तभी रीना रानी ने फिर पूछा- मैंने पूछा मम्मी ये सब क्या है?
सुलेखा की आँखों से आंसू टपकने लगे. चेहरा पीला पड़ गया. स्वाभाविक भी था. अपनी बेटी के सामने वह मेरा यानि रीना रानी के फूफा का लंड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई थी.
बोलती क्या?
बोलने को था ही क्या?
मेरा दावा है कि उस टाइम उसके दिल में यही ख्याल चल रहा होगा कि अब सिवाय आत्महत्या के कोई इज़्ज़त बचाने की राह नहीं है.
मुझे बेचारी सुलेखा की दशा पर तरस आ गया. रीना रानी हरामज़ादी बदमाशी कर रही थी. मैंने उसकी दोनों चुची पकड़ के उसको घसीट के अपने सामने कर दिया. तब सुलेखा की नज़र उसके नंगे जिस्म पर पड़ी, और वो बोली- रीना तू यहाँ क्या कर रही है… तेरे कपड़े कहाँ हैं?
मैंने गुर्राते हुए कहा- सुन कमीनी रांड, ये तेरी बेटी माँ की लौड़ी डेढ़ साल से मुझसे चुद रही है… इसलिए परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है… अब दोनों माँ बेटी आराम से चुदो और एक दूसरी की चुदाई का दृश्य देख के मज़ा लो… सच तो ये है तेरी चूत लेने के लिए तेरी ये बदमाश बेटी ने ही मुझ पर दबाव डाल रखा था.
सुलेखा इस घटनाक्रम से बहुत भ्रमित सी हो गई थी. उसको जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने चुपचाप से लंड फिर से मुंह में घुसा लिया और लगी चूसने…
रीना रानी कूल्हों पर दोनों हाथ टिका के बोली- हाँ हाँ आराम से चूस लौड़ा… पहले इसका लावा खा ले कुतिया फिर अपनी चूत के मज़े लगवाइयो… साली चुदक्कड़ रांड!
सुलेखा ने कोई उत्तर दिए बिना लंड चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया और मज़े से जीभ मार मार के चूसने लगी.
उधर रीना रानी उसकी छाती के नीचे घुस गई और लगी अपनी माँ की मोटी, गोल चूचियों को चूसने. साली हुमक हुमक के अपनी माँ के चूचे चूस रही थी और एक हाथ से दबा रही थी. चूचुक पर प्रहार से सुलेखा और भी उत्तेजित हो गई. अब वो तेज़ तेज़ मुंह को आगे पीछे कर रही थी.
मेरे मुंह से सीत्कार निकलने लगी, मैं आहें भरता हुआ चुसाई के आनन्द में डूब रहा था. सुलेखा के मुंह में तेज़ी से बहती हुई लार के कारण जब भी मादरचोद मुंह को आगे पीछे करती तो सुड़प्प सुड़प्प सुड़प्प की ध्वनि आती.
ऐसी आवाज़ों की वजह से पूरा कमरा एक कामोत्तेजक वातावरण से सराबोर हो गया था. रीना रानी भी कामविहल होकर हाय… हाय… हाय करती हुई सुलेखा के चूचों पे पिली पड़ी थी.
सुलेखा हरामज़ादी के चूचुक रीना रानी की चुसाई से गीले हो गए थे.
हम तीनों की बेतहाशा बढ़ती हुई चुदास को देखते हुए मैंने सुलेखा को चोद देने का निर्णय लिया, मैं बोला- सुन सुल्लू रानी चल अब तुझे चोद देता हूँ… अब कर ले अपनी बरसों की मुराद पूरी… बहुत लंड चूस लिया… अब चुदने की तैयारी कर माँ की लौड़ी!
तभी रीना रानी बीच में कूदी. अपनी माँ का चूचा मुंह से निकाल के बोली- ये सुल्लू रानी का क्या चक्कर है कमीने… मेरी माँ सुल्लू रानी कैसे हो गई?
मैंने कहा- यार रीना रानी… सुलेखा रानी बोलने में कुछ मज़ा सा नहीं आता… बहुत लम्बा सा है… इसलिए इस हरामज़ादी को मैं शार्ट में सुल्लू रानी बोला करूँगा… क्यों सुल्लू रानी सही है न? तुझे पुकारा करूँ न सुल्लू रानी?
सुल्लू रानी ने बड़े बेमन से लंड को मुंह से निकाल के कहा- राजा बाबू मैं तो तुम्हारी जागीर हूँ… तुम्हे जो अच्छा लगे वो बोलो… और हाँ मैं पहले इस तगड़े हथियार का पूरा पूरा आनन्द लेना चाहती हूँ… फिर बनूँगी तुम्हारी रखैल… इसके अमृत का स्वाद चखा दो फिर जो तुम चाहो वो करना अपनी सुल्लू रानी के साथ!
इतना बोल के रानी ने पट से लौड़ा फिर से मुंह में घुसा लिया.
मैंने सुल्लू रानी के केश जकड़ लिए और भींच के साली का मुंह अपने लौड़े की जड़ तक सटा दिया. मैंने इतना कस के उसके बल जकड़ रखे थे कि उसका मुंह हिल भी न सकता था. कुतिया के पास बस एक ही रास्ता था कि लप्प लप्प करते हुए केवल मुंह को बंद खोल करके लंड चूसे जाये.
सुल्लू रानी के गर्म और लार से तर मुंह में मैं लंड को तुनके पे तुनका देने लगा.
रीना रानी ने अपनी माँ को बोला कि मेरे अंडे हौले हौले सहलाती जाए और स्वयं फिर से माँ की चूचियों को मचल मचल के यूँ चूसने लगी जैसे कोई शिशु माँ की चूची से दूध चूसता है.
चुसाई में खूब आनन्द आ रहा था, मेरा बदन तपने लगा था. पसीने की बूंदें माथे और सीने पर छलक आई थीं.
