Savita Bhabhi Shimla Me 3

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पुलिस की मदद की और डाकू को गिरफ़्तार करवाया
प्रिय पाठको.. आप सभी की मदमस्त सविता भाभी की चित्रकथाओं में से एक कहानी उनके द्वारा अपने शिमला टूर के दौरान एक नाम डाकू को पकड़वाने का किस्सा आपके सामने पेश है।

हुआ यूं कि सविता भाभी ने अपने पति के साथ शिमला घूमने जाने का कार्यक्रम बनाया। तभी टीवी पर खबर आने लगी कि शिमला के पहाड़ी इलाके में एक खतरनाक डाकू ज्वाला ग़दर ने आतंक फैलाया हुआ है और उधर के सैलानियों में काफी डर पैदा हो गया है।

यह खबर सुनकर सविता भाभी के पति ने अपना शिमला जाने का कार्यक्रम निरस्त करने का सोचा।
जब सविता भाभी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने खिन्नता से कहा- इस डाकू पुलिस पकड़ती क्यों नहीं है.. इसके डर के कारण हम लोगों को अपना शिमला जाने का टूर कैंसिल करना पड़ा है।

अशोक ने कहा- उस डाकू को पकड़ना इतना आसान नहीं है।
सविता भाभी ने भुनभुनाते हुए कहा- जो भी हो.. मेरा तो मूड ऑफ हो गया है मैं तो सोने जा रही हूँ।

अब सविता भाभी अपने बिस्तर पर आकर लेट गईं और शिमला की हसीन वादियों के बारे में सोचने लगीं। इस वक्त सविता भाभी अपने पति अशोक को मूर्ख मानते हुए पूरे प्रोग्राम को रद्द करने के लिए कोस रही थीं।

शिमला का नजारा उनके मनमस्तिष्क में चलने लगा। बर्फ में घूमते हुए सविता भाभी उन वादियों को देखते हुए बड़ी प्रसन्नता महसूस कर रही थीं।

तभी उन्होंने देखा कि सुन्दर नौजवान बर्फ में स्कीइंग करने के लिए पूछ रहा था कि क्या किसी ने स्कीइंग सीखने के लिए फार्म भरा है?
सविता भाभी ने हाथ उठाते हुए कहा- हाँ मैंने भरा है।

उस ट्रेनर ने सविता भाभी की तरफ देखा और उनकी गदराई जवानी को देख कर एकदम से मस्त हो गया। वो सोचने लगा कि वाह ये तो बड़ी गर्म भाभी लगती है इसको स्कीइंग सिखाने में मजा आएगा।

उधर सविता भाभी अपने सामने एक गबरू जवान को देख कर सोचने लगीं कि मुझे नहीं पता था कि स्कीइंग सिखाने वाले इतने सेक्सी होते हैं।

तभी उस ट्रेनर ने भाभी को एक डंडा देते हुए कहा- लीजिए इससे आप खुद को संतुलित कर सकती हैं।
सविता भाभी शुरू हो गईं- अरे आपका डंडा तो बहुत बड़ा है.. क्या मैं इसे संभाल पाऊँगी।

ट्रेनर की आँखों में एक बार तो चमक सी आई पर अगले ही पल उसने सोचा कि मुझे नियंत्रण रखना चाहिए.. ये भाभी स्कीइंग की छड़ी के बारे में कह रही है मेरे लौड़े के बारे में नहीं कह रही है।

ट्रेनर ने सविता भाभी से कहा- आईए मैडम मैं आपको सिखाता हूँ कि किस तरह स्कीई पर खड़े होते हैं।

अब सविता भाभी ने सीखना आरम्भ कर दिया था, वो ट्रेनर भाभी की गांड से चिपक कर उनके पीछे खड़ा हो गया और उन्हें स्कीइंग सिखाने लगा।

इसी क्रम में ट्रेनर का हाथ सविता भाभी के मम्मों के उभारों पर लग रहे थे तो वो एकदम से गनगना गया।
‘अरे मैडम ऐसे नहीं.. आपको सीधा खड़ा होना है।’

सविता भाभी ने महसूस किया कि ये तो मेरी समीपता का फायदा उठाते हुए मेरी चूचियों का मजा ले रहा है। चलो क्या फर्क पड़ता है.. मैं भी तो छुट्टियां मनाने आई हूँ.. मैं भी मजा लेती हूँ।

उधर उस ट्रेनर के हाथ सविता भाभी की गरम जवानी से भपूर उनकी गुंदाज चूचियों के स्पर्श से उसको मस्त कर रहे थे, वह सोचने लगा कि वाह.. इसके मम्मे कितने नर्म हैं जरूर इसके चूचुक भी इस ठंड में कड़क हो गए होंगे।
 
अब ट्रेनर ने अपने हाथों का दबाव सविता भाभी की चूचियों पर और बढ़ा दिया था।

वो सोचने लगा कि अरे वाह इसकी तो पूरी चूचियां मेरे हाथों में आ गईं.. इससे तो मेरा लौड़ा खड़ा हो रहा है। इसके चूचुक छू कर देखता हूँ। फिर ऐसा मौका नहीं मिलेगा।

