अब तक आपने पढ़ा..
पति के दोस्त योगी से मेरी आँख लड़ गई थी और अब उसका लंड लेने के लिए मेरी चुत मचल उठी थी।
अब आगे..
रात में मुझे नींद आ नहीं रही थी, आज पति ने कुछ किया नहीं, मुझे करवटें बदलते हुए 12 बज गये.. मैं बाथरूम में गई, मैं हॉल में से गुजरी तो मुझे लगा कि योगी सोया नहीं था, वो शायद मेरा ही इन्तज़ार कर रहा था।
मैं बाथरूम जाते समय लिपस्टिक साथ ले कर गई थी, मैंने बाथरूम में जाकर लाइट जला कर दरवाजे को पहले जोर से बन्द किया.. फ़िर थोड़ा सा खोल दिया।
अब जैसा मैंने सोचा था.. बाहर थोड़ा सा झाँका तो योगी उठ गया था। पहले तो वो मेरे कमरे की तरफ़ मेरे पति को देखने गया। फ़िर वो बाथरूम की तरफ़ आने लगा।
मैंने अपना टॉप उतार दिया था और ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। फ़िर आईने में देख कर लिपस्टिक लगाई जो कि गहरी लाल रंग की थी।
फ़िर मैंने अपनी उस पेंटी को उठाया जिस पर योगी ने अपने लंड का माल लगाया था, वो हल्की गुलाबीपन वाली पेंटी थी।
जहाँ पर योगी का माल लगा था.. मैंने उस जगह पर किस करके अपने होंठों का निशान बना दिया। ये सब दरवाजे की झिरी में से योगी देख रहा था।
मेरे ग्रीन सिग्नल के बाद भी योगी आगे नहीं बढ़ा.. तो मैंने उसे अपने चूचों के खूब दर्शन करवाए। फिर वही पेंटी ले कर अपनी कैपरी में डालकर अपनी चुत पर भी रगड़ने लगी।
योगी अब भी बाहर खड़ा देख रहा था.. पर वो अन्दर नहीं आया।
मैंने अपना टॉप फ़िर से पहना और पेंटी वापिस रखकर आने लगी तो योगी वापिस अपने सोफे पर चला गया।
मैं अपने कमरे तक गई.. पर दरवाजा बन्द नहीं किया, मैंने अब फ़िर से हॉल की तरफ़ देखा तो योगी बाथरूम की तरफ़ जा रहा था। अब मैं समझ गई कि वो क्या करने वाला है।
खैर.. मैंने अपने पतिदेव को देखा कि कहीं जाग ना जाएं… वो गहरी नींद में थे।
अब मैं धीरे-धीरे फ़िर से बाथरूम के पास गई। योगी ने भी दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया था, मेरी वही लिपस्टिक वो चाट रहा था और एक हाथ से हस्तमैथुन कर रहा था।
हाए राम इतना बड़ा लंड.. जैसे कहानियों में बताया जाता है… मेरे तो मुँह और चुत दोनों में पानी आ रहा था।
योगी मुठ मारते वक्त ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ कर रहा था। योगी की हरकत देख मुझे जोश आ गया और मैं अन्दर चली गई।
जब तक वो कुछ समझ पाता, मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और घुटनों पर बैठ कर चूसने लगी।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उसके मुँह से ‘आह्ह्ह.. उम्म्.. ऊओह्ह.. की आवाज़ आ रही थी, मैं भी पूरे जोश में लंड चूस रही थी। कुछ ही देर में उसका पानी निकल गया, मैंने उसके रस को बाहर थूक कर कुल्ला किया और सीधी खड़ी होकर उससे लिपट गई।
ना वो कुछ बोला.. ना ही मैं कुछ बोली।
फ़िर जब हम दोनों को होश आया तो वो मुझे दूर करके बोला- पहले भाईसाहब को देख लो।
फ़िर वो खुद ही पतिदेव को देखने चला गया।
पतिदेव सोये हुए थे.. पर फ़िर भी ये सब करना ख़तरनाक भी था लेकिन मेरे अन्दर की आग भी तो भड़की हुई थी।
पति के दोस्त योगी से मेरी आँख लड़ गई थी और अब उसका लंड लेने के लिए मेरी चुत मचल उठी थी।
अब आगे..
