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मैं उन सभी पाठकों का भी बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मेरी उपरोक्त रचना को पढ़ने के बाद अपने मूल्यवान समय में से कुछ कपल निकाल कर उस पर अपने विचार लिख कर भेजे.
कुछ पाठकों एवं पाठिकाओं ने यह भी लिखा था कि रचना बहुत छोटी थी लेकिन उन्हें पसंद आई.
उन लोगों द्वारा स्पष्ट विचार प्रकट करने के लिए मैं उनका बहुत धन्यवाद एवम् आभार प्रकट करता हूँ और कहना चाहता हूँ कि किसी इंसान के जीवन में बड़ी घटनाओं के साथ कुछ छोटी घटनाएँ होती रहती हैं.
मेरे जीवन में घटित बड़ी एवं छोटी घटनाओं में से यह एक महत्वपूर्ण घटना थी इसलिए मैंने आपके साथ साझा की थी. मेरे जीवन में घटी घटनाओं पर आधारित रचनाओं की शृंखला को जारी रखते हुए मैं अपनी अगली रचना वहाँ से शुरू कर रहा हूँ, जहाँ मेरी उपरोक्त रचना का अंत हुआ था.

उस रात दस बजे जब हम सब घर पहुंचे, तब दोनों चाचा ने मम्मी पापा से कहा- भईया भाभी, सब काम तो ठीक से निपट गया है, अब हम चलते हैं, एक घंटे में वापिस गाँव पहुँच जायेंगे.
मम्मी पापा ने उन्हें समझाया- देखो, पिता जी और माता जी थके हुए हैं और इस समय उन्हें आराम की आवश्यकता है. इसलिए तुम लोग सभी आज रात यहीं सो जाओ, कल सुबह चले जाना.

उत्तर में बड़े चाचा ने कहा- नहीं भईया, कल सुबह बच्चों को स्कूल भी जाना है. आज सुबह से जानवरों और खेतों को नहीं देखा है उन्हें भी कल सुबह से ही देखना होगा.
उनकी बात सुन कर पापा ने कहा- ठीक है, अगर ऐसी बात है तो तुम लोग चले जाओ लेकिन पिता जी और माता जी को कुछ दिनों के लिए यहीं छोड़ जाओ. बहन की शादी के लिए जो भी आगे करना है इस बारे में उनसे कुछ विचार विमर्श करना है.

बड़े चाचा ने कहा- ठीक है, माता जी पिता जी को जब तक चाहें यहीं रख लीजिये. अच्छा तो अब हम चलते हैं.
जैसे ही चाचा ने यह कहा तब मैंने चाची की ओर देखा तो उन्होंने मुझे चुप रहने का संकेत किया और उठ कर बड़े चाचा के पास जा कर कहा- माता जी और पिता जी को यहाँ अकेले में दिक्कत होगी क्योंकि दिन में तो भईया भाभी और ननद जी काम पर चले जायेंगे और विवेक कॉलेज चला जाएगा. इसलिए उनकी देखभाल के लिए मैं यहीं उनके साथ ही रुक जाती हूँ.

चाची की बात सुन कर जब बड़े चाचा कुछ सोच में पड़ गए तब मम्मी बोली- इसमें सोचने की क्या बात है? यह ठीक ही तो कह रही है कुछ दिनों के लिए इसे भी यहाँ रहने दो. अपनी ननद की शादी की तैयारी में यह भी हमारे विचार विमर्श में कुछ योगदान दे देगी.
मम्मी की बात सुन कर सब ने बड़ी चाची को हमारे यहाँ छोड़ कर जाने का फैसला किया और दोनों चाचा, छोटी चाची और बच्चे गाँव चले गए.

उन सबको विदा करके जब हम घर के अंदर आये तब मम्मी पापा और बुआ अपने अपने कमरे में चले गए और चाची मुस्कराते हुए मेरे पास आई और धीरे से कहा- हम रात को बारह बजे के बाद तुम्हारे भंडार में जितना भी माल है वह सब निकलवाने आयेंगे.

उसके बाद वह दादा जी और दादी जी के कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में जा कर अपने सभी कपड़े उतार कर नग्न ही बिस्तर पर लेट गया.
लेटे लेटे मुझे मामा मामी का ख्याल आया तो अपने सकुशल पहुँचने की पुष्टि करके के लिए उन्हें फोन लगाया.

