इंडिया आकर राज को कंपनी के हेड ऑफिस जालंधर जाना पड़ा और फिर फटाफट चंडीगढ़ ऑफिस में काम की शुरुआत की।
एक हफ्ते बाद ही राज ने ऑफिस के लिए नई भरती शुरू की। उसे एक मार्केटिंग का बंदा चाहिए था, कंपनी ने दो उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए चंडीगढ़ भेजे।
राज ने बात करके संजीव को फाइनल किया। संजीव बहुत स्मार्ट और गोरा जवान था। वो जालंधर ही रहता था और उसकी भी शादी आठ महीने पहले ही हुई थी।
संजीव को तुरंत ही ज्वाइन करना था.. चूंकि नई नई शादी थी तो वो और उसकी बीवी दोनों ही चंडीगढ़ आ गए और ज्यादा खर्चा नहीं हो इसलिए राज और प्रीति ने अपने ही फ्लैट के पास उन्हें एक छोटा सा फ्लैट दिलवा दिया।
राज ने संजीव की मदद करने के उद्देश्य से संजीव के फ्लैट का किराया कंपनी से ही दिलवा दिया। संजीव इस बात से राज का एहसान मानने लगा।
संजीव के पत्नी स्वीटी वाकई बहुत स्वीट और चंचल थी। पहले तो वो प्रीति से बॉस की बीवी होने की वजह से ज्यादा नहीं खुली थी पर प्रीति ने जल्दी ही उससे दोस्ती सी कर ली क्योंकि उसे भी यहाँ जान पहचान बढ़ानी तो थी।
राज और संजीव काम में लग गए। काम जल्दी फ़ैलाना था तो संजीव को टूर पर जाना पड़ता था, प्रीति को भी अपना डायमंड सेट लेने दिल्ली जाना था। दिल्ली उसका मायका था तो वो एक हफ्ते रुकना चाह रही थी पर यहाँ राज को खाने की दिक्कत होती इसीलिए वो जा नहीं पा रही थी।
पर स्वीटी बोली- आप हो आओ, मैं सर का लंच और डिनर भिजवा दिया करूंगी।
तो एक हफ्ते का प्रोग्राम बना कर प्रीति दिली चली गई।
राज ब्रेकफास्ट तो खुद ही बना कर ऑफिस पहुँचा… संजीव उससे पहले ही पहुँच जाता था… स्वीटी ने राज के लिए कटलेट्स बना कर भेजे थे।
शायद प्रीति स्वीटी को बता कर गई थी कि राज को क्या क्या पसंद है। राज ने संजीव से स्वीटी को फोन मिलवाकर थैंक्स बोला और कहा कि वो ब्रेकफास्ट की फॉर्मेलिटी न किया करे और केवल हल्का लंच ही भेजा करे। डिनर वो बाहर ले लिया करेगा।
दोपहर को लंच टाइम में स्वीटी लंच लेकर खुद आ गई थी क्योंकि इनके ऑफिस में पब्लिक डीलिंग नहीं थी, इसलिए बाहर का कोई व्यक्ति नहीं होता था।
लंच में स्वीटी कढ़ी चावल लाई थी.. राज हंस पड़ा क्योंकि वो समझ गया कि यह भी स्वीटी को प्रीति ने ही बताया होगा कि उसे कढ़ी चावल बहुत पसंद हैं।
स्वीटी चंचल स्वभाव की होने के बावजूद बहुत सभ्य थी और राज को बहुत अच्छी लगी। स्वीटी जीन्स और टॉप में थी, उसका बदन हल्का गदराया और मम्मे भरे हुए थे।
राज ने संजीव और स्वीटी को भी अपने केबिन में बुलाकर वहीं लंच लिया।
हालाँकि स्वीटी संकोच कर रही थी तो राज बोला- मैं बॉस तो कंपनी के काम के लिए हूँ, वैसे तो हम चारों फ्रेंड्स हैं इसलिए कोई संकोच मत करो।
बस इसके बाद उनके बीच का संकोच ख़त्म हो गया, चलते समय स्वीटी ने राज को बहुत हक से कह दिया कि रात को डिनर करने आप हमारे घर पर ही आयेंगे, बाहर नहीं जायेंगे।
राज को हाँ करनी पड़ी।
रात को राज अपने साथ व्हिस्की की एक बोतल संजीव के लिए और स्वीटी के लिए एक सलवार सूट लेकर गया।
संजीव ने पहले से ही ड्रिंक की तयारी कर रखी थी और मजे की बात यह कि प्रीति की तरह स्वीटी को भी ड्रिंक से परहेज नहीं था। पास लिहाज की वजह से वो साथ नहीं बैठी, पर जब राज को मालूम पड़ा की स्वीटी ले लेती है तो उसने स्वीटी को बुला लिया और एक छोटा सा पेग बना कर उसको भी दिया।
