नमस्ते दोस्तो.. मैं सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ, मेरा नाम दीपक है, घर पर सब मुझे प्यार से दीप कह कर बुलाते हैं।
मेरी उम्र 23 साल है।
मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं बहुत हैण्डसम हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है और मेरा लंड भी औसत से काफी लम्बा और मोटा है। मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। यह मेरी पहली कहानी है।
मैं और मेरा परिवार एक किराए के मकान में रहते हैं।
इस मकान के ग्राउंड फ्लोर पर हम लोग और ऊपर मकान मलिक का परिवार रहता है।
मकान मालिक के गाँव में रहने लगने के कारण उसका और बहू घर में अकेले ही रहते थे।
मकान मालिक का एक ही लड़का है। उसकी शादी एक साल पहले हुई है।
उसकी बीवी संगीता.. हाय.. क्या माल थी.. एकदम दूध सी गोरी और बहुत ही मस्त आइटम। उसका फिगर कोई एक बार भी देखे.. तो तुरंत ही उसका लंड खड़ा हो जाए। उसके 36 साइज़ के मम्मे थे।
वो शुरुआत में तो मेरे साथ बात नहीं करती थी.. पर वो शादी के 2 महीने बाद मेरी अच्छी दोस्त बन गई। अब हमारे बीच काफ़ी मज़ाक चलने लगा था। वो सुबह कपड़े धोने के लिए नीचे आती थी और मैं हर रोज उसके साथ लाइन मारता था।
गर्मी का मौसम था तो मैं अकेला ही छत पर सोने के लिए जाता था।
एक रात को मुझे ‘पीपी’ लगी तो मैं नीचे आया। नीचे आते ही पहले माले पर मुझे कोई के रोने जैसी आवाज़ आई।
मैंने गौर किया तो वो संगीता भाभी की आवाज़ थी। उसका कमरा बन्द था.. तो मैंने नजदीक जाकर ध्यान से उसकी आवाज़ सुनी।
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैं चला गया और पीपी करके सो गया।
दूसरे दिन रविवार था.. मेरे मॉम-डैड गाँव जा रहे थे, मुझे भी उनके साथ जाना था पर ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली थी।
मैं घर में ही रह गया।
हालांकि मुझे तो यही चाहिए था। कितने दिनों से भाभी के ऊपर मेरा दिल आया हुआ था।
मैं सुबह मॉम-डैड को ट्रेन पर छोड़ कर आया और उस दिन सुबह मैंने बाहर ही नाश्ता किया और घर आकर सो गया।
जब किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मैं उठा, देखा तो संगीता भाभी थी।
मैं अभी भी नाइट ड्रेस में ही था। जब दरवाजा खोला तो मेरा लंड बहुत टाइट था।
संगीता भाभी ने सीधे ही नीचे लौड़े की तरफ ही देखा.. तो वो हँसने लगीं।
ओह माय गॉड.. मैं शर्मा गया।
उसने कहा- दोपहर को मेरे घर ही खाना।
मैंने मना किया.. पर उसने ज़िद की, तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया।
मैं नहा कर फ्री हुआ तो उस वक्त तक 12 बज गए थे। उसने खाने के लिए ऊपर बुलाया.. मैं ऊपर चला गया।
हम दोनों ने खाना खाया।
मैंने पूछा- आपके हज़्बेंड कहाँ गए?
तो उसने बोला- उनको ऑफ़िस में काम था तो आज इतवार को भी टिफिन लेकर ऑफिस गए हैं।
मैंने तो मन ही मन प्लानिंग कर ली कि आजकुछ तो करना ही है।
थोड़ी देर बाद मैंने नाटक किया- मैं अब जाऊँ?
तो उसने बोला- जल्दी क्या है.. इधर ही बैठ ना.. तेरे यहाँ टीवी तो है नहीं.. तू इधर टीवी देख!