जब मामी ने फोन उठाते ही मेरी आवाज़ सुनते तो तुरंत मेरी खैर खबर के बहुत से प्रश्न कर दिए.
मैंने उन सब प्रश्नों का उत्तर दे कर जब उनसे उनकी खैर खबर पूछी तब रुआंसी हो कर बोली- मुझे तीन माह तक आनन्द और संतुष्टि देकर तरसने के लिए छोड़ कर चले गए हो और अब पूछ रहे हो कि मैं कैसी हूँ. तुमने फ़ोन करके बहुत अच्छा किया क्योंकि मैं अभी अभी तुम्हें ही याद कर रही थी. आज तेरे मामा की रात की पारी है और मैं यहाँ अकेली बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही हूँ.
मैंने उत्तर में कहा- मामी, मुझे अत्यंत दुख है कि मुझे आपको तरसने के लिए अकेला छोड़ कर आना पड़ा इसे आप मेरा दुर्भाग्य एवं मेरी मजबूरी समझ लीजिये. आप ही बताएँ कि मैं क्या करता क्योंकि अपनी पढ़ाई के लिए मुझे घर वापिस तो आना ही था.

उसके बाद मैंने मामी से कुछ देर तक यौनक्रीड़ा की बातें करी और जब मामी हस्तमैथुन कर के अपने आप को संतुष्ट कर लिया तब मैंने कहा- अच्छा, अब मैं फोन रखता हूँ, जब भी समय तथा मौका मिलेगा आप से बात करता रहूँगा.
फ़ोन बंद कर घड़ी पर समय देखा तो रात के बारह बज चुके थे और चाची कभी भी आ सकती है इसलिए निवृत्त होने के लिए बाथरूम में चला गया.

जब मैं बाथरूम से वापिस आया तब देखा कि चाची मेरे बिस्तर पर बैठी कुछ सोच रही थी, मैंने पूछा- मेरी प्यारी चाची जान, बड़ी गुमसुम सी हो कर बैठी क्या सोच रही हो?
मेरी और देखते हुए वह बोलीं- मैं सोच रही थी कि क्यों न हम नीचे मेरे वाले कमरे में चलें. इस तल पर तो तुम्हारे मम्मी-पापा और बुआ के कमरे है, उनमें से कोई भी जाग गया तो हम परेशानी में पड़ सकते हैं.
उनकी बात सुन कर मैं बोला- ठीक है चाची, आप जाकर अपने बाथरूम का पिछला दरवाज़ा खोल दो तब तक मैं इस कमरे को अन्दर से बंद करके मेरे बाथरूम के पीछे की सीढ़ियों से नीचे आता हूँ.
मेरी बात सुन कर वह उठते हुए बोली- हाँ, यह ठीक रहेगा सभी समझेंगे कि तुम अपने कमरे में सो रहे हो.

अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर के जब मैं बाथरूम के पीछे की सीढ़ियों से उतर कर चाची वाले कमरे में दाखिल हुआ तब देखा कि चाची चादर औढ़ कर बिस्तर पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी.
उनकी नाइटी को पास ही रखी हुई कुर्सी पर बेतरतीब से पड़ी हुई देख कर मैं समझ गया कि चाची चादर के अंदर बिल्कुल नंगी है और एक घमासान युद्ध के लिए तैयार हो कर आई है.

मैंने थोड़ा प्रेम-प्रसंग युक्त होते हुए उनके गाल को चूम कर बोला- मेरी जानेमन चाची, अब क्या हो गया, अब किस सोच में उलझी हुई हो? ज़रूर कोई गंभीर बात है. मेरे कमरे में भी आप ऐसे ही कुछ सोच रही थी और मेरे पूछने पर मुझे नीचे आने की बात कह कर टाल दिया था?
मेरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे दोनों गालों को चूम लिया और कहा- अरे, मैं तो तुम्हारे इंतज़ार में ऐसे ही बैठी थी लेकिन कुछ खास नहीं सोच रही थी.

चाची के पास बिस्तर में लेटने के लिए जैसे ही मैंने उनके ऊपर ओढ़ी हुई चादर को थोड़ा सा उठा कर देखा तो मेरे अनुमान की पुष्टि हो गई क्योंकि वह बिस्तर में पूरी नंगी ही लेटी हुई थी.
मैंने झट से चाची के ऊपर से चादर को उतार कर कुर्सी पर फेंक दिया और उसके पास लेटते ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने एवं चूसने लगा.
चाची ने तुरंत मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और मेरे चुंबनों का प्रतिउत्तर मेरे होंठों और जीभ को चूम एवं चूस कर देने लगी.

