Indian Sex: Fauzi Officer Ki Badmash Biwi- Part 1

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पाठक पाठिकाओं की सेवा में चूत निवास के खड़े लौड़े का इकतीस बार तुनके मार के सलाम!
मेरी और फौजी अफसर की बीवी मोना रानी द्वारा लिखी दो इंडियन सेक्स कहानियाँ अन्तर्वासना में छपी थीं, पहली 2 मार्च 2016 को जिसका शीर्षक था
फौजी की बीवी ने अपने घर में चूत चुदाई
और दूसरी थी 22 फरवरी 2017 को प्रकाशित जिसका शीर्षक था
फौजी अफसर की बीवी की ट्रेन में रंगरंगेलियाँ
यदि पढ़ने वाले इन दो कहानियों को पढ़ लेंगे तो इस नई कहानी की पृष्ठभूमि भली भांति समझ आ जायगी और आपको कहानी पढ़ने में ज़्यादा आनन्द आएगा.

कुछ समय पहले मोना रानी ने एक ऐसा कारनामा अंजाम दिया जिसका विवरण पढ़ के आप लोग हैरान रह जायेंगे. हुआ यह कि इस चालक लड़की ने अपने फौजी अफसर पति को पटा लिया कि वो अपनी बीवी को किसी पराये मर्द से चुदते हुए देखे. न सिर्फ देखे बल्कि देख देख के प्रसन्न भी हो. यह सब कैसे संभव हुआ वह मोना रानी अपने ही शब्दों में बयान कर रही है. पढ़िए और इस महा उस्ताद लौंडिया की उस्तादी देखिये.

मोना रानी के शब्द आरम्भ

प्रिय पाठक पाठिकाओं को मोना का सप्रेम नमस्कार!
बहुत दिनों से मेरे दिमाग में एक कीड़ा घुस गया था जो मुझे बार बार बेचैन कर देता था. मुझे बहुत बलवती इच्छा होने लगी थी कि मैं राजे से अपने पति सुमित के सामने चुदूँ. यह इच्छा रोज़ रोज़ तीव्र से तीव्रतर हुआ जाती थी. यहाँ तक कि मुझे हर टाइम एक ही बात परेशान किये रखती थी कि इस इच्छा को पूरा करने के लिए सुमित को कैसे राज़ी करुँगी, फ़ौज का मेजर है, आतंकवादियों के साथ जंग में उलझा हुआ है जम्मू कश्मीर में, तीन महीने में एक बार छुट्टी आता है, कहीं गुस्से से पागल होकर मुझे गोली ही न मार दे!
न मैं कोई रास्ता निकाल पा रही थी न ही चैन से बैठ पा रही थी.

अभी मार्च महीने में होली पर जब वो छुट्टी पर घर आया तो मेरे मन में एक आईडिया आया. फौजी छावनियों में हर त्यौहार बहुत अच्छे से मनाया जाता है. होली भी बहुत अच्छे से खेली जाती है. इस साल भी हमेशा की तरह होली में सब खूब रंगों में पुत गए थे.

करीब 3 बजे हम लोग होली ख़त्म करके एक साथ नहाने बाथरूम में चले गए. नहाते हुए मैंने सुमित का लंड होली की मस्ती में उसको बहुत मज़ा देते हुए चूसा. राजे के संपर्क में आने के बाद मैं चुदाई के हर पहलू की माहिर हो ही चुकी थी. लंड भी ऐसा चूसती हूँ कि चुसवाने वाले को जन्नत के नज़ारे दिखने लगें.

जब सुमित खलास हो गया तो वीर्य निगलने के बाद मैंने कहा कि मेरी बड़ी तमन्ना है कि तुम्हारे इस धाकड़ लौड़े से किसी और लड़की को चुदते हुए देखूँ!
तो वो हँसते हुए बोला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मजा आ जाएगा लेकिन तू हरामज़ादी जलन से जल भुन के राख न हो जाएगी?
मैंने कहा- नहीं, मेरी यह इच्छा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, मुझे ज़रा भी जलन नहीं होगी. तुम चोदो किसी और को!
तो उसने कहा- किसी कॉल गर्ल को बुलाना पड़ेगा. मैं ठहरा फौजी, मेरा किसी लड़की से कोई भी सरोकार नहीं पड़ता, मैं चोदने के लिए लड़की कहाँ से लाऊँगा.
मैं बोली- नहीं, कॉल गर्ल नहीं चोदनी!

