एक हफ्ते पहले मैं ट्रेन से दिल्ली से मुंबई की यात्रा कर रहा था। मेरा टिकट कन्फर्म नहीं था.. इसलिए मुझे जनरल बोगी में यात्रा करना पड़ रही थी। जनरल बोगी में मुझे आराम से सीट मिल गई थी.. क्योंकि ये ट्रेन लंबी दूरी की थी और इसके स्टॉपेज भी बहुत कम थे।
ट्रेन के इस डिब्बे में बहुत से जवान लौंडे भी बैठे हुए थे.. जो कि बड़े ही भद्दे किस्म के लग रहे थे। मैंने डिब्बे में अन्दर जाकर एक सीट पर खुद को सैट किया और इसके बाद डिब्बे में नज़र दौड़ाई तो मेरी निगाह अपने सामने वाली सीट पर बैठी हुई एक औरत पर पड़ी।
वो लगभग 32 से 34 साल की रही होगी। उसका 34-30-34 का फिगर बड़ा मस्त था। उसने एक लाल रंग की कुरती और काली लैगी पहनी हुई थी.. तथा पैरों में मोजे के साथ सैंडल पहनी हुई थी।
वो औरत शक्ल से बड़ी छिनाल किस्म की लग रही थी। उसकी आँखों में हरामीपन झलक रहा था। उसका पति उसके सामने की सीट पर बैठा था।
सामने बैठी औरत की मदमस्त जांघें
मुझे उसकी मादक देह देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था.. सो मैं उसकी लैगी में से दिख रही उसकी मदमस्त जांघें और लंबे कट वाले कुर्ते के कारण बगल से दिखते उसके चूतड़ों का आकार देखते हुए मज़ा ले रहा था।
करीबन 15 मिनट बाद अचानक उसकी निगाह भी मुझ पर पड़ी और अब वो भी मुझे ध्यान से देखने लगी थी। मैंने भी उसकी नज़रों को पढ़ना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर बाद उसने अपने पैरों को एक-दूसरे के ऊपर रखते हुए मुझे अपनी गांड का आकार दिखाना शुरू कर दिया। मैंने उसकी दिखती हुई टाँगों के आकार को देखने में अपनी नजरें गड़ा दीं.. तो उसने मेरी तरफ देखते हुए एक कटीली मुस्कान फेंकी।
अब तो वो मुझे दिखाते हुए अपनी गांड पर बड़े ही अश्लील ढंग से हाथ फेरने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जब उसने अपनी गांड और जांघों को अपने हाथ से ऐसे सहलाना शुरू किया कि और किसी को पता ना चले..
तो मैंने भी उसे दिखाते हुए अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मेरा लंड भी उसकी मदमस्त जवानी को सूंघते हुए मुँह उठाने लगा था।
इस तरह काफ़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे की आँखों में अपनी चुदास को देखते रहे। इसके बाद उसने अपनी टाँगें सीधी कर लीं.. लेकिन वो अब भी मेरी तरफ एकटक देखते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
कुछ देर के बाद वो अपने पति से बात करने लगी, वो इस दौरान हँसती जा रही थी.. शायद वे दोनों आपस में कुछ हँसी-मज़ाक कर रहे थे।
इसी बीच उसने फिर से अपनी टाँगों को कुछ इस तरह से क्रॉस किया.. जिससे मुझे उसकी लैगी में चिपकी हुई मदमस्त टांगें एक कामुक रूप में दिखाने लगीं।
वो चूत चुदवाने को तैयार थी
ऐसा करते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा और मुझे एक रंडियों जैसी स्माइल दी। उसकी इस रंडियों जैसी कटीली स्माइल से मुझे रहा नहीं गया और मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।
उसने शायद मेरे लंड की स्थिति को भाँप लिया था इसलिए मादारचोदी ने मुझे दिखाते हुए अपनी चूत को खुजाना शुरू कर दिया था।
वो रंडी साली अपनी चूत को रगड़ती हुई मेरी तरफ बड़ी ही कामुक अंदाज से देखते हुए मुस्कुरा रही थी। इस सीन को देख कर मेरे लंड ने तो बग़ावत कर दी। अब तो मैं उसकी चूत को चूसने की सोचने लगा था। मुझे लग रहा था कि ये मुझसे चुदने के लिए राज़ी हो गई है और आज साली को बाथरूम में ले जाकर चोदना तय लग रहा था।
