आप मुझे चोद लो

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Hindi sex story, kamukta मेरा प्रॉपर्टी का काम है और मैं करीब 5 वर्षों से यह काम कर रहा हूं मैं पहले अपने मामा के साथ काम किया करता था लेकिन अब मैंने अपना प्रॉपर्टी का काम अलग ही करने की सोच ली थी। मैंने 5 साल पहले अपना ऑफिस खोला हालांकि मेरे मामा उस वक्त थोड़ा गुस्सा जरूर थे लेकिन उन्हें मैंने मना लिया था और उसके बाद मैं अकेला ही काम करने लगा। धीरे धीरे मेरा काम अच्छा चलने लगा और उसी दौरान एक बिल्डर से मेरी दोस्ती हुई उसका नाम राजीव है राजीव से मेरी दोस्ती बहुत गहरी हो चुकी थी। वह जब भी कोई प्रोजेक्ट शुरू करता तो सबसे पहले वह मुझे ही कहता कि तुम उस फ्लैट को बिकवा दो और मैं उसके बनाए हुए फ्लैटों को बिकवा दिया करता हम लोगों ने साथ में काफी प्रोजेक्ट किये। राजीव के साथ मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी तो उसका मेरे घर में आना जाना भी था और मैं भी उसके घर में जाया करता था राजीव के पिताजी भी एक बहुत बड़े बिल्डर थे लेकिन अब वह बूढ़े हो चुके हैं इसलिए वह घर पर ही रहते हैं।

राजीव बहुत ही अच्छा और नेक दिल इंसान है वह बिल्कुल ही सामान्य जिंदगी जीना पसंद करता है इसीलिए मैं राजीव को बहुत पसंद करता हूं और मेरी उससे बहुत अच्छी दोस्ती भी है यही कारण है कि राजीव और मेरे बीच गहरी दोस्ती है। मेरा काम भी बढ़ता जा रहा था इसीलिए मुझे अपने ऑफिस में भी कुछ स्टाफ रखना पड़ा मैंने अपने ऑफिस में दो-तीन लोगों का स्टाफ रख लिया था जो कि अच्छे से काम कर रहे थे। मैंने अपने ऑफिस में एक रिसेप्शनिस्ट लड़की भी रखी थी वह भी काफी अच्छे से काम कर रही थी उसका नाम मीना है लेकिन मीना की शादी होने वाली थी तो उसने मुझसे कहा सर मुझे अब जॉब छोड़नी पड़ेगी। मैंने मीना से कहा कोई बात नहीं जैसा तुम्हें ठीक लगता है मैं कोई और लड़की देख लूंगा मीना जब तक हमारे ऑफिस में काम करती रही तब तक उसने बड़े ही अच्छे से काम किया और मुझे कभी भी उससे कोई शिकायत नहीं हुई। मीना बहुत ही अच्छी लड़की थी उसकी जब शादी होने वाली थी तो उसने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया और कहने लगी सर आपको मेरी शादी में जरूर आना है क्योंकि मीना मेरी बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट करती थी जब भी उसके घर में कोई भी फंक्शन होता तो वह मुझे जरूर बुलाया करती थी।

मैंने मीना से कहा हां मीना मैं जरूर तुम्हारी शादी में आऊंगा और कुछ महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी उसने ऑफिस से काम छोड़ दिया था और मैं अब कोई नई लड़की की तलाश में लगा था क्योंकि मुझे रिसेप्शन के लिए एक स्टाफ की जरूरत थी। मैंने उसके लिए अखबार में इश्तहार दे दिया लेकिन मुझे काफी समय तक कोई अच्छी और समझदार लड़की नहीं मिली इसलिए मैंने किसी को नहीं रखा उसी बीच मीना की भी शादी होने वाली थी मैं उसकी शादी में गया हुआ था। जब मैं उसकी शादी में गया हुआ था तो वहां पर मीना ने मुझे अपने मम्मी पापा से और अपने बड़े भैया से मिलवाया उनसे मिलकर मुझे अच्छा लगा। मैं उससे पहले भी एक दो बार उनसे मिला था लेकिन उस दिन मेरी उनसे बहुत अच्छे से बातचीत हुई वह मुझे कहने लगे मीना आपकी बड़ी तारीफ करती है और हमेशा कहती है कि आपके जैसा बॉस मिल पाना मुश्किल ही होता है। मैंने उसके मम्मी पापा से कहा दरअसल मैंने कभी भी मीना को अपना स्टाफ नहीं समझा उसकी मैं बड़ी इज्जत करता हूं और हमेशा ही उसकी इज्जत करता रहूंगा। मेरे पास जितने भी लोग काम करते हैं वह लोग बड़े ही अच्छे से काम करते हैं इसलिए मैं भी उनका पूरा ध्यान रखता हूं मीना की शादी बड़ी धूमधाम से हुई और उसकी शादी में बड़ा ही अच्छा अरेंजमेंट था। मीना की शादी हो चुकी थी और उसके कुछ दिन बाद ही मेरे ऑफिस में एक लड़की इंटरव्यू के लिए आई उसका नाम सरिता है मैंने सरिता से कहा क्या तुमने इससे पहले कहीं जॉब की है तो वह कहने लगी हां सर मैं इससे पहले होटल में जॉब करती थी लेकिन वहां से मैंने काम छोड़ दिया।

मैंने उससे पूछा कि तुमने वहां से क्यों काम छोड़ा तो वह कहने लगी मेरे घर में कुछ समस्या हो गई थी इसलिए मुझे वहां से काम छोड़ना पड़ा। मैंने सरिता का इंटरव्यू लिया और उसके बाद मुझे लगा कि यह लड़की काम कर सकती है और मैंने उसे काम पर रख लिया मैंने सरिता को काम पर रख लिया था और वह बड़े ही अच्छे से काम कर रही थी। मुझे इस बात की खुशी थी कि चलो कम से कम मुझे रिसेप्शन के लिए एक अच्छी लड़की मिल चुकी है सरिता बड़े ही अच्छे से जितने भी क्लाइंट आते हैं उनसे बातचीत करती। सरिता को मेरे पास काम करते हुए करीब 3 महीने हो चुके थे वह बड़े अच्छे से काम कर रही थी। एक दिन मुझे राजीव ने कहा मैं तुम्हें कुछ पैसे देता हूं तुम मुझे कुछ दिनों बाद ही वह पैसे लौटा देना मैंने भी सोचा चलो मैं राजीव से पैसे ले लेता हूं क्योंकि राजीव मुझ पर बहुत भरोसा किया करता है। मैंने राजीव से पैसे ले लिये और उसके बाद मैंने जब वह पैसे अपने ऑफिस के अलमारी में रख दिए यह बात किसी को भी नहीं मालूम थी और मैंने अपने ऑफिस के अलमारी में ताला लगा दिया। कुछ दिनों बाद मुझे राजीव ने कहा कि मुझे वह पैसे चाहिए जो मैंने तुम्हें दिए थे मैंने राजीव से कहा ठीक है मैं वह पैसे लेकर अभी तुम्हारे पास आता हूं लेकिन मैंने जैसे ही अलमारी खोली तो उसमें से वह पैसे का बैग गायब था। मेरी आंखें फटी की फटी रह गई और मैं पूरी अलमारी में ऊपर से नीचे तक देखता रहा लेकिन मुझे वह पैसे कहीं नहीं मिले मेरा पूरा मूड खराब हो चुका था।