मैंने सुल्लू रानी से कहा- आजा रानी तू भी ऊपर बिस्तर पे आजा… अपन दोनों एक दूसरे को चूसेंगे… मेरा मन हो रहा कि रानी की चूत के रस का स्वाद चखूँ… लेकिन लौड़ा मुंह से निकलना नहीं चाहिए.. समझी कुतिया?
सुल्लू रानी ने पहले तो रीना रानी को धक्का देकर हटाया, फिर धीरे से आधी उठी. कुछ मैंने हरामज़ादी के कंधे थाम के सहारा दिया तो सुल्लू रानी लंड मुंह से निकाले बिना बिस्तर पे चढ़ने में कामयाब हो गई. फिर बड़े आराम से इस बात का ध्यान रखते हुए कि लंड मुंह में ही घुसा रहे, मैंने अपने आप को सुल्लू रानी के प्रति 69 की अवस्था में जमा लिया. बद्ज़ात के चूतड़ जकड़ लिए और उसकी तेज़ी से रिसरिसाती हुई चूत से होंठ सटा दिए.
सुल्लू रानी ने एक ज़ोर की झुरझुरी ली और ढेर सा चूतरस मेरे मुंह में आ गया. उसे इतना अधिक आनन्द आया कि बहनचोद मुंह लगाते ही स्खलित हो गई. चूत में जीभ घुमा घुमा के मैंने सारा जूस पी लिया.
रानी का दारू से भी ज़्यादा नशीला और ज़ायकेदार चूतरस पीकर मेरी हवस यूँ भड़क उठी जैसे सुलगती आग में कोई तेल झोंक दे.
झट से तर्जनी खूब लार से गीली करके मैंने पूरी उंगली सुल्लू रानी की गांड में घुसेड़ दी. रानी ने चिहुँक के ज़ोर ज़ोर से नितम्ब इधर उधर डुलाये और लंड से भरे मुंह से घूंघूंघूंघूंघूंघूं की आवाज़ निकाली. चूत ने फिर से ढेर सा जूस छोड़ दिया.
मेरा मुंह रानी के चूतरस से भीग चुका था. मैंने एक हुंकारा भरते हुए जीभ की नोक बनाकर सुल्लू रानी की चूत और मूत्रद्वार के बीच की नाज़ुक जगह पर स्थित भगनासा यानि क्लाइटोरिस पर टुकुर टुकुर करनी शुरू कर दी, और साथ साथ उसके मुंह में धक् धक् धक् धक् धक्के लगाते हुए मुख चुदाई करने लगा.
मैं लौड़े से सुल्लू रानी का मुंह, जीभ से उसकी चूत और उंगली से उसकी गांड को एक साथ चोद रहा था. उधर रीना रानी सुल्लू रानी की पीठ की तरफ आ बैठी थी और उसके चूचे दबा रही थी.
शरीर के हर छेद में चलती चुदाई और चूचुक निचोड़े जाने से सुल्लू रानी बौरा गई. उसकी सांसें धौंकनी की तरह चलने लगीं, लंड से भरे हुए मुंह से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगीं. कुछ ही पल के बाद सुल्लू रानी के बदन में मुझे एक तेज़ कंपकंपी सी दौड़ती हुई महसूस हुई. रानी ने स्वतः ही टाँगें कस के मेरे मुंह से चिपका लीं. इतने ज़ोर से जकड़ा कि मुझे साँस लेने में भी तकलीफ होने लगी.
तभी उसने अपने मुंह से लंड निकाल के एक ज़ोरदार सीत्कार मारी और चरम सीमा के पार उतर गई. रस की एक तेज़ फुहार उसकी चूत से छूटी जिसने मेरा मुंह तो भर ही दिया, होंठ, दाढ़ी और मूंछें सब भिगो कर रख दीं.
झड़ते ही रानी की टाँगें ढीली पड़ गईं, तो मुझे साँस भी ठीक से आने लगी.
रानी ने फिर से लौड़ा चूसना शुरू कर दिया लेकिन बाकी का सारा शरीर निढाल हो गया था. तब तक मेरी उत्तेजना भी शिखर पर पहुँच चुकी थी. मैं झड़ने के बहुत करीब था. रानी का चूत रस भोगते भोगते मेरा बदन अचानक यूँ कौंधा जैसे कि बिजली का करंट लग गया हो. धम्म धम्म धम्म !!! झड़ते हुए लंड ने लावा के भारी भारी लौंदे सुल्लू रानी के मुंह में उगल दिए. लौड़ा बार बार तुनक तुनक के वीर्य झाड़ रहा था.
20-25 शॉट के बाद लंड का मसाला समाप्त हो गया.
झड़ने के बाद मैं भी निढाल हो गया और बिस्तर पर पसर गया… न जाने कब नींद लग गई.
अपने लौड़े की अकड़न से नींद टूटी तो पाया कि रीना रानी मेरे टट्टे सहला रही थी. सुल्लू रानी भी जग चुकी थी और जम्हाईयाँ ले रही थी.
रीना रानी ने झिड़कने वाले अंदाज़ में कहा- दोनों प्रेमी अब जग जाओ… आधा घंटा सो लिए… ज़्यादा सोते रहे तो सोते ही रह जाओगे और पापा घर आ जायँगे… .फिर टापते रहना कमीनो!
सुल्लू रानी हूँ हूँ करते हुए उठी और बाथरूम की ओर चल दी. रीना रानी ने आवाज़ दी- कहाँ जा रही है रंडी? वापिस आ फ़ौरन!
सुल्लू रानी बोली- क्या बाथरूम भी न जाऊँ रीना? बड़े ज़ोर की सुस्सू लगी है.
रीना रानी ने कहा- हाँ हाँ कमीनी… मैं जानती हूँ… ये कुत्ता पियेगा न सुस्सू… यह उसको स्वर्ण रस या स्वर्ण अमृत कहता है… तू भी यही बोला कर… चल आजा फटाफट वापिस!