कुछ देर तक सोचने का ड्रामा करके मैंने कहा- पीछे की लाइन वाले बंगले में मेजर इक़बाल की वाइफ फरीदा है, वो मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई है. मेजर साहिब राजस्थान बॉर्डर पर पोस्टेड हैं. वो कई बार बता चुकी है कि उसका पराए मर्द से चुदाई करने का बड़ा मन है लेकिन डरती है कि बात कहीं खुल गई तो बहुत बदनामी होगी. उसको पूछ के देखती हूँ कि सचमुच वो पराए मर्द से चुदना चाहती है या ये सिर्फ ऐसी चुदाई का सपना देखती है.

मेरा पति खुश से फूला न समाया. मुझे मालूम था कि अगर कोई दूसरी चूत मिल जाए और वो भी मेरी इजाज़त से, तो कमीना चोदे बिना रहेगा नहीं!
सुमित बोला- ठीक है तू पूछ ले उस रंडी से!
इस वार्तालाप से उत्तेजित होकर उसने मुझे वहीं बाथरूम में शावर चला के चोद दिया.

उसके बाद भी उसकी आग न बुझी तो कुत्ते ने नहाने के फ़ौरन बाद ही एक बार फिर से चोद डाला.

उधर फ़रीदा राजे और मेरी चुदाई की बातें सुन सुन के राजे से चुदने की बहुत इच्छुक हो गई थी मगर राजे ने मना कर दिया था कि मैं किसी उस धर्म की लड़की से पंगा नहीं लेना चाहता. कहीं यह बात खुल गई तो फसाद हो सकता है.

खैर मैंने फरीदा से बात करी तो वो तुरंत ही मान गई. बहुत ज़्यादा sex starved है क्योंकि मेजर साहिब का लन्ड खड़ा नहीं होता. उसका पति होली पर नहीं आया था इसलिए वो फ्री भी थी, शाम को ही आ गई, मेरी ही उम्र की है. अच्छी है देखने में… गोल मटोल मांसल बदन है गोरा चिट्टा!

सुमित ने खूब मज़े में कुतिया को दो बार चोदा. दूसरी बार चुदाई करते हुए बोला- मोना, मेरा भी अब दिल कर रहा है कि तू किसी और से चुदे और मैंने नज़ारा देखूं!
ये अच्छा ही हुआ कि सुमित ने खुद ही या बात चलाई वरना कोई मौका देख के मैं ही कहती कि अब दिल करता है कि मुझे कोई पराया मर्द चोदे और तू देखे.

मेरी और सुमित की आपसी भाषा से पढ़ने वाले चकित न हों. राजे से सम्बन्ध बनने के बाद मुझे गन्दी गालियाँ देकर बात करने और खुले शब्दों का प्रयोग करने की मज़ेदार, मस्त आदत पड़ गई थी. धीरे धीरे मैंने सुमित को भी इसकी आदत डाल दी थी.
वैसे तो सभी लड़के गन्दी गालियाँ देने में सिद्धहस्त होते हैं परन्तु लड़कियों के समक्ष शराफत का पर्दा ओढ़ लेते हैं. यदि लड़की खुद उनसे कहे कि गालियाँ देते हुए खुल के गंदे शब्दों में बात किया करो तो कम्बख्त ज़बरदस्ती का ओढ़ा हुआ शराफत का नक़ाब उतार के फेंकने में भी देरी नहीं करते.

खैर मैंने पहले तो न मानने का ड्रामा किया और उसको कई बार यही बात दोहराने का मौका दिया, अपनी सती सावित्री होने की दुहाई दी. जितना मैं नहीं नहीं करती थी उतना ही वो ज़िद पकड़ता जाता था.
आखिरकार मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए, उस पर अहसान दिखाते हुए कहा- ठीक है, तू मेरा पति है सिर्फ और सिर्फ इसी लिए तेरी बात तो माननी पड़ेगी!

