Dost Ki Maa Se Jabardasti Chudai Ka Maza Liya

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दोस्तों मेरा नाम राम है मैं एक बहुत ही सीधा साधा लड़का हूँ दोस्तों मैंने अभी कुछ समय पहले मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त की माँ को चोदा है।मेरे फ्रेंड की माँ का नाम कल्पना है और उनकी उम्र करीब 38 साल है और उनका भी पार्थ इकलोता बेटा है और उसके पापा किसी प्राईवेट बैंक में नौकरी करते है। दोस्तों कल्पना आंटी का फिगर करीब 40- 34-46 के आसपास होगा और उनका कलर भी बहुत गोरा है और अब में सीधा उस दिन पर आता हूँ कि उस दिन क्या हुआ? Dost Ki Maa Se Jabardasti Chudai Ka Maza Liya.

दोस्तों उस दिन दोपहर को में पहली बार पार्थ के घर पर जाने वाला था और उस दिन रविवार का दिन था। अब में उस दिन पार्थ की बिल्डिंग में चला गया और लिफ्ट से ऊपर पहुंच गया और फिर मैंने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई तभी कुछ देर इंतजार करने के बाद दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि मेरे सामने पार्थ की माँ कल्पना खड़ी हुई थी। उस वक्त उन्होंने असमान के जैसे नीले रंग की जालीदार साड़ी पहनी हुई थी और उनका ब्लाउज भी बिल्कुल वैसा ही था। उसमें से उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ साफ दिख रही थी हाँ और जब उन्होंने दरवाजा खोला तो..

में : हैल्लो आंटी क्या पार्थ घर पर है? Jabardasti Chudai Ka Maza

कल्पना : पार्थ तो इस समय घर पर नहीं है, लेकिन तुम कौन हो?

में : में आंटी उसका एक दोस्त हूँ और मेरा नाम राजन है।

तो वो एकदम से चकित होकर मुझसे बोली। Jabardasti Chudai Ka Maza

कल्पना : राजन अच्छा तो तुम हो, मुझे माफ़ करना में तुम्हे पहचान नहीं सकी, तुम अंदर आ जाओ ना।

में : नहीं आंटी में बाद में आ जाता हूँ।

कल्पना : अब आ भी जाओ, वैसे भी तुम आज पहली बार आए हो और पार्थ भी यहाँ पास में ही गया है, अभी कुछ देर में आ जाएगा।

अब हम दोनों अंदर चले गये, आंटी ने दरवाजा बंद किया और फिर में सोफे पर बैठ गया। आंटी किचन में जाकर मेरे लिए पानी लेकर आ गई।

कल्पना : हाँ बोलो अब तुम क्या खाओगे? Jabardasti Chudai Ka Maza

में : नहीं आंटी में कुछ नहीं खाऊंगा, आप बस रहने दीजिए।

कल्पना : क्या नहीं? ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा, वैसे भी तुम आज पहली बार घर पर आए हो और फिर क्या बिना कुछ खाए जाओगे?

में : सच में आंटी मुझे कुछ नहीं चाहिए।

कल्पना : तो ठीक है तुम चुपचाप यहीं पर बैठो और में तुम्हारे लिए संतरे का जूस निकालकर लाती हूँ।

आंटी उठकर किचन के अंदर चली गई और अब उन्हे देखकर मुझे कुछ कुछ हो रहा था, लेकिन मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था क्योंकि उनकी वो मटकती हुई गांड और उनके ब्लाउज के अंदर के वो बड़े बड़े बूब्स मुझे अब बहुत उत्तेजित कर रहे थे, लेकिन तभी आंटी जूस लेकर आई। उन्होंने जूस मुझे दिया और मेरे पास बैठ गई। में अब वो जूस पी रहा था।

कल्पना : इतने दिनों से सिर्फ़ मैंने पार्थ से तुम्हारे बारे में सुना था। तुम कॉलेज में क्या करते हो और क्या तुम जिम जाते हो?

में : आपका बहुत बहुत धन्यवाद आंटी। Jabardasti Chudai Ka Maza

कल्पना : तुम पार्थ को भी जिम में क्यों नहीं लेकर जाते?

में : आंटी मैंने तो उसे कितनी ही बार कहा है, लेकिन वो हमेशा मुझसे कहता है कि में सोचूँगा और बाद में आऊंगा, हमेशा कोई ना कोई बहाना बनाता है। Jabardasti Chudai Ka Maza

कल्पना : देखो ना अब तुमने अपनी बॉडी बनाई है तो तुम पहले से भी अब कितने अच्छे दिखते हो?

में : तो शरमाते हुए उन्हें आपका धन्यवाद आंटी।

तभी आंटी ने मेरे हाथ की कलाई को हाथ में ले लिया और कहा।

कल्पना : अब तुम्हारे मसल भी देखो, कितने अच्छे हो गए है?

में : हंसते हुए बोला कि नहीं आंटी अभी कहाँ इतने अच्छे हुए है?