सुल्लू रानी भौंचक्क सी कभी मुझे देखती कभी अपनी बेटी रीना को… सेक्स का यह अध्याय उसने शायद न तो पहले कभी सुना था, करना तो दूर की बात थी.
रीना रानी ने चिढ़ के कहा- राजे सुन… जब तक ये देखेगी नहीं इसकी समझदानी में कुछ न आने वाला… तू बैठ नीचे, मैं इसे दिखाती हूँ तू कैसे स्वर्ण अमृत पीता है… वैसे मुझे आ नहीं रही है फिर भी 4-5 बूंदें तो निकल ही आएंगी.
मैं रीना के कहे अनुसार फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया और रीना रानी बेड पर ठीक मेरे सामने आकर उकड़ूँ बैठ गई. मैंने अपना मुंह रानी की चूत के पास लगा दिया. रीना रानी ने ज़ोर लगाया तो एक बारीक सी धारा मेरे मुंह में आ गई. थोड़ी सी बूंदें निकाल के रानी का मेदा खाली हो गया परन्तु सुल्लू रानी को दर्शाने के लिए इतना काफी था.
स्वादिष्ट अमृत पीकर मैंने कुत्ते की तरह जीभ निकाल के होंठ चाटे और उत्सुकता से सुल्लू रानी के अमृत ख़ज़ाने का इंतज़ार करने लगा.
सुल्लू रानी भी जैसे रीना रानी उकड़ूँ बैठी थी वैसे ही आकर बैठ गई. मैंने फिर से अपना मुंह उसकी चूत के सामने जमा दिया. चूत से कोई एक या दो इंच दूर. सुल्लू रानी पहली बार किसी को अमृत पिला रही थी इसलिए वो ज़्यादा कण्ट्रोल नहीं कर पाई. शुरुआत से ही उसने तेज़ धारा शूऊऊऊऊऊऊऊ… करते हुए छोड़ दी. निशाना भी अनाड़ी रंडी का चूक गया और पहला शॉट से मेरा पूरा चेहरा भीग गया.
मैंने कुतिया की कमर पकड़ के खुद ही धारा के रास्ते में मुंह को सेट करके खोल दिया. पूरी रफ़्तार से सुल्लू रानी का गरम गरम अति स्वादिष्ट स्वर्ण अमृत मेरे मुंह में आने लगा. जितना मैं निगल सकता था धारा का वेग उससे काफी ज़्यादा था इसलिए काफी सारा अमृत इधर उधर गिर भी गया.
खैर मैंने तो सुल्लू रानी के स्वर्ण रस का स्वाद ले ही लिया. लुत्फ़ आ गया !!!
जब रानी का खज़ाना खाली हो गया तो मैंने कुत्ते की तरह जीभ निकाल के फर्श पर बिखरा हुआ अमृत चाट डाला. सुल्लू रानी बड़ी उत्सुकता से यह सब देख रही थी और आश्चर्य चकित हो रही थी. बहनचोद लौड़ा अकड़ अकड़ के उछल कूद मचाने लगा.
मैंने हाथ बढ़ा के सुल्लू रानी को अपनी तरफ खींच लिया. चोदने से पहले मैं उसे सिर से पैर तक चूसना और चाटना चाहता था. मैं उसकी चूत का रस तो पी ही चुका था. अमृत का आनन्द भी ले चुका था. अब सुल्लू रानी के पूरे बदन को चाट के स्वाद भी चखना चाहता था. सबसे पहले मैंने उसके मुलायम पैरों को चाटा. दोनों अंगूठे और आठों उंगलियाँ मुंह में ले कर चूसीं. इतना मज़ा आ रहा था जिसका कोई हिसाब नहीं…
उसने भी आनन्द लेते हुए हल्की हल्की सीत्कार भरनी शुरू कर दी. उन मांसल, दिलकश टांगों को चाटता, चूमता, हाथ फेरता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुंचा. टांगें चौड़ी कर पहले तो मैंने उसके यौन प्रदेश को बड़े प्यार से निहारा. उसकी लप लप लप करती हुई रस बहाती हुई चूत मानो लौड़े को न्योता दे रहे थी.
मैंने अपनी नाक सुल्लू रानी की झांटों में रगड़ी, झांटों को अच्छे से सूंघ के सुगंध का आनन्द लिया. सुल्लू रानी ने मज़े में एक गहरी सिसकी ली. साफ दिख रहा था कि उसकी उत्तेजना बढ़े जा रही थी. उसके बदन ने धीरे धीरे मचलना भी शुरू कर दिया था. गोरी, गुलाबी और बेहद दिलकश, रस से तर चूत के होंठ चौड़े कर के मैंने अपनी जीभ इधर उधर घुमाई. उसके बदन में एकदम से हलचल सी मच गई- हाय… राजे… हाय… अब और न तड़पाओ…
उसने मुंह भींच के बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकाली और फिर एक गहरी सीत्कार भरी.
मैंने जल्दी से जीभ उसकी चूत में घुसाई. चूत लबालब रस से भरी हुई थी.
जीभ घुसाते ही ढेर सारा चूत रस मेरे मुंह में आ गया. उसकी चूत जैसे चू रही थी, रानी की जाँघें भी भीग गई थीं उसके रस के बहाव से… साफ था कि रानी बेहद उत्तेजित हो चुकी थी और चुदने चूदाने को बिल्कुल तैयार थी.
मैंने हुमक हुमक के उस सुहानी चूत को पीना शुरू कर दिया.
रानी अब तड़पने लगी थी. उसेक गले से भिंची भिंची सी सीत्कार निकल रही थी, वह अपनी टांगें कभी इधर कभी उधर कर रही थी. चूत बराबर लप लप कर रही थी और रस उगले जा रही थी.