मैं सोचने लगा कि अब मैं राजीव को क्या जवाब दूंगा लेकिन यदि मैं राजीव से यह कहता कि वह बैंक मुझे मिल नहीं रहा तो हम दोनों की दोस्ती में दरार आ सकती थी इसलिए मैंने राजीव को अपने अकाउंट से पैसे निकाल कर दे दिए। मैंने राजीव को इस बात की भनक भी नहीं लगनी दी कि जो पैसे उसने मुझे दिए थे वह पैसे गायब हो चुके है। मुझे अब इस बात का पता लगाना था कि आखिरकार वह पैसे कहां चोरी हुए और उन्हें किसने निकाला क्योंकि अलमारी का लॉक तो टूटा भी नही था उसमें से सिर्फ पैसे ही गायब थे। मेरे पास जितने भी लोग काम करते हैं वह बहुत ही ईमानदार है मैंने उनकी ईमानदारी पर कभी भी कोई शक नहीं किया लेकिन मैं पता लगाना चाहता था की आखिर वह पैसे किसने निकाले। एक दिन सरिता मेरे पास आई और कहने लगी सर मैं अब यहां काम नहीं कर सकती मैंने सरिता से पूछा लेकिन तुम क्यों काम नहीं कर सकती। वह कहने लगी मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती और मुझे उनकी देखभाल करने के लिए अब घर पर ही रहना पड़ेगा। मेरे पास भी कोई जवाब नहीं था मैंने उसे कहा ठीक है तुम इस महीने काम कर लो अगले महीने तुम चली जाना और फिर अगले महीने सरिता ने काम छोड़ दिया। ऑफिस में मैं उन पैसों को लेकर किसी पर भी शक नहीं कर सकता था फिर मुझे उस वक्त ध्यान आया कि मैं सरिता के घर पर चलता हूँ जब मैं उसके घर पर गया तो मैंने देखा उसके पापा तो बिल्कुल स्वस्थ हैं उन्हें कुछ भी नहीं हुआ है। मैं बहुत ज्यादा गुस्से में हो गया और मैंने सरिता से कहा तुम्हारे पापा तो बिल्कुल ठीक है तुमने मुझसे झूठ क्यों कहा। सरिता को मैंने कहा तुम मेरे ऑफिस में आकर मुझसे बात करना। वह कहने लगी ठीक है सर मैं आप से ऑफिस में आकर मिलती हूं वह मुझसे मिलने जब मेरे ऑफिस में आई तो मैंने उसे पूछा तुमने मुझसे झूठ क्यों कहा। मुझे पूरा यकीन हो चुका था कि उसने ही वह पैसे निकाले हैं लेकिन सरिता इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं थी कि उसने वह पैसे निकाले हैं।

मैंने उसे बैठने के लिए कहा उससे जब मैंने पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया तो उसने मुझे आखिरकार बता ही दिया कि उसने वह पैसे कहां दिए हैं। उसने मुझे बताया कि वह पैसे उसने अपने चाचा के लड़के को दे दिए हैं क्योंकि उसे कुछ पैसों की जरूरत थी। मैंने उससे पूछा कि तुमने अपने चाचा के लड़के को क्यों पैसे दिए तो वह कहने लगी दरअसल वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा था। मैंने सरिता से पूछा वह तुम्हें क्यों ब्लैकमेल कर रहा था तो वह मुझे कहने लगी उसके साथ मेरे संबंध है और हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बने हैं जिससे कि वह मुझे कहने लगा मुझे कुछ पैसों की जरूरत है। मैं सरिता को एक अच्छी लड़की समझता था लेकिन उसने मेरे साथ बहुत गलत किया मैंने उसे कहा मेरे पैसों का क्या हुआ तो वह घबरा गई और मेरे पैर पड़ने लगी। मैंने उसे कहा मुझे तो मेरे पैसे वापस चाहिए मुझे इतना बड़ा नुकसान हुआ है मैं उसकी भरपाई कैसे करूं तो वह कहने लगी आप मेरे हुस्न का स्वाद चख लिया कीजिए जब तक आपको लगे तब तक आप मेरे साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं।

मैंने उसे कहा तुम कपड़े उतारो तो उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतारे मैंने जब उसके नंगे बदन को देखा तो मैं अपने आप पर काबू ना कर पाया। मैंने जैसे ही अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करो। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसने लगी उसे बड़ा मजा आ रहा था और वह काफी देर तक ऐसा ही करती रही। जब वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई तो मैंने उसकी योनि पर अपनी उंगली को लगाया और उसकी योनि से गिला पदार्थ बाहर की तरफ को निकल रहा था। मैंने जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो वह मचलाने लगी वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूतडो पर तेज गति से प्रहार करने लगा उसे बड़ा मजा आ रहा था और वह मेरा साथ दे रही थी। मैंने भी उसे बहुत देर तक चोदा उसे बहुत मजा आया मैं बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि मुझे टाइट चूत मिल गई थी। मैंने उसे कहा लेकिन अब भी मेरे पैसे वसूल नहीं हुए हैं मैंने उसकी गांड के अंदर अपने लंड को डाला और तेजी से धक्के देने शुरू किया। जब उसकी गांड से खून निकाला तो वह मुझे कहने लगी क्या मैं अब जाऊं मैंने उसे कहा जब मैं तुम्हें बुलाऊंगा तब तुम्हें आना पड़ेगा वह कहने लगी हां मै आ जाऊंगी।
 
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