Bhai Ki Antarvasna Bahan Ki Chut Ki Chudai Ki Kahani

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मेरा नाम समीर है.. मैं अभी 12वीं में पढ़ता हूँ, मैं गाँव में रहता हूँ। मेरे घर में 5 लोग रहते हैं। हमारे यहाँ खेती का काम है। मे बहन 11वीं में पढ़ती है। मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.. पर मैं बहुत पहले से ही बहन को अपनी कल्पना में लेकर मुठ मारना शुरू कर चुका था।

गन्ने के खेत में मुठ
एक दिन मैं गन्ने के खेत में अन्दर गया, उधर जाकर मैं अपने लंड की झांटें साफ़ कर रहा था, झांट के बाल निकालते वक्त मेरा लंड एकदम टाईट हो गया और मैं उसे आगे-पीछे करने लगा, कुछ ही मिनट में मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
मैं पैन्ट पहन कर बाहर आने लगा तो मैंने देखा कि मेरे सामने मेरी बहन खड़ी थी, मैं उसे देख कर झेंप गया और सर नीचे करके खड़ा रहा।

मेरी बहन ने मुझसे कहा- जा, तुझे मम्मी ने बुलाया है।
मैंने घर आकर मम्मी से पूछा- क्या आपने मुझे बुलाया था?
मम्मी बोलीं- नहीं..

मैं हैरान रह गया पर मैंने कुछ कहा नहीं।

ऐसे ही कुछ दिन निकल गए, हमारे एग्जाम नज़दीक आ गए थे इसलिए हम दोनों रात को 12 बजे तक पढ़ाई करते थे।

एक दिन लाइट नहीं थी.. तो पापा बोले- इनवर्टर की लाइट जला लो और पढ़ाई कर लो।

मेरी बहन और मैं पढ़ाई कर रहे थे, तभी मेरी बहन मुझसे बोली- उस दिन तू जो कर रहा था.. मैंने सब देख लिया था।
मैं डर गया.. उस वक्त पापा भी हमारे पास खड़े थे.. तो मैं बोला- पापा मैं अन्दर के कमरे में पढ़ाई करने जा रहा हूँ।

वहाँ से मैं भाग आया और अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गया, मेरी बहन भी मेरे कमरे में आ गई, हम दोनों बातें करने लगे।
मेरी बहन बोली- बताओ ना.. तुम क्यों ऐसा कर रहे थे?

मेरी बहन की चूत देखी
हमें बातें करते-करते 1:45 हो गए थे, मैं मूतने के लिए बाहर जाने लगा तो बहन भी बोली- मुझे भी करना है।
हम दोनों एक साथ बाथरूम में चले गए।

मूत कर मैं जाने लगा.. तो बहन बोली- मेरे पैर की नस चढ़ गई.. और मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही हूँ।
मैं बोला- तो मैं क्या करूँ?
वो बोली- मुझे उठाकर बिस्तर पर लेटा दो।

मैंने उसे वैसे ही बिना पजामा पहने उठाया और अपने बिस्तर पर ले गया।
वो मुझसे बोली- भैया मेरे पजामे को ऊपर कर दो ना।

मैं शर्माते हुए आँखें बंद करके उसके पजामे को ऊपर करने लगा.. तो मेरे हाथ को कुछ गीला सा महसूस हुआ। मेरी आँख खुल गईं। मैं उसे देखते ही रह गया। फिर मैंने उससे कुछ न कहते हुए उसके पजामे को ऊपर कर दिया और मैं भी बिस्तर पर सो गया।

मेरे नींद खुली तो सुबह के 5:30 हो गए थे और मेरा एक पैर मेरी बहन की गांड पर टिका हुआ था। मेरा लौड़ा एकदम सख्त था। मैं बहन से चिपक कर सोया पड़ा था।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं बहन को धीरे-धीरे धक्का मारने लगा, जब मेरा पानी निकल गया तो मैं उसके मम्मों को सहलाने लगा।
तभी बहन ने मेरा हाथ पकड़ लिया… मैं डर गया।