फिर तुरंत ही यह सवाल उठा कि मुझे चोदने के लिए मर्द को कहाँ ढूंढा जाए.
सुमित अपने किसी साथी को इसमें इन्वॉल्व नहीं करना चाहता था. बहुत अधिक खतरा था कि बात लीक हो जाए. बात लीक होने के अलावा यह रिस्क भी था कि उसका दोस्तों के बीच में मज़ाक उड़ना शुरू हो जाता कि सुमित की बीवी एक टैक्सी है, जिसका जी चाहे चोद ले.
मैं भी यह नहीं चाहती थी क्योंकि मैं कोई टैक्सी नहीं हूँ. राजे और सुमित के सिवाय किसी की तरफ आंख उठाकर नहीं देखा.

काफी देर सोचने का नाटक करके मैंने कहा- मेरी सहेली ज्योति का एक चोदू दोस्त है राजे जो गुरुग्राम में रहता है, क्यों न उसके साथ कोशिश की जाए?
यहाँ पाठकों को मैं यह बता दूँ कि मैंने राजे की कई कहानियाँ सुमित को पढ़वाईं थीं. मैंने यह भी बता दिया था कि मेरी स्कूल वाली सहेली ज्योति और उसकी बहन नीति दोनों राजे, यानि कहानी के लेखक चूतनिवास, से चुदाई करती रहती है.

मैंने अपनी पति से कहा- ज्योति को बोलती हूँ राजे से बात करवाये!
सुमित उछल पड़ा और बोला- यह बिल्कुल सही है.
यह इंडियन सेक्स की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

फिर उसने कहा कि जल्दी से ज्योति को फोन लगा और उसे बोल कि राजे से तुरंत बात करेगी.
उस टाइम मैंने टाल दिया कि अभी वो लोग भी होली में व्यस्त होंगे इसलिए मैं शाम को उसके साथ यह बात छेड़ूँगी.
टालना इसलिए भी ज़रूरी था कि मैंने ज्योति के साथ तो यह चर्चा की नहीं थी, उसको पूरी बात विस्तार से बता कर ही मैं सुमित के सामने उसको फोन पर बात कर सकती थी.

सुमित तो इतना ज़्यादा उत्तेजित हो गया था कि फिर से साले ने मेरी चुदाई कर डाली. एक के बाद एक करके तीन बार चोदने से सुमित थका हुआ महसूस करने लगा था और थोड़ी ही देर में सो भी गया. मैं उठकर घर के बाहर आई और ज्योति को फोन पर सारा किस्सा सुनाया.
हरामज़ादी बड़ी खुश हुई कि मेरा पति मुझे राजे से चुदवाती हुई का दृश्य देखना चाहता है, वो बोली- ठीक है, तू चिंता न कर, मैं राजे को फ़ौरन ही यह सब समझा दूंगी. तू जब भी दिल चाहे उसे सुमित की मौजूदगी में फोन कर लियो. वो तेरे से ऐसे ही बात करेगा जैसे पहले बार किसी से कोई बात करता है. बिल्कुल भी ज़ाहिर नहीं होने देगा कि कमीना तुझे दो सौ बार चोद चुका है.

एक डेढ़ घंटे के बाद जब सुमित सोकर उठा तो मैंने पूछा- अब कर लूँ राजे से बात, मैंने उसका फोन नंबर ज्योति से ले लिया है.
बोला- हाँ अभी के अभी फोन कर…

मैंने राजे को फोन लगाया, कुत्ते ने तुरंत ही उठा लिया. आगे जो बातचीत हुई वो इस प्रकार है:

राजे- हेलो… कौन बोल रहा है?
मैं- हेलो गुड आफ्टरनून राज कुमार जी… मेरा नाम मोना है और आपका नंबर आपकी एक फ्रेंड ज्योति ने दिया है.
राजे- ओके ओके मैडम जी. कहिये क्या काम था मेरे से?
मैं- आपको ज्योति ने बताया होगा न मेरे काम के बारे में!

