Mami Ki Chudai Ki Haseen Kamna Puri Hui

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सबसे पहले उन दोस्तों का शुक्रिया करना चाहूँगा जो मेरी कहानियाँ पढ़कर उसके रस में डूबकर आनन्दित होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हैं मेल और डिस्कस के द्वारा!

वो कहते है न कि शेर के मुँह को अगर मांस लग जाये तो फिर वो ज्यादा वक्त तक भूखा नहीं रह सकता. इसी तरह अगर किसी ने चूत के रस का स्वाद ले लिया हो, वो भी ज्यादा दिन बिना सेक्स के नहीं रह सकता.
पिछली कहानी में आप सबने पढ़ा कि कैसे मामी और मैंने एक दूसरे की अन्तर्वासना को समझा.

मामी जैसी कामुक नारी के बदन को छूकर सहलाकर भी उनकी चूत के रस का स्वाद न ले पाने की कसक को मैं ज्यादा दिन सह नहीं सकता था. इसलिए मैंने अपने पेपर का बहाना बनाकर इस बार 5-6 मामी के घर रुकने का फैसला लिया.

जैसे ही शाम को मैं मामी के घर पहुंचा तो मामी ने आधा दरवाजा खोला और निकलने के लिए जरा सी जगह दी मुझे…
जैसा ही मैं अन्दर जाने लगा तो उन्होंने अपने 34 साइज़ के चूचों को पूरी तरह से तान दिया जो मेरे सीने से पूरी तरह से दब गये क्यूंकि अन्दर जाने के लिए इतनी सी ही जगह बची थी.

मामी की दोनों लड़कियाँ दूसरे रूम में थी तो किसी ने कुछ देखा नहीं… हम दोनों की नजरें मिली और दोनों को महसूस हो रहा था कि शायद इस बार हम अपनी अन्तर्वासना को तृप्त कर सकेंगे.

अन्दर पहुंच कर मैं अपनी दोनों कजिन बहनों से मिला. खूब बातें, मौज मस्ती हुई.

इस बार सोने का पैटर्न कुछ बदल गया था दोस्तो… कूलर के सबसे आगे मुझे लिटाया गया था होरिजेंटल पोजीशन में, फिर मामी और उनकी दोनों लड़कियाँ वर्टीकल पोजिशन में लेटी थी. आप लोग शायद समझ गये होंगे कि हमारे लेटने की आकृति कैसी थी.

रात 12 बजे के आस पास मामी की दोनों लड़कियाँ सो चुकी थी, ऐसा हमारा सोचना था. चूँकि लाइट्स पूरी तरह से बंद थी तो किसी को कुछ नज़र तो आ नहीं रहा था.
मामी ने धीरे से अपना हाथ मेरे गाल पर फेरना शुरू कर दिया था और मेरा हाथ हल्के से खींचकर अपने बूब्स पर ले गई थी और मुझसे जोर से दबवाने के लिए अपने चूचों पर मेरे हाथ को दबाने लगी.
मुझे अभी भी थोड़ा डर था कि कहीं कोई सी बहन जाग न जाये इसलिए मैं थोड़ा कतरा रहा था ऐसा करने में… पर चूत रस की प्यास तो मेरे लंड को बहुत जोर से लगी थी इसलिए वो अपने विकराल रूप में आ चुका था.
मैं मामी के बूब्स दबा रहा था.

फिर मेरे फोन में किसी के मेसेज की घंटी बजी तो कुछ रोशनी हो गई और आवाज भी… तो मैंने अपना हाथ जल्दी से वापिस खींच लिया.

कुछ पल बाद मामी ने अपने बूब्स बाहर निकाले और मेरा हाथ वहाँ ले गई. ऐसा कई बार हुआ दोस्तो… पर वह सेक्स तो पॉसिबल नहीं था इसलिए मेरा लंड और मैं दोनों कब सो गये, पता नहीं चला. शायद रास्ते की थकावट और सेक्स न हो पाने की वजह भी थी.

कुछ देर बाद आंख खुली तो अँधेरा देखकर अन्दर के अरमान फिर जागने लगे.

हाठों ने अपने पसंदीदा चूचे नामक फल ढूंढने शुरू किये. मैंने अपने हाथ को हौले से सरका कर मामी के वक्षस्थल पर ले जाना शुरू किया. मैं हाथ को सीधे कपड़ों के अन्दर नंगे बूब्स पर ले गया और मामी को उठाने के अंदाज में काफी जोर से दबा दिया.

