हैलो साथियो, आज आपको सविता भाभी की मदमस्त जवानी के एक और रंग से वाकिफ कराने के लिए उनकी एक मस्त अदा प्रस्तुत है।
आपको मालूम ही है कि सविता भाभी ने एक नौकरी ज्वाइन कर ली थी, जहाँ वे अपने मैनेजर मिश्रा जी के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाए हुए थीं।
एक दिन वे ऑफिस में अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थीं कि उनके पास मिश्रा जी का बुलावा आया- सविता मैडम, आपको मिश्रा जी ने अपने केबिन में बुलाया है।
सविता भाभी सोचने लगीं कि अब क्या हुआ इस मिश्रा को.. आज सुबह ही तो इसका लौड़ा चूसा था..
खैर.. सविता भाभी उठीं और मिश्रा जी के केबिन में गईं और दरवाजे से अन्दर घुसने से पहले उन्होंने बड़े आदर से पूछा- सर.. आपने मुझे बुलाया?
‘हाँ सविता.. आओ, दरअसल हमारी कम्पनी विवाहित महिलाओं के लिए एक सौन्दर्य प्रतियोगिता आयोजित करवा रही है.. मैं चाहता हूँ कि तुम वहाँ जाओ और इस प्रतियोगिता की तैयारियां वगैरह देखो।’
‘ठीक है सर मैं अभी जाती हूँ।’
अब सविता भाभी ने उस जगह का रुख किया.. जहाँ ये प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी।
ये शहर का एक नामी गिरामी होटल था जहाँ ‘श्रीमती बुरगाँव’ के नाम से प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी।
सविता भाभी ने उधर के रिशेप्शन पर जाकर जानकारी की।
रिसेप्शनिस्ट- मैडम आप दाईं ओर उस हॉल की तरफ जाएँ.. वहीं प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।
सविता भाभी उस हॉल की तरफ गईं और वहाँ जाकर उन्होंने एक व्यक्ति से पूछा- हैलो.. क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस प्रतियोगिता के संयोजक से मैं कहाँ मिल सकती हूँ?
इससे पहले कि उन्हें कोई जबाव मिलता वहाँ खड़े एक व्यक्ति पर उनकी निगाह पड़ गई।
उस व्यक्ति को देख कर सविता भाभी एकदम से चौंक गईं और सोचने लगीं कि ये तो पुरानी फिल्मों के मशहूर हीरो जीत कुमार हैं।
अभी सविता भाभी जीत कुमार के विषय में सोच ही रही थीं कि जीत कुमार ने ही उन्हें आवाज लगा दी।
‘जरा सुनिए.. अप मॉडल लगती हैं..! इस प्रतियोगिता की संयोजिका मिस कृतिका हैं.. वो इधर ही कहीं होंगी।’
जब जीत कुमार को खुद से मुखातिब होते सुना तो सविता भाभी एकदम से लजा गईं और बोल उठीं- ओह.. मैं कोई मॉडल नहीं हूँ।
‘सच..! लेकिन तुम तो किसी मॉडल जैसी ही दिखती हो..’
उधर जीत कुमार सविता की तारीफ़ किए जा रहे थे और सविता भाभी उनकी बात को सुनकर सोचने लगीं कि शायद उनका मतलब मेरा बदन मॉडल जैसा है।
इसी के साथ सविता भाभी अपने अतीत में खोने लगीं जब वे बाथरूम में नंगी होकर जीत कुमार के सपनों में खोकर अपनी चूत के साथ खिलवाड़ करती थीं।
तभी जीत कुमार की आवाज उनके कानों में पड़ी- लेकिन प्रिय तुम अगर मॉडल होतीं तो इस प्रतियोगिता में अवश्य जीत जातीं।
‘हा.. हा.. आप बहुत मजाकिया हैं.. फिर भी मेरी प्रशंसा के लिए आपका धन्यवाद।’
‘चलो.. उस तरफ सभी प्रतियोगी और संयोजक आदि हैं.. तुम्हें वहीं देखना चाहिए।’
सविता भाभी ने एक कामुक अदा से जीत कुमार को देखा और कहा- धन्यवाद.. फिर मिलेंगे।
अब सविता भाभी उस ओर गईं.. जहाँ प्रतियोगिता हो रही थी।
वे प्रतियोगियों के मेकअप के लिए बने कमरे की तरफ देख रही थीं कि तभी एक महिला ने उन्हें आवाज दी ‘जी.. जरा सुनिए।’
‘हाँ..?’
‘क्या आप भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आई हैं?’