राजे- नहीं कुछ खास डिटेल में नहीं बताया. यही बोली थी कि आपकी सेक्स के विषय में कोई ज़रूरत है जो मैं पूरी कर सकता हूँ. आप बोलिये क्या है आपके मन में. खुल के बोलिये शर्माइये नहीं मैडम जी. मेरे साथ आपकी जो भी बात होगी वो दो सौ प्रतिशत सेफ रहेगी. आप बिल्कुल बेफिक्र रहिये.

मैं- जी राज कुमार जी, ज्योति ने भी ऐसा ही बोला था. मगर मुझे थोड़ी शर्म सी आ रही है खुल के बोलने में, न जाने आप मेरे विषय में क्या सोचेंगे.

राजे- मोना मैडम जी, बिल्कुल भी न शर्माइये. आप शर्माएंगी तो मैं आपकी मदद कैसे करूँगा. मैं आपके विषय में जो भी सोचूंगा अच्छा ही सोचूंगा. आखिर आप मेरी जान से भी प्यारी ज्योति रानी की सहेली हैं. बोलिये बेधड़क होकर बिंदास बोलिये.

मैं सुमित को दिखने के लिए सकुचाने का ड्रामा करते हुए धीमी सी, मरी सी आवाज़ में बोली- राज जी, बात यह है कि मेरे हस्बैंड सुमित जी चाहते हैं कि मैं इनके सामने किसी पराये मर्द से सम्भोग करूँ और वो ये नज़ारा देखते देखते खुद किसी पराई औरत से सम्भोग करें… पराई औरत तो हैं मेरी एक सहेली परन्तु पराये मर्द के लिए आपके बारे में सोच रही थी. यदि आपको एतराज़ न हो तो क्या यह संभव होगा?

राजे- ज़रूर संभव होगा मोना… लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं… तुम्हारा हस्बैंड साथ में हैं क्या? हैं तो फोन को स्पीकर पे लो और उनसे बात करवाओ.
मैंने फोन का स्पीकर चालू करके कहा- ले लिया फोन स्पीकर पे, सुमित जी हैं मेरे साथ ही, राज जी आप अपनी शर्तें कहिये.

राजे- पहली शर्त ये कि मेरे साथ इस सभ्यता वाली शरीफ भाषा में बात नहीं करनी है, तू तड़ाक से गालियाँ देकर बात करनी हैं. समझ गई मादरचोद रंडी.
मैंने सुमित कि तरफ देखा. उसने हां में सर हिलाया तो मैं बोली- मंज़ूर… अगली शर्त बोलिये?
राजे- बोलिये नहीं बोल कह कुतिया. अभी से पहली शर्त भूल गई… बहनचोद… वेश्या?
मैं- बोल न कमीने?

राजे- दूसरी शर्त, मैं तेरी सुस्सू पिया करूँगा और तू पिलाएगी… आगे से इसको सुस्सू नहीं स्वर्ण अमृत बोलेगी!
मैं- हाँ हाँ कुत्ते पिलाऊंगी. सुमित को भी दिन में चार पांच बार पिलाती हूँ. तुझे भी पिला दूंगी. अमृत. जितना चाहे पी लियो हरामी! आगे बोल?

राजे- अगली शर्त ध्यान से सुन रंडी की औलाद…एक बार तू चुद गई तो उसके बाद मेरा जब दिल करेगा तब तुझे चोदा करूँगा… सुमित यहाँ हो या न हो… सुमित की मर्ज़ी हो या न हो, जब मेरा दिल होगा मैं तो तुझे तेरे घर में ही चोदूंगा… तेरी माहवारी के दिनों में भी चोदूंगा…
‘आखिरी शर्त ये कि जब मैं मोना की चुदाई कर रहा हूँ उस वक़्त सुमित सिर्फ तुझको देखेगा, दूर ही दूर से, छुएगा भी नहीं… इसका जवाब सुमित से डायरेक्ट चाहिए… और अभी जवाब नहीं चाहिए… अच्छे से सोच के दो तीन घंटे के बाद फोन कर लेना… अभी के लिए बाई बाई!’ राजे ने फोन बंद कर दिया.

