
मैंने देखा कि भाभी का संबंध एक लड़के से था जिसका नाम अरूण लिखा था। भाभी की पहली चुदाई का वर्णन भी इस डायरी में मिल गया।
अब मैं उसे ध्यान से पढ़ने लगी।
उसमें लिखा था कि अरूण मेरे मकान मालिक का बड़ा लड़का था.. वो सुन्दर नौजवान था.. साथ ही अरुण मुझसे कुछ वर्ष छोटा था।
एक बार मैं उसके घर गई तो वो खाट पर लेट कर चादर के अन्दर अपने लंड को हिला रहा था।
मैंने खाट के नजदीक जाकर चादर खींच दी।
चादर के हटते ही अरूण का खड़ा लंड दिखाई देने लगा।
मैंने कहा- ये तुम क्या कर रहे हो.. बताऊँ तुम्हारे माता पिता को?
वो शर्मवश कुछ नहीं कह सका।
मैंने भी वो बात छुपा दी।
जब मैं घर आई तो उसका लंड मेरी नजरों में बार-बार दिखने लगा।
गोरा लंबा लंड.. जिसका सुपारा गुलाबी था।
वो अपने लौड़े को इतना घोंट चुका था कि उसका वीर्य लंड से बाहर आ चुका था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने उसे अपने घर बुलाने का सोच लिया।
इसके लिए मैंने अरुण की माँ से कहा- मेरे घर पर कोई नहीं है.. मुझे अकेले सोने में डर लगता है।
उसकी माँ ने कहा- अरुण को अपने साथ ले जाओ.. ये वहीं पढ़ भी लेगा और आपके घर सो जाएगा।
मैंने उसे सोने के लिए बुला लिया।
मैं अभी 25 साल की थी और वो मा़त्र 18 साल का था।
मैंने उसे खाना खिलाया और खुद खाकर सोने के लिए अपने पलंग पर ही सुला लिया।
मैंने रात को देखा कि वो अपना पैन्ट उतार कर अन्डरवियर और बनियान में सोने गया था। उसके अन्डरवियर में उसके फूले हुए लंड पर मेरी नजर पड़ गई।
मैंने उसकी चड्डी निकाल दी.. नींद में होने के कारण उसे पता नहीं चला और अपने कपड़े उतार फेंके। उसके लंड में मैं अपने स्तनों को छुआने लगी।
वो धीरे-धीरे उस दिन जैसा कड़ा हो गया।
मैं अब उसके पैरों की तरफ मुँह करके लेट गई और उसके लंड को चूसने लगी। वो गहरी नींद में था.. जैसे ही पूरा लंड मेरे मुँह के अन्दर गया तो उसके शरीर में हलचल होने लगी।
मैंने और जोर से अन्दर चूसा तो लंड गीला हो गया।
मैंने फिर भी नहीं छोड़ा और लौड़े को चूसती रही।
मैंने कुछ देर में महसूस किया कि कोई मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा।
मैंने देखा कि वो अरूण ही था।
मैं जान गई कि वो सोया नहीं था।
मैंने अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया और एक पैर को फैला दिया.. जिससे चूत आसानी से चूस सके।
वो चूत की एक फली को अपने होंठों से दबाते हुए चूसने लगा और इसी के साथ उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी।