Pados Ki Gujrati Bhabhi Ki Choot Chudai

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दोस्तो, मैं कमल राज… राजू… राजा… 28 साल का लम्बे कद का स्मार्ट पंजाबी लड़का हूँ।

बात तीन साल पुरानी है जब मैंने मुम्बई में सरकारी नौकरी शुरू की थी और एक बहुमंज़िला ईमारत में सातवीं मंज़िल पर दो बैडरूम के फ्लैट में अपने मम्मी पापा के साथ रहता था।

करीब एक महीने के बाद मेरे मम्मी पापा वापिस चंडीगढ़ चले गए, मैं रोज़ की दिनचर्या में बिजी था।

मेरे पड़ोस के फ्लैट में एक गुजराती कपल रहता था, उनसे ऐसे ही कभी बाहर आते जाते मुलाकात हाय हेलो हो जाती थी, उनका नाम था बाबू भाई पटेल, वो कपड़ों का कारोबार करता था और अक्सर वो अपने काम के सिलसिले में दूसरे शहर में टूर पर जाता रहता था।

उनकी पत्नी का नाम था सरला पटेल!
मैं उसको भाभी बुलाता था, उसकी उम्र करीब 30-31 साल की होगी, उसे देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता था।

बहुत सुंदर दूध सी गोरी और मलाई सी चिकनी 36-30-36 की फिगर वाली मदमस्त औरत थी!
और मुझे देख कर उसकी मुस्कान… हाय… दिल पर चाकू चल जाते थे!

पर मैं बस देख कर ही खुश हो जाता था क्योंकि कर तो कुछ नहीं सकता था।
हाँ, उनसे दोस्ती करने की सोच जरूर सकता था।

करीब दो महीने ऐसे ही हाय-हेलो और देख कर मज़ा लेने में निकल गए।

एक दिन जब मैं शाम को ऑफिस से वापिस आया तो उसी समय बाबू भाई और सरला जी लिफ्ट में मिल गए।

मैंने तपाक से मुस्करा कर नमस्ते की और सरला जी ने भी अपनी मुस्कान बिखरते हुए नमस्कार का जवाब दिया और बोली- लगता है आपके मम्मी पापा चले गए हैं और आप अकेले रहते हैं।
‘जी भाभी जी, बस आज कर बिल्कुल अकेला हूँ, परंतु ऑफिस में और घर में इतना बिजी रहता हूँ, टाइम ही नहीं मिलता!’

इस पर बाबु भाई बोले- चलो, आज हमारे साथ चाय हो जाए!

लो अंधे को क्या चाहिए दो आँखें… मैंने नखरा दिखाते हुए कहा- आपको फालतू में तकलीफ होगी!
‘लो इसमें तकलीफ कैसी.. आखिर आप पड़ोसी हैं.. इसी बहाने आपसे जान पहचान हो जाएगी।’ सरला भाभी ने मुस्कारते हुए जोर देकर कहा।

मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी और मैं उनके साथ उनके फ्लैट में चला गया।

फ्लैट बहुत सुंदर था, सरला भाभी चाय बनाने रसोई में खड़ी थी। चूंकि रसोई खुली थी इसलिए मैं उनको यहाँ से देख सकता था।
वो भी किचन से बार-बार झांक कर हमारी बातों में हिस्सा ले रही थी।

बाबू भाई पूछ रहे थे ‘कहाँ काम करता हूँ… क्या काम करता हूँ… ऑफिस कहाँ है’ आदि..
मैं उनकी बातों का जवाब देते हुए सरला भाभी के मस्त चूतड़ ताड़ रहा था।

थोड़ी देर में सरला भाभी चाय लेकर आ गई और मुझे चाय देते हुए अपनी मस्त गदराई जवानी के जो दर्शन कराए।

उह्ह… अपना लौड़ा तो पैंट के अंदर टाइट होने लगा।
सरला जी ने शायद महसूस कर लिया और मेरी तरफ देख कर मुस्करा दी।

चाय की चुस्की लेते हुए मेरा ध्यान उनकी ब्लाउज में उन्नत तनी हुई चूची… नीची साड़ी में नंगी पतली गोरी चिकनी कमर… चपटे पेट और नाभि पर लगा था।

मुझे लगा कि थोड़ी देर में ही सरला जी मेरी अपने में दिलचस्पी हो समझ गई।
परन्तु जिस तरह से वो अपनी मस्त गदराई गोरी चिकनी जवानी को दिखा रही थी, उनकी दिलचस्पी मुझसे ज्यादा लग रही थी।

बस अपना तो उनसे दोस्ती करने का काम बन गया।
 
थोड़ी देर बाद चाय पीकर मैं बहाना बना कर वहाँ से उठ कर आ गया और दिल ही दिल सरल जी से मिलने के तरीके सोचने लगा।

अगले दिन मैं ऑफिस से थोड़ा जल्दी वापिस आ गया।
फ्रेश हो कर पजामा कुरता पहन सरला जी के फ्लैट की घंटी बजा दी।

सरला जी ने दरवाज़ा खोला और मुझे देख कर मुस्करा कर बोली- ओह कमल जी, आप… अंदर आओ ना बाहर क्यों खड़े हो!
‘नहीं भाभी जी, बस थोड़ा सा दूध चाहिए चाय बनाने के लिए…’ मैंने साड़ी से झाँकती उनकी सुन्दर जवानी का मज़ा लेते हुए कहा।

‘अरे छोड़ो… आप कहाँ चाय बनाओगे.. अंदर आओ, मैं आपको चाय पिलाती हूँ।’ सरला के चहेरे पर एक बदमाशी वाली मुस्कान थी।

मैं अंदर चला गया, भाभी ने दरवाज़ा बंद कर दिया और पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देख कर हँस पड़ी।

‘क्यों भाभी? ऐसे क्यों हँस रही हैं?’
‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही… मुझे मालूम था कि तू जरूर आयेगा… पर इतनी जल्दी… यह नहीं मालूम था।’ सरला और जोर से हँसने लगी।
मैं भी हँस पड़ा- क्यों भाभी जी, आपको कैसे पता था?
‘तेरी बदमाश निगाहों से कल ही पता चल गया था।’ भाभी ने किचन में जाते हुए बोला- कमल, तेरी निगाहें बहुत जालिम हैं, सारे बदन में आग लगा देती हैं।

उसके होटों पर प्यार भरी शरारती मुस्कान थी।

‘देख भाभी, अगर मैं घूर कर तेरे बदन में आग लगा रहा था तो तू भी तो इतने प्यार से अपनी यह मस्त गदराई गोरी गोरी चिकनी चिकनी जवानी दिखा कर मुझे पागल कर रही थी।’
सरला की तू सुन कर मैं भी आप से तू पर आ गया और किचन में उसके सामने खड़ा उसकी बदमाशी वाली मुस्कान का और जिस्म की नुमायश का खुले आम मज़ा लेने लगा।

साड़ी का पल्लू दोनों चोटियों के बीच घाटी में था, साड़ी और भी नीची हो गई थी, ब्लाउज गहरा था, उसकी रेशमी चूची बाहर आने को बेचैन थी।
‘हाय राम… कमल सच में तुझ भी मुझे देख कर मज़ा आ रहा था!’
‘सच तो यह है भाभी कि तेरी दिखाने की अदा में ज्यादा मज़ा रहा था जैसा अभी आ रहा है। क्या मक्खन सा सुंदर चिकना चिकना बदन है… उफ़्फ़ मन कर रहा है कि जरा सा छूकर, जरा सा चख कर देख लूँ।’

हाय राम तू तो बहुत बड़ा खिलाडी लगता है एकदम से आखो और बातो से हाथो पर भी पहुच गया

भाभी- तू भी कम खिलाड़ी नहीं है।

‘तू ही मुझे अपना माल दिखा दिखा कर कह रही है कि आ… आ… मुझे छूकर, चख कर देख ले!’ मैंने धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर उसकी बलखाती गोरी चिकनी कमर पर रख दिया।

सरला अपना होंठ दांतों में दबा कर सिस्कार उठी- सीई.. अहह… ई.. बहुत… गर्म है.. यार तू तो…
उसके सेक्सी गर्म जिस्म में कम्पन होने लगी।

सरला ने मेरे हाथ में चाय का मग थमा दिया और खुद अपना मग लेकर मेरे सामने खड़ी थी।
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे पाजामे में बने तम्बू में खड़े लंड को पकड़ लिया- हाय कमल, तेरा माल तो बहुत जोरदार मोटा तगड़ा लग रहा है।

‘माल तो तेरा भी कम नहीं है भाभी!’ मैंने उसके ब्लाउज ऊपर से चूची दबाते हुए कहा।
‘हाय… हाय… मत कर कमल राजा… मैं अपने को कण्ट्रोल नहीं कर सकूँगी!’

‘तो कौन कह रहा है कंट्रोल करने के लिए भाभी… अपना भी कंट्रोल के बाहर हो रहा है। भाभी, एक बात बता, तुझे इस तरह अपनी जवानी दिखा कर क्या मज़ा मिलता है? मैंने उसकी कमर सहलाते हुए पूछा।

हाय… सच कमल राजा, बहुत मज़ा आता है… तूने तो बाबू को देखा है… मुझे नंगी देख कर खूब गर्म होता है पर कर कुछ नहीं पाता… अब मेरे जैसी गर्म औरत क्या करे… कुछ तो अपनी गर्मी उतारने के लिए करना ही पड़ेगा ना! बस तेरे जैसे गबरू मस्त जवान को देख कर दिल मचल गया और तुझे अपनी गदराई जवानी दिखा कर और तेरी बदमाश आँखों में मस्ती देख कर बहुत मज़ा आ रहा है। तेरी तो बहुत सारी गर्लफ्रेंड होगी?’ सरला मेरी आँखों में देखते हुए प्यार से लंड सहला रही थी और अपनी चिकनी कमर पर मेरे हाथ की गर्मी का मज़ा ले रही थी।
 
‘यहाँ अभी तो नहीं है पर जल्दी ही बन जायगी.. वहाँ चड़ीगढ़ में थी एक, जब मैं कॉलेज में था… दूसरी जब मैं नौकरी कर रहा था… साली रोज़ आती थी करवाने के लिए!’

‘हाय राम सच्ची… कमल, क्या करवाने आती थी?’ सरल जोर से हँस कर बोली।

‘अच्छा तो तुझे इस तरह की बातों में भी मज़ा आता है… ठीक है, मुझे भी बहुत शौक है… वो अपनी चूत में मेरा लंड घुस कर चुदाई करवाने आती थी… क्यों अब खुश है भाभी? पर आज बाबू कहाँ है? अब मुझे चलना चाहिए!’

मेरी बात सुनकर सरला जोर से हँस पड़ी- क्यों, अब बाबू की याद आई तो फट गई? वो शहर के बाहर गया है, रात को देर से आयेगा।

‘ले भाभी, इसमें हँसने की क्या बात है? तेरी नहीं फटेगी अगर बाबू आ जाता तो? चल बाहर ड्राइंग रूम में चलते हैं, वहाँ आराम से बैठ कर प्यार का मज़ा लेंगे।’

दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाल कर ड्राइंग रूम में आ गए और सोफ़े पर बैठ गये।
मैंने सरला की कमर पकड़ कर अपने पास खींच लिया और उसके होंटों पर चूम लिया।

‘भाभी, तेरे दिल में भी प्यार की चाहत है और मुझे भी तेरी मस्त गदराई जवानी से खेलना का मन है। हम आराम से एक दूसरे की जरूरत पूरी कर सकते हैं।’

‘वाह मेरे कमल राजा, तुझे मेरे दिल की बात कैसे पता चल गई? यही तो मैं भी चाहती हूँ। और कल से अपना माल दिखा कर चिल्ला चिल्ला कर बोल रही हूँ।’

‘आ जा मेरे चोदू राजा, उठा कर जमीन पर पटक दे और ठोक दे अपना मोटा तगड़ा किल्ला मेरी तड़फती मचलती फड़कती चूत में! और इतनी जोर से चोद डाल की जमीन से उठने के काबिल ही न रहूँ!’

भाभी की चूत चुदाई कहानी जारी रहेगी!
 
Pados Ki Gujrati Bhabhi Ki Choot Chudai Kahani- Part 2

सरला भाभी मुझे चुदासी आवाज में कह रही थी- आ मेरे चोदू, ठोक दे अपना मोटा लंड मेरी मचलती चूत में! इतनी जोर से मुझे चोद कि उठने के काबिल न रहूँ!

भाभी की चुदाई की यह ललकार सुन कर मैं ख़ुशी से उछल कर उसके सामने जमीन पर घुटनों पर बैठ गया, मैंने दोनों हाथ से उसका ब्लाउज और ब्रा खोल डाली और मस्त गोरी गोल-गोल चूची मसल कर चूसने लगा।

भाभी ने भी मेरा पजामा नीचे खिसका कर मेरा 7 इञ्च का लंड अपने हाथ में थाम लिया और मस्ती में सिसकारने लगी- हाय… राजा… ..हां… हां चूस डाल सारा जवानी का रस!

मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश में आकर उनकी रसीली चूचियों से जम कर खेलने लगा।
क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ थीं.. कसी हुई चूचियाँ और लम्बे लम्बे कड़े निप्पल.. भाभी को भी मुझसे अपनी चूचियों की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था।

मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था, मेरा 7″ का लंड पूरे जोश में आ गया था।

भाभी की चूचियों को मसलते मसलते मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था।
‘बाप रे.. बहुत कड़क है..!’ भाभी ने कहा।

सरला भाभी भी पूरे जोश में थी, उसने अपनी साड़ी खींच पेटीकोट का नाड़ा खींचा और एक ही झटके में अपनी पैंटी के साथ तीनों चीजें साड़ी पेटीकोट और पैंटी अपने मस्त चूतड़ उठाकर निकाल दिए।

अब वो नीचे नंगी थी।
मैं भी अपना कुरता और पजामा निकाल कर नंगा हो गया और भाभी की चूची मसलते हुए उनकी कमर पेट नाभि और जांघों पर चूमने चाटने लगा।

भाभी अपनी जांघें खोल कर अपनी गोरी चिकनी फूली फूली चूत उठाने लगी।
‘वाह भाभी, तेरी चूत बहुत सुंदर है।’ मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, चूत एकदम गीली हो गई थी, रस बह रहा था, बहुत गर्म हो रही थी।

मैंने अंगूठे से उसका दाना रगड़ दिया, भाभी मस्ती में उछल पड़ी- हाय… सीई… उफ़ मार ही डालेगा राजा… उफ़ हां.. राजा… हां रगड़ दे! भाभी अपने चूतड़ हिला हिला कर सिसकार कर अपनी मस्ती और चुदास का मज़ा ले रही थी।

मैं उसको कमर पेट नाभि पर चूस कर और चूची मसल कर चुदास की चरम पर पहुँचा रहा था, इधर भाभी मेरे लंड को हाथ से हिला कर और अपनी गर्म चिकनी जांघ से रगड़ कर पत्थर की तरह कठोर कर दिया था।

चूत में अब दो उंगली घुसा कर आगे पीछे करने से चूत से रस बाहर आने लगा। सरला की मस्त चुदासी जवानी झड़ने को तैयार थी।

भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया- हाय राजा, अब रुक जा, नहीं तो सब ऐसे ही निकल जायेगा, मुझे तो तेरे मस्त लंड से अपनी चूत का पानी निकालना है। अब तो बस पटक दे और घुसा दे अपना मूसल मेरी चूत में!

मैंने सरला भाभी को चूमते हुए उसकी जांघें पकड़ कर नीचे कालीन पर खींच लिया और एक कुशन उसके सर के नीचे और दूसरा उसके चूतड़ के नीचे लगा दिया।
फूली फूली गोरी चिकनी बिना बाल की मोटे मोटे गीले होंठों वाली चूत ऊपर उठ कर मेरी तरफ देख रही थी जैसे कह रही हो- आ जा.. घुसा कर ले ले इस चुदासी चूत का मज़ा!

भाभी अपनी जांघें दूर तक खोल कर लेट गई और मस्ती चुदासी आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी- हां …हां.. राजा बस… अब पेल दे अपना लंड… उफ़ बहुत आग लगी है राजा…
 
मैं उसकी टांगों के बीच में अपने घुटनो पर बैठ गया और अपना मोटा टोपा उसकी चूत के होंटों के बीच खड़े दाने पर रगड़ कर गीला करने लगा।

सरला चुदास से मचल गई- हाई… उह्ह.. अब क्यों इतना तड़फा रहा है जालिम.. घुसा दे ना जल्दी से…
‘अभी रुक ना भाभी… जरा लंड को अपनी जवानी के रस का स्वाद तो चखने दे…!’