ट्रेन के इस डिब्बे में बहुत से जवान लौंडे भी बैठे हुए थे.. जो कि बड़े ही भद्दे किस्म के लग रहे थे। मैंने डिब्बे में अन्दर जाकर एक सीट पर खुद को सैट किया और इसके बाद डिब्बे में नज़र दौड़ाई तो मेरी निगाह अपने सामने वाली सीट पर बैठी हुई एक औरत पर पड़ी।
वो लगभग 32 से 34 साल की रही होगी। उसका 34-30-34 का फिगर बड़ा मस्त था। उसने एक लाल रंग की कुरती और काली लैगी पहनी हुई थी.. तथा पैरों में मोजे के साथ सैंडल पहनी हुई थी।
वो औरत शक्ल से बड़ी छिनाल किस्म की लग रही थी। उसकी आँखों में हरामीपन झलक रहा था। उसका पति उसके सामने की सीट पर बैठा था।
सामने बैठी औरत की मदमस्त जांघें
मुझे उसकी मादक देह देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था.. सो मैं उसकी लैगी में से दिख रही उसकी मदमस्त जांघें और लंबे कट वाले कुर्ते के कारण बगल से दिखते उसके चूतड़ों का आकार देखते हुए मज़ा ले रहा था।
करीबन 15 मिनट बाद अचानक उसकी निगाह भी मुझ पर पड़ी और अब वो भी मुझे ध्यान से देखने लगी थी। मैंने भी उसकी नज़रों को पढ़ना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर बाद उसने अपने पैरों को एक-दूसरे के ऊपर रखते हुए मुझे अपनी गांड का आकार दिखाना शुरू कर दिया। मैंने उसकी दिखती हुई टाँगों के आकार को देखने में अपनी नजरें गड़ा दीं.. तो उसने मेरी तरफ देखते हुए एक कटीली मुस्कान फेंकी।
अब तो वो मुझे दिखाते हुए अपनी गांड पर बड़े ही अश्लील ढंग से हाथ फेरने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जब उसने अपनी गांड और जांघों को अपने हाथ से ऐसे सहलाना शुरू किया कि और किसी को पता ना चले..
तो मैंने भी उसे दिखाते हुए अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मेरा लंड भी उसकी मदमस्त जवानी को सूंघते हुए मुँह उठाने लगा था।
इस तरह काफ़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे की आँखों में अपनी चुदास को देखते रहे। इसके बाद उसने अपनी टाँगें सीधी कर लीं.. लेकिन वो अब भी मेरी तरफ एकटक देखते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
कुछ देर के बाद वो अपने पति से बात करने लगी, वो इस दौरान हँसती जा रही थी.. शायद वे दोनों आपस में कुछ हँसी-मज़ाक कर रहे थे।
इसी बीच उसने फिर से अपनी टाँगों को कुछ इस तरह से क्रॉस किया.. जिससे मुझे उसकी लैगी में चिपकी हुई मदमस्त टांगें एक कामुक रूप में दिखाने लगीं।
वो चूत चुदवाने को तैयार थी
ऐसा करते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा और मुझे एक रंडियों जैसी स्माइल दी। उसकी इस रंडियों जैसी कटीली स्माइल से मुझे रहा नहीं गया और मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।
उसने शायद मेरे लंड की स्थिति को भाँप लिया था इसलिए मादारचोदी ने मुझे दिखाते हुए अपनी चूत को खुजाना शुरू कर दिया था।
वो रंडी साली अपनी चूत को रगड़ती हुई मेरी तरफ बड़ी ही कामुक अंदाज से देखते हुए मुस्कुरा रही थी। इस सीन को देख कर मेरे लंड ने तो बग़ावत कर दी। अब तो मैं उसकी चूत को चूसने की सोचने लगा था। मुझे लग रहा था कि ये मुझसे चुदने के लिए राज़ी हो गई है और आज साली को बाथरूम में ले जाकर चोदना तय लग रहा था।