फोन के बाद सुमित सोच में डूब गया, कहने लगा कि ये तो हरामज़ादा मेरे पीछे से भी तुझे चोदने की बात कह रहा है. ये तो नहीं चलेगा.
इस पर मैंने गुस्से का नाटक करते हुए चिड़चिड़ाती आवाज़ में कहा- मुझे कोई शौक नहीं है किसी पराये आदमी से चुदने का… तेरी ही गांड फ़टे जा रही थी कि मोना तुझे किसी और से चुदते देखना चाहता हूँ… मेरे को नहीं चुदाई करनी, ना राज से ना किसी और से!
इतना बोल के मैं भुनभुनाती हुई दूसरे कमरे में भाग आई.

वैसे दिल ही दिल में मेरी गांड फट रही थी कि कहीं सचमुच सुमित ने अपना इरादा बदल दिया तो गड़बड़ हो जायगी. लेकिन फिर मैंने खुद को तसल्ली दी ‘अभी थोड़ी देर में भागता आएगा कमीना, कुत्ते की तरह दुम टांगों में दबाये… तू फ़िक्र न कर मोना, हरामज़ादा दो मिनट में तुझे मनाएगा भी और राजे की सब शर्तें मानेगा भी… तू राजे से जीवन भर चुदियो दिल खोल के और सुमित के सामने भी और सुमित के पीछे भी चुदियो!’

जैसा मैंने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ.
मैं अभी गुस्सा होने का नाटक करती औंधे मुंह पलंग पर लेटी ही थी कि सुमित आ गया, मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराते हुए बोला- अरे जान-ए-मन, इतनी नाराज़ क्यों होती है… मैं तो सिर्फ अपना नजरिया तेरे से डिसकस कर रहा था… तू तो भन्ना के भाग आई… डार्लिंग गुस्सा थूक दे!

उसने मुझे पलट के मेरी चुम्मी लेने की कोशिश की. मैं पलटी ही नहीं और झल्लाई आवाज़ में बोली- देख कमीने मैंने बोल दिया न मुझे तेरे सिवा किसी से नहीं चुदना… एक तो बहनचोद मुझे पापिन बना रहा है. मेरा पत्नीधर्म भ्रष्ट कर रहा है ऊपर से यह आशा करता है कि राज तेरी जब मर्ज़ी हो तभी मुझे चोदे… तेरे बाप का दिया खाता है क्या वो… और मैं भी तो हूँ… ये क्या बात हुई जब तू चाहे तो मैं राजे से चुदूँ और न चाहे तो नहीं… बेटी के लौड़े, एक बार अगर उसने मुझे चोद दिया तो मैं कभी भी उसको मना नहीं करुँगी… बात खलास… अब तू सोच ले मेरी चुदाई करवानी या नहीं?

सुमित ने मेरे बालों में उंगलियाँ फेरते हुए कहा- मेरी जान मोना… राज की सब शर्तें मंज़ूर हैं… मैं तो हाँ करने से पहले थोड़ा सोचना चाहता था और कोई बात नहीं… चल मिला फोन… मैं करता हूँ राज से बात!
मैंने फिर पूछा- अच्छे से विचार कर लिया है ना? पक्का ना? फिर मत बोलियों कि मैंने ठीक से सोचा समझा नहीं था.
सुमित- अरे सब सोच समझ लिया मोना डार्लिंग… तू फोन लगा ना राज को!

मैंने फोन मिलाया और जैसे ही रिंग जानी शुरू हुई मैंने फोन सुमित के हाथ में थमा दिया. सुमित ने फोन पर राजे से बोल दिया- राज जी, आपकी सभी शर्तें हम मानते हैं.

यह भी तय हो गया कि राजे अगले दिन दोपहर 2.00-2.30 के बीच में आएगा, मैंने फरीदा को भी वही टाइम दे दिया.
फिर सुमित ने अगले दिन होने वाली चुदाई से उत्तेजित होकर मेरी गांड मार दी, रात को भी दो बार चोद दिया.
यह इंडियन सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है, मुझे लिखें!
चूतनिवास
 
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