सविता भाभी ने अपने रूप लावण्य को बिखेरते हुए कहा- नहीं.. हमारी कम्पनी इस प्रतियोगिता को आयोजित करा रही तो मैं सिर्फ यहाँ का प्रबंधन देखने आई हूँ।
आपको मालूम ही है कि सविता भाभी ने एक नौकरी ज्वाइन कर ली थी, जहाँ वे अपने मैनेजर मिश्रा जी के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाए हुए थीं।
एक दिन वे ऑफिस में अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थीं कि उनके पास मिश्रा जी का बुलावा आया- सविता मैडम, आपको मिश्रा जी ने अपने केबिन में बुलाया है।
सविता भाभी सोचने लगीं कि अब क्या हुआ इस मिश्रा को.. आज सुबह ही तो इसका लौड़ा चूसा था..
खैर.. सविता भाभी उठीं और मिश्रा जी के केबिन में गईं और दरवाजे से अन्दर घुसने से पहले उन्होंने बड़े आदर से पूछा- सर.. आपने मुझे बुलाया?
‘हाँ सविता.. आओ, दरअसल हमारी कम्पनी विवाहित महिलाओं के लिए एक सौन्दर्य प्रतियोगिता आयोजित करवा रही है.. मैं चाहता हूँ कि तुम वहाँ जाओ और इस प्रतियोगिता की तैयारियां वगैरह देखो।’
‘ठीक है सर मैं अभी जाती हूँ।’
अब सविता भाभी ने उस जगह का रुख किया.. जहाँ ये प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी।
ये शहर का एक नामी गिरामी होटल था जहाँ ‘श्रीमती बुरगाँव’ के नाम से प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी।
सविता भाभी ने उधर के रिशेप्शन पर जाकर जानकारी की।
रिसेप्शनिस्ट- मैडम आप दाईं ओर उस हॉल की तरफ जाएँ.. वहीं प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।
सविता भाभी उस हॉल की तरफ गईं और वहाँ जाकर उन्होंने एक व्यक्ति से पूछा- हैलो.. क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस प्रतियोगिता के संयोजक से मैं कहाँ मिल सकती हूँ?
इससे पहले कि उन्हें कोई जबाव मिलता वहाँ खड़े एक व्यक्ति पर उनकी निगाह पड़ गई।
उस व्यक्ति को देख कर सविता भाभी एकदम से चौंक गईं और सोचने लगीं कि ये तो पुरानी फिल्मों के मशहूर हीरो जीत कुमार हैं।
अभी सविता भाभी जीत कुमार के विषय में सोच ही रही थीं कि जीत कुमार ने ही उन्हें आवाज लगा दी।
‘जरा सुनिए.. अप मॉडल लगती हैं..! इस प्रतियोगिता की संयोजिका मिस कृतिका हैं.. वो इधर ही कहीं होंगी।’
जब जीत कुमार को खुद से मुखातिब होते सुना तो सविता भाभी एकदम से लजा गईं और बोल उठीं- ओह.. मैं कोई मॉडल नहीं हूँ।
‘सच..! लेकिन तुम तो किसी मॉडल जैसी ही दिखती हो..’
उधर जीत कुमार सविता की तारीफ़ किए जा रहे थे और सविता भाभी उनकी बात को सुनकर सोचने लगीं कि शायद उनका मतलब मेरा बदन मॉडल जैसा है।
इसी के साथ सविता भाभी अपने अतीत में खोने लगीं जब वे बाथरूम में नंगी होकर जीत कुमार के सपनों में खोकर अपनी चूत के साथ खिलवाड़ करती थीं।
तभी जीत कुमार की आवाज उनके कानों में पड़ी- लेकिन प्रिय तुम अगर मॉडल होतीं तो इस प्रतियोगिता में अवश्य जीत जातीं।
‘हा.. हा.. आप बहुत मजाकिया हैं.. फिर भी मेरी प्रशंसा के लिए आपका धन्यवाद।’
‘चलो.. उस तरफ सभी प्रतियोगी और संयोजक आदि हैं.. तुम्हें वहीं देखना चाहिए।’
सविता भाभी ने एक कामुक अदा से जीत कुमार को देखा और कहा- धन्यवाद.. फिर मिलेंगे।
अब सविता भाभी उस ओर गईं.. जहाँ प्रतियोगिता हो रही थी।
वे प्रतियोगियों के मेकअप के लिए बने कमरे की तरफ देख रही थीं कि तभी एक महिला ने उन्हें आवाज दी ‘जी.. जरा सुनिए।’
‘हाँ..?’
‘क्या आप भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आई हैं?’
सविता भाभी ने अपने रूप लावण्य को बिखेरते हुए कहा- नहीं.. हमारी कम्पनी इस प्रतियोगिता को आयोजित करा रही तो मैं सिर्फ यहाँ का प्रबंधन देखने आई हूँ।