रानी भी बेकाबू हो गई थी- बस राजे बाबू… बस… अब नहीं सहन होता… राजे बाबू, तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ… अब और न तरसाओ… बस आ जाओ फ़ौरन… हाय अम्मा मैं मर जाऊँ… हाँ..हाँ… हाँ… इसके साथ ही वह झड़ गई और बहुत ज़ोर से झड़ी. उसने आठ दस बार अपनी टांगें भींचीं और खोलीं. रस की फुहार चूत से बह चली. मैं सब का सब पीता गया. क्या गज़ब का स्वाद था उस चिकने चूतामृत का!
मैंने उठ के सुल्लू रानी को घसीट के बिस्तर पे डाल दिया और उसकी टांगें चौड़ी कर दीं. मैं अब धधकता हुआ लौड़ा घुसेड़ने को तैयार था. तभी सुल्लू रानी ने मुझे रुकने का इशारा किया, उसने उठ कर मेरी छाती पर दोनों हाथ रख के मुझे लिटा दिया और ख़ुद मेरे उपर चढ़ गई. अपने घुटने मेरी जाँघों के दोनों साइड में टिकाकर उसने चूत को ऐन लौड़े के उपर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया.
लंड अंदर घुसता चला गया.
अभी आधा लंड ही घुसा था कि रानी ने वापस चूत को ऊपर उठाकर लंड को बाहर किया, सिर्फ सुपारी अंदर रहने दी.
‘राजे… ए… ए… ए… ‘ चीत्कार लगाते हुए वह धड़ाक से लौड़े पर बैठ गई. लंड बड़ी तेज़ी से चूत में घुसता चला गया और धम्म से जाकर उसकी बच्चेदानी के निचले भाग से टकराया. एक बार तो उसकी चीत्कार सुनके मैं डरा कि कहीं बच्चेदानी फट न गई हो. लेकिन वो तो दर्द की नहीं बल्कि मज़े की चीत्कार थी.
उसकी चूत चवालीस साल की आयु में भी काफी टाइट थी और मेरे लंड को ठीक ठाक ही जकड़े हुए थी. भड़की हुई कामोत्तेजना में चूत खूब गर्म हुई पड़ी थी और अच्छे से रस से लबालब भरी हुई भी थी.
रानी ने कमर आगे की तरफ झुकाते हुए खुद को मेरे से चिपका लिया, उसका सिर मेरी ठुड्डी पर टिका था और चुची मेरी छाती को दबा रही थी. लंड चूत के अन्दर चूत के ऊपरी भाग को कस के दबा रहा था जिससे भगनासा अच्छे से दब दब के उसे बेइंतिहा मज़ा दे रही थी.
सुल्लू रानी ने अपने को थोड़ा और आगे सरकाया, उसका मुंह बिल्कुल मेरे मुंह पर आ गया. चूत भी थोड़ी सी आगे सरकी तो लंड और भी कस के चूत में फंस गया. अब भगनासा पे लंड का पूरा दबाव था. मेरे होंठ चूसते चूसते सुल्लू रानी मेरे कानों में फुसफसाई- राजे बाबू देखो मैं जन्नत की सैर कराऊँगी तुमको!
इतना कह कर रानी ने मेरे मुंह में जीभ घुसा के बहुत देर तक प्यार दिया. उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था. वो अपने चूतड़ धीरे धीरे घुमा रही थी. कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती. कभी वो पूरा का पूरा लंड बाहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती.
जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती तो फचक… फचक… फच… फच… फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती.
अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहां ज़ोरदार चुदाई चल रही है.
तभी रीना रानी पीछे से आती दिखी. उसके हाथ में एक मोटा सा लम्बा सा खीरा था. अपनी मां के पीछे जाकर उसने बिना किसी चेतावनी के खीरा सुल्लू रानी की गांड में घुसेड़ दिया. इतने मोटे खीरे के भीतर घुसते ही गांड जो फैली तो चूत ने तंग होकर लौड़े को बड़ा कस के जकड़ लिया.
सुल्लू रानी दर्द से चिल्लाई मगर तब तक उसकी बदमाश बेटी खीरा पूरा का पूरा ठूंस चुकी थी.
समय कुछ देर के लिए थम गया. थोड़ी देर के बाद सुल्लू रानी का दर्द घट गया जब रीना रानी ने धीरे धीरे खीरे को आगे पीछे करके उसकी गांड मारनी शुरू की.
सुल्लू रानी ने चुदाई फिर से शुरू कर दी. मेरे कान में फुसफुसाई- राजे बाबू, तुमने रीना को कब से और कैसे माशूका बनाया?
मैं जवाब में फुसफुसाया- रंडी सुल्लू रानी… तेरी ये बेटी महा चुदक्कड़ है… हरामज़ादी अन्तर्वासना में चुदाई की कहानियाँ पढ़ती है. एक कहानी मैंने भी लिखी थी जिसे पढ़कर इसने मुझे पहचान लिया… फिर हाथ धोकर पड़ गई पीछे कि तोड़ मेरी सील… हो गया इस बात को एक साल से ज़्यादा… वैसे इसकी मदद रेखा रंडी ने भी खूब की थी… उसने इसको बढ़ावा दिया.
उधर रीना रानी लगी पड़ी थी अपनी माँ की खीरे से गांड मारने में. तेज़ तेज़ हाथ चला कर खीरा आगे पीछे किये जा रही थी.
मज़े में सुल्लू रानी सिसकारियाँ ले रही थी. सुल्लू रानी ने आठ दस धक्के मारे, फिर बोली- रेखा रंडी कौन है? रीना कैसे जानती उसको?
मैंने रानी के होंठ चूसते हुए कहा- रेखा रंडी है न तेरी ननद… रितेश और किरण की बहन… वो तेरी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करती है.
सुल्लू रानी हैरानी से कुछ बोलना ही भूल गई. कुछ समय तक धक्के पे धक्का ठोके गई.
मैं बोला- मादरचोद, चुपचाप चुदे जा. तेरे सवालों के जवाब चुदाई के बाद दूंगा!
इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे. तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए…
चुदाई और गांड मरवाई धकाधक हुए जा रही थी.
सुलेखा की आँखों से आंसू टपकने लगे. चेहरा पीला पड़ गया. स्वाभाविक भी था. अपनी बेटी के सामने वह मेरा यानि रीना रानी के फूफा का लंड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई थी.
बोलती क्या?
बोलने को था ही क्या?
मेरा दावा है कि उस टाइम उसके दिल में यही ख्याल चल रहा होगा कि अब सिवाय आत्महत्या के कोई इज़्ज़त बचाने की राह नहीं है.
मुझे बेचारी सुलेखा की दशा पर तरस आ गया. रीना रानी हरामज़ादी बदमाशी कर रही थी. मैंने उसकी दोनों चुची पकड़ के उसको घसीट के अपने सामने कर दिया. तब सुलेखा की नज़र उसके नंगे जिस्म पर पड़ी, और वो बोली- रीना तू यहाँ क्या कर रही है… तेरे कपड़े कहाँ हैं?
मैंने गुर्राते हुए कहा- सुन कमीनी रांड, ये तेरी बेटी माँ की लौड़ी डेढ़ साल से मुझसे चुद रही है… इसलिए परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है… अब दोनों माँ बेटी आराम से चुदो और एक दूसरी की चुदाई का दृश्य देख के मज़ा लो… सच तो ये है तेरी चूत लेने के लिए तेरी ये बदमाश बेटी ने ही मुझ पर दबाव डाल रखा था.
सुलेखा इस घटनाक्रम से बहुत भ्रमित सी हो गई थी. उसको जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने चुपचाप से लंड फिर से मुंह में घुसा लिया और लगी चूसने…
रीना रानी कूल्हों पर दोनों हाथ टिका के बोली- हाँ हाँ आराम से चूस लौड़ा… पहले इसका लावा खा ले कुतिया फिर अपनी चूत के मज़े लगवाइयो… साली चुदक्कड़ रांड!
सुलेखा ने कोई उत्तर दिए बिना लंड चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया और मज़े से जीभ मार मार के चूसने लगी.
उधर रीना रानी उसकी छाती के नीचे घुस गई और लगी अपनी माँ की मोटी, गोल चूचियों को चूसने. साली हुमक हुमक के अपनी माँ के चूचे चूस रही थी और एक हाथ से दबा रही थी. चूचुक पर प्रहार से सुलेखा और भी उत्तेजित हो गई. अब वो तेज़ तेज़ मुंह को आगे पीछे कर रही थी.
मेरे मुंह से सीत्कार निकलने लगी, मैं आहें भरता हुआ चुसाई के आनन्द में डूब रहा था. सुलेखा के मुंह में तेज़ी से बहती हुई लार के कारण जब भी मादरचोद मुंह को आगे पीछे करती तो सुड़प्प सुड़प्प सुड़प्प की ध्वनि आती.
ऐसी आवाज़ों की वजह से पूरा कमरा एक कामोत्तेजक वातावरण से सराबोर हो गया था. रीना रानी भी कामविहल होकर हाय… हाय… हाय करती हुई सुलेखा के चूचों पे पिली पड़ी थी.
सुलेखा हरामज़ादी के चूचुक रीना रानी की चुसाई से गीले हो गए थे.
हम तीनों की बेतहाशा बढ़ती हुई चुदास को देखते हुए मैंने सुलेखा को चोद देने का निर्णय लिया, मैं बोला- सुन सुल्लू रानी चल अब तुझे चोद देता हूँ… अब कर ले अपनी बरसों की मुराद पूरी… बहुत लंड चूस लिया… अब चुदने की तैयारी कर माँ की लौड़ी!
तभी रीना रानी बीच में कूदी. अपनी माँ का चूचा मुंह से निकाल के बोली- ये सुल्लू रानी का क्या चक्कर है कमीने… मेरी माँ सुल्लू रानी कैसे हो गई?
मैंने कहा- यार रीना रानी… सुलेखा रानी बोलने में कुछ मज़ा सा नहीं आता… बहुत लम्बा सा है… इसलिए इस हरामज़ादी को मैं शार्ट में सुल्लू रानी बोला करूँगा… क्यों सुल्लू रानी सही है न? तुझे पुकारा करूँ न सुल्लू रानी?
सुल्लू रानी ने बड़े बेमन से लंड को मुंह से निकाल के कहा- राजा बाबू मैं तो तुम्हारी जागीर हूँ… तुम्हे जो अच्छा लगे वो बोलो… और हाँ मैं पहले इस तगड़े हथियार का पूरा पूरा आनन्द लेना चाहती हूँ… फिर बनूँगी तुम्हारी रखैल… इसके अमृत का स्वाद चखा दो फिर जो तुम चाहो वो करना अपनी सुल्लू रानी के साथ!
इतना बोल के रानी ने पट से लौड़ा फिर से मुंह में घुसा लिया.
मैंने सुल्लू रानी के केश जकड़ लिए और भींच के साली का मुंह अपने लौड़े की जड़ तक सटा दिया. मैंने इतना कस के उसके बल जकड़ रखे थे कि उसका मुंह हिल भी न सकता था. कुतिया के पास बस एक ही रास्ता था कि लप्प लप्प करते हुए केवल मुंह को बंद खोल करके लंड चूसे जाये.
सुल्लू रानी के गर्म और लार से तर मुंह में मैं लंड को तुनके पे तुनका देने लगा.
रीना रानी ने अपनी माँ को बोला कि मेरे अंडे हौले हौले सहलाती जाए और स्वयं फिर से माँ की चूचियों को मचल मचल के यूँ चूसने लगी जैसे कोई शिशु माँ की चूची से दूध चूसता है.
चुसाई में खूब आनन्द आ रहा था, मेरा बदन तपने लगा था. पसीने की बूंदें माथे और सीने पर छलक आई थीं.