मैं टीवी देखने लगा तो वो भी मेरे बगल में बैठ कर टीवी देखने लगी। ग़लती से उसके हाथ ने मेरे लंड को छू लिया। मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने देखा कि वो चुपके से मुझे देख रही थी।
मेरी उम्र 23 साल है।
मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं बहुत हैण्डसम हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है और मेरा लंड भी औसत से काफी लम्बा और मोटा है। मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। यह मेरी पहली कहानी है।
मैं और मेरा परिवार एक किराए के मकान में रहते हैं।
इस मकान के ग्राउंड फ्लोर पर हम लोग और ऊपर मकान मलिक का परिवार रहता है।
मकान मालिक के गाँव में रहने लगने के कारण उसका और बहू घर में अकेले ही रहते थे।
मकान मालिक का एक ही लड़का है। उसकी शादी एक साल पहले हुई है।
उसकी बीवी संगीता.. हाय.. क्या माल थी.. एकदम दूध सी गोरी और बहुत ही मस्त आइटम। उसका फिगर कोई एक बार भी देखे.. तो तुरंत ही उसका लंड खड़ा हो जाए। उसके 36 साइज़ के मम्मे थे।
वो शुरुआत में तो मेरे साथ बात नहीं करती थी.. पर वो शादी के 2 महीने बाद मेरी अच्छी दोस्त बन गई। अब हमारे बीच काफ़ी मज़ाक चलने लगा था। वो सुबह कपड़े धोने के लिए नीचे आती थी और मैं हर रोज उसके साथ लाइन मारता था।
गर्मी का मौसम था तो मैं अकेला ही छत पर सोने के लिए जाता था।
एक रात को मुझे ‘पीपी’ लगी तो मैं नीचे आया। नीचे आते ही पहले माले पर मुझे कोई के रोने जैसी आवाज़ आई।
मैंने गौर किया तो वो संगीता भाभी की आवाज़ थी। उसका कमरा बन्द था.. तो मैंने नजदीक जाकर ध्यान से उसकी आवाज़ सुनी।
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैं चला गया और पीपी करके सो गया।
दूसरे दिन रविवार था.. मेरे मॉम-डैड गाँव जा रहे थे, मुझे भी उनके साथ जाना था पर ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली थी।
मैं घर में ही रह गया।
हालांकि मुझे तो यही चाहिए था। कितने दिनों से भाभी के ऊपर मेरा दिल आया हुआ था।
मैं सुबह मॉम-डैड को ट्रेन पर छोड़ कर आया और उस दिन सुबह मैंने बाहर ही नाश्ता किया और घर आकर सो गया।
जब किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मैं उठा, देखा तो संगीता भाभी थी।
मैं अभी भी नाइट ड्रेस में ही था। जब दरवाजा खोला तो मेरा लंड बहुत टाइट था।
संगीता भाभी ने सीधे ही नीचे लौड़े की तरफ ही देखा.. तो वो हँसने लगीं।
ओह माय गॉड.. मैं शर्मा गया।
उसने कहा- दोपहर को मेरे घर ही खाना।
मैंने मना किया.. पर उसने ज़िद की, तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया।
मैं नहा कर फ्री हुआ तो उस वक्त तक 12 बज गए थे। उसने खाने के लिए ऊपर बुलाया.. मैं ऊपर चला गया।
हम दोनों ने खाना खाया।
मैंने पूछा- आपके हज़्बेंड कहाँ गए?
तो उसने बोला- उनको ऑफ़िस में काम था तो आज इतवार को भी टिफिन लेकर ऑफिस गए हैं।
मैंने तो मन ही मन प्लानिंग कर ली कि आजकुछ तो करना ही है।
थोड़ी देर बाद मैंने नाटक किया- मैं अब जाऊँ?
तो उसने बोला- जल्दी क्या है.. इधर ही बैठ ना.. तेरे यहाँ टीवी तो है नहीं.. तू इधर टीवी देख!
मैं टीवी देखने लगा तो वो भी मेरे बगल में बैठ कर टीवी देखने लगी। ग़लती से उसके हाथ ने मेरे लंड को छू लिया। मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने देखा कि वो चुपके से मुझे देख रही थी।