बस उस ट्रेनर ने सविता भाभी से कहा- थोड़ा सीधा खड़े होइए मैडम!
यह कहते हुए उसने सविता भाभी की पूरी चूची को पकड़ते हुए उन्हें सीधी करने के लिए उनकी चूची को दबा दिया।

ये दोनों स्कीइंग के साथ पुशिंग का मजा ले ही रहे थे कि एक नकाबपोश हाथ में बंदूक लिए उनके समीप आया और उसने धमकाते हुए कहा- मेरे साथ चलो।

अभी वे दोनों कुछ समझ ही पते कि उस डाकू ने सविता भाभी का हाथ पकड़ा और खींचते हुए ले जाने लगा।
सविता भाभी चीखने लगीं- न..नहीं..

कुछ दूर वीरान में ले जाने के बाद उस डाकू ने सविता भाभी की तरफ देखा।
‘अरे सविता तुम?’

उस डाकू ने अपना नकाब उतारा तो सविता भाभी उसको पहचान गईं।
‘अरे कामेश तुम..?’

इधर मैं आपको याद दिलाना चाहूँगा कि कामेश सविता भाभी का पुराना आशिक था और वो पुलिस के लिए काम करते हुए किसी तरह डाकू ज्वाला की गैंग में शामिल हो गया था और अब कामेश को सविता भाभी की मदद से डाकू ज्वाला ग़दर को पकड़वाने का ख्याल आया। कामेश ने सविता भाभी के भय को दूर किया और उनसे देश की खातिर डाकू ज्वाला ग़दर को पकड़वाने में मदद करने के लिए कहा।

सविता भाभी किसी तरह तैयार हो गईं।
कामेश- सावी.. अब मैं तुम्हें ये बेहोश करने वाला नशा दूँगा और तुम्हें डाकुओं के अड्डे पर ले जाऊँगा।

कामेश ने सविता भाभी को दवा की सहायता से बेहोश कर दिया और उन्हें डाकुओं के अड्डे पर ले गया।
उधर अन्य दूसरे डाकू सविता भाभी जैसी हसीन माल को देख कर खुसुर-पुसुर करने लगे।

कुछ समय बाद दवा का असर खत्म हुआ और सविता भाभी ने होश में आते ही खुद को बंधा हुआ पाया तो वे सोचने लगीं कि ये मैं किधर आ गई हूँ। फिर अचानक उन्हें ख्याल आया कि मैं डाकुओं के अड्डे पर कैद हूँ।

तभी एक डाकू ने उनकी तरफ देख कर कहा- अरे इसे होश आ रहा है।
सविता भाभी ने पूछा- मैं कहाँ हूँ?
‘तुम हमारे अड्डे पर हो..’ एक कड़क आवाज आई।
‘इस पर कड़ी निगाह रखो इसको कल कहीं और ले जाना होगा।’
तभी दूसरे डाकू ने कहा- अरे चुप रहो इसको कुछ नहीं बताना होगा।

सविता भाभी ने अपनी पहरेदारी में लगे जवान लौंडे की उम्र के डाकू को देख कर दिमाग लड़ाया कि इस छोकरे से कुछ और जानकारी मिल सकती है।

सविता भाभी ने अपने रूपयौवन का जाल फेंका और उस युवा डाकू से कहा- मुझे प्यास लग रही है.. मेरा गला सूख रहा है। क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है?

‘हम्म.. ये लो.. पानी पियो..’ उसने एक जग सविता भाभी की ओर बढ़ाया।

सविता भाभी ने कुछ पानी अपनी चूचियों पर गिराया और एक्टिंग की- ओह्ह.. न..नहीं..

सविता भाभी का टॉप भीग गया था और उन्होंने पानी को पोंछने के लिए एक कपड़ा माँगा- क्या आप मुझे अपने आपको को सुखाने के लिए एक सूखा कपड़ा दे देंगे? बहुत ठंड है..

उधर उस लौंडे ने सविता भाभी की पानी में भीग जाने से साफ़ दिखती हुई चूचियों को देखा.. तो वो गनगना उठा।
 
वो सोचने लगा कि आह्ह.. इसकी मस्त चूचियां दिख रही हैं.. मैं पहली बार किसी औरत का बदन ऐसे देख रहा हूँ।

उधर सविता भाभी सोच रही थीं कि इस लड़के की नजरें तो मेरी चूचियों की तरफ ही हैं.. मतलब ये मेरे काम का है इस मौके का फायदा उठाना चाहिए।

उस लड़के ने एक कपड़ा भाभी की तरफ बढ़ाया ही था कि भाभी ने अपने एक हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया और शुक्रिया कहते हुए अपने दूसरे हाथ से उसके लौड़े को सहला दिया।

‘आह्ह.. क्या कर रही हो..?’
‘तुमने मेरी कितनी मदद की है.. मुझे भी तुम्हारे लिए कुछ करना चाहिए..’