मैंने सुल्लू रानी से कहा- आजा रानी तू भी ऊपर बिस्तर पे आजा… अपन दोनों एक दूसरे को चूसेंगे… मेरा मन हो रहा कि रानी की चूत के रस का स्वाद चखूँ… लेकिन लौड़ा मुंह से निकलना नहीं चाहिए.. समझी कुतिया?
सुल्लू रानी ने पहले तो रीना रानी को धक्का देकर हटाया, फिर धीरे से आधी उठी. कुछ मैंने हरामज़ादी के कंधे थाम के सहारा दिया तो सुल्लू रानी लंड मुंह से निकाले बिना बिस्तर पे चढ़ने में कामयाब हो गई. फिर बड़े आराम से इस बात का ध्यान रखते हुए कि लंड मुंह में ही घुसा रहे, मैंने अपने आप को सुल्लू रानी के प्रति 69 की अवस्था में जमा लिया. बद्ज़ात के चूतड़ जकड़ लिए और उसकी तेज़ी से रिसरिसाती हुई चूत से होंठ सटा दिए.
सुल्लू रानी ने एक ज़ोर की झुरझुरी ली और ढेर सा चूतरस मेरे मुंह में आ गया. उसे इतना अधिक आनन्द आया कि बहनचोद मुंह लगाते ही स्खलित हो गई. चूत में जीभ घुमा घुमा के मैंने सारा जूस पी लिया.
रानी का दारू से भी ज़्यादा नशीला और ज़ायकेदार चूतरस पीकर मेरी हवस यूँ भड़क उठी जैसे सुलगती आग में कोई तेल झोंक दे.
झट से तर्जनी खूब लार से गीली करके मैंने पूरी उंगली सुल्लू रानी की गांड में घुसेड़ दी. रानी ने चिहुँक के ज़ोर ज़ोर से नितम्ब इधर उधर डुलाये और लंड से भरे मुंह से घूंघूंघूंघूंघूंघूं की आवाज़ निकाली. चूत ने फिर से ढेर सा जूस छोड़ दिया.
मेरा मुंह रानी के चूतरस से भीग चुका था. मैंने एक हुंकारा भरते हुए जीभ की नोक बनाकर सुल्लू रानी की चूत और मूत्रद्वार के बीच की नाज़ुक जगह पर स्थित भगनासा यानि क्लाइटोरिस पर टुकुर टुकुर करनी शुरू कर दी, और साथ साथ उसके मुंह में धक् धक् धक् धक् धक्के लगाते हुए मुख चुदाई करने लगा.
मैं लौड़े से सुल्लू रानी का मुंह, जीभ से उसकी चूत और उंगली से उसकी गांड को एक साथ चोद रहा था. उधर रीना रानी सुल्लू रानी की पीठ की तरफ आ बैठी थी और उसके चूचे दबा रही थी.
शरीर के हर छेद में चलती चुदाई और चूचुक निचोड़े जाने से सुल्लू रानी बौरा गई. उसकी सांसें धौंकनी की तरह चलने लगीं, लंड से भरे हुए मुंह से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगीं. कुछ ही पल के बाद सुल्लू रानी के बदन में मुझे एक तेज़ कंपकंपी सी दौड़ती हुई महसूस हुई. रानी ने स्वतः ही टाँगें कस के मेरे मुंह से चिपका लीं. इतने ज़ोर से जकड़ा कि मुझे साँस लेने में भी तकलीफ होने लगी.
तभी उसने अपने मुंह से लंड निकाल के एक ज़ोरदार सीत्कार मारी और चरम सीमा के पार उतर गई. रस की एक तेज़ फुहार उसकी चूत से छूटी जिसने मेरा मुंह तो भर ही दिया, होंठ, दाढ़ी और मूंछें सब भिगो कर रख दीं.
झड़ते ही रानी की टाँगें ढीली पड़ गईं, तो मुझे साँस भी ठीक से आने लगी.
रानी ने फिर से लौड़ा चूसना शुरू कर दिया लेकिन बाकी का सारा शरीर निढाल हो गया था. तब तक मेरी उत्तेजना भी शिखर पर पहुँच चुकी थी. मैं झड़ने के बहुत करीब था. रानी का चूत रस भोगते भोगते मेरा बदन अचानक यूँ कौंधा जैसे कि बिजली का करंट लग गया हो. धम्म धम्म धम्म !!! झड़ते हुए लंड ने लावा के भारी भारी लौंदे सुल्लू रानी के मुंह में उगल दिए. लौड़ा बार बार तुनक तुनक के वीर्य झाड़ रहा था.
20-25 शॉट के बाद लंड का मसाला समाप्त हो गया.
झड़ने के बाद मैं भी निढाल हो गया और बिस्तर पर पसर गया… न जाने कब नींद लग गई.
अपने लौड़े की अकड़न से नींद टूटी तो पाया कि रीना रानी मेरे टट्टे सहला रही थी. सुल्लू रानी भी जग चुकी थी और जम्हाईयाँ ले रही थी.
रीना रानी ने झिड़कने वाले अंदाज़ में कहा- दोनों प्रेमी अब जग जाओ… आधा घंटा सो लिए… ज़्यादा सोते रहे तो सोते ही रह जाओगे और पापा घर आ जायँगे… .फिर टापते रहना कमीनो!
सुल्लू रानी हूँ हूँ करते हुए उठी और बाथरूम की ओर चल दी. रीना रानी ने आवाज़ दी- कहाँ जा रही है रंडी? वापिस आ फ़ौरन!
सुल्लू रानी बोली- क्या बाथरूम भी न जाऊँ रीना? बड़े ज़ोर की सुस्सू लगी है.
रीना रानी ने कहा- हाँ हाँ कमीनी… मैं जानती हूँ… ये कुत्ता पियेगा न सुस्सू… यह उसको स्वर्ण रस या स्वर्ण अमृत कहता है… तू भी यही बोला कर… चल आजा फटाफट वापिस!