मुझे चाची के होंठों में व्यस्त हुए अभी पाँच मिनट ही हुए थे जब उन्होंने मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपने एक स्तन और दूसरे हाथ को अपने जघन-स्थल पर रख दिया. मैंने उनके संकेत को समझा और अपने दोनों हाथों से उनके दोनों स्तनों को बारी बारी से मसलने तथा जघन-स्थल एवं योनि को सहलाने लगा.
चाची भी अपने एक हाथ से मेरे लिंग को पकड़ कर उसे हिलाने लगी और कभी कभी मेरे लिंग के ऊपर की त्वचा को पीछे खींच कर लिंग-मुंड को बाहर निकाल कर सहला देती.

हम दोनों एक दूसरे को प्रगाढ़ चुंबन और गुप्तांगों को सहलाने, हिलाने तथा मसलने की उत्तेजना वर्धक क्रिया को दस मिनट तक करते रहे.
दस मिनट बीतते ही चाची मुझसे अलग हुई और तुरंत झुक कर मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और उसमें से निकल रहे पूर्व रस को पीने लगी.

मैं भी घूम कर 69 की स्थिति में होता हुआ चाची की योनि पर अपना मुंह रख कर उसे चूसने लगा तथा उसमें से निकल रहे रस को पीने लगा. अगले दस मिनट तक हम दोनों उस 69 की स्थिति में गुप्तांगों को चूसते चाटते हुए उन में से निकल रहे पूर्व रस को पीते हुए एक दूसरे को उत्तेजित करते रहे.

जब हम दोनों ही बहुत उत्तेजित हो गए तब चाची बिस्तर पर सीधी लेट गई और अपनी टांगें फैला कर मुझे उसके साथ संसर्ग करने का न्योता दे दिया.
मैंने झट से अपने लिंग को चाची की योनि के होंठों के बीच में रख कर एक हल्का से धक्का लगाया और आधा लिंग उसमें डाल दिया. चाची ने बहुत ही हल्के स्वर में अहह.. की एक सिसकारी ली और अपने कूल्हों को ऊँचा करके मुझे धक्का लगाने के लिए संकेत किया. मैंने धीरे से धक्का लगा कर अपना पूरा लिंग उनकी योनि में डाल दिया और नीचे झुक कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा.

चाची ने मेरे होंठों तथा जीभ को चूमने एवं चूस कर मेरा साथ दिया और कुछ देर के बाद नीचे से कूल्हे उचका कर मुझे संसर्ग करने के लिए कहा.
मैंने अपने होंठों को उनके होंठों से हटा लिए और हल्के धक्के लगा कर अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करना लगा तब वह भी उचक उचक कर मेरा साथ देने लगी.

कुछ देर के बाद जैसे ही मैंने अपनी गर्दन झुका कर उनके उरोज़ की चूचुक को मुंह में लेकर चूसने लगा वैसे ही वह सिसकारियाँ लेने लगी. उन सिसकारियों के कारण मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैं तेज़ी से धक्के लगा कर अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने लगा.
क्योंकि अब चाची को आनन्द आने लगा था इसलिए उत्तेजना वश वह भी तेज़ी से उचकने लगी थी और उनकी योनि में रुक रुक कर संकुचन होने लगा था.

लगभग बीस मिनट तक लगातार धक्के लगता हुआ अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने के बाद मैंने उसे बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर बिस्तर पर लेट गया. तब चाची मेरे ऊपर आ गई और मेरे लिंग को अपनी योनि के अंदर डाल कर उछल उछल कर संसर्ग करने लगी.
दस मिनट के संसर्ग के बाद चाची जब थक कर हाँफने लगी तब वह बिस्तर का सहारा लेकर घोड़ी बन कर खड़ी हो गई और मैंने उनके पीछे से जा कर अपना लिंग उनकी योनि में घुसा कर धक्के लगाने लगा.

अगले पन्द्रह मिनट में पहले मध्यम गति से, फिर तीव्र गति से और अंत में अत्यंत तीव्र गति से धक्के लगाते हुए मैंने चाची को चरम सीमा तक पहुंचा कर उनके योनि रस का स्खलन करवा दिया.
चाची की योनि में से निकले गर्म रस की ऊष्मा मिलते ही मेरे लिंग ने भी वीर्य रस की पिचकारी चला कर दी सात आठ बौछार से ही उनकी योनि को हम दोनों के मिश्रित रस से भर दिया.
योनि में हो रही संकुचन और टांगों में हो रही कंपन के कारण चाची खड़ी नहीं रह सकी और बिस्तर पर लेट गई. मैं भी पसीने से लथपथ और हाँफता हुआ उनके ऊपर लेट ही गया.

