मैंने नाश्ता किया और अभी क्लाइंट के पास पहुँचा भी नहीं था कि फ़ोन बज गया, दिव्या का था- बड़े जालिम हो तुम राज…
‘क्यों जी, मैंने क्या किया?’
‘मैंने क्या किया… जानते हो आग लगी पड़ी है बदन में… और तुम हो कि प्यासी छोड़ कर ही चले गए?’
‘मेरी रानी.. मन तो मेरा भी नहीं था… पर क्या करूं… क्लाइंट से मिलना...