अब तक आपने पढ़ा..
मेरे पड़ोस में रहने वाली दीदी मुझे अपने बाजू में बिठा कर मेरे साथ अठखेलियाँ कर रही थीं।
तभी वो मेरा खड़ा लंड देख कर गुस्सा हो गईं।
अब आगे..
मैं- नहीं दीदी.. मैंने जानबूझ कर नहीं किया.. यह अपने आप ही हो जाता है।
दीदी- ऐसे-कैसे अपने आप हो जाता है? जरूर आपने ही किया होगा।
मैं- नहीं दीदी सच में.. मैं तो आपके बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता हूँ।
उस वक़्त मेरा गला पूरा सूख चुका था।
दीदी- अच्छा, मेरे बेटे का मेरे लिए खड़ा भी होता है।
इतने में उन्होंने अपना राईट हैंड मेरे लंड पर रख दिया और हल्के से उसे पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगीं।
मेरी तो जैसे सारी दुनिया ही बदल गई कि ये क्या हो रहा है।
मैं- दीदी ये सब ठीक नहीं।
दीदी- मुझसे क्यों शर्माते हो, बड़ी हूँ मैं आपसे।
मैं- पर दीदी अगर किसी को पता चला तो बहुत पिटाई होगी।
दीदी- अपने बेटे को मैं क्यों पिटने दूँगी और मैं किसी को क्या बताऊँगी? पर पहले मुझे अपने बेटे का लंड देखना है देखूँ तो सही.. किसने मेरे सामने सिर उठाया है।
उनके इस बिंदास अंदाज पर मैं कुछ नहीं बोला और ना ही अपनी पैन्ट खोली।
मैं- दीदी नहीं मुझे कुछ भी नहीं करना।
इतने में दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और पैन्ट नीचे कर दी।
अब वो मेरी चड्डी सरका कर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए थीं और बड़े ही गौर से उसे देख रही थीं।
मैं दीदी के चश्मे में से उनकी उस काली आँखों में चमक देख सकता था।
दीदी- तेरा तो बहुत अच्छा है, दीदी से क्यों छुपा कर रखता है इसे?
इतने में उन्होंने एक किस बिल्कुल मेरे लंड के मुँह पर कर दिया, जिससे मेरे लंड से एक-दो बूँदें बाहर को आने लगीं..
रस देख कर दीदी हंसने लगीं।
दीदी- आप कुछ और कहते हो.. और आपका लंड तो कुछ और ही बोल रहा है।
मैं चुप रहा और इधर-उधर देखने लगा जैसे मेरा इन चीजों में कोई इंटरेस्ट ना हो।
दीदी ने इतने में एक और किस किया। मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा। उन्होंने मुझे एक आँख मारी और सारा का सारा मेरा लंड मुँह में डाल लिया।
मैं तो जैसे नशे के सातवें आसमान पर था।
यह मेरा पहली बार था.. इसलिए मैं एक-दो मिनट से ज्यादा न टिक सका और दीदी के मुँह में ही निकल गया।
दीदी ने अब मेरा लंड मुँह से निकाला और मेरा पानी भी बाहर थूका।
दीदी- बता तो देता कि छूटने वाला है.. अपनी दीदी के मुँह में पानी गिराना अच्छा लगता है?
मैं- नहीं दीदी वो बस मजा आ रहा था और मैं आपको रोकना नहीं चाहता था। दीदी अभी मेरा हो गया.. अभी और मन नहीं कर रहा.. मुझे जाना है।
दीदी के मन में पता नहीं क्या आया और मेरा मुरझाया हुआ लंड उन्होंने फिर से मुँह में ले लिया। थोड़ी मेहनत के बाद उसमें फिर से जान आ गई।
दीदी- अभी तो नहीं न जाने का मन कर रहा?
मैं- नहीं दीदी।
दीदी- तो फिर मुझे खुश नहीं करेगा क्या?
उनके इतना कहते ही मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया मैं उनके पिंक टॉप के ऊपर से ही उनके मम्मों पर खूब सारे किस करने लगा।
दीदी- ऊपर से ही करेगा.. या कुछ उतारेगा भी?