उस लड़के ने कुछ नहीं कहा तो भाभी ने अगला अस्त्र चलाया- अरे तुम्हारा तो बहुत बड़ा हो रहा है पहले मुझे तुम्हारे लंड को इस तम्बू से बाहर निकालना चाहिए।’

जैसे ही भाभी ने लौड़े को बाहर निकाला वो एकदम तना हुआ बाहर निकल आया।
भाभी सोचने लगीं कि ये तो मेरी उम्मीद से कहीं बड़ा है.. मेरा पूरा मुँह भर जाएगा।

अब सविता भाभी ने लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया।
कुछ ही पलों में उस लड़के के लौड़े ने अपना रस छोड़ दिया और भाभी ने पूरा माल गटक लिया।

इसके बाद भाभी ने उस लड़के से पूछा- मैंने सुना है कि डाकू ज्वाला गदर इसी इलाके में रहता है.. क्या ये सच है?

‘हाँ.. ऊपर पहड़ों में घने जंगल में उसका अड्डा है.. यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है। मगर मुझे ये सब तुमको नहीं बताना चाहिए.. मैं फंस सकता हूँ।

तभी कामेश ने अन्दर आते हुए उस लड़के से कहा- अरे तुम बाहर जाओ.. तुम्हें गब्बर बुला रहा है।
वो लड़का बाहर चला गया तो कामेश ने पूछा- सावी क्या हुआ कुछ पता चला?
सविता भाभी ने बताया- हाँ उस डाकू का मेन अड्डा इधर से कुछ दूरी पर जंगल में है।

कामेश- ठीक है मैं प्रयास करता हूँ कि तुमको उधर भेज दिया जाए लेकिन सारा दारोमदार तुम पर है।

फिर उसी रात सविता को आँखों पर पट्टी बाँध कर एक जीप से ले जाया गया। जब सविता की पट्टी खुली तो वो एक कपड़े से बने एक तम्बू में थी।

सविता भाभी ने सोचा कि बाहर जा कर देखना चाहिए।

बाहर निकलीं तो एक डाकू पहरे पर बैठा था उसने कहा- ठीक है इधर थोड़ा घूम सकती हो.. लेकिन भागने की कोशिश मत करना। इस जंगल से जिन्दा बाहर नहीं निकल पाओगी।

सविता भाभी को तम्बू के बाहर देख कर कामेश ने देख लिया और भाभी भी उसी तरफ चली गईं तो कामेश ने सविता भाभी को बताया कि मैंने विशेष पुलिस दल बुला लिया है, वे सब अड्डे के बाहर ही हैं। लेकिन डाकू ज्वाला कड़ी सुरक्षा में है और हम नहीं चाहते कि वो मुठभेड़ के दौरान गोलीबारी की आड़ में भाग जाए। इसलिए किसी तरह तुमको डाकू ज्वाला को अड्डे से बाहर लाना होगा।

सविता भाभी- लेकिन वो है किधर?
‘मैंने ज्वाला को उस तरफ देखा है.. तुम वहाँ जाओ।’

सविता भाभी उस तरफ को गईं तो उन्हें ज्वाला डाकू दिख गया।
‘हे भगवान् ये है वो भयानक डाकू ज्वाला ग़दर..’

वो अपने कुछ साथियों के बीच था सविता भाभी ने उसके पास जाकर पूछा- क्या आप ज्वाला ग़दर हैं?
तभी एक कड़क आवाज आई- ये लड़की रुक जा..

डाकू ज्वाला गदर ने सविता भाभी जैसी मस्त माल को देखा तो उसका मन मचल उठा, वो सोचने लगा कि बहुत दिनों से कोई औरत नहीं देखी और वो भी इतनी गर्मागर्म..
 
ज्वाला गदर ने कहा- इसे आने दो.. हाँ मैं ही मशहूर डाकू ज्वाला ग़दर हूँ.. तीन राज्यों की पुलिस मेरे पीछे पड़ी है.. लेकिन वे मुझे कभी नहीं पकड़ पाएंगे।

अब सविता भाभी ने अपना रूप जाल फैलाया।
उन्होंने अपनी चूचियों की घाटी को दिखाते हुए ज्वाला डाकू से कहा- तुम्हें यहाँ बिना किसी औरत के अकेलापन नहीं लगता?
पहले तो ज्वाला डाकू ने कहा- मेरे पास इन फ़ालतू कामों के वक्त नहीं होता।

लेकिन त्रिया-चरित्र के आगे कौन नहीं डोला है.. सो डाकू ज्वाला की निगाहें सविता भाभी के कामुक जिस्म पर घूमने लगीं और एक बार जिसने सविता भाभी की रसीली चूचियों को देखा.. समझो वो गया।

यही हुआ सविता भाभी ने अपने मादक बदन के दीदार कराते हुए किस तरह ज्वाला डाकू के लौड़े को चूसा और उसे खुद के साथ चुदाई का लालच देकर बाहर वीराने में ले कर आ गईं..
 
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