जैसे ही मैंने बूब्स को हाथ में लेकर दबाया तो शायद मामी की आंख खुल गई और उन्होंने मेरे हाथ को झटका देकर अलग कर दिया.
मुझे एक जोर का झटका सा लगा क्यूंकि मुझे मामी से ऐसे व्यव्हार की आशा नहीं थी. पर अगले ही पल मेरी साँसे अटक गई क्यूंकि जिस चूचे को मैंने अभी प्यार से जोर से दबाया था वो मेरी मामी का नहीं था बल्कि मामी की छोटी लड़की सोनाली (काल्पनिक नाम) का था.
शायद मेरे सोने के बाद उनमें से किसी के टॉयलेट जाने के कारण उनकी जगह आपस में बदल गई थी.

मेरी सांस अटकी हुई थी दोस्तों क्यूंकि गलती से मैंने अपनी चचेरी बहन के बूब्स को दबा दिया था. मैं डर गया था कहीं इसने उठकर किसी को कुछ बता दिया तो मेरा क्या होगा?
पर उसने कुछ बोला नहीं था बस मेरे हाथ को झटका देकर अलग कर दिया था और चुपचाप सो गई या सोने की एक्टिंग करने लगी पता नहीं!
फिर कुछ देर उसके सोने का इंतजार करके मैं भी चुपचाप सो गया.

सुबह मामी जल्दी उठ जाती हैं और उनकी दोनों लड़कियाँ काफी देर से उठने वाली थी क्यूंकि उन दोनों की भी छुट्टी थी और वो छुट्टी वाले दिन बहुत लेट उठती हैं, ऐसा मुझे पता था.

करीब 6 बजे मैं उठा, टॉयलेट जाकर आया तो देखा मामी नहा कर दूसरे रूम में शीशे के सामने अपने बाल संवार रही थी. चूँकि दोनों कमरों के बीच में काफी गैप है तो एक दूसरे कमरे का किसी को कुछ दिखाई नहीं देता.
जैसे ही मैंने कमरे के अन्दर जाकर मामी को ऐसे सजते सवंरते देखा तो आशिक लंड की प्यास जागने लगी जिसे मामी ने अपनी कातिल अदाओं से और भड़का दिया.

मामी हौले से मेरे करीब आई और मेरे से चिपक गई.

इस वक़्त मैं भी रात की सारी घटना को भुलाकर बस इस पल का आनन्द लेना चाहता था. मैंने मामी को कसकर अपनी बाहों में समेट लिया. मामी के रसभरे होंठों को अपने होंठों में समेट लिया और अपने हाथ से उनकी मटकती चिकनी गांड को सहलाना शुरू किया.
कुछ पल उनके होंठों को चूसने के बाद उनके कमीज को ऊपर करने को कहा. उन्होंने अपने शर्ट और ब्रा को ऊपर किया और अपने बूब्स को आज़ाद कर दिया. मामी के दोनों बूब्स मेरे सामने झूल रहे थे.

मैं बूब्स का वैसे भी बहुत दीवाना हूँ दोस्तो… मैंने पहले उनके लेफ्ट बूब को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और राईट वाले को अपने हाथ में लेकर जोर से दबाने लगा.
फिर उनके राईट वाले चूचे को खूब चूसा और चाटा और लेफ्ट वाले की अपने हाथ से अच्छी मालिश की. उनके निप्पल को हल्के से दांतों में दबाकर खींचा तो उनकी तेज चीख निकल गई. जिस वजह से मैंने उनके होंठों का दोबारा से रसपान किया.

अब मेरे लंड महाराज की प्यास बहुत ज्यादा बढ़ गई थी इसलिए मैंने उसे बाहर निकला और उनके हाथ में थमा दिया, उन्हें चूसने को कहा तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया लेकिन हाथ में लेकर सहलाने लगी.

