मेरा नाम प्रेम है.. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि अपनी भी कहानी अन्तर्वासना पर प्रेषित करूँ लेकिन किसी वजह से आज तक कोई कहानी नहीं लिख पाया। आज आप लोगों की कहानी पढ़कर मुझसे रहा नहीं गया इसलिए आज मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मेरी भाभी गर्भ से थीं। उनका 9वां महीना चल रहा था, भाभी की डिलीवरी कभी भी हो सकती थी।
इसलिए भाभी ने सोचा कि क्यों ना अपनी बहन पूजा को बुला लूँ। यह सोच कर भाभी ने अपने पापा को फोन किया और उनके पापा पूजा को भेजने के लिए राज़ी हो गए।
भाई की साली
मगर काम की वजह से किसी के पास टाइम नहीं था इसलिए भाभी ने मुझे पूजा को लाने के लिए भेजा। जैसे भी भाभी ने मुझसे बात की मेरे मन में लड्डू फूट पड़े.. मैं बहुत खुश हुआ।
अगले ही दिन मैं पूजा को लेने उसके घर पहुँचा और पूजा को लेकर घर आने लगा। आते वक्त रास्ते में हम दोनों ने खूब हँसी-मज़ाक किया। मैं भी उसके मम्मों के मज़े लेने के लिए बाइक के ब्रेक मारता और जैसे ही पूजा के मम्मे मेरी पीठ से दबते तो उसके मुँह से ‘आह्ह.. मर गई रे..’ की आवाज निकल जाती।
लगभग एक घंटे में हम घर पहुँच गए। पूजा भी क्या मस्त लड़की थी। उसकी कमर 28 इंच की.. सीना एकदम टाइट था.. उसकी आँखें एकदम कजरारी और मदभरी थीं और वो इतनी चिकनी व गोरी थी मानो कोई परी हो। मैंने तो जिस दिन से उसको देखा था उसी दिन से उसका दीवाना हो गया था।
पूजा और मैं खूब मज़ाक करते खूब अन्ताक्षरी आदि खेलते थे। हम दोनों गाना भी गाते तो एक-दूसरे के ऊपर बना कर गाते जिससे मजाक ही मजाक में और भी छेड़खानी हो जाती थी।
उसके इस बिन्दास अंदाज से मैं भी समझ गया था कि वो भी मुझे चाहने लगी है.. पर बोल नहीं पा रही है।
उसका रोज बीवी की तरह मेरे कमरे में चाय लाना.. मुझे जगाना.. बाप रे क्या दिन थे।
धीरे-धीरे हम दोनों में प्यार बढ़ता चला गया। मैंने कई बार उसको बोलने की सोची.. मगर मुझे डर लगा रहता था कहीं इसने भाभी को बता दिया तो मेरी तो वॉट लग जाएगी।
आई लव यू
फिर एक दिन मैंने सोच ही लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए.. मैं इससे बोल कर रहूँगा। सुबह जैसे ही वो मेरे कमरे में आई.. मैंने कह ही डाला ‘आई लव यू..’
वो एकदम से शर्मा कर चली गई।
फिर मैंने लंच के बाद उससे पूछा- पूजा जी आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
वो मुस्कुरा कर बोली- शाम को ठीक 9 बजे दूँगी।
वो इतना कह कर चली गई। दोस्तों आज पहली बार पता चला कि इंतजार क्या होता है। एक-एक मिनट ऐसा लग रहा था मानो एक साल हो। शाम के करीब 4 बजे होंगे और इधर भाभी को पेट में दर्द होने लगा।
मेरा तो मूड खराब हो गया।
भैया ने एम्बुलेंस को बुलाया और तुरंत भाभी को हॉस्पिटल ले गए, मैं भी उनके साथ चला गया।
करीब रात के 10 बजे में चाचा बन गया, भैया ने मुझसे कहा- प्रेम घर पर फोन लगा.. सबको खुशखबरी दे दे।
मैंने तुरंत फोन लगाया तो पूजा ने फोन उठाया और बोली- दीदी यानि आपकी भाभी कैसी हैं।
मैंने कहा- भाभी तो ठीक हैं.. मगर आपने जवाब नहीं दिया।
वो बोली- पहले ये बताओ कि सब ठीक है?