तब चाची अपने एक हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी और मेरे लिंग को अपनी योनि में ही समेटेने की चाह में दूसरे हाथ से मेरे नितम्बों को नीचे की ओर दबाने लगी. लगभग दस मिनट चाची के ऊपर लेटे रहने के बाद जब मैंने उठ कर अपना लिंग चाची की योनि में से निकाला तब उसमें से मिश्रित रस की धारा बाहर निकल पड़ी.

इससे पहले कि वह रस बाहर फैलता मैंने तुरंत अपना हाथ उनकी योनि के मुंह पर रख कर उसे बाहर निकलने से रोक दिया. उसी हालत में हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और जब मैंने चाची की योनि पर से हाथ हटाया तो उसमें से बहुत तेज़ी से रस की मोटी धार बाहर निकली.
योनि में से इतनी अधिक मात्रा में रस बाहर निकलते देख कर चाची बोली- विवेक, मैंने तो सोचा था कि तुम्हारे पास रस की छोटी सी टंकी होगी जो दिन में तुमने खाली कर दी थी. लेकिन मैं गलत थी क्योंकि ऐसा लगता है कि तुम्हारे अंदर तो एक बहुत बड़ा टैंक है जिसमें रस का भण्डार जमा कर रखा है.

मैंने उत्तर में कुछ नहीं कहा और अपने लिंग को चाची के मुंह के पास कर दिया जिसे उन्होंने चूस एवं चाट कर साफ़ कर दिया. उसके बाद मैंने नीचे बैठ कर चाची की योनि को अच्छे से साफ़ कर दिया और फिर उठ कर हम बिस्तर पर जा कर सो गए.

सुबह पाँच बजे चाची की नींद खुली तब उन्होंने मुझे जगा कर कमरे से बाहर चली गई और मैं बाथरूम के रास्ते से वापिस अपने कमरे में जाकर सो गया.

सुबह नौ बजे मम्मी, पापा और बुआ के काम पर जाने के बाद जब चाची ने मेरे होंठों को चूम कर मुझे जगाया तब मैंने उन्हें खींच कर अपने साथ लिटा लिया और चूमने लगा.
पाँच मिनट के बाद चाची उठ कर खड़ी हो गई और कहा- नाश्ता तैयार कर रही हूँ, जल्दी से उठ कर तैयार हो जाओ.

मैं उठ कर उनके पास खड़ा हो कर उनके उरोज़ों को मसलने लगा. तब उन्होंने मुझे अपने से अलग करते हुए बोली- विवेक, अभी तो मैं कुछ दिन यहीं पर रहूंगी इसलिए यह मस्ती अभी नहीं सिर्फ रात में ही करेंगे.

उसके बाद चाची वहाँ से चली गई और मैं तैयार होने के लिए बाथरूम में घुस गया.
तैयार हो कर मैंने चाची के साथ बैठ कर नाश्ता किया और फिर अपने कॉलेज चला गया तथा शाम पांच बजे तक ही घर वापिस आया.

शाम की चाय जब मैंने दादा जी और दादी जी के साथ बैठ कर पी, तब वे काफी देर तक मुझसे मेरी मुंबई की यात्रा एवं वहाँ की ट्रेनिंग के बारे में पूछते रहे और मैं उनके प्रश्नों का उत्तर देता रहा.
चाय पीने के बाद मैं अपने कमरे में आ जा कर कपड़े बदलने लगा.

तभी चाची भी वहाँ आ कर बिस्तर पर बैठ कर मुझसे मुंबई वाली मामी के बारे में बहुत सी बातें पूछने लगी. मैंने जब उनके सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिए तब उन्होंने पूछा- तुमने अपनी मामी की सुन्दरता की बहुत तारीफ़ करी है. क्या तुम्हारे पास उसकी कोई फोटो है?
मैंने कहा- हाँ हैं, हम जब भी मुंबई घूमने जाते थे तब मैंने उनकी और मामा की कई फोटो खींची थी.
चाची ने बोली- तो उनमें से कुछ फोटो मुझे भी दिखा दो. मैं भी तो देखूं कि तुम्हारी मामी कितनी सुन्दर है.