रात में मुझे नींद आ नहीं रही थी, आज पति ने कुछ किया नहीं, मुझे करवटें बदलते हुए 12 बज गये.. मैं बाथरूम में गई, मैं हॉल में से गुजरी तो मुझे लगा कि योगी सोया नहीं था, वो शायद मेरा ही इन्तज़ार कर रहा था।
मैं बाथरूम जाते समय लिपस्टिक साथ ले कर गई थी, मैंने बाथरूम में जाकर लाइट जला कर दरवाजे को पहले जोर से बन्द किया.. फ़िर थोड़ा सा खोल दिया।
अब जैसा मैंने सोचा था.. बाहर थोड़ा सा झाँका तो योगी उठ गया था। पहले तो वो मेरे कमरे की तरफ़ मेरे पति को देखने गया। फ़िर वो बाथरूम की तरफ़ आने लगा।
मैंने अपना टॉप उतार दिया था और ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। फ़िर आईने में देख कर लिपस्टिक लगाई जो कि गहरी लाल रंग की थी।
फ़िर मैंने अपनी उस पेंटी को उठाया जिस पर योगी ने अपने लंड का माल लगाया था, वो हल्की गुलाबीपन वाली पेंटी थी।
जहाँ पर योगी का माल लगा था.. मैंने उस जगह पर किस करके अपने होंठों का निशान बना दिया। ये सब दरवाजे की झिरी में से योगी देख रहा था।
मेरे ग्रीन सिग्नल के बाद भी योगी आगे नहीं बढ़ा.. तो मैंने उसे अपने चूचों के खूब दर्शन करवाए। फिर वही पेंटी ले कर अपनी कैपरी में डालकर अपनी चुत पर भी रगड़ने लगी।
योगी अब भी बाहर खड़ा देख रहा था.. पर वो अन्दर नहीं आया।
मैंने अपना टॉप फ़िर से पहना और पेंटी वापिस रखकर आने लगी तो योगी वापिस अपने सोफे पर चला गया।
मैं अपने कमरे तक गई.. पर दरवाजा बन्द नहीं किया, मैंने अब फ़िर से हॉल की तरफ़ देखा तो योगी बाथरूम की तरफ़ जा रहा था। अब मैं समझ गई कि वो क्या करने वाला है।
खैर.. मैंने अपने पतिदेव को देखा कि कहीं जाग ना जाएं… वो गहरी नींद में थे।
अब मैं धीरे-धीरे फ़िर से बाथरूम के पास गई। योगी ने भी दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया था, मेरी वही लिपस्टिक वो चाट रहा था और एक हाथ से हस्तमैथुन कर रहा था।
हाए राम इतना बड़ा लंड.. जैसे कहानियों में बताया जाता है… मेरे तो मुँह और चुत दोनों में पानी आ रहा था।
योगी मुठ मारते वक्त ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ कर रहा था। योगी की हरकत देख मुझे जोश आ गया और मैं अन्दर चली गई।
जब तक वो कुछ समझ पाता, मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और घुटनों पर बैठ कर चूसने लगी।
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उसके मुँह से ‘आह्ह्ह.. उम्म्.. ऊओह्ह.. की आवाज़ आ रही थी, मैं भी पूरे जोश में लंड चूस रही थी। कुछ ही देर में उसका पानी निकल गया, मैंने उसके रस को बाहर थूक कर कुल्ला किया और सीधी खड़ी होकर उससे लिपट गई।
ना वो कुछ बोला.. ना ही मैं कुछ बोली।
फ़िर जब हम दोनों को होश आया तो वो मुझे दूर करके बोला- पहले भाईसाहब को देख लो।
फ़िर वो खुद ही पतिदेव को देखने चला गया।
पतिदेव सोये हुए थे.. पर फ़िर भी ये सब करना ख़तरनाक भी था लेकिन मेरे अन्दर की आग भी तो भड़की हुई थी।