Chacheri Bhabhi Ne Chut Dikha Kar mujhase Chudwaya- Part 1

sexstories

Administrator
Staff member
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार!

मेरा नाम विशाल है, मैं मेहसाणा गुजरात का रहने वाला हूँ, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मुझे अन्तर्वासना की सेक्स कहानियां बहुत पसंद हैं।

मेरी लम्बाई 5 फुट 7 इंच है और मैं एक औसत किस्म का लड़का हूँ.. लेकिन मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई असाधारण है, मेरी उम्र 28 साल है..

चूत चाटना मेरा सबसे बड़ा शौक है। मुझे लड़कियों और भाभियों की चूत की खुशबू और उसका स्वाद बहुत पसंद है।

यह कहानी एक सत्य घटना है।

बात तकरीबन 6 महीने पहले की है, उस वक्त मेरी मेहसाणा में नई-नई नौकरी लगी थी।

मेरा गाँव मेहसाणा से 50 किलोमीटर दूर था.. और मुझे वहाँ जाने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती थीं इसी कारण रात को आने में देर हो जाती थी।

मेरा एक चचेरा भाई मेहसाणा में ही रहता था.. तो घर वालों ने मुझे वहीं उनके साथ रहने को भेज दिया।

घर में मेरे अलावा भैया, भाभी और उनकी एक दस साल की बेटी थी।

मेरी सेक्सी भाभी
भाभी अस्मिता की उम्र करीबन 33 साल की है और वो एक बहुत ही खूबसूरत और कमनीय शरीर की मालकिन हैं।
कोई अगर एक बार उनको साटिन की नाईट वेयर में देख ले.. तो मेरा दावा है के मुठ मारे बिना नहीं रह सकता।

उनके चूचे 36 सी साइज़ के हैं और चूतड़ों यानि गांड का तो पूछो ही मत.. कमाल के गोलाकार और भरे हुए हैं.. जिन्हें देखते ही जी करता है कि जोर से काट लूं।

वो एक कमाल की खूबसूरत महिला हैं। मैं हमेशा से अपने भाई को किस्मत वाला मानता हूँ कि उनको भगवान ने इतनी खूबसूरत बीवी दी थी।

मैं एक शर्मीले किस्म का लड़का हूँ.. और इसी डर के मारे आज तक किसी भी लड़की को पटा नहीं पाया। यह मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं भाभी को कभी चोद पाऊँगा.. इसलिए मैं हमेशा की तरह उनके बारे में सोच कर मुठ मार कर काम चला लिया करता था।

एक दिन की बात है घर में मैं और मेरी भाभी के अलावा कोई नहीं था, मैं वैसे ही लेटा हुआ एक बुक पढ़ रहा था।

तब मेरी भाभी मूतने के लिए टॉयलेट में गईं और उसी वक्त मुझे प्यास लगी तो मैं पानी पीने के लिए खड़ा हुआ।
तभी मेरा फोन टॉयलेट के आगे ही गिर गया।

भाभी की चूत
जैसे ही मैं फ़ोन लेने के लिए नीचे झुका तो मुझे जैसे खजाना दिख गया और वो थी मेरी भाभी की चूत।

झुकते ही मेरी नजर टॉयलेट दरवाजे के नीचे की खुली जगह में पड़ी.. जहाँ से मुझे टॉयलेट के अन्दर का नज़ारा दिखाई दिया।

मैंने देखा तो भाभी टॉयलेट में मूत रही थीं। मैं धीरे से टॉयलेट के और नजदीक गया और देखने लगा। वहाँ से उनकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी और उनके मूत की दो धारें भी दिखाई दीं.. जिसे देख कर मैं दंग रह गया।

दोस्तो, भाभी की चूत के बारे में क्या बताऊँ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल कमाल के लग रहे थे।

भाभी की चूत के अन्दर के होंठ थोड़े बड़े और बाहर की तरफ निकले हुए थे जो कि मुझे बहुत पसंद हैं। मैं हमेशा ब्लू-फिल्मों में ऐसी ही एक्ट्रेस पसंद करता हूँ.. जिनकी चूत के अन्दर के होंठ थोड़े बड़े हों।

उनकी चूत देख कर मेरा दिल किया कि अभी जाकर उनकी चूत को मूत के साथ ही चाटने लगूँ।
पर इससे पहले कि मैं और कुछ सोचता.. वो मूत कर उठ गईं और मैं झट से अपनी जगह पर वापस आकर पढ़ने लगा।
 
अब मुझे भाभी की चूत के दर्शन करने का रास्ता मिल गया था.. तो मैं हमेशा इसी फ़िराक में रहता था कि कब भाभी टॉयलेट जाएं और मैं उनकी चूत के दर्शन कर सकूँ।

यूं ही 2 से 3 महीने बीत गए।

भाभी की चूत में उंगली
लेकिन पिछले एक महीने से मैंने नोटिस किया था कि जब वो मूतने टॉयलेट जाती थीं.. तो मूतने के बाद अपनी चूत को सहलाती थीं और कभी-कभी उंगली भी करती थीं।

चूत को सहलाते हुए वो अपनी चूत को इस तरह चौड़ी करती थीं कि मुझे अन्दर की गुलाबी गली साफ दिखाई देती थी।

अब तो वो अपनी चूत की सफाई पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगी थीं। वो अपनी चूत को हमेशा चिकनी रखने लगी थीं।

उनकी चिकनी चूत को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे वो रोज ही शेविंग करती हों। मैंने मौका मिलने पर कई बार उनको नहाते वक्त बाथरूम में देखने की कोशिश की.. मगर ज्यादा कामयाबी नहीं मिली।