मैंने कहा- तुम मौसी बन गई और मैं चाचा।
मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि अपनी भी कहानी अन्तर्वासना पर प्रेषित करूँ लेकिन किसी वजह से आज तक कोई कहानी नहीं लिख पाया। आज आप लोगों की कहानी पढ़कर मुझसे रहा नहीं गया इसलिए आज मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मेरी भाभी गर्भ से थीं। उनका 9वां महीना चल रहा था, भाभी की डिलीवरी कभी भी हो सकती थी।
इसलिए भाभी ने सोचा कि क्यों ना अपनी बहन पूजा को बुला लूँ। यह सोच कर भाभी ने अपने पापा को फोन किया और उनके पापा पूजा को भेजने के लिए राज़ी हो गए।
भाई की साली
मगर काम की वजह से किसी के पास टाइम नहीं था इसलिए भाभी ने मुझे पूजा को लाने के लिए भेजा। जैसे भी भाभी ने मुझसे बात की मेरे मन में लड्डू फूट पड़े.. मैं बहुत खुश हुआ।
अगले ही दिन मैं पूजा को लेने उसके घर पहुँचा और पूजा को लेकर घर आने लगा। आते वक्त रास्ते में हम दोनों ने खूब हँसी-मज़ाक किया। मैं भी उसके मम्मों के मज़े लेने के लिए बाइक के ब्रेक मारता और जैसे ही पूजा के मम्मे मेरी पीठ से दबते तो उसके मुँह से ‘आह्ह.. मर गई रे..’ की आवाज निकल जाती।
लगभग एक घंटे में हम घर पहुँच गए। पूजा भी क्या मस्त लड़की थी। उसकी कमर 28 इंच की.. सीना एकदम टाइट था.. उसकी आँखें एकदम कजरारी और मदभरी थीं और वो इतनी चिकनी व गोरी थी मानो कोई परी हो। मैंने तो जिस दिन से उसको देखा था उसी दिन से उसका दीवाना हो गया था।
पूजा और मैं खूब मज़ाक करते खूब अन्ताक्षरी आदि खेलते थे। हम दोनों गाना भी गाते तो एक-दूसरे के ऊपर बना कर गाते जिससे मजाक ही मजाक में और भी छेड़खानी हो जाती थी।
उसके इस बिन्दास अंदाज से मैं भी समझ गया था कि वो भी मुझे चाहने लगी है.. पर बोल नहीं पा रही है।
उसका रोज बीवी की तरह मेरे कमरे में चाय लाना.. मुझे जगाना.. बाप रे क्या दिन थे।
धीरे-धीरे हम दोनों में प्यार बढ़ता चला गया। मैंने कई बार उसको बोलने की सोची.. मगर मुझे डर लगा रहता था कहीं इसने भाभी को बता दिया तो मेरी तो वॉट लग जाएगी।
आई लव यू
फिर एक दिन मैंने सोच ही लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए.. मैं इससे बोल कर रहूँगा। सुबह जैसे ही वो मेरे कमरे में आई.. मैंने कह ही डाला ‘आई लव यू..’
वो एकदम से शर्मा कर चली गई।
फिर मैंने लंच के बाद उससे पूछा- पूजा जी आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
वो मुस्कुरा कर बोली- शाम को ठीक 9 बजे दूँगी।
वो इतना कह कर चली गई। दोस्तों आज पहली बार पता चला कि इंतजार क्या होता है। एक-एक मिनट ऐसा लग रहा था मानो एक साल हो। शाम के करीब 4 बजे होंगे और इधर भाभी को पेट में दर्द होने लगा।
मेरा तो मूड खराब हो गया।
भैया ने एम्बुलेंस को बुलाया और तुरंत भाभी को हॉस्पिटल ले गए, मैं भी उनके साथ चला गया।
करीब रात के 10 बजे में चाचा बन गया, भैया ने मुझसे कहा- प्रेम घर पर फोन लगा.. सबको खुशखबरी दे दे।
मैंने तुरंत फोन लगाया तो पूजा ने फोन उठाया और बोली- दीदी यानि आपकी भाभी कैसी हैं।
मैंने कहा- भाभी तो ठीक हैं.. मगर आपने जवाब नहीं दिया।
वो बोली- पहले ये बताओ कि सब ठीक है?
मैंने कहा- तुम मौसी बन गई और मैं चाचा।