मेरे पड़ोस में रहने वाली दीदी मुझे अपने बाजू में बिठा कर मेरे साथ अठखेलियाँ कर रही थीं।
तभी वो मेरा खड़ा लंड देख कर गुस्सा हो गईं।
अब आगे..
मैं- नहीं दीदी.. मैंने जानबूझ कर नहीं किया.. यह अपने आप ही हो जाता है।
दीदी- ऐसे-कैसे अपने आप हो जाता है? जरूर आपने ही किया होगा।
मैं- नहीं दीदी सच में.. मैं तो आपके बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता हूँ।
उस वक़्त मेरा गला पूरा सूख चुका था।
दीदी- अच्छा, मेरे बेटे का मेरे लिए खड़ा भी होता है।
इतने में उन्होंने अपना राईट हैंड मेरे लंड पर रख दिया और हल्के से उसे पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगीं।
मेरी तो जैसे सारी दुनिया ही बदल गई कि ये क्या हो रहा है।
मैं- दीदी ये सब ठीक नहीं।
दीदी- मुझसे क्यों शर्माते हो, बड़ी हूँ मैं आपसे।
मैं- पर दीदी अगर किसी को पता चला तो बहुत पिटाई होगी।
दीदी- अपने बेटे को मैं क्यों पिटने दूँगी और मैं किसी को क्या बताऊँगी? पर पहले मुझे अपने बेटे का लंड देखना है देखूँ तो सही.. किसने मेरे सामने सिर उठाया है।
उनके इस बिंदास अंदाज पर मैं कुछ नहीं बोला और ना ही अपनी पैन्ट खोली।
मैं- दीदी नहीं मुझे कुछ भी नहीं करना।
इतने में दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और पैन्ट नीचे कर दी।
अब वो मेरी चड्डी सरका कर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए थीं और बड़े ही गौर से उसे देख रही थीं।
मैं दीदी के चश्मे में से उनकी उस काली आँखों में चमक देख सकता था।
दीदी- तेरा तो बहुत अच्छा है, दीदी से क्यों छुपा कर रखता है इसे?
इतने में उन्होंने एक किस बिल्कुल मेरे लंड के मुँह पर कर दिया, जिससे मेरे लंड से एक-दो बूँदें बाहर को आने लगीं..
रस देख कर दीदी हंसने लगीं।
दीदी- आप कुछ और कहते हो.. और आपका लंड तो कुछ और ही बोल रहा है।
मैं चुप रहा और इधर-उधर देखने लगा जैसे मेरा इन चीजों में कोई इंटरेस्ट ना हो।
दीदी ने इतने में एक और किस किया। मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा। उन्होंने मुझे एक आँख मारी और सारा का सारा मेरा लंड मुँह में डाल लिया।
मैं तो जैसे नशे के सातवें आसमान पर था।
यह मेरा पहली बार था.. इसलिए मैं एक-दो मिनट से ज्यादा न टिक सका और दीदी के मुँह में ही निकल गया।
दीदी ने अब मेरा लंड मुँह से निकाला और मेरा पानी भी बाहर थूका।
दीदी- बता तो देता कि छूटने वाला है.. अपनी दीदी के मुँह में पानी गिराना अच्छा लगता है?
मैं- नहीं दीदी वो बस मजा आ रहा था और मैं आपको रोकना नहीं चाहता था। दीदी अभी मेरा हो गया.. अभी और मन नहीं कर रहा.. मुझे जाना है।
दीदी के मन में पता नहीं क्या आया और मेरा मुरझाया हुआ लंड उन्होंने फिर से मुँह में ले लिया। थोड़ी मेहनत के बाद उसमें फिर से जान आ गई।
दीदी- अभी तो नहीं न जाने का मन कर रहा?
मैं- नहीं दीदी।
दीदी- तो फिर मुझे खुश नहीं करेगा क्या?
उनके इतना कहते ही मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया मैं उनके पिंक टॉप के ऊपर से ही उनके मम्मों पर खूब सारे किस करने लगा।
दीदी- ऊपर से ही करेगा.. या कुछ उतारेगा भी?