एक हफ्ते बाद ही राज ने ऑफिस के लिए नई भरती शुरू की। उसे एक मार्केटिंग का बंदा चाहिए था, कंपनी ने दो उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए चंडीगढ़ भेजे।
राज ने बात करके संजीव को फाइनल किया। संजीव बहुत स्मार्ट और गोरा जवान था। वो जालंधर ही रहता था और उसकी भी शादी आठ महीने पहले ही हुई थी।
संजीव को तुरंत ही ज्वाइन करना था.. चूंकि नई नई शादी थी तो वो और उसकी बीवी दोनों ही चंडीगढ़ आ गए और ज्यादा खर्चा नहीं हो इसलिए राज और प्रीति ने अपने ही फ्लैट के पास उन्हें एक छोटा सा फ्लैट दिलवा दिया।
राज ने संजीव की मदद करने के उद्देश्य से संजीव के फ्लैट का किराया कंपनी से ही दिलवा दिया। संजीव इस बात से राज का एहसान मानने लगा।
संजीव के पत्नी स्वीटी वाकई बहुत स्वीट और चंचल थी। पहले तो वो प्रीति से बॉस की बीवी होने की वजह से ज्यादा नहीं खुली थी पर प्रीति ने जल्दी ही उससे दोस्ती सी कर ली क्योंकि उसे भी यहाँ जान पहचान बढ़ानी तो थी।
राज और संजीव काम में लग गए। काम जल्दी फ़ैलाना था तो संजीव को टूर पर जाना पड़ता था, प्रीति को भी अपना डायमंड सेट लेने दिल्ली जाना था। दिल्ली उसका मायका था तो वो एक हफ्ते रुकना चाह रही थी पर यहाँ राज को खाने की दिक्कत होती इसीलिए वो जा नहीं पा रही थी।
पर स्वीटी बोली- आप हो आओ, मैं सर का लंच और डिनर भिजवा दिया करूंगी।
तो एक हफ्ते का प्रोग्राम बना कर प्रीति दिली चली गई।
राज ब्रेकफास्ट तो खुद ही बना कर ऑफिस पहुँचा… संजीव उससे पहले ही पहुँच जाता था… स्वीटी ने राज के लिए कटलेट्स बना कर भेजे थे।
शायद प्रीति स्वीटी को बता कर गई थी कि राज को क्या क्या पसंद है। राज ने संजीव से स्वीटी को फोन मिलवाकर थैंक्स बोला और कहा कि वो ब्रेकफास्ट की फॉर्मेलिटी न किया करे और केवल हल्का लंच ही भेजा करे। डिनर वो बाहर ले लिया करेगा।
दोपहर को लंच टाइम में स्वीटी लंच लेकर खुद आ गई थी क्योंकि इनके ऑफिस में पब्लिक डीलिंग नहीं थी, इसलिए बाहर का कोई व्यक्ति नहीं होता था।
लंच में स्वीटी कढ़ी चावल लाई थी.. राज हंस पड़ा क्योंकि वो समझ गया कि यह भी स्वीटी को प्रीति ने ही बताया होगा कि उसे कढ़ी चावल बहुत पसंद हैं।
स्वीटी चंचल स्वभाव की होने के बावजूद बहुत सभ्य थी और राज को बहुत अच्छी लगी। स्वीटी जीन्स और टॉप में थी, उसका बदन हल्का गदराया और मम्मे भरे हुए थे।
राज ने संजीव और स्वीटी को भी अपने केबिन में बुलाकर वहीं लंच लिया।
हालाँकि स्वीटी संकोच कर रही थी तो राज बोला- मैं बॉस तो कंपनी के काम के लिए हूँ, वैसे तो हम चारों फ्रेंड्स हैं इसलिए कोई संकोच मत करो।
बस इसके बाद उनके बीच का संकोच ख़त्म हो गया, चलते समय स्वीटी ने राज को बहुत हक से कह दिया कि रात को डिनर करने आप हमारे घर पर ही आयेंगे, बाहर नहीं जायेंगे।
राज को हाँ करनी पड़ी।
रात को राज अपने साथ व्हिस्की की एक बोतल संजीव के लिए और स्वीटी के लिए एक सलवार सूट लेकर गया।
संजीव ने पहले से ही ड्रिंक की तयारी कर रखी थी और मजे की बात यह कि प्रीति की तरह स्वीटी को भी ड्रिंक से परहेज नहीं था। पास लिहाज की वजह से वो साथ नहीं बैठी, पर जब राज को मालूम पड़ा की स्वीटी ले लेती है तो उसने स्वीटी को बुला लिया और एक छोटा सा पेग बना कर उसको भी दिया।