मैं अपने कंप्यूटर पर पेन ड्राइव लगा कर मुंबई में खींची हुई मामा, मामी और मेरी फोटो और वीडियो चाची को दिखाने लगा और वह मेरी मामी की सुन्दरता की तारीफ़ करती रही. अभी चाची को कुछ ही फोटो दिखाई थी की तभी मुख्य द्वार के घंटी बजी और यह देखने के लिए कि कौन आया है मुझे चाची को वहीं छोड़ कर बाहर जाना पड़ा.

बाहर मेरा दोस्त आया था जिसे मेरी मुंबई की प्रोजेक्ट रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि चाहिए थी जिसके अनुसार वह भी अपने प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिख सके.

मैंने अपने लैपटॉप में लिखी उस रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि अपने पापा के कमरे में रखे प्रिंटर पर छाप कर उसे दे दी.

लगभग दस मिनट के बाद जब दोस्त चला गया तब मैं कमरे में गया तो चाची को कंप्यूटर पर एक वीडियो देखने में तल्लीन देखा.
यह देखने के लिए की वह कौन सी वीडियो देखने में इतनी लीन थी, मैं कंप्यूटर के सामने गया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा सिर चक्कर खाने लगा तथा मेरा शरीर पसीने से भीग गया.
मेरी अनुपस्थिति में चाची ने जब मेरे द्वारा खोले गए फ़ोल्डर की सभी फोटो एवं वीडियो देख लिए थे तब उन्होंने एक दूसरे फ़ोल्डर को खोल लिया था. उस फ़ोल्डर में मामी की नंगी एवं मेरे साथ सम्भोग करते हुए की फोटो एवं वीडियो थी जिनमें से एक वीडियो को मामी बहुत तल्लीन होकर देख रही थी.

उस वीडियो को बंद करके के लिए जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया, चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- कल रात से मुझे शक था कि तुम मुंबई में भी किसी के साथ सम्भोग करते थे. लेकिन वह तुम्हारी मामी होगी इसका अंदेशा बिल्कुल नहीं था.
मेरा राज़ तो खुल चुका था इसलिए मैं दबी आवाज़ में बोला- चाची, आपको तो सब पता चल गया है अब आप से क्या छिपाना. मैं आशा करता हूँ कि आप मेरा यह राज़ किसी को ज़ाहिर नहीं करोगे और अपने तक ही सीमित रखोगे. आपको यह शक कैसे हुआ कि मैं मुंबई में किसी से सम्भोग करता था?

चाची ने मेरा मुख चूमते हुए कहा- मेरे राजा, तुम्हारा यह राज मैं किसी को नहीं बताऊंगी यह मेरा वादा है तुमसे. कल रात जब मैं तुम्हारे कमरे का दरवाज़ा खोलने लगी थी तब तुम फोन पर शायद अपनी मामी से ही यौनक्रीड़ा की बाते कर रहे थे. तब मुझे कुछ शक हुआ और मैंने दरवाज़ा नहीं खोला तथा बाहर खड़ी होकर तुम्हारी बातें सुनती रही.

मैंने चाची से पूछा- तभी रात को बिस्तर पर बैठे आप इसी बारे में सोच रही थी? क्या उस समय आपको यह शक हुआ था कि मैं मामी के साथ बात कर रहा हूँ?
मामी बोली- हाँ इसी बारे में सोच रही थी लेकिन मेरे दिमाग में तुम्हारी मामी के बारे में तो कोई बात नहीं आई थी. उस समय तो मैंने सोचा कि तुमने मुंबई में सम्भोग के लिए किसी युवती को फंसाया होगा और उसी से बात कर रहे थे.

इसके बाद चाची उठ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- अच्छा, अब मैं चलती हूँ अभी मुझे बहुत काम है. इस बारे में सब बातें रात में करेंगे.

चाची के जाने के बाद मैंने अपने कपड़े बदले और थोड़ी देर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गया और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला.

अन्तर्वासना के पाठकों एवं पाठिकाओं चाची ने मामी के बारे में मुझसे क्या बातें करी तथा वह हमारे घर कितने दिन रही, यह सब जानने के लिए आपको कुछ प्रतीक्षा करनी पड़ेगी.
मैं जल्द ही इस वृत्तांत को आपके समक्ष प्रस्तुत करने की चेष्टा करूँगा.
 
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