कल्पना : नहीं सच में देखो और यह तुम्हारी टी-शर्ट भी तुम पर कितनी अच्छी लग रही है? Jabardasti Chudai Ka Maza

अब में एकदम से शरमा गया था और यह सब मुझे अब बहुत अजीब सा लग रहा था, लेकिन तभी वो मेरी तरफ मुस्कुराते हुए वो उनका एक हाथ मेरी छाती पर लेकर गई और फिर मुझसे कहने लगी।

कल्पना : और तुम्हारी छाती भी बिल्कुल बढ़िया आकार की है।

अब वो हाथ मेरे पेट से घुमाते हुए मेरी गांड पर लेकर चली गई और मुझसे पूछने लगी। Jabardasti Chudai Ka Maza

कल्पना : और क्या इसके लिए भी कोई एक्ससाईज होती है?

तो में थोड़ा सा एक साईड में होते हुए उनसे बोला।

में : हाँ होती है। Jabardasti Chudai Ka Maza

अब आंटी के चेहरे के हावभाव भी एकदम से बिल्कुल बदल गये थे। मुझे अब उनकी बातों से ऐसा लग रहा था कि आज कुछ ना कुछ गड़बड़ होने वाली है और तभी आंटी ने उनका एक हाथ मेरी गांड से सीधे मेरे लंड पर लेकर चली गई और फिर मुझसे बोली।

कल्पना : और इसके लिए? Jabardasti Chudai Ka Maza

दोस्तों में अब उनके मुहं से यह बात सुनकर पूरी तरह से चकित हो गया था।

में : क्या आंटी?

अब आंटी ने मेरी टी-शर्ट की कॉलर पकड़ी और मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा। उनके चेहरे पर स्माईल थी और उन्होंने उनका चेहरा आगे किया और अपने होंठो को भी थोड़ा आगे किया और मेरे होंठो से चिपकाए। अब मैंने मेरा चेहरा पीछे किया, लेकिन आंटी अब मुझ पर टूट पड़ी और वो मेरे ऊपर आई और एक बार फिर से वो मेरे होंठो को चूसने लगी। फिर मैंने भी कुछ देर बाद उनका साथ दिया, लेकिन तभी कुछ देर के बाद में होश में आ गया। Jabardasti Chudai Ka Maza

में : आंटी लेकिन अगर पार्थ आएगा तो क्या होगा?

अब आंटी ने एक मादक हावभाव देकर मुझसे कहा कि वो अभी कुछ घंटो तक नहीं आ सकता क्योंकि वो उसके पापा के साथ कहीं बाहर गया हुआ है और वो थोड़ा देरी से आएगा।

दोस्तों अब वो मुझ पर एकदम से भूखी की तरह टूट पड़ी और फिर में भी कुछ देर बाद उनका पूरा पूरा साथ देने लगा और अब हम वहां पर बैठकर किस कर रहे थे और मेरे हाथ भी आंटी की कमर पर चले गये और फिर में उन्हें चूमते हुए धीरे धीरे उनके गले तक आ गया। आंटी मदहोश हो गयी थी और मैंने उनके बालों का क्लिप निकाला और अब उनके पूरे बाल खोल दिये और उनको अपनी बाहों में खींच लिया। अब मेरे हाथ उनके बदन को मसल रहे थे और फिर मैंने उनकी साड़ी का पल्लू उनके बूब्स से दूर हटाया और अब ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बूब्स को मसलने लगा और अब वो भी धीरे धीरे मदहोश होने लगी और करहाने लगी।

तभी वो उठकर खड़ी हुई और मेरे दोनों हाथ पकड़कर बेडरूम में जाने लगी। में भी उनके पीछे पीछे अंदर चला गया और अब अंदर जाकर उन्होंने अपनी साड़ी को उतार दिया और मैंने भी मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और अब वो मेरे सामने बेड पर लेट गई। अब में भी उनके पास में लेटकर उन्हें किस करने लगा और उनके गोरे बदन को चूमने लगा। उन्होंने अपनी दोनों आँखे बंद कर ली थी और अब मेरे दोनों हाथ उनके बदन को मसल रहे थे। Jabardasti Chudai Ka Maza

दोस्तों मुझे उनके बूब्स के बीच की वो सेक्सी दरार बिल्कुल पागल कर रही थी। फिर मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोल दिया और ब्रा को पकड़कर बूब्स के ऊपर किया और अब उनके वो बड़े ही सेक्सी बूब्स मसलने लगा और उन्हे चूसने, दबाने लगा, लेकिन अब मेरे यह सब करने से उनकी साँसे तेज होने लगी थी। थोड़ी देर तक मैंने उनके बूब्स को चूसा, दबाया और फिर में उठकर खड़ा हुआ और मैंने मेरी जीन्स को भी उतार दिया। में अब सिर्फ़ अंडरवियर में था और मेरा लंड बिल्कुल टाईट होने की वजह से अंडरवियर का टेंट बन गया था और आंटी ने भी अब उनका ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और वो अब मेरे सामने पेटीकोट में थी।