सुल्लू रानी भौंचक्क सी कभी मुझे देखती कभी अपनी बेटी रीना को… सेक्स का यह अध्याय उसने शायद न तो पहले कभी सुना था, करना तो दूर की बात थी.
रीना रानी ने चिढ़ के कहा- राजे सुन… जब तक ये देखेगी नहीं इसकी समझदानी में कुछ न आने वाला… तू बैठ नीचे, मैं इसे दिखाती हूँ तू कैसे स्वर्ण अमृत पीता है… वैसे मुझे आ नहीं रही है फिर भी 4-5 बूंदें तो निकल ही आएंगी.
मैं रीना के कहे अनुसार फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया और रीना रानी बेड पर ठीक मेरे सामने आकर उकड़ूँ बैठ गई. मैंने अपना मुंह रानी की चूत के पास लगा दिया. रीना रानी ने ज़ोर लगाया तो एक बारीक सी धारा मेरे मुंह में आ गई. थोड़ी सी बूंदें निकाल के रानी का मेदा खाली हो गया परन्तु सुल्लू रानी को दर्शाने के लिए इतना काफी था.
स्वादिष्ट अमृत पीकर मैंने कुत्ते की तरह जीभ निकाल के होंठ चाटे और उत्सुकता से सुल्लू रानी के अमृत ख़ज़ाने का इंतज़ार करने लगा.
सुल्लू रानी भी जैसे रीना रानी उकड़ूँ बैठी थी वैसे ही आकर बैठ गई. मैंने फिर से अपना मुंह उसकी चूत के सामने जमा दिया. चूत से कोई एक या दो इंच दूर. सुल्लू रानी पहली बार किसी को अमृत पिला रही थी इसलिए वो ज़्यादा कण्ट्रोल नहीं कर पाई. शुरुआत से ही उसने तेज़ धारा शूऊऊऊऊऊऊऊ… करते हुए छोड़ दी. निशाना भी अनाड़ी रंडी का चूक गया और पहला शॉट से मेरा पूरा चेहरा भीग गया.
मैंने कुतिया की कमर पकड़ के खुद ही धारा के रास्ते में मुंह को सेट करके खोल दिया. पूरी रफ़्तार से सुल्लू रानी का गरम गरम अति स्वादिष्ट स्वर्ण अमृत मेरे मुंह में आने लगा. जितना मैं निगल सकता था धारा का वेग उससे काफी ज़्यादा था इसलिए काफी सारा अमृत इधर उधर गिर भी गया.
खैर मैंने तो सुल्लू रानी के स्वर्ण रस का स्वाद ले ही लिया. लुत्फ़ आ गया !!!
जब रानी का खज़ाना खाली हो गया तो मैंने कुत्ते की तरह जीभ निकाल के फर्श पर बिखरा हुआ अमृत चाट डाला. सुल्लू रानी बड़ी उत्सुकता से यह सब देख रही थी और आश्चर्य चकित हो रही थी. बहनचोद लौड़ा अकड़ अकड़ के उछल कूद मचाने लगा.
मैंने हाथ बढ़ा के सुल्लू रानी को अपनी तरफ खींच लिया. चोदने से पहले मैं उसे सिर से पैर तक चूसना और चाटना चाहता था. मैं उसकी चूत का रस तो पी ही चुका था. अमृत का आनन्द भी ले चुका था. अब सुल्लू रानी के पूरे बदन को चाट के स्वाद भी चखना चाहता था. सबसे पहले मैंने उसके मुलायम पैरों को चाटा. दोनों अंगूठे और आठों उंगलियाँ मुंह में ले कर चूसीं. इतना मज़ा आ रहा था जिसका कोई हिसाब नहीं…
उसने भी आनन्द लेते हुए हल्की हल्की सीत्कार भरनी शुरू कर दी. उन मांसल, दिलकश टांगों को चाटता, चूमता, हाथ फेरता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुंचा. टांगें चौड़ी कर पहले तो मैंने उसके यौन प्रदेश को बड़े प्यार से निहारा. उसकी लप लप लप करती हुई रस बहाती हुई चूत मानो लौड़े को न्योता दे रहे थी.
मैंने अपनी नाक सुल्लू रानी की झांटों में रगड़ी, झांटों को अच्छे से सूंघ के सुगंध का आनन्द लिया. सुल्लू रानी ने मज़े में एक गहरी सिसकी ली. साफ दिख रहा था कि उसकी उत्तेजना बढ़े जा रही थी. उसके बदन ने धीरे धीरे मचलना भी शुरू कर दिया था. गोरी, गुलाबी और बेहद दिलकश, रस से तर चूत के होंठ चौड़े कर के मैंने अपनी जीभ इधर उधर घुमाई. उसके बदन में एकदम से हलचल सी मच गई- हाय… राजे… हाय… अब और न तड़पाओ…
उसने मुंह भींच के बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकाली और फिर एक गहरी सीत्कार भरी.
मैंने जल्दी से जीभ उसकी चूत में घुसाई. चूत लबालब रस से भरी हुई थी.
जीभ घुसाते ही ढेर सारा चूत रस मेरे मुंह में आ गया. उसकी चूत जैसे चू रही थी, रानी की जाँघें भी भीग गई थीं उसके रस के बहाव से… साफ था कि रानी बेहद उत्तेजित हो चुकी थी और चुदने चूदाने को बिल्कुल तैयार थी.
मैंने हुमक हुमक के उस सुहानी चूत को पीना शुरू कर दिया.
रानी अब तड़पने लगी थी. उसेक गले से भिंची भिंची सी सीत्कार निकल रही थी, वह अपनी टांगें कभी इधर कभी उधर कर रही थी. चूत बराबर लप लप कर रही थी और रस उगले जा रही थी.