भाभी की चूत को देख कर मेरा जी करता था कि अभी दरवाजा तोड़ दूँ और उनकी चूत को खा जाऊँ और इतना चोदूँ कि मेरा लंड कभी बाहर ही ना निकालूँ लेकिन दोस्तो, डर के मारे कभी हिम्मत नहीं कर पाया।

अब तो कभी कभी वो टॉयलेट से बाहर आकार यूँ ही मेरे सामने हँस दिया करती थीं। उनका ये व्यव्हार मेरी कुछ समझ में नहीं आता था.. और मैंने उस पर ज्यादा सोचा भी नहीं.. मैं तो उनकी चूत देख कर ही खुश था।

एक दिन की बात है.. रोज की तरह भाभी मूत रही थीं और मैं दरवाजे के नीचे से उनकी चूत देख रहा था। तभी अचानक से उन्होंने वैसे बैठे हुए ही टॉयलेट का दरवाजा खोल दिया।

दरवाजा मेरे सर से टकराकर रुक गया और मैं अचानक हुए इस हमले से सकपका गया.. मेरी तो समझ में ही कुछ नहीं आया।

पर इस हादसे से एक बात नक्की हो गई थी कि मेरी चोरी पकड़ी गई थी।
मैं डर के मारे वहीं खड़ा रह गया।

थोड़ी ही देर में भाभी टॉयलेट से बाहर निकलीं और मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं.. उन्होंने बड़ी ही अजीब निगाहों से मेरी तरफ देखा।
भाभी ने मुझसे गुस्से में पूछा- तुम यहाँ क्या कर रहे थे?

अब मैं उनको क्या बताता कि मैं उनकी चूत के दर्शन कर रहा था, मैं तो वैसे ही बुत बनके खड़ा रहा।

उन्होंने मुझसे फिर पूछा- मैं पूछ रही हूँ कि तुम क्या देख रहे थे.. बताओ वर्ना तुम्हारे भैया से सब बोल दूँगी।
मैंने सर झुका कर उनसे बोला- भाभी प्लीज़.. भैया को कुछ मत बोलना.. मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा।
इस पर वो बोलीं- इससे ज्यादा तुम्हें और क्या देखना है.. इतना देखा वो क्या कम है?

मैं तो नजर झुकाए वहाँ खड़ा रहा..
तो भाभी बोलीं- मैं जो पूछती हूँ.. उसका जवाब दो.. वर्ना आज तुम्हारी खैर नहीं।

मैंने कहा- भाभी अँधेरा होने की वजह से मैं ज्यादा कुछ नहीं देख पाया।
इस पर वो बोलीं- पिछले 2-3 महीनों से देख रहे हो.. और बोलते हो कि कुछ नहीं देखा।

यह सुन कर मैं सन्न रह गया कि वो सब जानती हैं। पर तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली कि वो जानबूझ कर मुझको सब दिखा रही थीं।

अब मेरी समझ में आ गया कि वो अपनी चूत क्यों इतनी साफ रखती थीं और क्यों टॉयलेट में उंगली करके चूत को रगड़ती थीं।
न जाने मुझमें कहाँ से हिम्मत आ गई और मैंने उनको बोल दिया- इसका मतलब कि आप जानबूझ कर मुझे सब दिखा रही थीं।
 
यह सुन कर वो दंग रह गईं क्योंकि उनको मुझसे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी.. बस वो मुझे देखती रह गईं।

बिंदास भाभी
इससे पहले कि वो मुझसे कुछ कहें.. मैंने भाभी से कहा- लेकिन भाभी मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा।
इस पर भाभी बोलीं- और ज्यादा क्या देखना है तुम्हें.. अब भी कुछ देखना बाकी है क्या?

मेरी समझ में नहीं आया कि भाभी किस टोन में ये मुझसे पूछ रही हैं.. तो मैं ऐसे ही खड़ा रहा।

जब भाभी ने दोबारा वही पूछा.. तो मैंने हिम्मत करके बोल दिया- और तो बहुत कुछ दिखाने के लिए है आपके पास.. अगर आप चाहें तो..
इस पर भाभी जोर से हँस पड़ीं।

भाभी की इस हँसी से मुझे बहुत राहत हुई और मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने उनसे कहा- भाभी क्या मुझे ठीक से उस जगह के दर्शन का लाभ मिलेगा?

मेरी प्यारी सेक्सी भाभी हँस कर बोलीं- अवश्य मिलेगा लेकिन सिर्फ दर्शन ही होंगे.. कोई भोग नहीं लगेगा.. और वो भी दूर से ही।

मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई.. मैंने भाभी से कहा- मुझे मंजूर है।
उन्होंने मुझसे पूछा- ऊपर के दर्शन करना चाहोगे या नीचे के..?
मैंने कहा- दोनों के..

इस पर भाभी हँस कर बोलीं- आज सिर्फ एक ही चीज के दर्शन होंगे, पूरे दर्शन पूर्णिमा के दिन होंगे।
मैंने कहा- ठीक है आज सिर्फ नीचे के दर्शन करवा दीजिए।
भाभी ने कहा- ठीक है।

इतना कहने के बाद वो अपनी सलवार निकालने लगीं।

मित्रो.. आज मेरी अभिलाषा लगभग पूरी होने जा रही थी.. पर अभी भी मुझे सिर्फ देखने की छूट मिली थी अब चोदने की क्या पोजीशन बनती है.. यह आपको अगले भाग में जानने को मिलेगा।
आपके मेल का इन्तजार रहेगा।
 
Back
Top