में एक बार फिर से उनके एक साईड में लेट गया और अब फिर से उन पर टूट पड़ा। में अब देसी स्टाइल में उनके पूरे बदन को चूम रहा था और चाट रहा था। फिर मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोला और आंटी ने उसे अपने पैरों से आज़ाद कर दिया। अब आंटी हल्के हरे रंग की जालीदार पेंटी में थी और मैंने मेरा हाथ सीधे आंटी की पेंटी में डाल दिया और मैंने अब उनकी गरम चूत को छुआ। दोस्तों मैंने आज पहली बार किसी की चूत को छुआ था। मुझे उसका वो छूने का अहसास आज भी अच्छी तरह से याद है। उनकी चूत आग की तरह गरम और तब तक गीली भी हो चुकी थी और उनकी पेंटी भी चूत के सामने वाले हिस्से से पूरी तरह गीली हो गयी थी और मैंने अपने एक हाथ की दो उंगलियां उनकी चूत में डाली और वो धीरे से चीखी।

कल्पना : अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आईईईईइ। Jabardasti Chudai Ka Maza

अब मेरा एक हाथ उनकी पेंटी में उनकी चूत को मसल रहा था और ऊपर में उनके पूरे जोश से भरे जिस्म को चूम रहा था, लेकिन अब सच पूछो तो मुझसे भी बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो रहा था और मैंने आंटी की पेंटी को सरकाकर घुटने तक नीचे किया और मैंने अपनी अंडरवियर को भी नीचे किया और अब में आंटी के ऊपर चढ़ गया।

आंटी ने तुरंत अपने दोनों पैर फैलाये और अपनी चूत को मेरे लंड के स्वागत के लिए पूरी तरह से खोल दिया और अब मैंने मेरा लंड उनकी चूत में एक ही बार में पूरा अंदर डाल दिया और अब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए। आंटी ने मुझे पहले से ही कसकर पकड़ लिया था और अब थोड़ी देर के बाद मेरी चुदाई करने की स्पीड बढ़ रही थी और मेरी साँसे भी तेज हो रही थी। आंटी अब तक अपनी वो चीखने, चिल्लाने की आवाज को अपने गले में दबा रही थी, लेकिन जब मेरी चुदाई की स्पीड बढ़कर जानवर जैसी हो गई थी तो आंटी भी अपना चीखना, चिल्लाना और करहाना रोक नहीं पाई।

अब हम दोनों के बदन एक दूसरे पर घिस रहे थे। आंटी के बूब्स हम दोनों के बीच दब रहे थे। मुझे उनके मेरी छाती से छूने पर एक अजीब सा अहसास हो रहा था और मेरे लंड के नीचे की गोलियां आंटी की चूत के नीचे लग रही थी। अब कुछ देर बाद थोड़ा थोड़ा दर्द तो मुझे भी हो रहा था, लेकिन में उस जवानी के जोश में आंटी को लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोद रहा था और आंटी आखिरकार अपना चीखना, चिल्लाना रोक नहीं पाई और अब हर एक धक्के पर वो चीख रही थी और बीच बीच में अपने उस दर्द से करहा भी रही थी। Jabardasti Chudai Ka Maza

फिर कुछ देर के बाद आंटी की चूत से धीरे धीरे पानी निकल रहा था और अब मेरा लंड भी गीला हो गया था। आंटी मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में दबा रही थी और 15-20 मिनट के बाद मेरे लंड ने दम तोड़ दिया और मेरा वो गरम गरम वीर्य बाहर निकला। वो मैंने आंटी की चूत में उन चार, पांच ज़ोर के झटको में पूरा अंदर ही निकाल दिया और अब मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और आंटी के पास में लेट गया। हम दोनों तेज तेज साँसे ले रहे थे। मैंने अब तक मेरी अंडरवियर ऊपर कर ली थी और अब तक मेरा लंड भी बिल्कुल शांत हो गया था और आंटी ने भी अपनी पेंटी को ऊपर कर लिया था। फिर हम एक दूसरे को देख रहे थे और स्माइल दे रहे थे।

कल्पना : क्यों मज़ा आया? Jabardasti Chudai Ka Maza

में : हाँ बहुत मज़ा आया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद आंटी।

मैंने आंटी की कमर पर हाथ रखा और फिर हम इधर उधर की बातें कर रहे थे और अब मेरा लंड एक बार फिर से उनका गदराया हुआ बदन देखकर गरम हो गया था और मैंने आंटी को एक बार फिर से मेरे नीचे लिया और फिर एक बार बहुत देर तक जमकर आंटी को चोदा। उस दिन से में आंटी को जब भी मौका मिले तब चोदकर खुश कर देता हूँ और वो मेरी चुदाई से बहुत खुश है। तो दोस्तों यह थी मेरे दोस्त की माँ की चुदाई की कहानी ।
 
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