रानी भी बेकाबू हो गई थी- बस राजे बाबू… बस… अब नहीं सहन होता… राजे बाबू, तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ… अब और न तरसाओ… बस आ जाओ फ़ौरन… हाय अम्मा मैं मर जाऊँ… हाँ..हाँ… हाँ… इसके साथ ही वह झड़ गई और बहुत ज़ोर से झड़ी. उसने आठ दस बार अपनी टांगें भींचीं और खोलीं. रस की फुहार चूत से बह चली. मैं सब का सब पीता गया. क्या गज़ब का स्वाद था उस चिकने चूतामृत का!
मैंने उठ के सुल्लू रानी को घसीट के बिस्तर पे डाल दिया और उसकी टांगें चौड़ी कर दीं. मैं अब धधकता हुआ लौड़ा घुसेड़ने को तैयार था. तभी सुल्लू रानी ने मुझे रुकने का इशारा किया, उसने उठ कर मेरी छाती पर दोनों हाथ रख के मुझे लिटा दिया और ख़ुद मेरे उपर चढ़ गई. अपने घुटने मेरी जाँघों के दोनों साइड में टिकाकर उसने चूत को ऐन लौड़े के उपर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया.
लंड अंदर घुसता चला गया.
अभी आधा लंड ही घुसा था कि रानी ने वापस चूत को ऊपर उठाकर लंड को बाहर किया, सिर्फ सुपारी अंदर रहने दी.
‘राजे… ए… ए… ए… ‘ चीत्कार लगाते हुए वह धड़ाक से लौड़े पर बैठ गई. लंड बड़ी तेज़ी से चूत में घुसता चला गया और धम्म से जाकर उसकी बच्चेदानी के निचले भाग से टकराया. एक बार तो उसकी चीत्कार सुनके मैं डरा कि कहीं बच्चेदानी फट न गई हो. लेकिन वो तो दर्द की नहीं बल्कि मज़े की चीत्कार थी.
उसकी चूत चवालीस साल की आयु में भी काफी टाइट थी और मेरे लंड को ठीक ठाक ही जकड़े हुए थी. भड़की हुई कामोत्तेजना में चूत खूब गर्म हुई पड़ी थी और अच्छे से रस से लबालब भरी हुई भी थी.
रानी ने कमर आगे की तरफ झुकाते हुए खुद को मेरे से चिपका लिया, उसका सिर मेरी ठुड्डी पर टिका था और चुची मेरी छाती को दबा रही थी. लंड चूत के अन्दर चूत के ऊपरी भाग को कस के दबा रहा था जिससे भगनासा अच्छे से दब दब के उसे बेइंतिहा मज़ा दे रही थी.
सुल्लू रानी ने अपने को थोड़ा और आगे सरकाया, उसका मुंह बिल्कुल मेरे मुंह पर आ गया. चूत भी थोड़ी सी आगे सरकी तो लंड और भी कस के चूत में फंस गया. अब भगनासा पे लंड का पूरा दबाव था. मेरे होंठ चूसते चूसते सुल्लू रानी मेरे कानों में फुसफसाई- राजे बाबू देखो मैं जन्नत की सैर कराऊँगी तुमको!
इतना कह कर रानी ने मेरे मुंह में जीभ घुसा के बहुत देर तक प्यार दिया. उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था. वो अपने चूतड़ धीरे धीरे घुमा रही थी. कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती. कभी वो पूरा का पूरा लंड बाहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती.
जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती तो फचक… फचक… फच… फच… फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती.
अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहां ज़ोरदार चुदाई चल रही है.
तभी रीना रानी पीछे से आती दिखी. उसके हाथ में एक मोटा सा लम्बा सा खीरा था. अपनी मां के पीछे जाकर उसने बिना किसी चेतावनी के खीरा सुल्लू रानी की गांड में घुसेड़ दिया. इतने मोटे खीरे के भीतर घुसते ही गांड जो फैली तो चूत ने तंग होकर लौड़े को बड़ा कस के जकड़ लिया.
सुल्लू रानी दर्द से चिल्लाई मगर तब तक उसकी बदमाश बेटी खीरा पूरा का पूरा ठूंस चुकी थी.
समय कुछ देर के लिए थम गया. थोड़ी देर के बाद सुल्लू रानी का दर्द घट गया जब रीना रानी ने धीरे धीरे खीरे को आगे पीछे करके उसकी गांड मारनी शुरू की.
सुल्लू रानी ने चुदाई फिर से शुरू कर दी. मेरे कान में फुसफुसाई- राजे बाबू, तुमने रीना को कब से और कैसे माशूका बनाया?
मैं जवाब में फुसफुसाया- रंडी सुल्लू रानी… तेरी ये बेटी महा चुदक्कड़ है… हरामज़ादी अन्तर्वासना में चुदाई की कहानियाँ पढ़ती है. एक कहानी मैंने भी लिखी थी जिसे पढ़कर इसने मुझे पहचान लिया… फिर हाथ धोकर पड़ गई पीछे कि तोड़ मेरी सील… हो गया इस बात को एक साल से ज़्यादा… वैसे इसकी मदद रेखा रंडी ने भी खूब की थी… उसने इसको बढ़ावा दिया.
उधर रीना रानी लगी पड़ी थी अपनी माँ की खीरे से गांड मारने में. तेज़ तेज़ हाथ चला कर खीरा आगे पीछे किये जा रही थी.
मज़े में सुल्लू रानी सिसकारियाँ ले रही थी. सुल्लू रानी ने आठ दस धक्के मारे, फिर बोली- रेखा रंडी कौन है? रीना कैसे जानती उसको?
मैंने रानी के होंठ चूसते हुए कहा- रेखा रंडी है न तेरी ननद… रितेश और किरण की बहन… वो तेरी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करती है.
सुल्लू रानी हैरानी से कुछ बोलना ही भूल गई. कुछ समय तक धक्के पे धक्का ठोके गई.
मैं बोला- मादरचोद, चुपचाप चुदे जा. तेरे सवालों के जवाब चुदाई के बाद दूंगा!
इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे. तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए…
चुदाई और गांड मरवाई धकाधक हुए जा रही थी.