मुझे मालूम था कि ऐसी चुदासी औरत को क्या पसंद है, मैंने अपने टोपे को गीला करके थोड़ा सा अंदर घुस कर दो तीन बार अंदर बाहर कर उसके रस में पूरी तरह गीला कर लिया, उसकी चूत से रस बह रहा था।

अपने दोनों हाथ उसके सर के ऊपर बांध कर एक जोरदार धक्का लगा दिया।
सरला भाभी तड़फ उठी… टाँगें अपने आप मुड़ कर पीछे हो गई और अकड़ कर अपनी कमर उठा कर चिल्ला पड़ी- हाय… उह्ह… ई… ई… सी… मार डाला राजा… उफ़ ठोक डाला अपना मूसल… उफ़ राजा.. अपनी जवानी तो बस रस छोड़ने वाली है… हां… हां लगा दे झटका.. मार दे!

मैंने लंड को फिर से खींचा और दोबारा ठोक दिया… सरला मस्ती में मचल उठी-… हां… हां… हां राजा! हां… गई… गई.. निकल गया!
सरला की चूत की मलाई ने चूत को भर दिया और चप चप करने लगी।

मैं पूरा लंड अंदर घुसा कर उसके ऊपर लेट गया, भाभी ने अपनी दोनों टाँगें और बाहें मेरी कमर पर लपेट ली और प्यार से मेरी कमर सहलाते हुए बोली- वाह… राजा… क्या जोरदार ठोका अपना लंड… दो ही झटकों में साली चुदासी चूत की टैं बोल गई। तू तो बहुत ज़बरदस्त चोदू है राजा! मज़ा आ गया… आज तक इतना जल्दी और इतना ज्यादा कभी नहीं निकला… अब फिर से चालू हो जा मेरे चोदू राजा और पिला दे अपनी जवानी का रस इस चुदासी चूत को!
उसने मेरे होंटों को चूस लिया।

‘अभी ऐसी क्या जल्दी है भाभी… पर तू इतनी जल्दी कैसे झड़ गई? मुझे लगा था कि तुझमें बहुत जोर है और मुझे बहुत दम लगाना पड़ेगा तेरा माल निकालने के लिए!’

मैंने अपने चूतड़ उठा कर एक बार धीरे से लंड को अंदर बाहर किया। सरला सिसकार उठी- हाय मेरे चोदू… इतनी मस्त चुदाई कर डाली… तो मेरा गर्म जवानी का रस तो निकलना ही था… पर हां, अब चोद ले जितना चाहे… अब इतनी जल्दी नहीं निकलेगा।

मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा, उसने कमर हिलानी शुरू कर दी।
भाभी मुझसे बोलीं- राजा शुरू कर.. चोद मुझे… ले ले मज़ा जवानी का.. मेरे राज्ज्ज्जा..
वो मस्ती में अपनी गाण्ड हिलाने लगीं।

मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।
फिर भाभी ने रफ़्तार बढ़ा कर चुदाई करने को कहा। मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अन्दर-बाहर करने लगा।

भाभी को पूरी मस्ती आ रही थीं और वो नीचे से कमर उठा-उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगीं- हाय मेरे राजा… उफ़.. सी… ई… बहुत मज़ा आ रहा है… लंड घुसा के चोद ना… आधे लंड से मेरा काम नहीं चलेगा! नहीं तो मैं ऊपर आ कर तेरे घोड़े पर सवारी करुँगी।
सरला मस्ती में उछल रही थी।

‘तो ऊपर आने से कौन रोक रहा है भाभी? चढ़ कर ले ले मज़ा!’
आख़िर भाभी से रहा नहीं गया और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित्त लेटा कर मेरे ऊपर चढ़ गईं..
अपनी जाँघों को फैला कर अपने गद्देदार चूतड़ों को मेरे लौड़े के ऊपर रख कर बैठ गईं।
 
अब उनकी चूत मेरे लंड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं।
और उन्होंने मेरे ऊपर लेट कर धक्का लगाया… मेरा लंड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया।
भाभी ने मज़े से कमर हिला-हिला कर शॉट लगाना शुरू किया।
भाभी की चूचियाँ तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।