वो उठकर बोली- ये क्या कर रहे हो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ।
मैं चुपचाप लेटा रहा।
वो चली गई।

कुछ देर बाद मैं उठा और बाहर आया तो मम्मी बोलीं- हम लोग बाहर काम से जा रहे हैं.. शाम तक वापस आएँगे।
मम्मी ओर पापा चले गए।
 
मैं बाथरूम में चला गया और नहा-धो कर तैयार हो गया।
मेरी बहन नाश्ता बना रही थी, मैं मम्मी के कमरे में आ गया। डीवीडी प्लेयर्स को चालू किया.. तो उसमें एक ट्रिपल एक्स फिल्म की सीडी लगी थी।

मैं देखता ही रह गया और मुझे मालूम ही नहीं चला कि कब मेरी बहन भी उधर आकर खड़ी हो गई। कुछ ही देर में मूवी खत्म हो गई तब मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी.. तो मैं भागता हुआ बाहर चला गया और मूतकर वापस आ गया।

मैंने देखा कि मेरी बहन मम्मी के कमरे में नहीं थी। मैं उसे अपने कमरे में देखने गया.. तो मैं हैरान हो गया, वो मोमबत्ती को अपनी चूत में अन्दर-बाहर कर रही थी।

बहन की चूत चुदाई
मैं अन्दर आ गया और मैंने मौका देख कर उसे पकड़ लिया, मैं उसे किस करने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसे किस करता रहा।

मेरा लौड़ा पैन्ट से बाहर आने के लिए बेताब था, मैंने उसे आजाद कर दिया।
इसके बाद मैं बहन के चूचे दबाने लगा वो भी मजा ले रही थी।

मैंने किस करते-करते उसके कान में कहा- कपड़े निकालो।
वो बोली- मुझे शर्म आती है।

उसके पूरे कपड़े मैंने ही निकाल कर फेंक दिए और उसके नंगे चूचों को चूसने लगा, वो मादक सिसकारी भरने लगी ‘उई माआअ.. भैया और करो ना..’

मैं उसे किस करते-करते उसकी चूत को चाटने लगा, वो और गर्म होने लगी.. तड़पने लगी, मेरी बहन पागलों के जैसी आवाजें कर रही थी- आह्ह.. भैया.. और करो न.. और चाटो!

वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी ‘भैया मुझसे रहा नहीं जा रहा, जल्दी जल्दी करो दो।’
कुछ ही पलों में वो मेरे मुँह में झड़ गई।

थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर रख दिया, उसने मुझे इशारा किया तो मैंने एक ज़ोर से झटका मार दिया, मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।

उसके मुँह से ज़ोर से आवाज़ निकल गई ‘उई.. माआआआ.. मैं मर गई..’
मैंने बिना उसकी तरफ कोई ध्यान दिए धक्के देना स्टार्ट कर दिए, कुछ ही मिनट में उसका दर्द खत्म हो गया और धकापेल चुदाई होने लगी।
फिर वो एकदम से अकड़ सी गई और झड़ गई.. मुझसे भी कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

झड़ने के बाद मैंने लंड को चूत से नहीं निकाला और उसके सीने के आमों चूसने लगा। उसके चूचे चूसते-चूसते ही मेरा लौड़ा उसकी चूत में ही सख्त होने लगा और फिर एक बार चुदाई होने लगी।
इस बार मेरी स्टेमिना बढ़ गई थी।
कमरे में चुदाई की कामुक आवाजें आ रही थीं ‘फट.. फच..उम्म्ह… अहह… हय… याह… और करो..’

बस कुछ ही देर में वो झड़ गई तो मैं भी बहन की चूत में दुबारा झड़ गया और निढाल हो कर उसके बाजू में लेट गया।

इसके बाद जब भी मौका मिलता हम दोनों भाई-बहन खूब चुदाई का खेल खेलते।
आप सभी के विचार आमंत्रित हैं।
 
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