कमरे में लाइट जल रही थी. एल ई डी बल्ब की रोशनी में उनका दूधिया तन एकदम चांदी सी चमक मार रहा था.
मैंने उन्हें लिटा दिया और उनकी सलवार को खोल कर नीचे किया, मैं उसे पूरी तरह निकलना नहीं चाह रहा था मैं क्यूंकि किसी के आने का हल्का डर अभी भी था. कमरा बंद भी नहीं कर सकते तह क्यूंकि अगर कोई आता तो बंद कमरे के अन्दर हम दोनों के होने से वही एक्सप्रेशन जाता फिर…

मामी की चूत अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी, एकदम चिकनी चूत, जिसे कई सालों से किसी ने छुआ नहीं था. वो चिकनी गुलाबी चूत मामी की अन्तर्वासना के रस से भीगी हुई थी. जिसे देख कर मेरे लंड और मुँह दोनों में लार आ गई थी.
मुझे चूत चाटने का भी बहुत शौक है… जैसे ही मामी की चिकनी चूत मेरे सामने इस कामुक अवस्था में आई, मैं उस पर टूट पड़ा एक प्यासे की तरह… मामी की चूत को पहले अच्छे से चाटा, फिर उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाया.
ऐसा करने में जितना आनन्द मुझे आ रहा था शायद उस से कहीं ज्यादा मामी को आ रहा था.

फिर उनकी चूत के अन्दर जीभ डालकर उनकी कामाग्नि को और भड़का दिया मैंने!
उन्होंने मेरे सर को वहीं दबा दिया और उनकी वर्षों से प्यासी चूत ने अपना सारा कामरस एक बार में बहा दिया.

फिर मैंने उनके होंठों को दोबारा चूसा और उनके बूब्स को एक बार फिर बहुत अच्छे से सहलाया जिससे उनकी कामाग्नि एक बार फिर से जल उठी और इस बार वो मेरा लंड अपनी चूत में पूरी तरह से निगल जाना चाहती थी.
मैंने भी देर न करते हुए उनकी टांगों को ऊपर हवा में उठाया और उनकी चूत की पप्पी लेते हुए अपने लंड को उनकी चूत के द्वार पर लगा दिया. एक जोर के झटके में आधा लंड अन्दर गया. कई सालों से चुदाई न होने की वजह से मामी की चूत बहुत टाइट थी, उनके मुँह से निकली चीख को अपने होंठों में दबा दिया मैंने और कुछ सेकंड रूककर दोबारा जोर से तीन चार झटके एक साथ मार कर पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया.

मैंने अब उनके चूचों को मुँह में लिया और अपने लंड को तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगा. हर झटके के साथ मामी की आहें मुझे और गर्म कर रही थी. उम्म्ह… अहह… हय… याह… की मादक सीत्कारें बहुत रोमाँचित कर रही थी.
मामी सेक्स की पुरानी खिलाड़िन है तो वो पूरा आन्नद ले रही थी इस वक़्त सेक्स का, चूत चुदाई का!

दस मिनट में हम दोनों थक गये और कब दोनों का कामरस आपस में मिला, पता ही नहीं चला दोस्तो…

कुछ पल साथ लेटे रहने के बाद जब हम खड़े हुए तो दोबारा से उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया. लंड महाराज फिर से खड़े होकर दर्शन दे रहे थे. मैंने अपना लंड निकल कर उनके हाथ में दे रखा था.
हमारे खड़े होने की पोजीशन कुछ यूँ थी कि उनका मुँह कमरे के अन्दर की तरफ था और मेरा उनके दरवाजे की तरफ. मेरा लंड उनके हाथ में था.

अचानक मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी और सामने मैंने सोनाली को दरवाजे के पास देखा, वो दरवाजे के बिल्कुल पास आ चुकी थी. मैंने झट से अपना लंड अपने लोअर के अन्दर किया और मामी को दूर किया.
मामी फट से कुछ बोलती हुई बाहर गई कि जिससे सोनाली को लगे कि हम वैसे ही कुछ काम कर रहे हो अन्दर… उन्हें नहीं पता था कि सोनाली ने कुछ देखा है.
उन्हें लगा कि मैंने वक्त रहते हम दोनों को अलग कर लिया होगा.

उस वक़्त मुझे भी अच्छे से पता नहीं था कि सोनाली ने सब कुछ देख लिया है या नहीं… पर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. वो कमरे के अन्दर आ गई. मैंने दूसरी तरफ अपना मुँह कर लिया लेकिन उसने लोअर में तानकर खड़े हुए लंड को देख लिया क्यूंकि लोअर बहुत ज्यादा उपर उठा हुआ साफ़ दिख रहा था.
वो बोली- उठ गये आप भैया?
तो मैंने कहा- हाँ!
और वो चली गई वापिस अपने रूम में.

दोस्तो, यह थी मामी की मेरी पहली चुदाई… वो पूरा सप्ताह मेरे लिए अद्भुत रोमाँच भरा रहा और मुझे असीम प्यार और सेक्स का आनन्द और अनुभव मिला.
 
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