जब भाभी थक गई तो बोलीं- मैं थक गई.. मेरे राजा.. अब तुम संभालो!
मैंने एकदम उनकी जाँघों में बैठ कर निशाना लगा कर झटके से लंड अन्दर डाल दिया और भाभी के ऊपर लेट भाभी की चूत में धक्के लगाने लगा।

भाभी ने मुझे जकड़ लिया और चूतड़ उठा उठा कर चुदाई में साथ देने लगी।
भाभी की चूची मसलते हुए मैं दनादन झटके लगा रहा था।

कमरा चुदाई की आवाज़ से भरा था- आह.. अहह उह ऊह ऊहह हाँ.. मेरे राजा.. हाआं मेरे राज्जा.. मर गई.. रे.. चोद… मेरी चूत फट.. गई रे.. आज..

भाभी चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लन्ड को अपनी चूत में ले रही थी, मैं भी पूरे जोश से चूची को मसल मसल कर मस्त भाभी को चोद रहा था- ये ले मेरी रानी.. यह लंड तेरे लिए ही है…

‘देख राजा.. मेरी चूत तेरे लंड की दीवानी हो गई.. और जोर से.. और जोर से.. आआईई मेरे राज्ज्ज्जा… मैं गई रीई..’
कहते हुए मेरी भाभी ने मुझे कसके बाँहों में जकड़ा और उनकी चूत ने रज छोड़ दिया।
अब मैं भी पानी छोड़ने को था, मैं बोला- मैं भी गया.. मेरी भाभी जान..

और मैं भी भाभी की चूत में पानी छोड़ कर हाँफते हुए उनकी चूचियों पर सिर रख कर कस कर चिपक कर लेट गया।

‘भाभी कमाल है तेरी मस्त चुदासी जवानी, क्या चुदक्कड़ है, तूने मेरे ऊपर चढ़ कर क्या चुदाई की, मज़ा आ गया!
हां मेरे राजा, वो तो मैं हूँ.. बाबू भी यही कहता है कि मैं बहुत चुदक्कड़ हूँ और हर वक्त मेरी चूत में आग लगी रहती है। पर इस चुदास में तुझे भी खूब मज़ा आया… क्यों है ना राजा?’ सरला ने उठते हुए मुझे चूम लिया और अपनी चूत पर हाथ रख कर अपने बैडरूम में बाथरूम में चली गई।

मैं भी नंगा ही उठ कर उसके पीछे बाथरूम में आ गया- यह क्या भाभी… मुझे अकेला छोड़ कर यहाँ क्या कर रही है?
‘हाय राम… साला चोदू सांड… अब क्या मूतने में भी तुझे साथ लाना पड़ेगा? चल तू भी अपने इस मस्त लंड को धोकर साफ कर ले। मैं भी तेरे रस से भरी चूत की सफाई कर रही थी।’

सरला भाभी मूत कर उठकर अपनी चूत को पानी डाल कर साफ करने लगी।

मैं हँस पड़ा- मैं क्यों साफ करूं? तूने गन्दा किया है, अब तू ही इसकी सफाई कर.. मैंने उसे पीछे से पाकर कर गर्दन पर चूम लिया और लटके हुए लंड को उसकी कमर और चूतड़ पर रगड़ने लगा, हाथ आगे लेकर चूची मसल रहा था।

‘राजा, अब तो छोड़ दे.. इतना मसला है… देख कितनी बड़ी कर डाली मेरी चूची…’ उसने मुस्कुराते हुए गर्दन घुमा कर मुझे चूम लिया- राजा, आज तूने इतनी मस्त चुदाई की… मैं तो तेरी गुलाम हो गई.. अब तो यह सब माल तेरा है, जैसे चाहे, जब चाहे मसल दे, चूस ले।

‘हाय भाभी, ऐसा क्यों कहती हैं? गुलाम तो मैं हो गया हूँ आपका.. अब तो जब तू कहेगी। जहाँ तू कहेगी, इसी तरह प्यार का मज़ा लेगें।’

उस दिन के बाद सच में हम दोनों ही एक दूसरे के गुलाम हो गए थे और जब भी मौका मिलता उसके फ्लैट में या मेरे फ्लैट में खूब जम कर चुदाई का मज़ा लूटते थे।

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